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कुछ छ खाली खाने बचे ुह ए ए है कछ तेर यादो से भरे हए है ये कैसा सा खेल है मोहरा चाल कोई भी चले याद तेर ह आती है
शायर -ए -नसीब ं ू
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करो कम
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र र कर आख न ज रग ं बदला दल ह न कहा द ◌ःत र ना मत तेरे साथ है हम
कुछ छ खाली खाने बचे ुह ए ए है कछ तेर यादो से भरे हए है ये कैसा सा खेल है मोहरा चाल कोई भी चले याद तेर ह आती है
आज फर बारश से महेके केगी गी याद ... ... आज फ आंखो खो को ोकना ोगा े ◌ेजाने जाने के बा ..
मै सोचता ह रहा और कुछ छ पल गुजर जर गये रात ह त थ पूर र ज दग बदलकर चल गय। ू े उसक फतरत ह नह थी के कसी को अपना सके । तेरा खयाल और तनहा कर देता है। फर कोई बहना ूढ ढता ू ह फर तेरा खयाल आता है।
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कूछ छ लजो को कागज पे ह रहने दो वरना ं ै े े ◌े कूछ छ देर र अखबार हात मे और चाय पते सोचता रहा उस खबर मे कल जो मर गया है या वो इतना सःता था ◌े ै ू े े .... कूछ छ लोग अफसाने बन जाते है कूछ छ अफसाने लोग बन जाते है.... े ू ु , कई बेगनाह न ु ाह मेरे दोःत सरबजीत बन जाते है
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कूछ छ इटे अफाजोक लेके एक नम चढा रहा था ु े े ु े ◌े े कुछ छ तुकडा कडा बफ बफ का होकर पघल गये वःक म कुछ छ जबा पे जायका बनकर रह गये सुबह बह तक
जंदगी दगी लहे जने क आदत है, क लह बुझा झा दय ह मन ज क जैसे से कोई मसल दे कोई ि◌सगरेटएशे म े ु के आंखसे खसे पानी ि◌नकाल आया है
तेरे साथ बताये लहो क चादर ओढ के म थ ड दर स लता ूह हर एक पल रात का अब धीरे धीरे सरकता रहेता है मै करवट बदल लेता ूह ै े ु ं ◌े ु े ◌े ै मै दनभर सोचता रेहता ूह शाम होते होते अब घबराट सी होने लगती है ु े े े े े ु ु ं अपने आहोश मे ि◌लये ुह हए ए ुड बता बता रहेता है मै टले पे अकेला ला बैठा ठा रहेता ूह और आंसू सू मेरे साथी बन जाते है. े ◌े े े ै े े ू तेरे साथ बताये लहो क चादर ओढ के मै थोड देर र सो लेता ूह
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औरत
या ये एक दया है शफकत (दया ) का या फर बहोत सहेमी गहर े झ ल ह क क ◌े जसमे कई राज है या फर बेहता ुह ं आ आ एक दया है जसका ं कनारा नह न ये ि◌सफ जःम जःम है ना ये जात है कोई मगर जीःमो को देनेवाला एक नाम है
या फर कोई सादा कागज के जसके र पुज जपर पर कई रंगो क ◌ःयाह है औरत ह नह औरत कोई खयाल नह मगर खायालोको जम दनवाला े ◌े एक उगम ह या फर औरत एक जम ह ... ...◌ै के जसमे कई जमोको ताकत है एक खुबसु बसुरत रत रात है ै जो गुजर जर जाये इंतजार म रँत के ये इंतजार है मगर ये इंतजार क वजह नह ना ये व व ै ै को लेकन हर तारख म जान डाल दे ये जान है
औरत एक खःता कमजोर रँता न नाह ये कसी रँतक पेहचान हचान है मगर हर रँता जहा शु हो या फर खम हो ये वो रःता ये वो म जल म ं जल ह शायरो के ि◌लये ि◌लयेखयाल खयाल है, ि◌चऽ के ि◌लये आंखे ख,े झुफे फे, एक आकार है, े नह लेकन एक आकार कई पेहेचान है या फर औरत खुद द एक सवाल है के जसका ना को जवाब है
सुबह बह देखी है या रात क सार बदलते नहाकर पूरा रा रेशमी एक चोला पहने । जैसे से को न नवेली द बाल के साथ लजाती ु न पी के गोद म उल ◌ेबाल कुछ छ कह रह हो । दोपहर देख है जैसे से कोई खेलता नहं और मैदान दान पूरा रा सूना ना सूना। ना। एक घाट पर कह कोइ चील बोहरा सी ऊपर देखती अपने आपसे बाते कर रह हो। दोपहर का कुआ आ मुह ह फैलाए लाए देखा है या। ाम दख ह या जस हलक रग ं का क मल ह ता ह या फ र प क छोड़ के जानेवाली उदासी महसूस स होती हो। सहमे सहमे झील पर सूरज रज लबा दखता हो। रात देख है कभी तनहा चाद के साथ या फर इंतजार म कसी के। रात म देखे है या वो रःते जो सोते नहं और पड़े रहते है जैसे से कोई सु◌ःताया ◌ःताया ुह ह आ आ े े ै
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द ि◌नया पथर का महेल एक , सुना ना है कुछ छ लोग अंदर दर जंदा दा रहेते है ुि◌नया