'आयु वे वे द' एक चमतकार डॉ . शी बालाजी ब आतमसंुल ु न िहल ज, काल , 410 405, www.ayu.de
महाराषट, भार
एक चमतकार ह ै ै। चमतकार द क िप हर एक को आकण होा ह ै ै। आइय , हम चमतकार द की िरभाा समझ क ल ह। जो घनाय मनुषय की िबु था समझ म न आन बावजूद भी िनसग म घी रही ह , उह चमतकार कहा जाा वाली घना को चमतकार नह कहा जाा। ह ै ै। समझ म आन ि मसाल क ौर र - एक और एक दो हो जायग ो यह कोई चमतकार नह माना जाा। र ियद एक और एक ीन बन ह , ो इसको चमतकार कहा जाा ह ै ै। 'आयु वे वे द'
क चमतकार द खन को िमल ह। कई बार आयु वेवदे म ऐस अन खन मरीज की हाल इनी खराब हो जाी ह ै ै िक आिधुनक ै ैथी थी क लग ह , ि क इस मरीज क िलय अब बड बड डॉर भी कहन क ुछ भव नह ह ै ै। मलब अब इस मरीज क बार म भी करना सं भव ियद कोई चमतकार होगा ब ही क ुछ हो सका ह ै ै, वरना क ु छ भी संभव भव नह ह ै ै। और आम ौर र ऐसा द खा खा जाा ह ै ै िक रोगी की र ही लोग आयुवेद की ओर मु ड हाल इस हद क िबगडन ड ह। आजकल आधुि नक ॅ थॉलॉजी थॉलॉजी की मदद स हम रीर की हर एक िकोका क बार म जानकारी िमल सकी ह ै ै। िफर भी डॉर की समझ म नह आा िक या िबगड गया ह ै और क ुछ समझ म आया ो भी कई बार आिधुनक ा क ास कोई इलाज नह
होा। ऐसा द खा खा जाा ह ै ै िक आधुि नक ा क अनुसार स ार जो रोग असाय होा ह ै ै, वह आयुवेद क इलाज स ठीक हो जाा ह ै ै। इस पकार क िरणाम द खकर खकर भी आिधुनक डॉर कह ह िक यह ो चमतकार हो गया , इसम आयु वेवेद का क ुछ भी हाथ नह ह ै ै। यह बा सही ह ै ै िक भगवान की क ृा ा स ही चमतकार हो सका ह ै ै, लिकन हम यान म रखना िचाहय िक इस पकार का चमतकार आयु वेवे द क मायम स ह ु ुआ थाय और ह ै ै। आज जब िवया सं थाय र भी उनक हाथ म रोग का बड बड डॉर रोग क ीछ डन सही इलाज नह आा ब आजकल सब का यान आयुवेद की ओर जा रहा ह ै ै। ियद हम कोई ध ं ं धधा धा ु करना ह ै ै, ो उस क िलय ि यानी ै ैस स की आवयका होी ह ै ै। या ै ैस स क िबना कोई ध ं ं धधा धा ु क िलय भी एक खास हो सक गा गा ? इसी रह हमारा जीवन चलन इस ि की आवयका होी ह ै ै। र या आज क िकसीन इस ि को ि र संोधन ोधन िकया ह ै ै? क वल वल आयुवेद न क िलय क वल जाना ह ै ै और उस बढान वल आयुवेद क ास ही उाय ऐसी ि र सं ोधन ह। ो िजस आयुवेद न ोधन िकया ह ै ै उसकी क अलावा हमार ास कोई यय नह ह ै ै। आयुवेद रण म जान बह ु ु अछ ढ ं ंग स इस ि क अलग अलग व बाय न की ह। हमार ारा सवन िकय गय अ का ि म र होन िपया इस पकार ह ै ै - अ रस खून मस हडी मजा वीय ओजस ( ज)। हमारा ूरा जीवन इस ओजस ि र ही चला ह ै ै। और आय की बा यह ह ै ै िक वीय और ओजस क िलय ू र जग म आयु वेवे द क िसवा और िकसी न पय बढान
