िन��त शिन �ह अनक ु ू लता �योग NISHCHIT SHANI GRAH ANUKOOLTA PRAYOG
नव
�ह� म�
शिन को सबसे �ू र माना
�ण े ी म� राहू का
स्थान सव�पर�
इनका �भाव कह�ं ज्यादा
समद ु ाय को
यन्� साढ़े या
सहन करना
शिन क�
दशा
योग्य
चल रहा
स� ू म
भर
को
�दन का
दशा
एक
मानव
था क�
या अंतर दशा
अंतर दशा का अध्ययन ज्योितषी
हो
चल
�ह� क�
धीरे गित के कारण
और सम्पण ू र्
भी
जी�वत
म� ं तं�
यह जरुर� नह�ं ह� क� जब शिन क�
या कंु डली म� समय रह�
यह ह� क�
हो
अगर
�कया जाए तो
रुकता नह�ं ह� ब�ल्क
जस ै े भी
अत्यत ं
यु तो �ू र
पड़ता ह� . सदगरु ु दे व जी ने
�योग करना चा�हए .वास्त�वकता और
ह� पर
दे र तक
�वज्ञानं प��का म� बताया
साती , अ�ै या
जाता ह�
तभी
शिन क�
इतने पर
और
वस ै े भी
ह�
महा दशा
दशा
य�द
समय अविध माने तो �कसी भी पल कोई न कोई
शिन क�
दस् ु �भावता
वाला
हो सकता ह� .
हो
शिन क� शांित का
इससे भी आगे �ाण
भद े �मशः आते ह� .
�वपर�त
एक
और
�दन
क्षण
और यह
�दन के �कसी भी घट ं े दघ ु ट र् ना
होने
साधना
अवश्य
करवाते
भांित जानते , उन्ह�ने
एक
वह
तो
हो सकता ह� ...
�योग
एक
अनेको
�त्येक
सव�च्च ज्योितषी
�कतना �भाव
भी ह�
कर सकती ह�
बहु त कम ह� इन नव �ह�
पाए
मानव जीवन
क� अनक ु ू लता के िलए
ह�
शिन क� अनु कु लता
हु ए एक सरल
दे गा
िमल जाती ह� तब
जीवन
सदगरु ु दे व जी के
आशीवाद र्
म�
और
जब
उच्चता
मन से �ब�ास से आप यह �योग करे
यन्�
िनमाण र् क� �विध :
से िमलग े ी
या
ह� . पर साधक ध्यान
िन�य ह� साधक वगर् के पास समयाभाव रहता
इसको ध्यान म� रखते
ह� नह�ं
तो वह भली
समझाया क� इन �ू र �ह� के �भा व
परु ु ष भी नह�ं भी नह�ं बच
तो
नव गह ृ क� शांित का
नव �ह� क� अनक ु ू लता या �ितकू लता
बार
क्य��क
पज् ू य सदगरु ु दे व
सस ं ार के महानतम तां��क आचायर्
या अ�त्यक्ष
क्या अवतार
लगता ह� .
न कोई
ह� थे . क्य��क
ह� क�
�त्यक्ष
एक पल
म� कोई
ब�ल्क सभ ं वतः
पर
या पल उप�स्थत
म� तो
िश�वर�
एक पल का समय
सा �योग
इस शिन
डालती ह�
से दे वता वगर्
दे ता ह� .
ह� ह� तो
जो आपको
िन�य
गह ृ क� अ नक ु ु लता
स्वतः ह� आने लगती ह� ,, परुे
िन�य ह�
ह� आपको
सफलता
यन्�
िनमाण र् क� �विध :
�दन शिन वार , व� आप
काले
ह�
धारण करे आसन
भी काले रं ग
का ह� हो शिन उपसना म� सरस� के तेल का द�पक हो तो . य� ं िलखने के िलए
भोजप� कह�ं ज्यदा
जानते ह� क� अ� गंध क� िमल �कस लकड़� क� कलम से िलखना
�वधान ह� , तो गल ु र से िमल जाएगी का
और
भी
और �फर
२३,०००
उपयोग करे ,
यन्� िनमाण र् करे .. �फर
सभ ं व
अच्छा
क� लकड़�
ह�
हो
उसक�
�कसी
पज ू ा करे
जाये
चा�हए
उपयोगी ह� , स्याह� आप
या बना
यह भी
ले .
एक
जो क� आपको पस ं ार� के
और
भी माला पर य�द
हक�क
िनम्न मन्� का करे .
हो
ह�
यन्� को
बहु त आवश्यक यहाँ
इस यन्� क� अगरब�ी और
पर काले रं ग क� हो तो ज्यादा अच्छा
मन्� जप
अनक ु ू ल ह�
तो
�फर
आसानी जस ै ा
ज्यादा म� ं
ॐ शं शिन�राय नमः || om sham shanishcharaay namah || एक
बार
पन ु ः
यन्� का पज ू न करे
यन्� को अब आप �कसी भी ताबीज म� गह ृ क� अनक ु ू लता
महसस ू
होने लगग े ी .
