कही ी आपक कह आपक क ुक णडल म ेम वा वा दोष दो ष तो तो नही नह ी कभ - कभ आपक कभ आपक क ुक णडल म ेम वा वा दोष दोष होता होता है हैि जस ि जस कार आप कार आप गू गू ग ं हो हो सकत सकत ह ह या या बोल बोल नही नही पात पात ह ह ! वा दोष दोष होन होन पर आप पर आप अपन अपन अभय अभय नही नही कर कर पात पात ह ह । वचार क अभय क अभय वा वा ारा ारा ह ह होत होत है है। मधु रभाष सदै सदै व सबको सबको य य होता होता है है! नाम क क बाद वा वा ह ह उसक उसक पहचान पहचान बनात बनात है है। वा दोष दोष हो हो तो तो जवन जवन म ेम एक अभाव एक अभाव सा सा रहता रहता है है, जवन म ेम एक एक कार कार स स क ुक छ खो खो सा सा जाता जाता है है जो जो सद सद व सालता सालता रहता रहता है है। यह दोष दोष य य े पू म पू व जम जम क क कम ं क क कार ह ह होता होता है है। द सरा भाव सरा वा का का तनधव तनधव करता करता है है और बु बुध ध ह ह वा वा का का कारक कारक कहलाता कहलाता है है। द सरा भाव सरा ू भाव वा ू भाव , द सर ू भाव का वाम वाम एवं एवं वा वा कारक कारक ह ह बु बुध ध यद यद पाप पाप ह ह स स य ुय त , या अशु या अशुभ भाव भ भाव म ेम थत थत हो हो तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है। वा दोष दोष जां जां चन क क क योतष योग योग इस इस कार कार ह ह ु छ योतष सर स क भाव क भाव म ेम वा वा कारक कारक बु बुध ध थत थत हो हो तो तो यह यह योग योग होता होता है है। अथवा तय तयश क भाव क भाव म ेम 1. द ू भाव स हो तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है। यहां क भाव क भाव क क गनत गनत तय भाव तय भाव स स होग। होग। ल या या ल ल स स क भाव क भाव म ेम तय तयश श या या वा वा कारक कारक बु बुध ध थत थत हो और हो और पापह पापह स स य ुय त या या हो हो 2. च ल और कस कस कार कार क शु क शुभ भ ह ह क क न न हो हो तो तो जातक जातक गू गू गा ं होता होता है है। बुध ध व व गु गु क क साथ अम साथ अम भाव भाव म ेम हो हो तो तो जातक जातक गू गू गा ं होता होता है है। 3. तयश बु सर ेम नच नच ह ह थत थत हो और हो और उस उस पर पर पाप पाप ह ह क क हो हो तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है। 4. द ू भाव म व सर ेम सू सू य , च , राह व पापय पापय त शु क क य ुय त हो हो तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है। 5. द ु त शु ू भाव म च क क य ुय त द द सर ेम हो और हो और उस उस पर पर सू सू य व व मं मं गल क क पड़ पड़ तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है। 6. शन - च ू भाव म े या े थत का वाम वाम या या बु बुध ध चौथ चौथ, आठव या बारहव बारहव थत हो और हो और पापह पापह स स हो हो तो तो वा वा दोष दोष होता होता है है 7. छठ भाव का या गू गू गा ं होता होता है है। , वृ चक व ह ए बु व मन मन राश राश म ेम गए गए ह ए बुध ध को अमावस को अमावस का का च च द द ख तो तो जातक जातक गू गू गा ं होता होता है है या या वा वा म ेम 8. कक दोष होता होता है है। ध एवं एवं छठ छठ भाव का का वाम वाम जब जब एक एक साथ साथ य ुय त होत होत ह ह तो भ तो भ वा वा म ेम दोष दोष होता होता है है। 9. बुध का वाम वाम एवं एवं गु गु ह ह जब जब पहल पहल भाव म ेम थत थत हो हो तो तो जातक जातक क क वा वा म ेम दोष दोष होता होता है है। 