नह िकय ह। म यह द ख रहा ह ँ ू ू िक इस ि क अभाव स क लोग क वल अन वल िजीव ह र व सही अथं म जीवन जी नह रह ह। जीवन म ै ैसा सा यानी लमीजी की क ृा ा की हम सबको आवयका ह ै ै। आज लोग की अलमारीय ो ै ैस स स भरी ह ु ुई ह ै ै, र जीवनि क अभाव स मनु षय षय क रीर र झुि र य आ गयी ह , आँख क नीच काला हो गया ह ै ै, आँख की रोनी गायब हो गयी ह ै ै, सं म ू र रीर रीर का −हास हास हो रहा ह ै। हमार ास होन अलमारी म रखी वाली जीवनि ै ैस स म िर करक हमन स हम ह ै ै। र हम सोचना िचाहय िक या ै ैस स को द ख ख रहन जीवन समाधान स गुजार सकग ? क ुछ ह ु ुय सिमनार म अमरीका क साल हल िवतझल ं ं ड म सं भाग िलया था। उसन मुझ ूछा , "ि ह ं ं उोगि न ि हद ु ुान ान म बावजूद वह गरीबी ह ै ै। ूजा , मं, उासना , वाु िआद करन हम अमरीका क रहवासी इन सब बा को मान नह ह र हम समृ ह !' जवाब िदया , "ुहार द म ै ैसा !' मन ि कन सा व क बावजूद, असंुु होन क कारण, सिमृ िवुल होन वाुा, उासना , आियातमका क इस सिमनार म क िलय आ अमरीका स यह क आय ह। उिथ रहन लोग द ू ूसरी सी ह ै ै िक आम स िकन सरी बा भी यान म लन ज ैसी ि बना दा िलय , ि बना नद की गोली िलय चैन की नद अनुभव कर सक ह ? भल हमार द म बह ु ु -सा ै ैसा सा नही ह ै ै, र यह लोग आराम म जी ह , ि और ी का आस म अछा सं ब ं ंध ह ै ै। िकसी की आय भल 5000 . िप महीना हो, र वह मा साल म दो-ीन बार बाल - बच को िसन मा /सकस िदखाा ह ै ै,
दीावली ज ैस स तयोहार को कड खरीदा ह ै ै, साल-दो साल म बीबी -बच क साथ िकसी गव को जाा ह ै, साथ साथ बच की ढाई भी चल रही ह ै ै।' अमरीका म ो एकाध बच का भी म बा ालन नह कर सक । आज कल ािमातय द म व ं ं वा ा क नाम स िवभ होकर सं सार सार क ु ुकड क ड ु ुकड कड हो जा ह। या यह सही म सिमृ ह ै ै? ो जीवनि, जीवन की ऊज की िपा हमारा उ य य होना िचाहय । और यह बा आको आयु वेवे द क िबना और कही नह ि मल सक गी। गी। ै ैसा सा खराब ह ै ै ऐसा नह ह ै ै, र एक बा जर यान म रखनी िचाहय िक ै ैसा सा ही अंि म अंि म सुख नह ह ै ै। आक र आ जह जायग वह सब ास जीवनि ी सिमृ होन िभौक िसुवधाय उत हो जायगी। या यह चमतकार नही ह ै? ैिसग हम एक और बा द ख सक ह िक जो क ु छ न िसगक ह ै ै वह मनुषय की समझ क िलय चमतकार ही ह ै ै। ू र बगीच क सब ौध को एक ही खाद द न न क बावजूद एक ौध र लाल फ ू ल आ ह ै ै, ो द ू ू सर स र र सफ द। द। या यह चमतकार नह ह ै ै? गंगा गा नदी स करोड साल ानी बह रहा ह ै ै, या यह चमतकार नह ह ै ै? ि नसग की रह अना रीर भी बह ु ु बडा चमतकार ह ै ै। अः रीर म ैिसग असंुल ु न हो जाय ो गया रीर का न िसगक भाव संुुलन म लाना िसफ आयुवेद की मदद स ही सं भव ह ै ै। आजकल रीर की क पकार क रोग हो रह ह। चयाचय िया म बदलाव होकर अन ैिसग मलब रीर का न िसगक भाव बदल रहा ह ै ै। वािभावक ही ह ै ै, क िलय दवाय क वल ि क इन िबगड ह ु ुय भाव को सुधारन वल आयुवेद म ही ह। उदा . - आयुवेद छोडकर अय िकसी भी ैथी थी म यक ृ की बीमारी क िलय कोई दवा नह ह ै ै। यक ृ क िलय सबस