जब जप
समा� हो जाए . इस
डाल कर धारण कर ल,े आपको शिन
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बीजो� तं�- वाग्बीज �ारा पण ू र् शिन कृ पा �ाि� अभ्यद ु य �बो ध � वध ा न (Beejokt Tantra- Vaagbeej dwara poorn Shani Kripa Prapti Abhyuday Prabodh Vidhaan )
शिन......भय,पीड़ा,अभाव और असत ं � ु ी क्या यही पहचान है शिन दव े क � ?? जो तथाकिथत प�गापिंथय� ने िन�िपत कर �दया है शिन दव े के िलए. नह� ,ऐसा नह� ह.ै आलोचना तभी स्वीकायर् होती है जब वस्तत ु ः हम कु छ क़दम� क� गित उस और कर चक ु े ह�, बगरै प�रक्षण �कये �कसी भी तथ्य को िनधा�र्रत करना सदव ै �िुतयो� और �ामक ही होता ह,ै सदग� ु दव े ने शिन दव े के �प को प�रभािषत करते �ए कहा था क� ये �प अिभ�ि� है ज्ञान क�,न्याय क� और जीवन म� सदव ै और सत ं िुलत गित का. अबोध ब�� या �ि�य� को अपने न्याय क्ष� े से बरी रखना,क्या इसी तथ्य को िन�िपत नह� करता ह.ै �कसी क� नक़ल करना और समझदार मिष्तष्क के होते �ए भी िनरं तर गलितय� को करते रहना अपराध क� �ण े ी म� आ जाता ह.ै क्य�ंूक िवकिसत मिष्तष्क अच्छे –बरुे का भली भािंत ज्ञान रखता है और उसे ये पता होता है क� हम जो कर रहे ह� वो �कतना हािनकारक हो सकता है समाज के िलए,स्वयं के िलए,प�रवार के िलए या �फर रा� के िलए. और इन कम� को सकारात्मक तो नह� िलया जा सकता.
ऐसे म� अपनी न्याय दिृ� से सत्य न्याय �दान करना मा� शिन के ही अिधकार क्ष� े म� आता ह,ै यहाँ तक तो सभी जानते ह,� ह� ना..... �कन्तु कभी सोचा है क� इस तठस्थ न्याय दिृ� का अनप ु ालन करने के िलए िजस ज्ञान और िववक े क� आवश्यकता होती है उसका कारण �बद ु कहाँ होता है ,अथात र् कहा से उस ज्ञान का अभ्यद ु य होता है िजससे सत्य न्याय का बोध हो और तदन� ु प ही न्याय �कया जा सके . हम म� से सभी ने ये सुना ही होगा क� जब �ी हनम ु ान जी ने लक ं े श रावण के कारागार से शिन दव े क� मिु� कराई थी,तब उन्ह�ने शिन दव े से ये वचन िलया था क� मग ं लवार या शिनवार को जो भी मन,वचन,कमर् से मरेी या मरेे �दयाराध्य �भु राम क� आराधना करे गा आप उसे �ास नह� दोग.े परन्तु समय साक्षी है क� िजतने भी लोग इन दोन� �दवस� म� पज ू न �म करते ह� वो लोग ज्यादा परे शां होते ह.� क्या वो वचन गलत थ? े ? नह�,वास्तिवकता ये है क� हमने उस पण ू र् वाक्य पर ध्यान ही नह� �दया ह,ै उसमे कहा तो गया है क� मन,वचन,कमर् से पण ू र् पज ू न करन े पर......... अब खद ु ही सोिचये घर से नहा-धोकर म�ंदर के िलए िनकलते ह� ..पर मागर् म� �कसे दख े कर क्या �चतन करते ह.� ..कभी सोचा ह,ै और तो और असत्य भाषण,धोखा दन े ा,अशिुचता य� ु जीवन जीना आ�द कमर् और िवचार� से क्या आप म� ु रह पाते ह� ,नह� ना. वस्तत ु ः हमारा �चतन तो होता है पज ू न का और उससे �ा� लाभ के �प म� सम्पण ू र् सख ु � क� �ाि� का परन्तु जानते बझ ू ते अशिुचता पण ू र् �व्हार से क्या हम लाभ पा पाएग ं े ..नह�,अिपतु दड ं क � १० ग न ु ी मार आप पर ज्यादा पड़ग े ी .क्य�ंूक ज्ञान का �बोध तो था,�कन्तु अश� ु ज्ञान का. तब असत्य ज्ञान से उत्प� िववक े दिूषत ही होगा ना. और एक महत्वपण ू र् �बद ु हमश े ा ध्यान रिखयग े ा क� ९ �ह और माता मथ ंु ा क� उत्पि� का मल ू कारण भी बीज मन्�� म� ही छु पा �आ है ,अथात र् �त्यक े �ह क � उत्पि� और शि� का रहस्य �कसी िवशष े बीज मन्� म� ही िव�मान होता है .