10. छठ भाव का सर स क भाव क भाव का का वाम वाम ि जस ि जस राश राश या या नवां नवांश श म ेम थत थत हो हो उसस उसस को को म ेम जब जब गोचर गोचर म ेम शन 11. द ू भाव स आएगा तब तब जातक जातक को को वा वा सं सं बंध ध समया समया स स त त होना होना पड़ पड़ गा। सर ेम पापह पापह थत थत हो और हो और द द सर का वाम वाम नच नच या अत या अत होकर होकर पापह पापह स स हो हो व व सू सू य 12. द ू भाव म ू भाव का बुध ध क क य ुय त ि सं ि सं ह राश राश म ेम हो हो तो तो जातक जातक को को वा वा दोष दोष होता होता है है। म धाक वग वग ेम बु बुध ध स स द द सर ेम शू य र र खा हो हो तो तो जातक जातक को को वा वा दोष दोष होता होता है है या या वह वह गू गू गा ं होता होता है है। 13. बुधाक ू भाव म का वाम और वाम और बु बुध ध पहल पहल भाव म ेम थत थत ह और ह और पापह पापह स स हो हो तो तो जातक जातक गू गू गा ं होता होता है है। 14. छठ भाव का उ योग योग म ेम स स एक एक या या एक एक स स िअधक योग योग होन होन स स वा वा दोष दोष रहता रहता है है।ि जन ह ह स स योग योग बनता बनता है है व व योग योग शा शा कारक ह ह होत होत ह ह । योगकारक ह ह क क दशातद दशातद शा या या यतद यतद शा म ेम वा वा सं सं बंध ध समया समया स स त त होना होना पड़ पड़ सकता है है। यद य य योग योग ह और ह और उन उन पर पर कस भ कस भ कार कार स स शुभ भ ह ह क क पड़ पड़त हो हो या या योग योग कारक कारक ह ह उच उच या या वराश म ेम नवां नवांश श म ेम ह ह तो तो यह यह योग भं योग भं ग भ ग भ हो हो सकता सकता है है और वा वा दोष दोष क क समया समया नही भ नही भ हो हो सकत सकत है है। उ योग योग को को कस भ कस भ क ुक णडल म ेम वचार वचार करक करक यह जान जान सकत सकत ह ह क क जातक जातक को को वा वा सबध सबध दोष दोष होगा होगा या नही। नही।
सप् त सप तह ् ह योग यो ग लाख ला ख म ेम कस क स एक एक क क क ुक ् डल डल म ेम होता हो ता है है! े जब े सू जमक को द द ख जब उसम उसम सू या द सात सात ह ह सू सू य , चन् , मं गल , बुध ध , गु एवं एवं शु एक एक साथ साथ कस कस एक एक ु णडल को ़श धन राश म ेम थत थत ह ह तो तो उसका उसका फल फल इस इस कार कार होता होता है है-'- जातक उच् उच् च शत शत , तत , बु मान , राजा सद सद श धन ' व सम् व सम् िप स िप स य ुय क त , आवास , स् , सन् तान , वाहन आद सु सु ख - साधन साधन स स य ुय क त होता है होता है। वह गु वह गु और ् त ् त सामथ् यवान् होता होता है है। लोकय , उच् चस् तरय व् व् यवसाय एवं एवं राजनत राजनत क क म ेम भ सफल सफल होता होता है है।' कस
े वरल क क म होता है यह योग। ु ् डल े भाव तक कही भ बन तो इसका फल इस योग ेम यह बात ध् यान रखन क है क यह योग पहल स सातव े स बारहव े भाव तक बनता है तो इसका फल कम माा ेम िअधक माा ेम मलता है और यद यह योग सातव मलता है।
ह ुय तयां और रोग े जब कस भाव ेम एक स िअधक ह ह या उनक परपर ुय त हो तो आप अपन जमक ु णडल को द ख जातक को या रोग होन क संभावना रहत है इस बतात ह क ुय त हो तो दमा , तपदक या वास रोग स क होगा। गु - राह गु - बुध क ुय त हो तो भ दमा या वास या तपदक रोग स क होगा। - क तु क ुय त हो जोक लालकताब क वष क राह ु णडल ेम हो सकत है तो बवासर रोग स क होगा। क ुय त हो तो पागलपन या नमोनया रोग स क होगा। च - राह सू य -शु क ुय त हो तो भ दमा या तपदक या वास रोग स क होगा। टना मं गल -शन क ुय त हो तो र वकार , कोढ़ या ि जम का फट जाना आद रोग स क होगा अथवा ुद घ स चोट - चपट लगन क कार कष् ट होता है। क ुय त हो तो जातक नामद या नपु ं सक होता है। शु - राह