पभावी इलाज ह ै ै "गोमू'। मन िलवर िसिरोसस िसिरोसस (चाह मान क क कारण हो) क कई कारण हो या िअ जागरण स ि बढन िरोगय का इलाज िकया ह ै ै। यक ृ क इन इलाज़ म 60 िप शय गोमू को होा ह ै ै। या िकडनी फ यु युअर क इलाज क िलय आको कोई दवा मालूम ह ै ै? ि कडनी का काय ब ं ंब द होकर रोगी को डाियािलसस र रखना रोग की अंि म अंि म अवथा ह ै ै। लिकन सही म द खा खा जाय ो लोग की िकडनी ठीक रह स काम कर रही ह ै ै? हमम स िकन र यह सतय आको कोई बाा नह ह ै ै, यिक उनक ास क िलय कोई इलाज नह ह ै ै। िकडनी ि कडनी का काय सुधारन क बाद डाियालसीस करना या ूरी िकडनी का काय ब ं ंबद होन बदलना यही इलाज आधुि नक ा म उलध ह। र म िअभमान स कह सका ह ँ ू ू िक आयुवेद म िकडनी की काय मा क उाय ह। बढान इसी पकार मसयुलर िडटोफी , न यूमर, िमल लिरॉसस िआद रोग क इलाज क िलय आिधुनक ा म कोई दवा उलध नह ह ै ै। िदमाग की गठ (यूमर) ि नकालन की िया म क वल वल 40-50 िप य िमल सका ह ै ै। म र ास ऐस भी लोग आ ह िक िदमाग की गठ िनकालन क बाद उनका आँ ख स िदखना ब ं ंब द हो गया , कान स सुनना ब ं ंबद हो गया या मलमू िवसजन र िनय ं ं िनय ण ण नह रहा। रीर को अन की जो मा होी ह ै ै उसक कम होन र या आ ठीक करन स र आिधुनक ा म कोई दवा उलध नह ह ै ै। ि बगडन वाल रोग र आिधुनक ा म जीवाणु ओं ओं क संमण मण स होन दवाय उलध ह । मगर य दवाय रोग को दबाकर रखी ह , न
ि क उनका सही इलाज करी ह । अंः ः इनका िवरी िरणाम वाल स र ोकरी डालन हो सका ह ै ै। ज ैस स इधर उधर घूमन स वह क ुछ समय क ो आक िअधकार म आ जाा ह ै ै, र क िलय नय नय माग िनकाल थोडी ही द र म वह बाहर जान लगा। आयु वेवदे एक ऐसी भारीय सं दा दा ह ै ै, जो काफी समय क हमार क बुजुग लोग को अछा जीवन द रही थी। आज भी हम ऐस अन द ख ख ह िक िजनका आरोय , मा , ािरीरक ि आज की ज ैसी युवा ीढी स ब हर हर ह ै ै। सोचन सी बा ह ै ै िक आज की ीढी इनी द ु ुबब ल य हो गयी ? हमारी जीवनि और हमारी ऊज का −हास हास य ह ुआ ख ह। ह ै ै? अब हम मधुमह क बार म द ख की दवा नह आज क आिधुनक ा म मधुमह ठीक करन ि नकली ह ै ै। िबक मधु ममह क िरोगय को िसफ मधुम ह को की दवा दी जाी ह ै ै। र जीवन का महतवूण ि नय ं ं ि नयण ण म रखन व बढान क िलय र की अंग ह ै ै। रीर म जीवनि बनान आवयका होी ह ै ै। इिसलय आयुवेद म मधुर रस का महतव बाया ह ै ै। ह ृ ृदय दय व िदमाग दोन को र की स जर होी ह ै ै। जब हम र खा ह ो रीर को र चाकर वीकार करनी होी ह ै ै। जब रीर क ारा र का सवन नह हो ाा ब र म र का अं बढ रहा ह ै ै। सही व म क िलय हम रीर को र चान क मधुमह का इलाज करन ि लय िसखाना िचाहय । उसक बदल म कर ला ला का रस ज ैस स वाली र जलायग , कडवा रस या इसुि लन लकर र म होन ो या यह सही इलाज ह ै ै? इिसलय आयुवेद का द ृ ि कोण रहा ृ ह ै ै, रोग का मूल कारण ढ ँ ू ू ढना। अः आयुवेद म रीर का वाल िबगाड र यान िदया ैिसग न िसगक म जानकर रीर म होन
