SURYA DEV KI SHANTI KE UPAY
जाए सभी ह के दोष वारण/शा के सामान सामान उपा/टोटके उपा/ टोटके — —-- स य के उपा ूय दा गा का दा अगर बछे समे समे ग बा और गे ू ह , सोा , ाबा स य से से सबन र का दा ूय दा के वष म शा कहा है क दा का फल उम भी होा है जब ह श पा को दा भ सम म स पा जाए। स य से से सबन व ओ का का दा रववार के द दोपहर म ४० से ५० वषय के त को देा चाहए. स य ूय ओ ूय ह क शा के लए रव वार वार के द करा चाहए. गा को गे ह ह और ग मलाकर िलाा चाहए.
कसी ामण अथवा गरब त को ग से भी भी स ह य ह के वपर भाव म कमी का िीर िलाे से ूय आी है. अगर आपक क कमोर य कमोर है ो आपको अपे पा पा एव अन अन ब ज ग ग क सेवा वा ूय ज डल म स करी चाहए इससे स स दे य देव सन होे ह ह. ा: उठकर स मकार य मकार करे से से भी भी स क य क वपर ूय ूय ूय दशा से आपको आपको राह मल सकी है. स को य को बल बाे के लए त को ाःकाल स द के सम उठकर लाल प प वाले पौ पौ एव ूय ूद प व को जल से सी सीचा चा चाहए। ृ रा म ाबेबे के पा म जल भरकर सरहाे िर िर द था द सरे द ाःकाल उसे पीा पीा चाहए। ूसरे ाबेब का े का का दाहे हाथ हाथ म ारण का जा सका है। लाल गा को रववार के द दोपहर के सम दो हाथ म गे ूह ह भरकर भरकर िलाे चाहए। चाहए। गे ू ह को ह को जमी पर ह डाला डाला चाहए। कसी भी महवप णय काय काय पर पर जाे सम सम घर से मीठ मीठ व ि ाकर कला चाहए। ूणय ि ाकर हाथ म मोल (कलावा) छः बार लपेटकर टकर बाा ा चाहए। लाल चनद को घसकर ा के जल म डाला चाहए। स य के द भाव वारण के लए कए जा रहे टोटक हे रववार रववार का द , स य के (क ूय भाव ूय ृ का , उरा -फाग ी था उराषाा) था स क य क होरा म अक श ह। ी ूय भ होे ह चनमा:- केवल वल म अप ससार सार के सम ाण क देह म म ह वह एकमा व है, स है जसम आगे भव भव क सभी सभावाओ के अक क ह. इसी मव का कारक ह है र वामा रहे ह --चनमा. कहा भी गा है क 'चनमा मसो जा:" अथाय चनमा ह म क शत का अठाा है. अगर त क जनमक डल म चनमा चनमा बयल अथवा अन कसी कार से अट अट भाव म हो ो मासक प से ाव ाव , द य म:थ , शाररक एव आथय आथयक परेशाी , छाी -फेफडे फडे स सबबी ी रोग -बीमार , बयबल माा को कट , सरददय आद जीव म कटकार था मय मय होी ह. ऎसे म म त को अपी क गा और कट से म म त ा होगी. त लदेवी ा देवा क उपासा करी चाहए. :सदेदेह लाभ मलेगा
मगल:- मगल ह ऋष भारवाज क ूणय एव प ूव य दशा का लोपन ह है, जो क जा , रतप अठाा है. ज त का जनमक डल म मगल अछा होा है, उका भाोद 28व वषय क आ मेम आरभ हो जाा है. म म वा एव पराम क अभत मगल ह के फलवप ह होी है. सा पलट एव राजेाओ क हा के पीछे अश भ मगल क बडी अहम भ ूमका होी है. तक ह भाई से वरो , अचल सप म ववाद , सैक -प सा , चोर , लस कारवाई , अकाड, ह अपरा और ग से का कारक ह है. इससे जगर के रोग , म महे , बवासीर एव हठ फटा आद था भी उपन होी ह. ऎसे म त को ह मा जी क उपासा ---जैसे स नदरकाड, ह मा बाह मदो , ह मा चालसा आद का पाठ करा चाहए और साथ म मठा आद क, ह शाद प म गरब म बाटे रहा चाहए. धा रहे---वह शाद व िाे. ब क उप
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ब क उप से जो कथा ज डी है, वह है चमा वारा ब ृहप क पी ारा का अपहरण। गभयवी ु होे पर ारा े ब ृहप के डर से गभय को इषीकाब म वसजय कर दा। इषीकाब से जब दमा एव स दर बालक ब का जनम ह माा ृहप दो े ह उसे अपा प आ ो चमा एव ब था जाकमय सकार करा चाहा। ब ेी का होा है। माा ेणी ृहप े वाद म कहा क प होी है और पा ेी , अ: ब पर अपा अकार माा। जब ह ववाद बह ृहप े ब अक ब गा , ब मा जी े अपे भाव का ोग करे ह ए हेप का। मा जी के प ूछे पर ारा े उसे चमा का प होा वीकार का था मा जी े उस बालक को चमा को दे दा। चमा के प माे जाे के कारण ब को माा गा , द उनह ब माा जाा ो ृहप का प ा rाण माा जाा। चमा े ब के पाल -पोषण का दाव अपी पी रोहणी को दा। रोहणी वारा पाल -पोषण कए जाे के कारण ब का ाम रौहणे भी है। प प राण म उलेि है क ब े ह शा का मायण का। ारोदरवान: क य नभ: ूस मार: स सवाथयशाववा ् हशाव üक:। राझ: सोम प वााजप ो ब : म ृ: ाम ाजप ो ù व ो राजवैक:H ब के उपा ब ग का दाल एव हरे रग के क शा के लए वणय का दा करा चाहए. हरा व , हर सजी , म ू व ओ का दा उम कहा जाा है. हरे रग क च ूी और व का दा कनरो को देा भी इस ह दशा म ेठ होा है. ब ह से सबन व ओ का दा भी ह क पीा म कमी ला सकी है.
