"Transfer of Power Agreement" 14 aug 1947 ---- By Sh Govind Gupta "Transfer of Power Agreement" को जाने और दस ु रो को बताएं 14 अगसत 1947 िक रात को आजादी नही आई बिलक टर ानसफर ऑफ पॉवर का एगीमेट हु आ था इस फोटो को अिधक से अिधक शेयर करे ..... सता के हसतांतरण की संिध ( Transfer of Power Agreement ) यािन भारत के आजादी की संिध | ये इतनी खतरनाक संिध है की अगर आप अंगेजो दारा सन 1615 से लेकर 1857 तक िकये गए सभी 565 संिधयो या कहे सािजस को जोड देगे तो उस से भी जयादा खतरनाक संिध है ये | 14 अगसत 1947 की रात को जो कुछ हु आ है वो आजादी नही आई बिलक टर ानसफर ऑफ पॉवर का एगीमेट हु आ था पंिडत नेहर और लोडर माउनट बेटन के बीच मे | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | सवतंतता और सता का हसतांतरण ये दो अलग चीजे है | और सता का हसतांतरण कैसे होता है ? आप देखते होगे िक एक पाटी की सरकार है, वो चुनाव मे हार जाये, दस ू री पाटी की सरकार आती है तो दस ू री पाटी का पधानमनती जब शपथ गहण करता है, तो वो शपथ गहण करने के तुरत ं बाद एक रिजसटर पर हसताकर करता है, आप लोगो मे से बहु तो ने देखा होगा, तो िजस रिजसटर पर आने वाला पधानमनती हसताकर करता है, उसी रिजसटर को टर ानसफर ऑफ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हसताकर के बाद पुराना पधानमनती नए पधानमनती को सता सौप देता है | और पुराना पधानमंती िनकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हु आ था 14 अगसत 1947 की रात को 12 बजे | लाडर माउनट बेटन ने अपनी सता पंिडत नेहर के हाथ मे सौपी थी, और हमने कह िदया िक सवराजय आ गया | कैसा सवराजय और काहे का सवराजय ? अंगेजो के िलए सवराजय का मतलब कया था ? और हमारे िलए सवराजय का मतलब कया था ? ये भी समझ लीिजये | अंगेज कहते थे िक हमने सवराजय िदया, माने अंगेजो ने अपना राज तुमको सौपा है तािक तुम लोग कुछ िदन इसे चला लो जब जररत पडेगी तो हम दबु ारा आ जायेगे | ये अंगेजो का interpretation (वयाखया) था | और िहनदसु तानी लोगो की वयाखया कया थी िक हमने सवराजय ले िलया | और इस संिध के अनुसार ही भारत के दो टु कडे िकये गए और भारत और पािकसतान नामक दो Dominion States बनाये गए है | ये Dominion State का अथर िहंदी मे होता है एक बडे राजय के अधीन एक छोटा राजय, ये शािबदक अथर है और भारत के सनदभर मे इसका असल अथर भी यही है | अंगेजी मे इसका एक अथर है "One of the self-governing nations in the British Commonwealth" और दस ू रा "Dominance or power through legal authority
"| Dominion State और Independent Nation मे जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है िक हम (भारत और पािकसतान) आज भी अंगेजो के अधीन/मातहत ही है | दःु ख तो ये होता है की उस समय के सता के लालची लोगो ने िबना सोचे समझे या आप कह सकते है िक पुरे होशो हवास मे इस संिध को मान िलया या कहे जानबूझ कर ये सब सवीकार कर िलया | और ये जो तथाकिथत आजादी आयी, इसका कानून अंगेजो के संसद मे बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यािन भारत के सवतंतता का कानून | और ऐसे धोखाधडी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीिलए गाँधी जी (महातमा गाँधी) 14 अगसत 1947 की रात को िदली मे नही आये थे | वो नोआखाली मे थे | और कोगेस के बडे नेता गाँधी जी को बुलाने के िलए गए थे िक बापू चिलए आप | गाँधी जी ने मना कर िदया था | कयो ? गाँधी जी कहते थे िक मै मानता नही िक कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने सपसट कह िदया था िक ये आजादी नही आ रही है सता के हसतांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से पेस िवजिप जारी की थी | उस पेस सटेटमेट के पहले ही वाकय मे गाँधी जी ने ये कहा िक मै िहनदसु तान के उन करोडो लोगो को ये सनदेश देना चाहता हु िक ये जो तथाकिथत आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नही लाया | ये सता के लालची लोग सता के हसतांतरण के चककर मे फंस कर लाये है | मै मानता नही िक इस देश मे कोई आजादी आई है | और 14 अगसत 1947 की रात को गाँधी जी िदली मे नही थे नोआखाली मे थे | माने भारत की राजनीित का सबसे बडा पुरोधा िजसने िहनदसु तान की आजादी की लडाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगसत 1947 की रात को िदली मे मौजूद नही था | कयो ? इसका अथर है िक गाँधी जी इससे सहमत नही थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सता का हसतांतरण ही था) और 14 अगसत 1947 की रात को जो कुछ हु आ है वो आजादी नही आई .... टर ानसफर ऑफ पॉवर का एगीमेट लागू हु आ था पंिडत नेहर और अंगेजी सरकार के बीच मे | अब शतो ं की बात करता हू ँ , सब का िजक करना तो संभव नही है लेिकन कुछ महतवपूणर शतो ं की िजक जरर करंगा िजसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे पिरिचत है इस संिध की शतो ं के मुतािबक हम आज भी अंगेजो के अधीन/मातहत ही है | वो एक शबद आप सब सुनते है न Commonwealth Nations | अभी कुछ िदन पहले िदली मे Commonwealth Game हु ए थे आप सब को याद होगा ही और उसी मे बहु त बडा घोटाला भी हु आ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान समपित | िकसकी समान समपित ? िबटेन की रानी की समान समपित | आप जानते है िबटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की
नागिरक है और हमारे जैसे 71 देशो की महारानी है वो | Commonwealth मे 71 देश है और इन सभी 71 देशो मे जाने के िलए िबटेन की महारानी को वीजा की जररत नही होती है कयोिक वो अपने ही देश मे जा रही है लेिकन भारत के पधानमंती और राषरपित को िबटेन मे जाने के िलए वीजा की जररत होती है कयोिक वो दस ु रे देश मे जा रहे है | मतलब इसका िनकाले तो ये हु आ िक या तो िबटेन की महारानी भारत की नागिरक है या िफर भारत आज भी िबटेन का उपिनवेश है इसिलए िबटेन की रानी को पासपोटर और वीजा की जररत नही होती है अगर दोनो बाते सही है तो 15 अगसत 1947 को हमारी आजादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations मे हमारी एं टरी जो है वो एक Dominion State के रप मे है न िक Independent Nation के रप मे| इस देश मे पोटोकोल है िक जब भी नए राषरपित बनेगे तो 21 तोपो की सलामी दी जाएगी उसके अलावा िकसी को भी नही | लेिकन िबटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपो की सलामी दी जाती है, इसका कया मतलब है? और िपछली बार िबटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक िनमंतण पत छपा था और उस िनमंतण पत मे ऊपर जो नाम था वो िबटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राषरपित का नाम था मतलब हमारे देश का राषरपित देश का पथम नागिरक नही है | ये है राजिनितक गुलामी, हम कैसे माने िक हम एक सवतंत देश मे रह रहे है | एक शबद आप सुनते होगे High Commission ये अंगेजो का एक गुलाम देश दस ु रे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेिकन इसे Embassy नही कहा जाता | एक