वर वान वर वान एक एक बह बह त ह आसान आसान वया वया हैहै। इनके अन सार वरोदय , नाक के नाक के छ से छ से ह कया ह कया जाने जाने ुसार वरोदय ु त ह वाला वास वाला वास हैहै, जो वाय जो वाय प म होता है होता है। वास ह वास ह जीव जीव का का ा ा हैहै और इसी और इसी वास वास को को वर वर कहा कहा जाता जाता ु के प म है। वर के वर के चलने क या क या को को उदय उदय होना होना मानकर मानकर वरोदय वरोदय कहा कहा गया गया हैहै तथा वान तथा वान , जसम क वया ु वया बताई गई बताई गई ह ह और और वषय वषय के के रहय को रहय को समझने समझने का यास का यास हो हो , उसे वान कहा वान कहा जाता जाता हैहै। वरोदय वान वरोदय वान एक आसान एक आसान ाल ाल हैहै, जसे येक वास वास ले लेने ने वाला जीव वाला जीव योग योग म म ला सकता ला सकता हैहै। वरोदय अपने वरोदय अपने आप म आप म प ण वान है वान है। इसके ान मा ान मा से से ह यत ह यत अने अनेक लाभ क लाभ से से लाभावत होने लाभावत होने ूण लगता है लगता है। इसका लाभ इसका लाभ ात ात करने करने के लए आपको लए आपको कोई कोई कठन कठन गत गत , साना , यं - जाप , उपवास या उपवास या कठन तपया कठन तपया क क आवयकता आवयकता नहं नहं होती है होती है। आपको के आपको केवल वास वल वास क क गछत गछत एवं एवं ठदशा क ठदशा क थछत थछत ात ात करने का अयास का अयास मा मा करना करना हैहै। यह वया यह वया इतनी इतनी सरल सरल हैहै क अगर क अगर थोड़ी थोड़ी लगन लगन एवं एवं आथा से आथा से इसका अधययन इसका अधययन या या अयास अयास कया कया जाए जाए तो तो जीवनपयणत इसके त इसके असंखय लाभ खय लाभ से से अभभ त ुह आ जा आ जा सकता सकता हैहै। ूत ह स य,ण चं और और स स ष ु ना वर ना वर ूयण ुष ===============
सवणथम हाथ थम हाथ वारा वारा नाक नाक के के छ से छ से बाहर छनकलती बाहर छनकलती ह ई वास को को महस महस स करने का यन का यन कजए। कजए। ूस करने ुह ई वास देिए क िए क कौन कौन से से छ से छ से वास बाहर वास बाहर छनकल छनकल रह रह हैहै। वरोदय वान वरोदय वान के के अन सार अगर वास वास दाठहने दाठहने ुसार अगर छ से छ से बाहर छनकल बाहर छनकल रह रह हैहै तो यह तो यह स स यण वर होगा। वर होगा। ूयण इसके वपरत यठद वपरत यठद वास वास बाए बाए छ से छ से छनकल रह छनकल रह हैहै तो यह तो यह चं चं वर वर होगा होगा एवं एवं यठद जब यठद जब दोन दोन छ छ से से छनवास छनकलता छनवास छनकलता महस महस स कर तो यह तो यह स स ष ु ना वर ना वर कहलाएगा। कहलाएगा। वास के वास के बाहर छनकलने बाहर छनकलने क उपरोत क उपरोत ूस कर ुष तीन याए तीन याए ह वरोदय ह वरोदय वान वान का का आार आार हह। स यण वर प वर प ष ान हैहै। इसका रं इसका रंग काला काला हैहै। यह शव यह शव वप वप हैहै, इसके वपरत चं वपरत चं वर वर ी ी ान ान हैहै ूयण ुष ान एवं इसका रं इसका रंग गोरा गोरा हैहै, यह शत यह शत अथाण अथाणत त ् पावण पावणती का ती का प प हैहै। इड़ा नाड़ी इड़ा नाड़ी शरर शरर के के बा तरफ बा तरफ थत थत हैहै तथा पंगला नाड़ी गला नाड़ी दाठहनी दाठहनी तरफ तरफ अथाण अथाणत त ् इड़ा नाड़ी इड़ा नाड़ी म म चं वर वर थत थत रहता रहता हैहै और पं और पंगला नाड़ी गला नाड़ी म म स यण वर। ूयण स ष ु ना मधय ना मधय म म थत है थत है, अत दोन ओर दोन ओर से से वास छनकले वास छनकले वह स वह स षना वर कहलाएगा। कहलाएगा। ुष ुषना वर वर को वर को पहचानने पहचानने क सरल क सरल वया वया ==================== त भाव से से मन एका मन एका करके करके (1) शांत भाव