इ व ओ के दा के लए ोषशा म ब वार के द दोपहर का सम उप त माा गा है.ब क दशा म स ार हे ब वार के द िरा चाहए. गा को हर घास और हर पा िलाी चाहए. ामण को द ू म पकाकर िीर भोज करा चाहए. ब क दशा म स ार के लए वण सहाम का जाप भी काणकार कहा गा है. रववार को छोकर अन द म लसी म जल दे े से ब क दशा म स ार होा है. अाथ एव गरब छा क सहाा करे से ब ह से पी त को लाभ मला है. मौसी , बह , चाची बेट के अछा वहार ब ह क दशा से पी त के लए काणकार होा है. अपे घर म लसी का पौा अव लगाा चाहए था रनर उसक िदेभाल करी चाहए। ब वार के द लसी प का सेव करा चाहए। ब वार के द हरे रग क च ूा हजे को दा करी चाहए। हर सजा एव हरा चारा गा को िलाा चाहए। ब ूग के लड वार के द गणेशजी के मदर म म ओ का भोग लगाए था बच को बाट। घर म िड एव फट ह ई ामयक प क एव थ ह िरे चाहए। अपे घर म क टले पौे, झाा एव व ह क ृ ह लगाे चाहए। फलदार पौे लगाे से ब अ बी है। क ू ला ोा पाले से भी ब बी है। ह क अ क ू ला ब के द भाव वारण के लए कए जा रहे टोटक हे ब वार का द , ब के (आलेषा , ेठा , रेवी) था ब क होरा म अक श भ होे ह। ब है. इसक क ृहप :- उर दशा का वामी ह ब ृहप देवाओ का ग ृ पा मा से ह ससार को ा था गरमा क ा होी है. ह अपे ेज से सम ूचे ससार को चमक ृ कर देा है. जनमक डल म ब भ होे क थ म ह 16व वषय से ह त का भाोद कराे ृहप के श लगा है. कन डल म ह अश द कसी त क क भ अथवा बयल हो ो सा स ि म कमी , ग ृहथ जीव म वा , वज से वोग , जीवसाथी से ाव एव घर म आथयक वपना मय करा है. गौरलब है क ब पीला , एकानक वर , हडी का ददय, प राी िासी का उभरा , दमा अथवा वस सब ी रोग -बीमार भी दा करा है. ऎसे म त को हर प ूज , हरवश प राण ा ीमदभागव क पाठ करा चाहए. श नद भी कहा जाा है. :- श दै के ग ह, भ होे के कारण जनहे भ ृग ऋष के प ृग वीयशत पर श ह का वशेष आप है. ह कामस ू का कारक है ओर श भ होे क थ म त का 25व वषय क आ डल म श म भाोद करा देा है. अगर जनमक बयल अथवा अट थ म हो ो त को ि ी परेशाी , शी के अवसर पर गम , भ ूे बाा , शीप , सेतस सब सा उपन करे म अमा , द य - अशत शरर , असार , अजीणय, वचा एव वा बल वकार इाद क रह के कट का सामा करा पडा है. इसलए त को श क श भा बाे िरे क िार
सदैव ीलमी जी का साध ा करा चाहए. ीस ूत का पाठ करे रह. राह श ह है, जो क अश ि काक भ भाव म :- राह एक छाा ह है.राह राजी के े का सवम वशेष लाभकार रहा है. इसके वपर होे क थ म आकमक घटा , वैरा , ऋण का भार चढ जाा , श क रफ से पीडा -परेशाी , लडाई -झगडा , जेलाा , म कमा -कोटय कचहर , अपमाजन था, मरगी -पेदक -बवासीर एव वभन कार के मासक रोग का सामा करा पडा है. ऎसी थ उप होे पर त को सरवी आराा का आ लेा चाहए. ीसरवी चालसा का पाठ करे, साथ म कम से कम एक बार कसी गरब कना के ववाह पर थासामय क मदद करे ो अश भा को श भा म बदले मे देर ह लगेगी. के : - के भी राह ल मगल क रह होा है. इसके क भान ह छाा ह है, जसका भाव बक बयल होे ा द भाव से ग ूढ वाओ का आमा होा अथवा म म वैरा के भाव जाग ृ होा म ी ख फल है. म ूछाय, चतकर आा , आि के अनेरा छा जाा , रढ क हडी म चोट/रोग , म ू सब वकार , ऎवय ाश अथाय जीव म सब क का द यवहार था प पर छ पाकर एक दम सेि ो देा , प सकट इाद भीषण द :ि का सामा करा पडा है. इसके क त ा करे हे त को एक बार जीव म बछा का