मानिसक गुलामी का उदहारण भी देिखये ....... हमारे यहाँ के अखबारो मे आप देखते होगे िक कैसे शबद पयोग होते है - (िबटेन की महारानी नही) महारानी एिलजाबेथ, (िबटेन के िपनस चालसर नही) िपनस चालसर , (िबटेन की िपंसेस नही) िपंसेस डैना (अब तो वो है नही), अब तो एक और िपनस िविलयम भी आ गए है | भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दिु नया मे भारत का नाम इंिडया पचािरत िकया जायेगा और सारे सरकारी दसतावेजो मे इसे इंिडया के ही नाम से संबोिधत िकया जायेगा | हमारे और आपके िलए ये भारत है लेिकन दसतावेजो मे ये इंिडया है | संिवधान के पसतावना मे ये िलखा गया है "India that is Bharat " जब िक होना ये चािहए था "Bharat that was India " लेिकन दभ ु ारगय इस देश का िक ये भारत के जगह इंिडया हो गया | ये इसी संिध के शतो ं मे से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंिडया कहते है वो कही से भी भारत नही है | कुछ िदन पहले मै एक लेख पढ रहा था अब िकसका था याद नही आ रहा है उसमे उस वयिक ने बताया था िक इंिडया का नाम बदल के भारत कर िदया जाये तो इस देश मे आशचयर जनक बदलाव आ जायेगा और ये िवशव की बडी शिक बन जायेगा अब उस शखस के बात मे िकतनी सचचाई है मै नही जानता, लेिकन भारत जब तक
भारत था तब तक तो दिु नया मे सबसे आगे था और ये जब से इंिडया हु आ है तब से पीछे , पीछे और पीछे ही होता जा रहा है | भारत के संसद मे वनदे मातरम नही गया जायेगा अगले 50 वषो ं तक यािन 1997 तक | 1997 मे पूवर पधानमंती चंदशेखर ने इस मुदे को संसद मे उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकिथत आजाद देश की संसद मे वनदेमातरम गाया गया | 50 वषो ं तक नही गाया गया कयोिक ये भी इसी संिध की शतो ं मे से एक है | और वनदेमातरम को ले के मुसलमानो मे जो भम फैलाया गया वो अंगेजो के िदशािनदेश पर ही हु आ था | इस गीत मे कुछ भी ऐसा आपितजनक नही है जो मुसलमानो के िदल को ठे स पहु चाये | आपितजनक तो जन,गन,मन मे है िजसमे एक शखस को भारत भागयिवधाता यािन भारत के हर वयिक का भगवान बताया गया है या कहे भगवान से भी बढकर | इस संिध की शतो ं के अनुसार सुभाष चनद बोस को िजनदा या मुदार अंगेजो के हवाले करना था | यही वजह रही िक सुभाष चनद बोस अपने देश के िलए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक िकसी को मालूम नही है | समय समय पर कई अफवाहे फैली लेिकन सुभाष चनद बोस का पता नही लगा और न ही िकसी ने उनको ढू ँ ढने मे रिच िदखाई | मतलब भारत का एक महान सवतंतता सेनानी अपने ही देश के िलए बेगाना हो गया | सुभाष चनद बोस ने आजाद िहंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगो को मालूम होगा ही लेिकन महतवपूणर बात ये है िक ये 1942 मे बनाया गया था और उसी समय िदतीय िवशवयुद चल रहा था और सुभाष चनद बोस ने इस काम मे जमर न और जापानी लोगो से मदद ली थी जो िक अंगेजो के दशु मन थे और इस आजाद िहंद फौज ने अंगेजो को सबसे जयादा नुकसान पहु ँचाया था | और जमर नी के िहटलर और इंगलैड के एटली और चिचर ल के वयिकगत िववादो की वजह से ये िदतीय िवशवयुद हु आ था और दोनो देश एक दस ु रे के कटर दशु मन थे | एक दशु मन देश की मदद से सुभाष चनद बोस ने अंगेजो के नाको चने चबवा िदए थे | एक तो अंगेज उधर िवशवयुद मे लगे थे दस ू री तरफ उनहे भारत मे भी सुभाष चनद बोस की वजह से परेशािनयो का सामना करना पड रहा था | इसिलए वे सुभाष चनद बोस के दशु मन थे | इस संिध की शतो ं के अनुसार भगत िसंह, चंदशेखर आजाद, अशफाकुलाह, रामपसाद िविसमल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus मे पढाया जाता था बहु त िदनो तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोडर के िकताबो मे भगत िसंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगो का िजनहोने अदालत मे एक केस िकया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश िदया है (ये समाचार मैने इनटरनेट पर ही अभी कुछ िदन पहले देखा था) |