जस ै े शिन दव े “�” बीज से उत्प� ह.� उनक� न्याय दिृ� इसी “वाग्बीज” से उत्प� होती ह.ै और स्मरण रखने योग्य तथ्य ये है क� जब भी �िृ� का �म सिृजत करना हो तब हम� इसी “वाग्बीज” का सहयोग लन े ा ही होगा. कहा भी गया है क� “�कारी सिृ��पाय”ै अथात र् “वाग्बीज” सिृ�कतार् ह.ै और सज ृ न के िलए ज्ञान और बोध क� आवश्यकता होती है ,याद रिखये सत्य बोध के �ारा ही पण ू र् सत्य और िचरस्थायी सख ु क� �ाि� सभ ं व है ,भगवान शिन के िविवध मन्�� का तािं�क �थ ं � म� वणन र् है ,�कन्तु �कस �म �ारा कै सा लाभ �ा� �कया जा सकता ह,ै �ायः इसका अभाव ही दिृ�त होता ह.ै तब ऐसे म� सद्ग� ु �द� मागर् का अनस ु रण करना ही उिचत ह,ै िजससे मागर् भटकने और हािन का भय नह� होता ह.ै उत्पि� रहस्य तो ब�त िवस्तत ृ है ह,ै परन्तु यहाँ पर मा� उस �योग को अ�ंकत करने का �यास कर रही �ँ िजसके �ारा शिन दव े के वास्तिवक �प का तो हम� बोध होता ही है साथ ही उस �प को समझकर हम उनके वरदायी �भाव� से अपने जीवन को अपराधऔर ��ुट म� ु करके जीवन सख ु � को अक्षण ु रख सकते ह� और अपना सम्मान,सप ं ि�,�म े ,प�रवार को स्थाियत्व दे सकते ह� और स्थाियत्व दे सकते ह� अपनी िस्थर�ज्ञा को ,िजसके सदप ु योग से आत्म शि� को मजबत ू �कया जा सकता है और अभी� ल�य को �ा� �कया जा सकता ह.ै �योग िविध बध ु वार क� सब ु ह सय ू �दय के बाद �त े व� पहन कर सफ़े द आसन पर बठ ै कर सामने ताम्बे क� थाली म� सफ़े द चन्दन से अनािमका अग ं ल ु ी के �ारा “�” अ�ंकत करे और उसका पज ू न,अक्षत, धप ु ,आटे के चौमख ु े दीप,पष्ुप, खीर और लॉन्ग से करे . �दशा पव ू र् होगी. इस पज ू न के पव ू ,र् सदग� ु दव े ,स य ू र् और भगवान गणपित का पच ं ोपचार पज ू न और ग� ु म� ं का जप कर लीिजए. ये �त्यक े साधना म� अिनवायर्
�म ह.ै तत्प�ात स्फ�टक माला या ��ाक्ष माला से “�” “AING” म� ं क � ११ माला करे . ये �म शिनवार तक करना ह,ै शिनवार को इस �म के बाद काले व� धारण कर या स्वच्छ व� धारण कर सामने ७ क�ल,काले ितल,काजल,सरस� के तल े ,काले व� को सामने रखकर उनका पज ू न सरस� के तल े का दीपक,गग्ुगल धप ु ,ितल लड्डू ,ल�ग,काले ितल� से करके ११ माला काले हक�क या ��ाक्ष माला से िन� म� ं क� करे . म� ं के पहले िन� ध्यान म� ं ९ बार उ�ा�रत कर� . ध्यान म� ं “नीलाज ं न समाभासं सय ू र् प� ु यमा�जम | छाया मातण्र्ड सभ ं त ू ं तं नमािम शन� ै रम ् ||” इसम� िजस म� ं का �योग जप करने के िलए होता है ,वो वाग्पीज से ही उत्��ेरत है और माया से म� ु कर �ी का अभ्यद ु य जीवन म� करवाता ही है और उिचत तथा सत्य ज्ञान का �बोध करवाकर न्यायाियक िववक े भी �दान करता ह,ै िजससे बिु� कु शा� होती है और च�र� क� श� ु ता के साथ पण ू र् यश,सम्मान और धन क� �ाि� होती है तथा भगवन शिन का वरदायक �भाव जीवन म� �ा� होता ह.ै मन्�“� �� �� शन� ै राय नमः” “AING HREEM SHREEM SHANAISHCHARAAY NAMAH” इस �म को करने के बाद पन ु ः रिववार,सोमवार,मग ं लवार और बध ु वार को मल ू वाग्बीज म� ं का उपरो� �म ही करना है और �योग क� समाि� पर �कसी भी कन्या को माँ वाग दव े ी मानकर पण ू ,र् भोजन,उपहार और दान दिक्षणा से त� ृ कर �योग को पण ू त र् ा द.े �योग िसफर् सच ं य करने के िलए नह� है अिपतु इसे सप ं � कर इस �योग का लाभ लक े र दख ु � को दरू भाग्य जाय,े इसी म� साथक र् ता ह.ै ============================================
Shani…..fear, pain, incompleteness and unsatisfaction…..is this all true recognition of SHANI DEV????? No these all are stupid ideas which were developed by fake people just to earn money on His name. Criticism can be accepted only then when you himself has done some work to the related field otherwise things which are blindly followed are usually faulty and play good for nothing role in anyone’s life. Sadgurudev himself provided a wonderful definition of Shani’s form which symbolizes Knowledge, Justice and continuous betterment of life and its classical example is that innocent children and mentally retarded persons don’t come under his jurisdiction. But to copy someone else style or doing mistake after mistake that too while having healthy mind falls in crime’s category because sound mind can judge that whatever is done by him can be destructive for his family, society, nation and for himself as well and this type of activities can’t be entitled positive activities. And in these types of matters to give proper justice comes under his legislation ….till here is common information about him which we all know……..isn’t it!!!! But do we ever think about that basic central point which gives essential knowledge required to give true justice means where is that resource situated which provides this type of hi-fi knowledge which further plays an important role in the field of justice. We all know that once when Lord Hanuman released Shani Dev from the prison of Lankesh he (Hanuman ji) acquired a promise from him that who so ever offer true devotion to his Lord i.e. Lord Rama or to him (Hanuman ji) as well from his true Mann, Vachan and Karma, Shani will never do any harm to him but unfortunately time is witness that any devotee who follow this procedure remains in more problems than anybody else. Did that promises were false?? No, it’s our fault that we don’t pay proper attention to that complete sentence which has three conditions i.e. Mann, Vachan and Karma……now it is up to you to decide are we following that conditions…..on the way to temple countless corrupted thoughts come into our mind for other people…and moreover is our life is free from jealous, cheating, ill deeds and telling lies….and the answer is BIG NO….