बै जाए जाए। अपने दाए हाथ को हाथ को नाक नाक छ छ के के पास ले पास ले जाए। तजणनी नी अग ग ुल छ ल छ के के नीचे िरकर वास िरकर वास बाहर बाहर फ फ कए। ऐसा करने ऐसा करने पर आपको पर आपको कसी कसी एक एक छ छ से से वास का वास का अक पशण अक पशण होगा। जस तरफ जस तरफ के के छ से छ से वास छनकले वास छनकले, बस वह बस वह वर वर चल चल रहा रहा हैहै। एक छ से से अक एवं अक एवं द सरे छ से छ से कम वे कम वेग का ग का वास वास छनकलता छनकलता तीत तीत हो हो तो तो यह यह स स ष ुना के ना के साथ (2) एक छ ूसरे ुष म खय वर कहलाएगा। कहलाएगा। ुखय वर एक अय व व के के अन सार आईने को नासाछ को नासाछ के के नीचे िर। जस तरफ जस तरफ के के छ के छ के नीचे काच पर च पर (3) एक अय ुसार आईने वाप के वाप के क ठिदाई क ठिदाई दद, वह वर वह वर चाल चाल ू समझ।
जीवन म वर का चमकार ================
वर वान अपने आप म द ुछनया का महानतम योछतष वान है जसके संकेत कभी गलत नहं जाते। शरर क मानसक और शाररक याओं से लेकर दैवीय सपक और परवेशीय घटनाओं तक को भावत करने क मता िरने वाला वर वान द ुछनया के येक यत के जीवन के लए महवप ूण है। वर वान का सहारा लेकर आप जीवन को नई ठदशा ट डे सकते है. ठदय जीवन का छनमाण कर सकते ह, लौकक एवं पारलौकक याा को सफल बना सकते ह। यह नहं तो आप अपने सपकण म आने वाले येक यत और े क ाराओं तक को बदल सकने का सामयण पा जाते ह। अपनी नाक के दो छ होते ह। इनम से सामाय अवथा म एक ह छ से हवा का आवागमन होता रहता है। कभी दायां तो कभी बांया। जस समय वर बदलता है उस समय क ु सैकड के लए दोन नाक म हवा छनकलती तीत होती है। इसके अलावा कभी - कभी स ुष ु ना नाड़ी के चलते समय दोन नासक छ से हवा छनकलती है। दोन तरफ सांस छनकलने का समय योगय के लए योग मागण म वेश करने का समय होता है। बांयी तरफ सांस आवागमन का मतलब है आपके शरर क इड़ा नाड़ी म वाय ु वाह है। इसके वपरत दांयी नाड़ी पंगला है। दोन के मधय स ुष ु ना नाड़ी का वर वाह होता है। अपनी नाक से छनकलने वाल सास को पिरने मा से आप जीवन के कई काय को बेहतर बना सकते ह। सांस का संब ं छतथय और वार से जोड़कर इसे और अक आसान बना ठदया गया है। जस छतथ को जो सांस होना चाठहए , वह यठद होगा तो आपका ठदन अा जाएगा। इसके वपरत होने पर आपका ठदन बगड़ा ह रहेगा। इसलये सास पर धयान द और जीवन वकास क याा को गछत द। मंगल , शछन और रव का संबं स ूयण वर से है जबक शेष का संबं च वर से। आपके दांये नथ ुने से छनकलने वाल सांस पंगला है। इस वर को स ूयण वर कहा जाता है। यह गरम होती है। जबक बांयी ओर से छनकलने वाले वर को इड़ा नाड़ी का वर कहा जाता है। इसका संबं च से है और यह वर डा है। श ुल प :•