आप भारत के सभी बडे रेलवे सटेशन पर एक िकताब की दक ु ान देखते होगे "वहीलर बुक सटोर" वो इसी संिध की शतो ं के अनुसार है | ये वहीलर कौन था ? ये वहीलर सबसे बडा अतयाचारी था | इसने इस देश िक हजारो माँ, बहन और बेिटयो के साथ बलातकार िकया था | इसने िकसानो पर सबसे जयादा गोिलयां चलवाई थी | 1857 की कांित के बाद कानपुर के नजदीक िबठु र मे वहीलर और नील नामक दो अंगजो ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगो को जान से मरवा िदया था चाहे वो गोदी का बचचा हो या मरणासन हालत मे पडा कोई बुडा | इस वहीलर के नाम से इंगलैड मे एक एजेसी शुर हु ई थी और वही भारत मे आ गयी | भारत आजाद हु आ तो ये खतम होना चािहए था, नही तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेिकन वो नही बदला गया कयोिक ये इस संिध मे है | इस संिध की शतो ं के अनुसार अंगेज देश छोड के चले जायेगे लेिकन इस देश मे कोई भी कानून चाहे वो िकसी केत मे हो नही बदला जायेगा | इसिलए आज भी इस देश मे 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे है जैसे अंगेजो के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland मे भी IPC चलता है और Ireland मे जहाँ "I" का मतलब Irish है वही भारत के IPC मे "I" का मतलब Indian है बािक सब के सब कंटेट एक ही है, कौमा और फुल सटॉप का भी अंतर नही है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे है िबना फुल सटॉप और कौमा बदले हु ए | इस संिध के अनुसार अंगेजो दारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेगे | शहर का नाम, सडक का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेगे | आज देश का संसद भवन, सुपीम कोटर , हाई कोटर , राषरपित भवन िकतने नाम िगनाऊँ सब के सब वैसे ही खडे है और हमे मुंह िचढा रहे है | लाडर डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वासको डी गामा नामक शहर है (हाला िक वो पुतरगाली था ) िरपन रोड, कजर न रोड, मेयो रोड, बेिटक रोड, (पटना मे) फेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारो भवन और रोड है, सब के सब वैसे के वैसे ही है | आप भी अपने शहर मे देिखएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सडक उन लोगो के नाम से होगे | हमारे गुजरात मे एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर मे एक िबिलडंग है उसका नाम है कूपर िवला | अंगेजो को जब जहाँगीर ने वयापार का लाइसेस िदया था तो सबसे पहले वो सूरत मे आये थे और सूरत मे उनहोने इस िबिलडंग का िनमारण िकया था | ये गुलामी का पहला अधयाय
