शाबर मं , जन लोक भाषा मे, जन क याण के लए नाथ यो गयो के वारा र चत है | जीवन मे आ रह! कठनाइय$ को दरू करने हे तु इस चम)कार! *व+ान के जनक नाथ योगी है |नाथ यो गय$ के वारा उनका तप बल इन मं ो मे समा.हत है और कलयुग मे ये मं तरु ं त 0भाव से लाभ भी दे ते है | म1 ु यता बीमा2रयो व जीवन क3 मल ू भत ू सम4याओ को दरू करने के शाबर मं
बहुतायत मे उपल6ध है | िजस 9कसी क3 भी दक ु ान लाख प2र;म के बाद भी नह!ं चल रह! हो उसके लए
<न=न ल>खत शाबर मं बहुत उपयोगी है | यह शाबर मं मेरे वारा अनेक$ बार 0योग मे लाया गया है और इसके प2रणाम 100 0<तशत 0ा@त भी हुए है | अत: आप सबके लाभाथA मै इसको आपके लए अपने इस 6लॉग मे 0का शत कर रहा हूँ | “भँवरवीर, तू चेला मेरा। खोल दक ु ान कहा कर मेरा। उठे जो ड#डी $बके जो माल, भँवरवीर सोखे न&हं जाए।।” व(ध- १॰ 9कसी शुभ र*ववार से उFत मG क3 १० माला 0<त.दन के <नयम से दस .दन$ मI १०० माला जप कर लI । केवल र*ववार के ह! .दन इस मG का 0योग 9कया जाता है । 0ातः 4नान करके दक ु ान पर जाएँ। एक हाथ मI थोड़े-से
काले उड़द ले लI । 9फर ११ बार मG पढ़कर, उन पर फूँक मारकर दक ु ान मI चार$ ओर Oबखेर दI । सोमवार को 0ातः उन उड़द$ को समेट कर 9कसी चौराहे पर, Oबना 9कसी के टोके, डाल आएँ। इस 0कार चार र*ववार तक लगातार, Oबना नागा 9कए, यह 0योग करI ।