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Vishal Nikhil: बभ को सोने म बदलता हे ुु त पारद लोहे
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SUNDAY, 5 FEBRUARY 2012
बु भु त पारद लोहे को सोने म बदलता हे पारद सं सार क सबसेे ठ धात ु हे . िजसेाचीन काल से आयव रस , ाण या आ मा श द से ुद आचाय ने सं बो धत कया हे . ये चं चल और अि थर क त का होते हु ए भी अपने आप म व श ट गण टे हु ए हे . ुसमे भा वा पाद शं कराचाय केग ु ीमा ा पाद गो व दपदाचाय जे से अ याि मक यो गचाय ने भी पारद को जीवन मिुत का एकमा साधन मानते हु ए इसे आ म श द से सं बो धत कया हे उनकेअनस ुार १ पारद जीवन मिुत का एकमा साधन हे २ पारद आजीवन नरोगी रहने क एकमा औष ध हे . ३ पारद वण बनाने क या म धान धात ु हे . पर त ु इसकेलए पारद को बं धना और बभ . पारद केसोलह संकारो म से एक ुु त करना अ तआव यक हे उसे बभ . ुु त बनाना भी हे पारद जीवन का सिृट का आधार हे जे से शार र म आ मा वे से रस म पारद हे जो इसे भल भां त समझ ले ता हे वो सं सार पर वजय ा त कर ले ता हे रसोि नषद केपं चदश अ याय म कहा गया हे यथा रास ताथाहातमा यथाहा मा तथा रस आ म वद रस वचेव वा वभो स ुदा शनी
पारद सम त रोग को दू र करने म सहायक हे यं हा तक क अगर कोई मू छत या मत तब भी इसके ृहो गया हे वारा उसे पन इसके वारा " खे चर व या " स ल जा सकती हे िजससे ुज वन दान कया जा सकता हे एक यि त अ य रह सकता हे या वायव ग से एक थान से दस , यह श भू बीज हे ुे ुरेथान पर जा सकता हे . अ टदश संकार पारद केकु ल सोलह संकार सं प न कये जाते हे िजनमे पहले आठ संकार ग मिुत हे तु , औष ध नमाण, रसायन और धातव और शे ष आठ संकार खे चर स , धात ु प रवतन , ुाद केलए आव यक हे स सू त और वण बनाने म य ुत होते हे आचाय ने जो १८ संकार प ट कये हे वे इस कार हे १ - वे दन २ - मदन ३ - मूछन ४ - उ थापन ५ - पातन ६ - रोधन 7 - नयमन nikhiltatva.blogspot.in/2012/02/bubhukshit-parad-turns-iron-into-gold.html
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८ - द पन ९ - ासमान १० - चारण ११ - गभदत ुी १२ - जारण १३ - बा यादत ुी १४ - रं जन १५ - सारण १६ - ामन
Vishal Nikhil: बु भु त पारद लोहे को सोने म बदलता हे
कु छ आचाय ने दो और संकार माने हे िज ह वै ध और भ ण कहा गया हे भारतवष केअ धकतर आयव े १८ संकार केनाम ुद आचाय और इस स ब ध म जानकार यि तय को परु भी नह ं मालू म हे अ धक से अ धक आठ संकार करने म तो कु छ आचाय सफल हए हे पर तु आगे के ु संकारो का ान उ ह नह ं हे . अब यहाँ म पहले आव यक आठ पारद संकार प ट कर रहा हू ँ जो रोग मिुत औषध नमाण से स बं धत हे . १.
वे दन
वे दन संकार से पारद का मलदोष दू र होता हे ये पारद का पहला संकार हे . राइ, सधा नमक , काल मच , पीपर, च क , अदरक और मल क को पारद का सोलहवा भाग ले और ु ये इन सबको मलकर बीच म पारद को कपडे क पोटल म बं धकर रख दे और नचे मं द मं द अि न दे , तो वे दन संकार सं प न होता हे . २. मदन मदन संकार म पारद को कपडे म ढ ला बां ध कर बार बार गम जल म डू बने और मसलने से पारद का का हु आ मल नकल जाता हे और यह बाहर मल से म ुत हो जाता हे . ३. मूछन मूछन संकार म कं वार, फला और च क को बराबर बराबर ले कर मला ले और उसमे पारद का खरल ु करे , तो एक घं टे तक खरल करने केबाद पारद मू छत हो जाता हे और वह स पारद बन जाता हे . ४. उ थापन मू छत पारद को कां जी केसाथ या न बू केरस म खरल करने से उ था पत हो जाता हे , ऐसा पारद सवथा वषर हत और प व बन जाता हे . ५. पातन दो भाग पारद, एक भाग ता और एक भाग नीला थोथा अथवा बछनाग मला कर अधोपातन या करने से पारद का पतन संकार होता हे ऐसा संकार पू रा होने पर पारद वकारो पादाकता से सवथा म ुत हो जाता हे . ६. रोधन जब पातन संकार य ुत पारद बन जाये , तब उसे नपं स म ुत कया जाता हे , इस या को ुक व दोष से रोधन संकार कहते हे , इसकेलए गोमू, अजाम ु, नरमू, मन ु य का वीय, ी केआतव तथा सधव को बराबर भाग म मला कर उसमे पारद रख दया जाता हे , फर इन सबको कां च क शीशी म भरकर तीन दन तक भू म म दबा दे ने से वह सम त कार केनपं स म ुत हो जाता हे . इस या को रोधन या ुक व दोष से कहते हे . रोधन का एक दू सरा कार भी हे , इसकेअनस सधा नमक म तीन से र जल मला कर उसमे ुार पचास तोले पारद रख दे तथा कसी कां च केबतन म भरकर भू म म दबाकर रख दया जाता हे सात दन तक भू मम nikhiltatva.blogspot.in/2012/02/bubhukshit-parad-turns-iron-into-gold.html
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दबा रहने से यह रोधन य ुत हो जाता हे .