आज तक सूरत शहर मे खडा है | हमारे यहाँ िशका वयवसथा अंगेजो की है कयोिक ये इस संिध मे िलखा है और मजे िक बात ये है िक अंगेजो ने हमारे यहाँ एक िशका वयवसथा दी और अपने यहाँ अलग िकसम िक िशका वयवसथा रखी है | हमारे यहाँ िशका मे िडगी का महतव है और उनके यहाँ ठीक उलटा है | मेरे पास जान है और मै कोई अिवषकार करता हू ँ तो भारत मे पूछा जायेगा िक तुमहारे पास कौन सी िडगी है ? अगर नही है तो मेरे अिवषकार और जान का कोई मतलब नही है | जबिक उनके यहाँ ऐसा िबलकुल नही है आप अगर कोई अिवषकार करते है और आपके पास जान है लेिकन कोई िडगी नही है तो कोई बात नही आपको पोतसािहत िकया जायेगा | नोबेल पुरसकार पाने के िलए आपको िडगी की जररत नही होती है | हमारे िशका तंत को अंगेजो ने िडगी मे बांध िदया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास माकसर आप देखते है वो उसी िशका वयवसथा िक देन है, मतलब ये है िक आप भले ही 70 नंबर मे फेल है लेिकन 30 नंबर लाये है तो पास है, ऐसा िशका तंत से िसफर गदहे ही पैदा हो सकते है और यही अंगेज चाहते थे | आप देखते होगे िक हमारे देश मे एक िवषय चलता है िजसका नाम है Anthropology | जानते है इसमे कया पढाया जाता है ? इसमे गुलाम लोगो िक मानिसक अवसथा के बारे मे पढाया जाता है | और ये अंगेजो ने ही इस देश मे शुर िकया था और आज आजादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के िवशविवदालयो मे पढाया जाता है और यहाँ तक िक िसिवल सिवर स की परीका मे भी ये चलता है | इस संिध की शतो ं के िहसाब से हमारे देश मे आयुवेद को कोई सहयोग नही िदया जायेगा मतलब हमारे देश की िवदा हमारे ही देश मे खतम हो जाये ये सािजस की गयी | आयुवेद को अंगेजो ने नष करने का भरसक पयास िकया था लेिकन ऐसा कर नही पाए | दिु नया मे िजतने भी पैथी है उनमे ये होता है िक पहले आप बीमार हो तो आपका इलाज होगा लेिकन आयुवेद एक ऐसी िवदा है िजसमे कहा जाता है िक आप बीमार ही मत पिडए | आपको मै एक सचची घटना बताता हू ँ -जोजर वािशंगटन जो िक अमेिरका का पहला राषरपित था वो िदसमबर 1799 मे बीमार पडा और जब उसका बुखार ठीक नही हो रहा था तो उसके डाकटरो ने कहा िक इनके शरीर का खून गनदा हो गया है जब इसको िनकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनो हाथो िक नसे डाकटरो ने काट दी और खून िनकल जाने की वजह से जोजर वािशंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 मे एक अंगेज भारत आया था और यहाँ से पलािसटक सजर री सीख के गया था | मतलब कहने का ये है िक हमारे देश का िचिकतसा िवजान िकतना िवकिसत था उस समय | और ये सब आयुवेद की वजह से था और उसी आयुवेद को आज हमारे सरकार ने हािशये पर पंहुचा िदया है |
इस संिध के िहसाब से हमारे देश मे गुरकुल संसकृित को कोई पोतसाहन नही िदया जायेगा | हमारे देश के समृिद और यहाँ मौजूद उचच तकनीक की वजह ये गुरकुल ही थे | और अंगेजो ने सबसे पहले इस देश की गुरकुल परंपरा को ही तोडा था, मै यहाँ लाडर मेकॉले की एक उिक को यहाँ बताना चाहू ँगा जो उसने 2 फरवरी 1835 को िबिटश संसद मे िदया था, उसने कहा था ""I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation" | गुरकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपिनषद ही समझते है जो की हमारी मुखरता है अगर आज की भाषा मे कहू ं तो ये गुरकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हु आ करते थे | इस संिध मे एक और खास बात है | इसमे कहा गया है िक अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत मे कोई ऐसा मुकदमा आ जाये िजसके फैसले के िलए कोई कानून न हो इस देश मे या उसके फैसले को लेकर संिबधान मे भी कोई जानकारी न हो तो साफ साफ संिध मे िलखा गया है िक वो सारे मुकदमो का फैसला अंगेजो के नयाय पदित के आदशो ं के आधार पर ही होगा, भारतीय नयाय पदित का आदशर उसमे लागू नही होगा | िकतनी शमर नाक िसथित है ये िक हमे अभी भी अंगेजो का ही अनुसरण करना होगा | भारत मे आजादी की लडाई हु ई तो वो ईसट इंिडया कमपनी के िखलाफ था और संिध के िहसाब से ईसट इंिडया कमपनी को भारत छोड के जाना था और वो चली भी गयी लेिकन इस संिध मे ये भी है िक ईसट इंिडया कमपनी तो जाएगी भारत से लेिकन बािक 126 िवदेशी कंपिनयां भारत मे रहेगी और भारत सरकार उनको पूरा संरकण देगी | और उसी का नतीजा है िक बुक बोड, िलपटन, बाटा,
