य दादा भगवान क साी म, वरतमान मान म महावदेह े म वचरे री रीक क भगवान ी सीमंध ध वामी को अयंर भरप त नमका करा नमका करा ू ह । देह सहर िनका वप मो है। ूवतवक नागी , नवतका का , सचदानंद वप , सिहानंद द , अनंरजानी रजानी , अनंरद रद , ैलोय लोय काक , पमराक देवाधदेव , अपने येक पावन पदचह प रीत क क ापना कनेवाले वाले रीक क भगवान ी सीमंध ध वामी को अयंर भरप त नमका करा नमका करा ू ह ूवतवक वासयम र त ‘दादा भगवान ’ को नमका करा ू ह । ूरत अपने भार वत के ईान कोण म कोड़ कलोमीट क द प िंब ब ूवीप वीप के महावदेह े क ू आर होरी है। उसम ३२ िवय (े) ) ह। इन िवय इन िवय म आठवीं िवय िवय ‘प षपकलावरी ’ है। ुआर ुषपकलावरी उसक ािधानी ी प ं ुडकग है डकग है। इस नग म गर चौबीसी के सहव रीक क ी क ना ुना ु भगवान के ासनकाल औ अठाहव रीक क ी अहनािी के िम से पहले पहले ी ी सीमंध ध वामी भगवान का िम ुह आ ा। उनके परा ी ेयांस प ं ुडकग डकग नग के ािा े। भगवान क मारा का नाम सायक ा। य दादा भगवान क साी म, वरतमान मान म महावदेह े म वचरे री रीक क भगवान ी सीमंध ध वामी को अयंर भरप त नमका करा नमका करा ू ह । ूवतवक
िनक सवाग ुध -ब ुधचेरना, प ूणत सध -धस ुद, आनंद- वाक ु ा नाम के समकरी िन ने मो क आकांा से सेवा क, औ अहंर ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह उदासीन व ृ क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ुह ए. यासमय महाानी सायक ने अवरीय प औ लावयवाले, सवाग- स ं ुद वणतकांरवाले औ व ् क गणनान ु को िम दया। (वी संवर ुसा चै क ृभ के लांछनवाले प ृ षणप दसवीं क मया के समय) बाल िनेशव का िम मरजान , ुरजान औ अवधजान सहर ह ह ु आ ा। उनका देह पाचसौ धन ुषय के बाब है। ािक ु क अधागनी बनने ु मा ी मणी को भ का पम सौभाय ार ह ु आ। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िह अन -िनारी, सौय -वंखला नाम के समकरी िन ने णाम कके पय औ अयत रा आचमन नवेदर कया, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह जान अजान से पे पमहंस -पद क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. ी सीमंध वामी ने महाभनषमण उदययोग से फाग ुन ुलप क र ृरीया के दन दा अंगीका क। दा अंगीका करे ह उह चौा मन:पयतव जान ार ह ु आ। दो कम क िनता होरे ह हा वत के छमकाल के बाद े चा घार कम का य कके चै ुल क योदी के दन भगवान केवलजानी औ केवलदतनी बने। उनके दतन मा से ह िीव मोगामी बनने लगे। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िह आदय -अरचा, वण -मानवी नाम के समकरी िन ने चंदन -आद गधो से नान काक योय व औ आसन नवेदर कया, औ अहंर ी सीमं ध वामी भ ु क क ृ पा से उन अयोगी िन को पमयोर वप क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए.