क िलय उचार ैिसग जाा ह ै ै और रीर को न िसगक म र लान ि कय जा ह। मधुमम ह क रोगी क रीर को इिसुलन का ाव को पवृ िकया जाा ह ै ै, ािक रीर म र क चान करन स की िपया िवास ु हो जाय । इस पकार क उचार करन ैिसग रीर म न िसगक स र का ाचन ु हो जाय गा। गा। िरणाम म ह ृ ृदय दय और िदमाग मजबू रह गा। गा। मधुमह की ु आ आ र डॉर मरीज की र नह खान द । ीन चार महीन होन क बाद आधी गोली ु की जाी ह ै ै। थोड िदन क बाद एक ूरी गोली लन को कहा जाा ह ै ै। बाद म क ुछ िदन क बाद सुबह-ाम गोली ु की जाी ह ै। 4-5 साल क बाद मधुमह की गोली क साथ रचा की गोली की आवयका महसू स होी ह ै ै। और 4-5 साल क बाद इिसुलन ु करना डा ह ै ै। िदन -ब-ि दन इिसुलन की माा बढी जाी ह ै ै। और क ु छ ि दन म िदल का दौरा आा ह ै और मरीज को बायास िया की सलाह दी जाी ह ै ै। हर एक मधुमम ह क रोगी की कलीफ का यह म ििन ह ै ै। ो या यह मधु ममह का सही इलाज ह ै ै? ियद आको मधुमह का सही इलाज करना ह ै ै, ो ू री री द ु ि नया ु म आज आयुवेद क अलावा और कोई यय नह ह ै ै। आिधुनक ा क डॉ . यह भी बा ह िक एक बार मधुमह की कलीफ र बची ह ु ुई ूरी िज ं ं ु होन िज दगी दगी मधुम मह की दवाय लनी डी ह ै ै। र यह गल ह ै ै। म म र अनुभव भ व स कह सका ह ू ँ ू िक 5055 िप रोगी आयुिवेदक उचार स ठीक हो ह। आयु वेवदे म मधुमह क उचार का एक व ज ैस स ालन करना होा ह ै ै। मधुमह म रीर र का ाचन नह कर सका। इस ि िथ म अगर आ र खाना ब ं ंब द कर दग और जो र
अय दाथं स िमली ह ै ै उस भी इिसुलन लकर कर जला दग, ो आ कभी ठीक नह हो सक । हर एक मधुमम ह क रोगी को सुबह-ाम लगभग 1-1 चमच र का सवन करना आवयक स ह ै ै। सतयनारायण पसाद का िरा रोज पसाद ज ैसा सा खान मधुमह थोडा भी नह बढा िबक इस उचार स रचा की दवा की माा कम हो जाय गी। गी। या यह मधु ममह क िरोगय क ज ैसी ि लय चमतकार नह ह ै ै? ो सोचन सी बा ह ै ै िक आज इन अनोख उाय को छोडकर हम या कर रह ह और कह जा रह ह ? इसम एक और बा यान म रखनी िचाहय । बी ज ैस स क ं ं दमूल स बनी र व ग की र क गुणधम अलग अलग ह ै ै। म आसान रही ह ै ै। चासनी बनान क बाद या कची र चन चासनी म द ू ू ध या कोई आा डालकर बनाई गयी िमठाई ाचन को भारी बन जाी ह ै ै। लिकन एक क द ू ूध म एक चमच र स द ू ू ध व र दोन का ाचन अछी रह स होा डालकर ीन ह ै ै और रीर को