No doubt by doing all these meditations and prayers we want to have all comforts and luxuries but let me know by doing ill deeds that too with conscious mind how can we imagine to have fruitful result of all these holy jobs….but the thing which will surely we get is punishment that too with increment-i.e. basic multiply by 10 because at the time of committing that sin we had its incomplete and false knowledge and the we all know “Little Knowledge Is A Dangerous Thing” Another thing which we need to aware about is that the mystery behind the origin of every planet and Mother Muntha is hidden in all these Beej Mantras means there is a particular Beej Mantra responsible for the origin of a particular planet and its power. Like “AING” beej is behind the origin of Shani Dev, his justice power is also originated from this “Vaagbeej” and the point which should keep in mind is that at the time of universal creation it is this “Vaagbeej” without which nothing can be produced. This is also rhymed as “AING SHRISHTIRUPAAY” It means “Vaagbeej” is creational and to create something knowledge and consciousness is must and always remember it is only through complete truth one can have permanent happiness. In ancient literature we have multiple Mantra about Shani Dev but through which Mantra we can have what type of benefit this knowledge is missing and in this type of situation Sadgurudev himself can enlighten your way to avert harm and loss you can face. Creational mystery is vast that’s why here I am giving only that proyog through which one can have glimpse of Shani Dev’s original form and his blessings as well which further helps you to get rid of your life from the feeling of guilt and can give stability to your finance, social status, love and family life…..above of all this proyog can give you mental stability which promote your spiritual stability to attain your destination. At Wednesday morning after sunrise take bath and wear white clothes, sit on white altar (aasan), place copper plate in front of you and on it with your Anamika finger ( second last) while using white sandal write “AING” on it and offer Akshatt (rice), incense, four faced flour lamp ( aate ka chomukha deep), flowers, kheer and Clove (loung) on it. Your direction should be East. Before doing this poojan do Sadgurudev, Surya (Sun) and
Lord Ganesha’s panchopchaar poojan first and enchant Guru Mantra because this is the base of every sadhna. Then do 11 rosaries of “AING” Mantra with Sfatik or Rudraksh rosary. This procedure should be carry on till Saturday and on Saturday after completing of procedure wear black or any other color’s but neat and clean clothes and put 7 nails (keel), black till, kajal, mustard oil, black cloth in front of you and offer mustard oil’s lamp, guggal incense, till ke laddu, clove (loung) black till and do 11 rosaries of given mantra with black hakeek or Rudraksh rosary. Dhyaan mantra“नीलाज ं न समाभासं सय ू र् प� ु यमा�जम | छाया मातण्र्ड सभ ं त ू ं तं नमािम शन� ै रम ् | | ” Mantra used in it gets its origin from Vaagbeej itself which helps you to release yourself from the veil of Maya i.e. outer false happiness and make sure the entry of SHRI (goddess laxmi) in your life while giving you true spiritual knowledge and mind which has the capacity to do justice, purity of character as well. By doing this proyog one can have Lord Shani Dev’s blessings for his whole life. Mantra“ � � � �� शन � ै राय नमः” “AING HREEM SHREEM SHANAISHCHARAAY NAMAH” After the completion of this procedure follow the basic Vaagbeej Mantra procedure again for next Sunday, Monday, Tuesday and Wednesday and on its completion offer any small girl (kanya) food with gifts and money as per your capacity. This proyog can open the door of success and comfort for you so it’s up to you to follow it and take advantage….