ी सीमंध वामी भ ु के कयाणयज के नम म चौासी गणध , दस लाख केवलजानी महाािा , सौ कोड़ साध ु, सौ कोड़ सावया, नौ सौ कोड़ ावक औ नौ सौ कोड़ ावका ह। उनके ासन क म यदेव ी चांायणदेव औ यणीदेवी ी पांचांग ुल देवी ह। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनका नषपाप -च, वाट -वैोट नाम के समकरी िन ने प ुषप, ध ूप, औ दप से प ूिन कया, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ुर ृ पा से उह अनके अनय ण औ म पद क ार ुह ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ुह ए. महावदेह े म वमान ी सीमंध वामी औ अय उनीस वहमान रीक भगवंर ावण ुल प र ूव त क आय ु प ूण त क के नवातणपद ृरीया के अलौकक दन को चौासी लाख प ार कगे। सीमंध वामी वरतमान रीक साहब ह। वे इस प ूसे े, ृथवी से बाह द महावदेह े म रीक साहब ह! सीमंध वामी मांड म ह। वे िआ अहंर ह। अहंर के प म होने चाहए , रभी हम फल मलरा है। ’ अर: प ूे मांड म िहा कहं भी अहंर ह , उह नमका करा ह ु ंद मलरा है। ू , ऐसा समझक बोल रो उसका फल बह ु र स य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िह एकावरा -केवल, महापम -वाणी नाम के समकरी िन ने उचर िभोन -नैवे य का नवेदन कया, औ अहंर ी सीमं ध वामी भ ु क क ृ पा से उनके ौ, आरत औ अयान सदा के लए समार ह ु ए, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ुह ए. नवका मं बोलरे समय सा -सा सीमंध वामी याल म हने चाहए , रब आपका नवका मं ुध प से ुह आ कहा िाएगा। वे वरतमान रीक ह औ ‘नमो अहंराणं’ उहं को पह ु चरा है। वे कट कहलारे ह। य , साार ् ह। देहधा ह औ अभी महावदेह े म रीक प म वच हे ह। उह या व ृ ? बस , भगवान! लोग दतन करे ह औ वे वीराग भाव से वाणी बोलरे ह। बस , देना देरे ह। उह क ुसा , बस। ु छ भी नहं कना होरा। कमत के उदय के अन
ख ुद के उदयकमति ो कवाए , वैसा करे ह। उनका ख ुद का अहंका खम हो च ुका है औ प ूा दन जान म ह हरे ह। उनके अन ुयायी बह ु र साे ह न। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िह वाय ु-मेधा, ंखमहमा -गमा नाम के समकरी िन ने स ुगधर ध ूप- दप से प ूिन क नमोका मं से प ुषपांिल द, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से आधी, याध, उपाध क काल छाया से वे सदा के लये छ ू ट गये, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. सीमंध वामी क आय ु इस समय डेढ लाख वत क है। वे प ूे मांड के भगवान कहलारे ह। वैसे ये भी प ूे मांड के भगवान कहलारे ह। वे अपने यहा नहं, लेकन द ूस भ ूम प ह। वहा िम होगा , रभी िा सकरे ह। रीक यानी आख , ‘फ ु ल म ून’ (प ूणत चं)! वहा महावदेह े म सदैव रीक िम लेर े ह। सीमंध वामी िआ वहा वयमान ह। वे हम देखरे ह। वे प ू द ुनया देख सकरे ह। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनसे वव -ार, संयम -नऋरी नाम के समकरी िन ने साषटांग णाम कके, संसा पी नाटक के आंभ से अयण पयर ुह ए िीव क ंका -क ु ंका, अपाध औ अराय क आलोचना, रमण औ यायान कये, औ अहंर ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उनमे ुधाम -योर िगी रा उह केवल -दतन क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. सफत महावदेह े ह ऐसा है, िहा सदैव रीक िम लेर े ह। अभी िो ये सीमंध वामी ह, वे अपने लए ह। वे अभी लंब े समय रक हनेवाले ह। पाच महावदेह े ह, वहा इस समय चौा आा है, वहा प रीक वच हे ह। वहा सदैव चौा आा हरा है । य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक
िनसे ेपाल -अय ुराबाला, चंासोमा -ोहणी नाम के समकरी िन ने साषटांग णाम कके, संसा पी नाटक के आंभ से अयण पयर िाने-अिनाने ुह ए छः महार के भंग रा अठाह पाप ानक से ुह ए क ु छ भी अवनय, अववेक, अभर, अपकायत औ दो क आलोचना, रमण औ यायान कये, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह नैषकयत सध रा केवल -जान क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. महावदेह े म भी मन ुषय ह। वे अपनेि ैस े ह, देहधा ह ह। वहा प मन ुषय के सभी मनोभाव अपनेि ैसे ह ह। मन -वचन -काया क एकरा होरी है, िैसा मन म हो वैसा ह वाणी से बोलरे ह औ वैसा ह करे ह। वहा के िैसा हो िाए। िब चौे आरे के लोग िैसा हो िाए , रब वहाि ारा है। कोई गाल दे, फ भी मन म उसके लए ब ुा भाव नहं आए , रब वहाि ा पाएगा। िो सीमंध वामी को टरे हरे ह, उह िभरे ह औ बाद म वहा उनके दतन कगे औ उनके पास बैठगे औ वे लोग मो म चलेि ाएग।