सहासन हासन हल उठे ाजवश श ने भृकु कट टु तानी थी , बढ़ेढ़े भात म आई फ से नयी जवानी थी , गुमी मी ुहई आज़ाद क कमत सबने पहचानी थी , द फगी को कने क सबने मन म ठानी थी। चमक उठ सन सावन म, वह तलवा पुानी ानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। कानप के नाना क , मु ँहबोली हबोली बहन छबीली थी , लमीबाई नाम , पता क वह सतान तान अकेली ली थी , नाना के सँग ग पढ़ती थी वह , नाना के सँग ग खेली थी , बछ ढाल , कृपाण पाण , कटा उसक यह सहेली थी। वी शवाजी क गाथाय उसक याद ज़बानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। लमी थी या दगार ु थी वह ःवय वीता क अवता , देख ख माठे पुलकत लकत होते उसक तलवा के वा , नकली यु -यह ह क चना औ खेलना लना खब ब शका , सैय य घेना ना , द गर तोड़ना ये थे उसके ूय खलवा। ुगर महाा -कुल ल -देवी उसक भी आाय भवानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी सी वाली ानी थी।।
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भव के साथ सगाई झाँसी म, ुहई वीता क वैभव याह ुहआ ानी बन आई लमीबाई झाँसी म, ाजमहल म बजी बधाई खुशयाँ शयाँ छाई झाँसी म, चऽा ने अजुन न र को पाया , शव से मली भवानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। उदत ुहआ सभाय , मुदत दत महल म उजयाली छाई , क तु कालगत चुपके क पके-चुपके पके काली घटा घे लाई , ती चलाने वाले क म उसे चड़याँ ड़याँ कब भाई , ानी वधवा ुहई , हाय ! वध को भी नह दया आई। नसतान तान मे ाजाजी ानी शोक -समानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। बुझा झा दप झाँसी सी का तब डलहज़ी मन म हषाया , ाय हड़प कने का उसने यह अछा अवस पाया , फ़न फज भेज दगर डा फहाया , ु प अपना झडा लावास का वास बनक ॄटश ाय झाँसी आया। अौुप पणार ण ार ानी ने देखा झाँसी ुहई बानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। अनुनय नय वनय नह सुनती नती है वकट शासक क माया
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ाजाओ नवाब को भी उसने पै ुठकाया। ानी दासी बनी , बनी यह दासी अब महानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। छनी ाजधानी दली क , लखनऊ छना बात -बात , कैद द पेशवा था बठ ु म, ुहआ नागपु का भी घात , उदैपु , तज ज , सताा , कनाटक क कन बसात ? जबक सध ध, पजाब जाब ॄ प अभी ुहआ था वळ -नपात। बगाले गाले, िमास आद क भी तो वह कहानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। ानी ोयी नवास म, बेगम गम ग़म से थी बेज़ा ज़ा , उनके गहने कपड़े बकते थे कलके के बाज़ा , से आम नीलाम छापते थे अे ज़ ज़ े के अखबा , 'नागप के ज़ेव व ले लो लखनऊ के लो नलख हा '। य पदे क इज़त पदेशी के हाथ बकानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। कुटय टय म भी वषम वेदना , महल म आहत अपमान , वी सैनक नक के मन म था अपने पुख ख का अभमान , नाना धु धुध धपप त त पेशवा शवा जुटा टा हा था सब सामान
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बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी सी वाली ानी थी।। महल ने द आग , झपड़ ने वाला सुलगाई लगाई थी , यह ःवतऽता ऽता क चनगा अततम ततम से आई थी , झाँसी चेती ती , दली चेती ती , लखनऊ लपट छाई थी , मेठ ठ , कानप , पटना ने भा धम म मचाई थी , जबलप , कोहाप म भी कुछ छ हलचल उकसानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। इस ःवतऽता ऽता महाय म कई वीव आए काम , नाना धु धुध धपपत त , ताँतया , चतु अज़ीमुला ला सनाम , अहमदशाह मलवी , ठाकु कु ँ वस वसह ह सैनक नक अभाम , भात के इतहास गगन म अम हगे जनके नाम। लेकन आज जुमर मर कहलाती उनक जो कुबानी बानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। इनक गाथा छोड़ , चले हम झाँसी के मैदान दान म, जहाँ खड़ है लमीबाई मदर बनी मदारन न म, लेटनट ट वाक आ पहँ ु चा , आगे बड़ा जवान म, ानी ने तलवा खीच च ली , ुहया असमान म। ज़मी होक वाक भागा उसे अजब हैानी थी