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शिन �ह क� अनक ु ू लता के िलए एक यन्� �वधान Yantra Process to Make Saturn Planet Favourable
नव�ह� मे शिन का अपना ह� एक स्थान ह� ,इनको दं डािधकार� भी कहा जाता ह� ह� अतः स�ृ� के समस्त जीवो को उनके कम� के अनस ु ार फल दे ने के कारण सभी का इनके �ित भय होना स्वाभा�वक भी ह� . जब कमर् �कये ह� तो फल सहन करने क� अिनवायत र् ा भी ह� ,पर हमारे ऋ�षय� ने अनक े ऐसे �वधान िनकाले ह� जो इन कमर् फलो के प�रणाम अत्यिधक न्यन ू कर सकने मे समथर् ह� . शिन �ह , यह तो सवर् �व�दत तथ्य ह� क� शिन �ह एक रािश से दस ू र� रािश मे जाने मे लगभग ३० मह�ने का समय लत े े ह� मे सवािर्धक
जो अन्य �कसी �ह क� तल ु ना
ह� .इस कारण इनक� य�द अनक ु ू लता न हु यी तो व्य�� को काफ�
लब ं े समय तक दष्ु�भाव झल े ने पड़ जाते ह� . 1. कोई दघ ु ट र् ना होना 2. घर के सदस्य� का आपस मे मन मट ु ाव होना 3. अचानक व्यापार मे हािन हो जाना 4. शार�र गत कोई रोग का उभर आना . 5. आख� से सबिंधत रोग 6. परै� से सब ं िधत रोग . 7. अत्यिधक उदास या अवसाद मे होना 8. और साधक के िलए शिन य�द अनक ु ू ल ना हु ए तो साधना िस�� मे दे र� होना ऐसे अनक े �भाव िमलते ह� . 1. इस �योग को �कसी भी �हण काल या शिनवार को �कया जा सकता ह� . 2. �हण काल मे मे भी इस यन्� को बनाया जा सकता ह� सरल �वधान ह� अतः समय कम लग े ा . 3. मा� �कसी भी कागज़ या �बना कटा फटा भोजप� ले ले .और 4. स्नान आ�द करके साफ व� धारण करके ..इस यन्� का िनमाण र् कर� . 5. यन्� लख े न के िलए काली स्याह� लेना ह� . 6. �कसी भी �कार क� कलम ली जा सकती ह� जो आपके पास हो अनार लकड़�
क�
हो तो ठ�क रहे गा .
7. य�द �कसी शिनवार को यन्� लख े न कर रहे ह� तब �दन का कोई भी समय उिचत होगा . 8. बस यन्� बना ले धप ू द�प से पज ू ा कर ले . सदगरु ु दे व पण ू र् पज ू न और गरू ु म� ं का जप तो हर साधना �फर वह छोट� या बड़� हो उसमे �ारम्भ या अत ं मे अिनवायर् ह� ह� .
इस साधना को समपन्न कर� ..और शिन �ह क� अनक ु ू लता को आप अनभ ु व भी कर सकते ह� हाँ चाहे
तो शिन �ह का कोई भी तां��क म� ं का जप भी कर
सकते ह� यह और भी अनक ु ू लता दे गा .
Saturn has got its own place among the nine planets. It is also called Punishing authority therefore it is quite natural for all the creatures of universe to be fearful of it since it gives results according to their karmas. When the karmas have been done then it is necessary to bear the results also. But our sages and saints have evolved certain processes which are capable of reducing results of karmas to the minimum. This is well-known fact that Saturn planets takes approximately 30 months to move from one zodiac sign to the other which is maximum as compared to other planets. This is the reason that if it is not favorable, person may have to bear the ill-consequences for a very long time. 1. Happening of any accident 2. Mutual disputes among the family-members 3. Sudden loss in business. 4. Emergence of any physical disease. 5. Eye-related disease 6. Feet-related disease 7. Become extremely unhappy or in state of depression 8. And if Saturn is not favorable for sadhak then delay in accomplishment of sadhna. are certain consequences which one has to bear. 1. This prayog can be done during any eclipse time or on Saturday. 2. This yantra can be made during the eclipse time .Process is very simple hence will take less time. 3. Take merely any paper or Bhoj Patra which is not worn or have no cuts. 4. Take bath and wear clean clothes..then make this yantra. 5. Black ink has to be used for writing yantra.