े य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनके चण म इनील -पमी, गणध -गांधा नाम के समकरी िन ने अपने साे काल भावकमत-यकमत-नोकमत, मन -वचन -काया रा अपने नाम औ प क सवतमाया का अपतण कया, औ अहंर ी सीमं ध वामी भ ु क क ृ पा से उह साे माड को कार कनेवाल वसंवदे न र क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. िह दादा भगवान जान देरे ह, वे एक -दो अवरा हगे। फ उह वहा सीमंध वामी के पास ह िाना है। उनके दतन कने ह, रीक के दतन कना मा े हा। बस , दतन होरे ह मो। अय सभी दतन हो गए। यह आख दतन क , िो इस दािदाी से आगे के दतन ह। वे दतन ुह ए क र ं मो! सीमंध वामी क ुर ुध हो िाए , वहा प ृ पा ार होनी चाहए। दय दय ुध हो िाए , उसके बाद उनक क ृ पा उररी िाएगी। िसे आमा का लय बैठा हो , वह महावदेह े म पह ुधामा का लय बैठा , वह महावदेह ु च ह िारा है, ऐसा नयम है! िसे े म एक िम या दो िम लेक रीक के दतन कके मो म चला िारा है! य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक
िनसे सवकर -मानसी, क ु बे -आोया नाम के समकरी िन ने दन के अयण पयर दादा भगवान क आजाओं का पालन न क पाने क आलोचना, रमण औ यायान कये, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह अदठ -रप रा व -चा क ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. वे सामाय भाव से देखरे ह। रीक , वे भाव से नहं देखरे। यह दादा भगवान के मायम से कहा है, इसलए वहा पह ु मांड म घ ूमरे ह, वरतमान ु चरा है। वरतमान रीक के पमाण रीक से बह ुम एक िम बाद वहाि ा सकरे हो। वहा उनके को र ुम ु र लाभ होरा है! र हा से छ ू सकोगे। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनसे म -महामानसी, आय ुक ुषय -गौ नाम के समकरी िन ने कसी भी देहधा िीवामा का ु ं द ं चमा भी अहम ं चमा भी माण द क ् द ुभने; कसी भी धमत का क ुभने; कसी भी देहधा उपदेक साध ु, सावी या आचायत का अवणतवाद , अपाध , अवनय के आलोचना, रमण औ यायान कये, औ अहंर ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह िगर कयाण कने का नम बनने क पम र ार ह ु ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. सीमंध वामी के नाम का ह रो हम टन करे ह। सीमंध वामी को हम नमका करे ह। वहं प रो िाना है हम, इसलए हम उनसे कहरे ह क ‘साहब! आप भले ह वहा बैठ,े हम नहं दखरे, लेकन यहा हम आपक रक ृ र बनाक आपके दतन करे हरे ह।’ य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनसे वावब नाम के समकरी िन ने कसी भी देहधा िीवामा ुध -ध ृर, दय -अलंक ृ रा ं चमा भी अभाव या रका; कठो भाा , रंरील भाा बोले िाने ; कसी भी के र क देहधा िीवामा के र वय -वका संबध ं ी दो , इछाए, चेषटाए या वचा संबध ं ी दो कए िाने के आलोचना, रमण औ यायान कये, औ री क ी सीमंध वामी भ ु क क ु भाा बोलने क पम र ार ुह ई, औ उनके दतन मा से वे ृद ु -िऋ ृ पा से उह म केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए.
सीमंध वामी हमाे ोमाय भगवान ह औ हगे। िब रक हम सब म ुरनहं ुह ए, रब रक ोमाय हगे। सीमंध वामी का केवल नाम भी लेगा , रो उसे फायदा हो िाएगा। जान लेने के बाद आपका यह िम महावदेह िाने के लए लायक ह बन हा है। म ुझ े क ु छ कने क र नहं। ाक ु छ नहं, ृ रक नयम ह है। िाना है, यह रो नशचर ह है। उसम नया क लेकन लगारा याद कने से द ूसा क ुसेगा नहं। दािदाी याद हरे ह या ु छ नवीन अंद घ रीक याद हरे ह , रो माया नहं घ े ी! अब यहा माया नहं आरी। ुसग य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनसे ाकाय -वालामालनी, य ुवान -प ुदा नाम के समकरी िन ने कसी भी स म ल ुधरा होने, समसी आहा न लेने के आलोचना, रमण औ यायान कये, औ अहंर ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से उह नंर नवत का हने क पम र ार ुह ई, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए. रीक को देखरे ह आपके आनंद क सीमा नहं हेगी , देखरे ह आनंद! प ् वम ूा िगर ृर हो िाएगा! िगर ् का क ूा हो िाएगा। नालंब आमा ार ु छ खाना -पीना नहं भाएगा। उस घड़ी प होगा! फ कोई अवलंबन नहं हेगा। िसक सयक षट हो , उस प रीक क क ृ पा उर िारी है। य दादा भगवान क साी म, वरतमान म महावदेह े म वचरे रीक भगवान ी सीमंध वामी को अयंर भरप त नमका करा ू ह । ूवक िनसे ईवान -अणमा, पौशवी -ंकरा नाम के समकरी िन ने कसी भी देहधा िीवामा ं चमा भी अवणतवाद , अपाध , अवनय कने के आलोचना, रमण औ यायान का क कये, औ रीक ी सीमंध वामी भ ु क क ृ पा से वे रण -राण होक र गये, औ उनके दतन मा से वे केवल होक िीवनोपांर कैवय मो को ार ह ु ए.