लाभ होा ह ै ै। मधुमह क रोगी आलू (बाा ) और चावल खाना भी छोड द ह। यह भी िबक ुल रला क लोग, जह ठीक नह ह ै ै। कोकण या क रला क लोग का मु य य आहार चावल ह ै ै, एकदम ं ंद ु ु रह ह और बाकी िसजय की ु लना लना म आलू म कम दो हो ह। आयुवेव े द म कही भी मधुमह क िलय कर ल ल क रस का पयोग नह िदया गया ह ै ै। इस क िअधक सवन वन स नुंसका सका जदी आय गी गी , घुन खराब हो जायग और क ुछ ण ू रीर का ना हो समय म संूण जाय गा। गा।
सं म मधु ममह क िरोगय को 1-2 चमच कची ग की र (द ू ूध , ब, चाय िआद म डालकर) का सवन करना आवयक ह ै ै की मा बनी रह। र , ि मठाई, ािक रीर की र चान म भारी होन स, ि जसम र की चासनी बन जाी ह , चन मधुमह क िरोगय को ालना िचाहय । साथ म आयुिवेदक दवाय स 50-55 रोगी ठीक हो जा ह , बाकी लोग को ु करन क ुछ िरणाम ो जर िमलग। आयु वेवि दक े ाककला अब हम आयुिवेदक ाक कला क बार म द ख ख ह। घर क सब सदय क िलय रसोई ो एक ही बनी ह ै ै, र उसी घर क चार बच म एक मोा हो जाा ह ै ै, एक ला , एक ं ंद ु ु रहा ज ैसी ह ै ै, एक बीमार। ो सोचन सी बा ह ै ै िक ऐसा य होा ह ै ै? हर एक का रीर अलग अलग चीज वीकार करा ह ै ै। क ु छ भी र रीर वीकार कर ही लगा , इस पकार की चीज खान गलफहमी म रहना ठीक नह ह ै ै। उदा . - दवाओं क म र ऐसा म सिमझय िक ि मनरल या िवािमन का सवन करन रीर क ारा उनका वीकार िकया ही जाय गा। गा। र म क िलय लौह तव यु िगोलय हीमोिलोबन की माा बढान स कई बार द खा सवन करन खा जाा ह ै ै िक रीर म उषणा बढी लगाा ह ै ै, र ह ै ै, रीर होा ह ै ै, बवासीर स राव होन हीमोिलोबन नह बढा। क िलय हमारी र ं ं इस पकार की र ािनय ािनय स बचन ररा रा स चल आया ह ु ुआ आहार ा ही िउच ह ै ै। आयुवेव दे म आहार क छः रस बाय ह। और ऐसा भी बाया ह ै ै िक हमारा आहार स ूण होना िचाहय । यह छः रस इस पकार ह - मधुर
(मीठा ), ), अल (खा ), ), लवण (नमकीन ), ), क ), ि ु ु (ीखा ), (कडवा ) और काय (कसैला )। इन म मधुर रस सब रस का
राजा ह ै ै और कडव रस का सवन वन सबस कम पमाण म करना िचाहय । आज कल ाव-भाजी , भ ल-ुरी , ानी -ुरी री िआद चीज का जमाना ह ै ै। हम सोचना िचाहय िक या य दाथ खान खान स वीय, ाक और ओजस बन सक गा गा ? योय ििवध स बनाय मथी क लड ू , गद क लड ू ज ैस स दाथ िउच पमाण म खान स रीर म ाक बनी रही ह ै ै। आज कल की ीढी म अनी क िलय था मोाा स बचन क िलय र ि फगर ठीक रखन की नयी फ ैन का सवन ब ं ंबद करन न ह ै ै। ो सोचना होगा िक या यह सही ह ै ै? ार ं ं ारािरक ािरक आयुिवेदक ाककला एक िखासय ह ै ै। उदा . - घी का डका द समय जीरा और ल का डका द समय राई डाली जाी ह ै ै। इसक ीछ जर कोई कारण ह ै ै। एक बार यह सब यान म आय गा गा ो आयुवेद का ालन करना िकठन नह ह ै ै।