6. Any type of pen/pencil can be used. If stick of pomegranate is use, then it will be better. 7. If yantra is being made on Saturday then any time of Saturday will be more appropriate. 8. Just make the yantra and worship it with dhoop and deep. Complete Sadgurudev poojan and chanting Guru Mantra in beginning and end is compulsory regardless of whether sadhna is big or small. Do this sadhna……And you can yourself feel the favorable nature of Saturn planet. Also you can chant any tantric mantra related to Saturn planet, it will provide you more benefits. =========================================
****NPRU**** Posted by Nikhil at 10:53 PM
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माँ महाकाली सायज् ु य शिन ज्योितष
जय गरु ु दे व॥ 2012-2014 माँ महाकाली सायज् ु य शिन ज्योितष �वसस् े शांक इं जीन्य�रं ग क� पढ़ाई चल रह� थी ...काफ� अच्छा समय चल रहा था....गरु ु दे व के मागद र् शन र् म� काफ� उपल�ब्धय� को �ा� भी �कया.......ल�ेकन सत ं स् ु ट� मन से नह�ं हु ई थी क्य��क आध्या�त्मक पछ म� काफ� �पछे था ......और मन म� यह ठान िलया था क� आध्या�त्मक पछ म� भी पण ू र् ता �ा� करूं गा...... कई बार �रसीके श और ह�र�ार गया ......ऋ�ष और सत ं ो क� खोज म� क� कु छ नया सीख जाऊँ ...ल�ेकन रहे स्य तो गरु ु दे व के पास था.... उन्होने समझाया क� कहाँ फालतू का भटकते रे हता ह� .......सब कु छ यह� ह� .......म� तझ ु े बताऊं गा क� तं� मं� और अध्यात्म म� पण ू त र् ता कै सी �ा� करनी ह� ....बस सईम और �वसवास रखो.....बस �कया उनको पकड़ िलया.... अध्यात्म म� परै रखने के पहले उन्होने मझ ु े सबसे पहले ज्योितष का ज्ञान �दया....और बताए क� इसके �बना तो तं� पे चलना ह� मख ू त र् ा ह� ....क्य��क तम ु इस चीज़ से जान लोगे क� तम ु म� �कया कमी ह� .....और उस कमी को दरू करके ह� तं� पे चल सकते हो.....और जब इसका �त्यक्ष �माण दे खा तो सहम उठा......
स�रु ु दे व क� जन्मकंु डली बहु त ह� गोपिनए रहे स्य िलए हु ई ह� .....और जब इसका आध्यान �कया ॥तब समझ म� आया क� स�रु ु दे व कोई आम आदमी नह�ं ह� ...ब�ल्क...... यह तो आप उनके िसफर् और िसफर् लग्न क� रािश से ह� पता लोगे क� वो �कया ह� ..... खरै हटाओ यह सब बात...ज्योितष म� जो सबसे महत्वपण ू र् �ह ह� वो ह� ....शिन �ह। खासकर कलयग ु म� शिन �ह का बहु त ह� अिधक �भाव रहे गा...... आ�खर शिन ह� �कया..... शिन ज्योितष क� दृ�� म� :---मद ं चलने वाला ,,,,,गड़ ु िचत ं न वाला ....घोर मह े नत े ी और तपस्वी ,,,,,,,और म� ं तं� य� ं म� पारं गत रखने वाला......और सबसे महत्वपण ू र् बात सत ं ल ु न बनाए रखने वाला......यािन नॉमल र् ..... शिन का अंक 8 और रं ग काला ....... रमािनए स्थल शमशान...... अमावस्या ितिथ और रा�� का समय सबसे ��य..... और आखर� चीज़ अत ं करना ...यािन बरुाइय� का अंत करना ॥और �फर नया चीज़ �ारम्भ करना...... शिन उच्च का तल ु ा रािश म� होता ह� और नीच का मष े रािश म.� .... माँ महाकाली :