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ानी बढ़ कालपी आई , क स मील नत पा , घोड़ा थक क गा भम म प गया ःवगर तकाल सधा , यमुना ना तट प अे ज़ े ने फ खाई ानी से हा , वजयी ानी आगे चल द , कया वालय प अधका। अे ज़ े के मऽ सधया धया ने छोड़ जधानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। वजय मली , प अे ज़ े क फ सेना ना घ आई थी , अबके जनल ःमथ समुख ख था , उसने मुहँहँ क खाई थी , काना औ मदा दा सखयाँ ानी के सग ग आई थी , यु ौेऽ ऽ म उन दोन ने भा मा मचाई थी। प पीछे ोज़ ोज़ आ गया , हाय ! घ अब ानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। तो भी ानी मा काट क चलती बनी सैय य के पा , कतु सामने नाला आया , था वह सकट कट वषम अपा , घोड़ा अड़ा , नया घोड़ा था , इतने म आ गये अवा , ानी एक , शऽु बहते ु े, होने लगे वा -प -वा। घायल होक ग सहनी हनी उसे वी गत पानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।।
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मला तेज से तेज ज , तेज ज क वह सची अधका थी , अभी उॆ कुल ल तेइस इस क थी , मनुज ज नह अवता थी , हमको जीवत कने आयी बन ःवतऽता ऽता -ना थी , दखा गई पथ , सखा गई हमको जो सीख सखानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।। जाओ ानी याद खगे गे ये कृत त भातवासी , यह तेा बलदान जगावेगा गा ःवतऽता ऽता अवनासी , होवे चुप प इतहास , लगे सचाई को चाहे फाँसी , हो मदमाती वजय , मटा दे गोल से चाहे झाँसी। तेा ःमाक त ह होगी , त खुद द अमट नशानी थी , बु बुदेदल े े हबोल के मु ँह ह हमने सुनी नी कहानी थी , खब ब लड़ मदारनी नी वह तो झाँसी वाली ानी थी।।
बा -बा आती है मुझको झको मधु याद बचपन ते। । गया ले गया त जीवन क सबसे मःत खुशी शी मे॥ ॥ चता ता -हत खेलना लना -खाना वह फना नभरय य ःवछद। कैसे से भला ला जा सकता है बचपन का अतुलत लत आनद द?
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कये दध ले मने ने चस स अँग गठा ठ ा सुधा धा पया। के कुले कलका कलोल मचाक सना ना घ आबाद कया॥ ोना औ मचल जाना भी या आनद द दखाते थे। बड़े-बड़े मोती -से आँस स जयमाला पहनाते थे॥ म ोई , माँ काम छोड़क आ , मुझको झको उठा लया। झाड़ -पछ क चम म- चम म क गीले गाल को सुखा खा दया॥ दादा ने चदा दा दखलाया नेऽ ऽ नी -युत त दमक उठे। धुली ली ुहई मुःकान ःकान देख ख क सबके चेहे चमक उठे॥ वह सुख ख का साॆाय छोड़क म मतवाली बड़ ुहई। लुट ट ुहई , कुछ छ ठगी ुहई -सी दड़ ा प खड़ ुहई॥ लाजभ आँख ख थी मे मन म उमँग ग ँगीली थी। तान सीली थी कान म चचल चल छैल ल छबीली थी॥ दल म
भन सी भी थी
दनया अलबेली ली थी।
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माना मने ने युवा वा -काल का जीवन खब ब नाला है। आकाा , पुषाथर षाथर, ान का उदय मोहनेवाला है॥ क तु यहाँ झझट क झट है भा यु - ेऽ ऽ ससा सा बना। चता ता के चक म पड़क जीवन भी है भा बना॥ आ जा बचपन ! एक बा फ दे दे अपनी नमरल ल शात। याकुल ल यथा मटानेवाली वाली वह अपनी ूाकृत त वौात॥ वह भोली -सी मधु सलता वह याा जीवन नंपाप। या आक फ मटा सकेगा गा त मेे मन का सताप ताप ? म बचपन को बुला ला ह थी बोल उठ बटया मे। । नदन दन वन -सी फ ल उठ यह छोट -सी कुटया टया मे॥ 'माँ
ओ ' कहक बुला ला ह थी मट खाक आयी थी। कुछ छ मु ँह ह म कुछ छ लये हाथ म मुझे झे खलाने लायी थी॥
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उसक मजु जल ल ु मतर तर देखक मुझ झ म नवजीवन आया॥ म भी उसके साथ खेलती खाती हँ, तुतलाती तलाती हँ। मलक उसके साथ ःवय म भी बची बन जाती हँ॥ जसे खोजती थी बस से अब जाक उसको पाया। भाग गया था मुझे झे छोड़क वह बचपन फ से आया॥
देव व! तुहाे हाे कई उपासक कई ढग ग से आते ह । सेवा वा म बहमु य भट ट वे कई ग ग क लाते ह ॥ ु य धमधाम मधाम से साजबाज से वे मद द म आते ह । मुामण ामण बहमु य वःतुऐऐ लाक तुह ह चढ़ाते ह ॥ ु य म ह हँ गबनी ऐसी जो कुछ छ साथ नह लायी। फ भी साहस क मद द म पजा जा कने चली आयी॥
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पजा जा औ पुजापा जापा ूभुव व ! इसी पुजान जान को समझो। दान -दणा औ नछाव इसी भखान को समझो॥ म उनम ूेम क यासी दय दखाने आयी हँ। जो कुछ छ है, वह यह पास है, इसे चढ़ाने आयी हँ॥ चण प अपरत त है, इसको चाहो तो ःवीका को। यह तो वःतु तुहा हा ह है ुठका दो या या को॥