शु - क तु क ुय त हो तो वन दोष , पशाब सं बंध रोग होत ह । गु - मं गल या च - मं गल क ुय त हो तो पिलया रोग स क होता है। च - बुध या च - मं गल क ुय त हो तो थ रोग स क होगा। या क तु- मं गल क ुय त हो तो शरर ेम टय मर मं गल - राह ू या क सर स क होगा। गु -शु क ुय त हो या य आपस ेम सं बंध बनाएं तो डॉयबटज क रोग स क होता है। दशा क साथ - साथ गोचर ेम भ अशुभ ह तो ह ुय त का फल य रोग ायः य ु त कारक ह क दशात मलता है! इन योग को आप अपन ुक ं डल ेम द खकर वचार सकत ह । ऐसा करक आप होन वाल रोग का े सजग कर सकत पू वा भास करक स् वास्थ य् क िलए सजग रह सकत ह या द ज ू क ुक ् डल ेम द खकर उन् ह । ह
े ! िफलत , रत् न चयन एवं उपाय नधा र ेम अवश् य ध् यान रख त तथ् य को ध् यान ेम िफलत ेम , रत् न चयन एवं उपाय नधा र करत समय ह क मू ल वृि एवं यहां व े ग तो िअधक अचू क रखकर कर फल मलगा। ह का बल , वृि , थत , द ृ ़ और सम् यक थत पर वचार े ग तो सह उपाय एवं सटक फल कर सक े ग। इसक ि लए करत ए ह िफलत , रत् न चयन , उपाय का नधा र कर नचि लख तथ् य को स् मर रखना चाहए क प ेम ह को इस कार बल कहा गया है और कौन सा ह कसका दोष शमन करता है साथ ेम नै सग , बुध, शन , मं गल , शु , गु और च का दोष शमन यह भ बता रह ह - सू य सबस बल 60 कला है और राह , बुध , शन , मं गल , शु और गु का दोष शमन करता करता है। च उसस कम बल 51.43 कला है और राह , बुध, शन और मं गल का दोष शमन करता है। गु उसस कम है। शु उसस कम बल 42.85 कला है और राह , बुध , शन , मं गल और शु का दोष शमन करता है। बुध उसस कम बल 25.7 बल 34.28 कला है और राह का दोष शमन करता है। मं गल उसस कम बल 17.14 कला है और राह , बुध और शन का कला है और राह और बुध का दोष शमन करता है। दोष शमन करता है। शन सबस कम बल 8.57 कला है और राह े क कस ह का दोष कौन ह शमन करता है। उपाय का न य करत समय या रत् न वस् तु त : यह जान ल चयन करत समय इस बात या तथ् य का ध् यान रखना चाहए। का दोष बुध शमन करता है। - राह और बुध का दोष शन शमन करता है। - राह , बुध और शन का दोष मं गल शमन करता है। - राह , बुध , शन और मं गल का दोष शु शमन करता है। - राह
, बुध , शन , मं गल और शु का दोष गु शमन करता है। - राह , बुध , शन , मं गल , शु और गु का दोष च शमन करता है। - राह , बुध , शन , मं गल , शु , गु और च का दोष सू य शमन करता है। - राह े क कस ह क साथ कस ह का बल बढ़ता है ? यह भ जान ल क साथ शन का बल बढ़ता है। - सू य - च क साथ शु का बल बढ़ता है। - मं गल क साथ बुध का बल बढ़ता है। - बुध क साथ च का बल बढ़ता है। - गु क साथ च का बल बढ़ता है। - शु क साथ बुध का बल बढ़ता है। - शन क साथ मं गल का बल बढ़ता है। े क ह कस भाव ेम अर कारक या वफल होत ह ? मं गल द सर यह भ ध् यान रख ू भाव ेम , बुध चतुथ भाव े, गु पं चम भाव ेम , शु छठ भाव ेम , शन सातव े भाव ेम , अरकारक या वफल होत ह । चमा सू य म क साथ - क तु तृ तय , छठ व एकादश भाव ेम अर का वफल रहता है। शन अम भाव ेम मनोकांा पू करता है। राह नाश करता है। ह का भायोदय काल भ िफलत या उपाय का नधा र करत समय ध् यान ेम रखना चाहए। ह का तक। 2. च -24 स 25 वष तक। 3. मं गल -28 भायोदय काल अ कार समझना चाहए - 1. सू य -22 स 24 वष तक। 4. बुध -32 स 36 वष तक। 5. गु -16 स 22 वष तक। 6.शु -25 स 28 वष तक। 7.शन -42 स स 32 वष तक। 8. राह -42 स 48 वष तक। 9. क तु-48 स 54 वष तक। 48 वष