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इस संकार केबाद पारद द या चे तना य ुत बन जाता हे जो क खे चर साधना केलए सहायक होता हे . ७. नयमन ता बल गरा , काकोर और इमल इन सबका बराबर भाग ले कर उसमे रोधन ुलहसन ु, सधा नमक , भं संकार कया हआ पारद रख दया जाता हे तथा तीन दन तक दोलायं वारा वे दत कया जाता हे , ऐसा ु करने पर पारद नयमन संकार य ुत हो जाता हे
( The Dola-Yantra is a purification device. Materials of construction include clay, iron, and stainless
steel. In this process a drug is wrapped in banana leaf or a muslin cloth which is then suspended in the yantra by string and stick. Bolus should not contact any surface of the yantra. The liquid suited to the purpose is poured into the yantra until one-half of the muslin bolus (poultice) has been covered. The container is heated from below and as the liquid evaporates the liquid in the yantra is replaced-always keeping the poultice half covered (or the poultice may be lowered, too). Tradition permits covering of the yantra to capture the evaporate and to allow it to fall back into the fluid below. Either process is acceptable. Generally, there is a prescribed period for this cooking, upon completion of which the muslin sack is removed. The contents are water washed and sun dried. Note that the drug in the cloth has been potentiated by cooking in some prescribed herbal mixture. In some respects this resembles the process done in a Kharal )
नयमन संकार होने केबाद पारद क चं चलता समा त हो जाती हे और ऐसा पारद पू ण कायाक प करने म समथ होता हे ८. द पन फटकर , कां ची , सहु ागा , काल मच , सधा नमक , राई और स हजने केबीज बराबर ले कर उ ह कू टकर एकसा बना ले और उसमे पारद को रख दे , फर हलक आं च से पकाए लगभग सात घं टे बाद पारद का द पन संकार ख़तम होता हे ऐसा पारद ास हण करने म समथ होता हे उपय ुत आठो संकार करने पर पारद एक अ वतीय धात ु बन जाता हे . इसकेबाद पारद को नोसादर और यव ार केसाथ आठ घं टे खरल करने पर पारद नमल, नद ष और पण बभ ऐसे ह ू प से ुु त हो जाता हे पारद को बडवाि न स श ु धातरुकहा जाता हे दस रे श द म यह पारद ब भ त पारद कहलाता हे . ु ुु इस पारद को शव लं ग का आकर दे कर उसमेन बू का पानी डालनेसे यह थायी आकार हण कर ले ता हे फर य द इस पर वण रखा जाये तो यह उस वण को नगल ले ता हे . इस कार पारद पर वण केसाथ अ य धात ुमल होती हे तो यह अ य धात ु को छोड़कर के वल वण को ह नगलता हे , कां च , जवाहरात या अ य धात ु को हण नह ं करता हे , कोई भी वण से बनी धात ु इस पर रखने से दस से पंह से कं ड केभीतर यह उस वण को पचा ले ता हे पर त ु इसकेबावजू द भी इसका वजन नह ं बढ़ता, इस कार जब यह वण से तृ त हो जाता हे तब यह पारद प थर क लाबे लगता हे और इसकेबाद य द इस बभ सेपश कराया जाये तो ये उसे भी वण म प रव तत कर दे ता हे ुु त पारद को कसी लोहे नागाजु न ने बताया हेक ऐसा बभ और यह इतना ुु त पारद सह ो बजल क आभा क तरह चमकता हे कठोर होता हेक लोहेक आर से भी नह ं कटता, इस कार का पारद व व म अ यतम कहा जाता हे इ त द पतो वश ु: च लत वधुलतासह ाभ: भव त यदा रसराज चाय द तवा द वतीय भजम
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From रह यमय अ ात तं क खोज म written by my Gurudev -------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Parada Dosha (Natural impurities of Parada) Treatise on Rasashastra mention about the eight natural impurities or doshas of Parad. They are 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8.
Naag (lead) Vang (Tin) Guru (unduly heaviness) Bhushail (Jalaj (water impurities), Bhumij (stone, mud, gravel), Girij(minerals etc)) Chapal (instability, fickle nature) Mala (endogenius, exogenius waste like excretea) Agni(intolerance to heat) Vish / Garal (poison)
Parada consumed with any of these impurities causes ulcer, leprosy, burning sensation, eruptions, loss of reproductive power, dullness, loss of consciousness and death respectively. Hence Parada needs to be free from these natural impurities before its use as medicine or for other alchemical purposes.
Kanchuka Dosha of Parad (Coverings of Parada) Apart from the eight mentioned natural impurities of Parada, Rasashastra text mention about additional seven impurities/defects of Parada in form of encapsulation or external coverings or layers. These layers are known as Kanchukas and since they are totaled 7 in number they are refered to as Sapta(7)-Kanchuka (coverings) dosha (impurities) of Parada. In brief these coverings are baically mixture of other metals in powdered form with Parada which cause following 7 disorders in the human body if Parada is consumed without getiing rid of these impurities; 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7.
Bhedi (tearing) Dravi (liquefying) Malakad (causing impurities) Dhvanksi (causing darkness of skin) Patanakari (rupturing) Parpatika (producing scales on skin) Andhakari (causing blindness)
to be continued.........
Posted by Vishal Sharma at 04:24 Reactions:
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1 comment:
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rambhakt said... dear sir i need your contact no plz contact me through
[email protected] 22 July 2013 06:03 Post a Comment
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