•
•
•
•
छतपदा , वतीया व त ृतीया बांया (उटा ) चत ुथ , पंचमी एवं ष -दांया (सीा ) सतमी , अटमी एवं नवमी बांया (उटा ) दशमी , एकादशी एवं वादशी दांया (सीा ) योदशी , चत ुदणशी एवं प ूणमा बांया (उटा ) –
–
क ृ प :•
•
•
•
•
छतपदा , वतीया व त ृतीया दांया (सीा ) चत ुथ , पंचमी एवं ष बांया (उटा ) सतमी , अटमी एवं नवमी दांया (सीा ) दशमी , एकादशी एवं वादशी बांया (उटा ) योदशी , चत ुदणशी , अमावाया --दांया (सीा )
सवेरे नींद से जगते ह नासका से वर िदे। जस छतथ को जो वर होना चाठहए , वह हो तो बतर पर उकर वर वाले नासका छ क तरफ के हाथ क हथेल का च ुबन ले ल और उसी ठदशा म म ु ंह पर हाथ फरा ल। यठद बांये वर का ठदन हो तो बतर से उतरते समय बांया पैर जमीन पर िरकर नीचे उतर , फर दायां पैर बांये से मला ल और इसके बाद द ुबारा बांया पैर आगे छनकल कर आगे ब ल। यठद दांये वर का ठदन हो और दांया वर ह छनकल रहा हो तो बतर पर उकर दांयी हथेल का च ुबन ले ल और फर बतर से जमीन पर पैर िरते समय पर पहले दांया पैर जमीन पर िर और आगे ब ल। यठद जस छतथ को वर हो , उसके वपरत नासका से वर छनकल रहा हो तो बतर से नीचे नहं उतर और जस छतथ का वर होना चाठहए उसके वपरत करवट लेट ल। इससे जो वर चाठहए , वह श ु हो जाएगा और उसके बाद ह बतर से नीचे उतर। नान , भोजन , शौच आठद के वत दाठहना वर िर। पानी , चाय , काफ आठद पेय पदाथण पीने, पेशाब करने, अे काम करने आठद म बांया वर होना चाठहए। जब शरर अयक गम महस ूस करे तब दाठहनी करवट लेट ल और बांया वर श ु कर द। इससे तकाल शरर ढक अन ुभव करेगा। जब शरर यादा शीतलता महस ूस करे तब बांयी करवट लेट ल, इससे दाठहना वर श ु हो जाएगा और शरर जद गम महस ूस करेगा। जस कसी यत से कोई काम हो , उसे अपने उस तरफ िर जस तरफ क नासका का वर छनकल रहा हो। इससे काम छनकलने म आसानी रहेगी। जब नाक से दोन वर छनकल, तब कसी भी अ बात का चतन न कर अयथा वह बगड़ जाएगी। इस समय याा न कर अयथा अछनट होगा। इस समय सफण भगवान का चतन ह कर। इस समय धयान कर तो धयान जद लगेगा। दायन श ु होने के ठदन ातकाल जगते ह यठद च वर हो तो प ूरे ह माह अे ग ुजरते ह। इसी कार उराय श ु होने के ठदन ात जगते ह स ूयण वर हो तो प ूरे ह माह बठया ग ुजरते ह। कहा गया है - कक चा , मकरे भान ु। रोजाना नान के बाद जब भी कपड़े पहन, पहले वर िदे और जस तरफ वर चल रहा हो उस तरफ से कपड़े पहनना श ु कर और साथ म यह मं बोलते जाएं - ॐ जीवं र। इससे द ुघणटनाओं का ितरा हमेशा के लए टल जाता है। आप घर म हो या आफस म, कोई आपसे मलने आए और आप चाहते ह क वह यादा समय आपके