िहंदसु तान लीवर (अब िहंदसु तान यूिनलीवर) जैसी 126 कंपिनयां आजादी के बाद इस देश मे बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो िसलिसला जारी है | अंगेजी का सथान अंगेजो के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत मे जैसा िक अभी (1946 मे) है और ये भी इसी संिध का िहससा है | आप देिखये िक हमारे देश मे, संसद मे, नयायपािलका मे, कायारलयो मे हर कही अंगेजी, अंगेजी और अंगेजी है जब िक इस देश मे 99% लोगो को अंगेजी नही आती है | और उन 1% लोगो िक हालत देिखये िक उनहे मालूम ही नही रहता है िक उनको पढना कया है और UNO मे जा के भारत के जगह पुतरगाल का भाषण पढ जाते है | आप मे से बहु त लोगो को याद होगा िक हमारे देश मे आजादी के 50 साल बाद तक संसद मे वािषर क बजट शाम को 5:00 बजे पेश िकया जाता था | जानते है कयो ? कयोिक जब हमारे देश मे शाम के 5:00 बजते है तो लनदन मे सुबह के 11:30 बजते है और अंगेज अपनी सुिवधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीका कर सके | इतनी गुलामी मे रहा है ये देश | ये भी इसी संिध का िहससा है | 1939 मे िदतीय िवशव युद शुर हु आ तो अंगेजो ने भारत मे राशन काडर का िससटम शुर िकया कयोिक िदतीय िवशवयुद मे अंगेजो को अनाज िक जररत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीिलए उनहोने यहाँ जनिवतरण पणाली और राशन काडर िक शुरआत िक | वो पणाली आज भी लागू है इस देश मे कयोिक वो इस संिध मे है | और इस राशन काडर को पहचान पत के रप मे इसतेमाल उसी समय शुर िकया गया और वो आज भी जारी है | िजनके पास राशन काडर होता था उनहे ही वोट देने का अिधकार होता था | आज भी देिखये राशन काडर ही मुखय पहचान पत है इस देश मे | अंगेजो के आने के पहले इस देश मे गायो को काटने का कोई कतलखाना नही था | मुगलो के समय तो ये कानून था िक कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट िदया जाता था | अंगेज यहाँ आये तो उनहोने पहली बार कलकता मे गाय काटने का कतलखाना शुर िकया, पहला शराबखाना शुर िकया, पहला वेशयालय शुर िकया और इस देश मे जहाँ जहाँ अंगेजो की छावनी हु आ करती थी वहां वहां वेशयाघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के िलए कतलखाना खुला | ऐसे पुरे देश मे 355 छाविनयां थी उन अंगेजो के | अब ये सब कयो बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते है | अंगेजो के जाने के बाद ये सब खतम हो जाना चािहए था लेिकन नही हु आ कयोिक ये भी इसी संिध मे है | हमारे देश मे जो संसदीय लोकतंत है वो दरअसल अंगेजो का वेसटिमनसटर िससटम है | ये अंगेजो के