दस महा�व�ा म� सवर् �थम स्थान रखने वाली माँ महाकाली और शिन म� जरा भी भद े नह�ं ह� ..... माँ ह� �ह के रूप म� शिन को धारण क� हु ई ह� .....यािन आप िसफर् और िसफर् माँ क� पज ू ा करोगे तो शिन शांत हो जाएग ँ े.....�जस �कार वीरभ� क� श�� माँ भ�काली ह� ठ�क उसी �कार शिनदे व क� श�� माँ काली ह� ......ठ�क ह� कोई द�क्कत..... माँ भी तं� और म� ं क� आ�ा ह� �जस �कार ज्योितष म� शिन म� ं और तं� के आ�ा ह� ... माँ क� ��य ितिथ अमावस्या ह� और �दन अस्ट मी ह� जो क� 8 अक ं को दशात र् ा ह� जो क� शिन का भी अक ं ह� ......रं ग माँ और शिन दोन� का ह� काला ह� ... रहने का स्थल शमशान और बरुाइय� का अत ं माँ ह� करती ह� ......ता�क सत ं ल ु न कायम रहे .... 2012-2014 और ज्योितष : 4 अगस्त को शिन �फर से तल ु ा रािश म� �वश े कर� ग.े .....और वो वहाँ 2 नवम्बर 2014 तक रह� गे....... तल ु ा रािश जो क� पण ू र् रूपण े एक सत ं िुलत तराज़ू को दशात र् ी ह� .....य�द आपने गौर से दे खा हो तो .......यािन नॉमल र् .......न ह� इधर न ह� उधर......बस बीच म� ...यािन आज्ञा च� म� .......जहां शिन और माँ काली का वास होता ह� .....और जो काल ज्ञान को दशात र् ा ह� ..... मतलब यह हु आ क� अब चक ु � शिन तुला रािश म� आएंगे तो जो भी असत ं ल ु न ह� .....वो अब सत ं ल ु न कर द� गे .......यािन अब सच्चाई सबके सामने आएगी.....जो
कपट� ह� .....वो कोई भी हो िस�,सन्यासी,आम आदमी ,नत े ा,,,ज्योितषी॥कोई भी हो......उसका अब पदार् फास हो गा .......और सच लोगो को �कािशत �कया जाएगा.......�जसमे िस�ा�म साधक प�रवार,जोधपरु एक ह� जो अब एक नए तज े से आगे बड़� गे ....... और जो भी पाप या पापी अिधक हो गए ह� उनका सफाये िन��त समझो.......यह िसफर् भारत म� ह� लागू नह�ं होगी ब�ल्क परूे पथ् ृ वी पर लागू होगी ...... शिन हर 30 तीस साल बाद तल ु ा रािश म� �वश े करते ह� और जब भी वो आए ह� ......बहु त ह� भार� हानी हु ई ह� .......लाख� लोगो मारे जाते ह� ........ यािन 1982-1984....के पास आप जाये तो �हस्�� दे ख लन े ा ...इ�न्दरा गांधी का िनधन ,,भोपाल गॅस �ै �ज�ड ... और अब �फर से वह� समय आ गया ह� ......कु छ बड़ा होने का.... एक चीज़ याद रखना हमश े ा ...शिन दे व आखर� ग�द पे भी बोल्ड कर दे ते ह� ,,�जस �कार साडे साती क� आखर� समय म� मत्ृयु को भी आदमी �ा� कर लत े ा ह� ....... क्य��क सत ं ल ु न के िलए �वनास होना जरूर� ह� ...... सबसे महत्वपण ू र् बात यह ह� क� यह काल क� आवाज़ हर घर म� जाएगी .....और य�द आपका साधनात्मक पक्ष अच्छा ह� तो ज्यादा हानी नह�ं होगी ॥या आपने याद� महाकाली द�क्षा �ा� क� होगी तभी आप बच जाएग ँ े ...ल�ेकन य�द कु छ भी नह�ं ह� तो दे ख लन े ा आप ...कोई न कोई तो हताहत हो गा ह� ॥या आपके प�रवार म� �कससी को हानी॥इसिलए परूे मनयोग से गरु ु और काली साधन करो...... आप दे ख लन े ा आपके पड़ोस म� ह� ...हर आदमी के घर म� काल जाएगा ...और जो साधना म� माँ के ह� ॥वो तो बच जाएग ँ े...नह�ं तो पक्का मारा जाएगा....
यह तो 4 अगस्त 2012 से लक े े 2 नवम्बर 2014 तक दे खने योग्य ह� ......क्य��क ज्योितष सब कु छ कहता ह� .....और वद े ो क� आँख ह� वो... उपाय: माँ काली और गरु ु क� साधना लगातार 2 साल तक....क्य��क जहां तलवार काम आएगी वहाँ तलवार ह� चलानी पड़े गी...... यह लख े म� पण ू र् रूपण े स�रु ु दे व को सम�पत र् करता हँू ...... त्वद�यम वस्तु िन�खलम तभ् ु ये मओ े समपय र् े ........... आप सभी से अब म� 2 नवम्बर 2014 को ह� बात करूं गा ...तब तक गरु ु और माँ काली क� साधना करते रहो ...........जय गरु ु दे व......