पास नहं बैा रहे। ऎसे म जब भी सामने वाला यत आपके क म वेश करे उसी समय आप अपनी प ूर सास को बाहर छनकाल फ कय, इसके बाद वह यत जब आपके करब आकर हाथ मलाये, तब हाथ मलाते समय भी यह या गोपनीय प से दोहरा द। आप िदेगे क वह यत आपके पास यादा बै नहं पाएगा , कोई न कोई ऎसा कार उपथत हो जाएगा क उसे लौटना ह पड़ेगा। इसके वपरत आप कसी को अपने पास यादा देर बाना चाह तो क वेश तथा हाथ मलाने क याओं के वत सांस को अदर िींच ल। आपक इा होगी तभी वह यत लौट पाएगा। कई बार ऐसे अवसर आते ह, जब कायण अयंत आवयक होता है, लेकन वर वपरत चल रहा होता है। ऐसे समय म वर क तीा करने पर उम अवसर हाथ से छनकल सकता है, अत : वर परवतणन के वारा अपने अभीट क स के लए थान करना चाठहए या कायण ारंभ करना चाठहए। वर वान का सयक ान आपको सदैव अन । ुक ू ल पराम दान करवा सकता है कब कर कौन सा काम ============
ह को िदेे बना वर वान के ान से अनेक समयाओं, बााओं एवं श ुभ पराम का बो इन नाड़य से होने लगता है, जससे अश ुभ का छनराकर भी आसानी से कया जा सकता है।चंमा एवं स ूयण क रमय का भाव वर पर पड़ता है। चंमा का ग ु शीतल एवं स ूयण का उ है। शीतलता से थरता , गंभीरता , ववेक आठद ग ु उपन होते ह और उता से तेज, शौयण, चंचलता , उसाह , याशीलता , बल आठद ग ु पैदा होते ह। कसी भी काम का अंछतम पराम उसके आरंभ पर छनभणर करता है। शरर व मन क थछत , चं व स ूयण या अय ह एवं नाड़य को भलभांछत पहचान कर यठद काम श ह। ु कर तो पराम अन ुक ू ल छनकलते वर वैाछनक ने छनकषण छनकाला है क ववेकप ूण और थायी कायण चं वर म कए जाने चाठहए , जैसे ववाह , दान , मंठदर , जलाशय छनमाण, नया व ार करना , घर बनाना , आभ ूष िरदना , शांछत अन ुान कमण, यापार , बीज बोना , द ूर देश क याा , वयारंभ, मण, य , दा , मं , योग या आठद ऐसे कायण ह क जनम अक गंभीरता और ब ुप ूवणक कायण करने क आवयकता होती है। इसीलए चं वर के चलते इन काय का आरंभ श ुभ परामदायक होता है। उेजना , आवेश और जोश के साथ करने पर जो कायण क होते ह, उनम स ूयण वर उम कहा जाता है। दाठहने नथ ुने से वास क आ रह हो अथाणत स वाला होता है। ूयण वर चल रहा हो तो पराम अन ुक ू ल मलने दबाए मानसक वकार =============
क ु समय के लए दोन नाड़यां चलती ह अत : ाय : शरर सं अवथा म होता है। इस समय पारलौकक भावनाएं जाग ृत होती ह। संसार क ओर से वरत , उदासीनता और अच होने लगती है। इस समय म परमाथण चंतन , ईवर आराना आठद क जाए , तो सफलता ात हो सकती है। यह काल स ुष ु ना नाड़ी का होता है, इसम मानसक वकार दब जाते ह और आमक भाव का उदय होता है।
अय उपाय ========
यठद कसी ोी प ुष के पास जाना है तो जो वर नहं चल रहा है, उस पैर को आगे बाकर थान करना चाठहए तथा अचलत वर क ओर उस प ुष या मठहला को लेकर बातचीत करनी चाठहए। ऐसा करने से ोी यत के ो को आपका अवचलत वर का शांत भाग शांत बना देगा और मनोरथ क स होगी। ग ु, म , अकार , राजा , मंी आठद से वाम वर से ह वाताण करनी चाठहए। कई बार ऐसे अवसर भी आते ह, जब कायण अयंत आवयक होता है लेकन वर वपरत चल रहा होता है।ऐसे समय वर बदलने के यास करने चाठहए। वर को परवछतणत कर अपने अन के लए क ुक ुने से वास ू ल करने ु उपाय कर लेने चाठहए। जस नथ नहं आ रह हो , उससे द ूसरे नथ ुने को दबाकर पहले नथ ुने से वास छनकाल। इस तरह क ु ह देर म वर परवछतणत हो जाएगा। घी िाने से वाम वर और शहद िाने से द वर चलना ारंभ हो जाता है।