दा अव करा भाव से म चाहए. साथ म गणेश जी क उपासा कर ो कट से अव छ टकारा मलेगा. के के उपा कसी वा त को के कपला गा , द रगा , क बल , लहस ा , लोहा , ल , ेल, सान श , बकरा , ारल , उद आद का दा करे से के ह क शा होी है। ोषशा इसे अश भ ह माा है अ: जक क भ परणाम ा होे ह. इसक दशा होे डल म के क दशा चली है उसे अश पर शा हे जो उपा आप कर सके ह उम दा का था थम है. ोषशा कहा है के से पी त को बकरे का दा करा चाहए. कबल , लोहे के बे हथार , ल , भ ूरे रग क व के क दशा म दा करे से के का द भाव कम होा है. गा क बछा , के से सबन र का दा भी उम होा है. अगर के क दशा का फल सा को भ गा प रहा है ो मदर म कबल का दा करा चाहए. के क दशा को शा करे के लए भी काफ लाभद होा है. शवार एव मगलवार के द िरे से के क दशा शा होी है. क े को आहार द एव ामण को भा िला इससे भी के क दशा शा होगी. कसी को अपे म क बा ह बाए एव ब ज ग एव स क सेवा कर ह के क दशा म राह दा करा है।
ववाह ोग के ले जो कारक म ख है वे इस कार ह ——सम भाव का वामी िराब है ा सह है वह अपे भाव म बैठ कर ा कसी अन था पर बैठ कर अपे भाव को िदे रहा है।
सम भाव पर कसी अन पाप ह क ट ह है। कोई पाप ह सम म बैठा ह है. द सम भाव म सम राश है. समेश और श सम राश म है. समेश बल है. सम म कोई ह ह है. कसी पाप ह क ट सम भाव और समेश पर ह है। द ूसरे साव बारहव भाव के वामी के न ा कोण म ह,और ग से ट है। समेश क थ के आगे के भाव म ा साव भाव म कोई ू र ह ह है।
श के उपा जक क डल म श कमोर ह ा श पी है उनह काल गा का दा करा चाहए. काला व , उद दाल , काला ल , चमे का ज ूा , मक , सरस ेल, लोहा , िेी ो भ ूम , बय व अाज का दा करा चाहए. श से सबन र का दा भी उम होा है. श ह क शा के लए दा दे े सम धा िर क सधा काल हो और शवार का द हो था दा ा करे वाला त रब और व वार के द िरा ृ हो.श के कोप से बचे हे त को शवार के द एव श चाहए. लोहे के बय म दह चावल और मक मलाकर िभार और कौओ को देा चाहए. रोट पर मक और सरस ेल लगाकर कौआ को देा चाहए. ल और चावल पकाकर ामण को िलाा चाहए. अपे भोज म से कौए के लए एक हसा कालकर उसे द. श ह से पी त के लए ह मा चालसा का पाठ , महाम ज म का जाप एव शोम का पाठ भी बह ृ लाभदाक होा है. श ह के द भाव से बचाव हे गरब , व ृ एव कमयचारो के अछा वहार िर. मोर पि ारण करे से भी श के द भाव म कमी आी है. शवार के द पीपल व ृ क ज पर ल के ेल का दपक जलाए। शवार के द लोहे, चमे, लकी क व ए एव कसी भी कार का ेल हि रदा चाहए। शवार के द बाल एव दा -म ूछ ह कटवाे चाहए। भडर को कवे ेल का दा करा चाहए. िभार को उद क दाल क कचोर िलाी चाहए। कसी द ःिी त के आस ू अपे हाथ से पछे चाहए। घर म काला पथर लगवाा चाहए. श के द भाव वारण के लए कए जा रहे टोटक हे शवार का द , श के (प , अ राा , उरा -भापद) था श क होरा म अक श भ फल देा है। श दोष -
द शरर म हमेशा थका व आलसभरा लगे लगे। 2. हाे-ोे से अच होे लगे ा हाे का वत ह मले । 3. ए कपेि रदे ा पहे का मौका मले । 4. ए कपे व ज ू े जद -जद फटे लग। 5. घर म ेल, राई , दाल फैले लगे ा कसा होे लगे। 6. अलमार हमेशा अवथ रहे लगे। 7. भोज से बा कारण अच होे लगे। 8. सर व पडल म, कमर म ददय बा रहे। 9. परवार म पा से अब होे लगे। 10. पे-िले से, लोग से मले से उकाहट होे लगे, चचाहट होे लगे। 1.