BY Devesh Singh (Dev)
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साबर शिन साधना शिनदे व से सार� स�ृ� डरती है पर वास्तव म� शिन बड़े ह� न्याय��य है ! शिनदे व कभी भी सत्परु ु षो को नह�ं सताते और द� ु परु ु षो को दं ड दे ते है ! शिन महाराज को ६वे ८वे १०वे और १२वे भाव का पक्का करक माना जाता है और य�द शिन इन्ह� भाव� म� अके ले आ जाए तो सोने पर सह ु ागा क्य��क ज्योितष का एक िनयम है कारक कभी अपने भाव का नाश नह�ं करता पर उसके साथ कोई दस ू रा �ह ना हो ! य�द आप मजदरू� और िनम्न जाित के लोग� का सम्मान करते हो तो शिन आपको बरुा फल द� गे ह� नह�ं ! शिन य�द ७वे भाव म� नीच के भी हो तब भी बरुा फल नह�ं दे ते क्य��क ७वे भाव को प��म �दशा माना गया है और य�द इस भाव म� शिन नीच के भी हो तो उन्ह� �दशा बल िमल जाता है ! शिन य�द लग्न म� उच्च के भी हो तब भी दे खने म� आया है �क शिनदे व का �भाव अशभ ु ह� रहता है क्य��क यह उनके श�ु सय ू र् क� �दशा है !
य�द आपक� कंु डली ना हो तो यह कै से पता चले �क आपके शिन बरुा फल दे रहे है ? इस का एक आसान उपाए है , य�द म�ंदर से आपके जत ु े या चप्पल चोर� हो जाएँ तो सम�झये �क आपके शिन बरुा फल दे रहे है , इसी �कार य�द आपक� छत अचानक टू ट जाए या आपक� भस ै अचानक मर जाए तो समझे शिन बरुा फल दे रहे है ! इसी �कार य�द आप के घर क� व� ृ ��ओ के घट ु ने म� ददर् हो तो समझ ली�जये �क शिन आपक� कंु डली म� चन्� को परे शान कर रहा है ! कई बार यह
योग य�द गोचर म� बन जाए तब भी आपके घर क� ��ओ को घट ु न� म� ददर् हो सकता है !
कु छ लोग� को ओपर� कसर क� िशकायत रहती है , उनपर जाद-ू टोने बड़� जल्द� असर करते है , ऐसे लोगो क� जन्म कंु डली म� शिन राहू का सम्बन्ध होता है ! ऐसे लोग� को अपने घर म� बांस क� सीढ़� नह�ं रखनी चा�हए और ऐसे लोग अपने घर का मख् ु य �ार प��म �दशा क� तरफ ना रखे ! ऐसे लोग य�द अपने घर म� लोहे क� सीढ़� रखे तो उसे भी लाल रं ग करवाकर रखे ता�क शिन पर उसके श�ु मग ं ल का �भाव आ जाए ! ऐसे लोग अपनी घर क� सीढ�ओ क� अच्छ� तरह सफाई करे और भल ू कर भी सीढ़� के नीचे शौचालय ना बनाये ! इस साधना से शिनदे व जी का कै सा भी दोष हो , चाहे शिनदे व आपक� कंु डली म� कै से भी हो… शभ ु फल दे ते है ! यह साधना इतनी अ�त ु है �क य�द आप पर साढ़े सती या ढै या का अशभ ु �भाव भी तो उसे शभ ु �भाव म� बदल दे ती है ! जीवन म� एक बार साधना को करने से आप शिनदे व क� अनक े पीड़ाओ से म� ु रहते है और शभ ु फल पाते है !
|| म� ं ||
सत नमो आदे श ! गरू ु जी को आदे श ! शिन राजा शिन राजा िसमरु तोए शिन राजा जल म� िसमरु, थल म� िसमरु
रण म� िसमरु, वन म� िसमरु यहाँ िसमरु तहाँ होए सहाई तझ ु े �हपित सय ू र् क� दहुाई ! यम यमन ु ा क� दहुाई ! ��ा �वष्णु महादे व क� दहुाई !!
|| �विध ||
�कसी भी शिनवार से इसका जाप �ारं भ करे , य�द शिनवार� अमावस्या हो तो अिधक उ�म है ! आप को इस म� ं का ९६००० ( 96000 ) जप तेल का द�पक जलाकर करना है और म� ं जाप सय ू ाद र् य से पहले या सय ू ास् र् त के बाद ह� करे ! साधना के �दन� म� ��चयर् रखे और साधना करते व� काले व� एवं काले आसन का ह� �योग करे ! माला काले हक�क क� होनी चा�हए और प��म �दशा क� ओर मख ु होना चा�हए ! ९६००० जप आपको ५१ �दन� म� पण ू र् करने है !
|| �योग �विध ||
जब भी आप �कसी मस ु ीबत म� हो तो आप इस मन्� का ११ बार जप करे , आपक� मस ु ीबत दरू हो जाएगी और य�द शभ ु काम पर जाते समय भी इस म� ं का ११ बार जप कर िलया जाए तो िन��त तौर पर कायर् िस� होता है !
भगवान ् शिनदे व आप सब पर कृ पा करे ! जय सदगरु ु दे व !! https://www.facebook.com/Ravikatani http://aayipanthi.com/2012/09/साबर-शिन-साधना/