इंगलैड िक संसदीय पणाली है | ये कही से भी न संसदीय है और न ही लोकतािनतक है| लेिकन इस देश मे वही िससटम है कयोिक वो इस संिध मे कहा गया है | और इसी वेसटिमनसटर िससटम को महातमा गाँधी बाँझ और वेशया कहते थे (मतलब आप समझ गए होगे) | ऐसी हजारो शतें है | मैने अभी िजतना जररी समझा उतना िलखा है | मतलब यही है िक इस देश मे जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंगेजो का है हमारा कुछ नही है | अब आप के मन मे ये सवाल हो रहा होगा िक पहले के राजाओं को तो अंगेजी नही आती थी तो वो खतरनाक संिधयो (सािजस) के जाल मे फँस कर अपना राजय गवां बैठे लेिकन आजादी के समय वाले नेताओं को तो अचछी अंगेजी आती थी िफर वो कैसे इन संिधयो के जाल मे फँस गए | इसका कारण थोडा िभन है कयोिक आजादी के समय वाले नेता अंगेजो को अपना आदशर मानते थे इसिलए उनहोने जानबूझ कर ये संिध िक थी | वो मानते थे िक अंगेजो से बिढयां कोई नही है इस दिु नया मे | भारत की आजादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढे गे तो आप पाएं गे िक वो केवल देखने मे ही भारतीय थे लेिकन मन,कमर और वचन से अंगेज ही थे | वे कहते थे िक सारा आदशर है तो अंगेजो मे, आदशर िशका वयवसथा है तो अंगेजो की, आदशर अथर वयवसथा है तो अंगेजो की, आदशर िचिकतसा वयवसथा है तो अंगेजो की, आदशर कृिष वयवसथा है तो अंगेजो की, आदशर नयाय वयवसथा है तो अंगेजो की, आदशर कानून वयवसथा है तो अंगेजो की | हमारे आजादी के समय के नेताओं को अंगेजो से बडा आदशर कोई िदखता नही था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे िक हमे भारत अंगेजो जैसा बनाना है | अंगेज हमे िजस रसते पर चलाएं गे उसी रासते पर हम चलेगे | इसीिलए वे ऐसी मूखरतापूणर संिधयो मे फंसे | अगर आप अभी तक उनहे देशभक मान रहे थे तो ये भम िदल से िनकाल दीिजये | और आप अगर समझ रहे है िक वो ABC पाटी के नेता खराब थे या है तो XYZ पाटी के नेता भी दध ू के धुले नही है | आप िकसी को भी अचछा मत समिझएगा कयोिक आजादी के बाद के इन 64 सालो मे सब ने चाहे वो राषरीय पाटी हो या पादेिशक पाटी, पतयक या परोक रप से राषरीय सतर पर सता का सवाद तो सबो ने चखा ही है | खैर ............... तो भारत िक गुलामी जो अंगेजो के जमाने मे थी, अंगेजो के जाने के 64 साल बाद आज 2011 मे जस िक तस है कयोिक हमने संिध कर रखी है और देश को इन खतरनाक संिधयो के मकडजाल मे फंसा रखा है | बहु त दःु ख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मै ये सब कोई खुशी से नही िलखता हू ँ ये मेरे िदल का ददर होता है जो मै आप लोगो से शेयर करता हू ँ | ये सब बदलना जररी है लेिकन हमे सरकार नही वयवसथा बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे है िक कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप गलतफहमी मे जी रहे है | कोई हनुमान जी, कोई राम जी, या कोई कृषण जी नही आने वाले | आपको और हमको ही ये सारे अवतार मे आना होगा,
हमे ही सडको पर उतरना होगा और और इस वयवसथा को जड मूल से समाप करना होगा | भगवान भी उसी की मदद करते है जो अपनी मदद सवयं करता है | िबटेन की संसद दारा पास िकये गए "भारत की आजादी का कानून-1947" की छायापित संलग है- pdf Copy of "Indian Independance Act-1947" यह वही कानून िजसकी वजह से भारत का बटवारा हु आ और इसके बारे मे हमे कभी भी नही बताया गया| इसमे साफ-साफ िलखा है िक इंिडया और पािकसतान िबटेन की सता के अधीन होगे और इसी मे िलखा है िक इन अधीन राजयो का गठन 15 अगसत-1947 को िकया जायेगा| इसी के आधार पर "टर ांसफर ऑफ पॉवर अगीमेट" हु आ था िजस पर नेहर और माउनट बेटन ने 14 अगसत 1947 की रात को हसताकर िकया था | इस सच को सभी भारितयो तक पहु ँचा कर अपना राषर धमर िनभाएं वनदेमातरम ! भारत माता की जय हो !http://www.scribd.com/doc/72936488/Indian-IndependenceAct-14-AUG-1947 और अिधक जानकारी के िलए इस िविडयो को सुने ! भारतीय आजादी का इितहास >http://www.youtube.com/watch?v=VV0nMR3AIpU