आइये जाने शु ह का पु र ाण व यो तष शा
7/9/2014
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आइये जाने शु ह का पु राण व यो तष शा आइये जानेशु
ह का परु ाण व यो तष शा
आइये जाने शु
ह को—–
यो तष शा
म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
म मह व, भाव एवं उपाय—–
म मह व, भाव एवं उपाय—–
म नौ ह बताए गए ह। यह नौ ह हमारे भा य या क मत का नधारण करते ह। यह नौ ह ह सय गल, ू, चं, मं
बध और के त।ुव ान म इन ह के सं बध ंम अलग जानकार द गई है जब क यो तष म इ ह दे वताओं के ु, गु, शु, श न, राहु समान समझा जाता है । यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी (मोब.-09024390067) के अनस डल म ुा ी पं ुार हमार कं ु शुका वशे ष थान रहता है । इसके शभ ं । ु भाव सेयि त सद ुर और आकषक यि त व वाला होता है शु क उ पि त का पौरा णक व ृ तां त—– परु ाण के अनस मानस पुभग ऋ ष का ववाह जाप त द क क या या त से हु आ िजस से धाता , वधाता दो पु ुार मा जी के ृु व ी नाम क क या का ज म हु आ | भागवत परु ाण के अनस ऋ ष के क व नाम के पुभी हु ए जो काला तर म शुाचाय नाम ुार भग ृु से स हु ए| मत जीवनी व या एवम ह व क ृसं
ाि त—–
मह ष अं गरा के पुजीव तथा मह ष भग के पुक व समकाल न थे |य ोपवीत संकार के बाद दोन ऋ षय क सहम त से अं गरा ृु
ने दोन बालक क श ा का दा य व लया |क व मह ष अं गरा के पास ह रह कर अं गरानं दन जीव के साथ ह व या ययन करने लगा |आर भ म तो सब सामा य रहा पर बाद म अं गरा अपने पुजीव क श ा क ओर वशे ष यान दे ने लगे व क व क उपेा करने लगे |क व ने इस भे दभाव पण गरा से अ ययन बीच म ह छोड़ कर जाने क अनम ल और गौतम ू यवहार को जान कर अं ुत ले ऋ ष के पास पहु ं चे | गौतम ऋ ष ने क व क स पण महादे व क शरण म जाने का उपदे श दया |मह ष गौतम के ूकथा सन ुकर उसे उपदे शानस गोदावर के तट पर शव क क ठन आराधना क | तु त व आराधना सेस न हो कर महादे व ने क व को दे व ुार क व ने को भी दल जीवनी नामक व या दान क तथा कहा क िजस मत वह जी वत हो जाएगा ुइसका योग करोगे ुभ मत ृसं ृ यि त पर तम | साथ ह ह व दान करते हु ए भगवान शव ने कहा क आकाश म तुहारा ते ज सब न से अ धक होगा |तुहारे उ दत होने पर ह ववाह आ द शभ जायगे | अपनी व या से पिू जत होकर भग नं दन शुदै य के गुपद पर नयुत हु ए | िजन ुकाय आर भ कये ृु अं गरा ऋ ष ने उन के साथ उपेा पण के पौ जीव पुकच को सं जीवनी व या दे ने म शुने कं चत भी ू यवहार कया था उ ह ं सं कोच नह ंकया | क व को शु नाम कै सेमला —–
शुाचाय क व या भागव के नाम से स थे | इनको शुनाम कै से और कब मला इस वषय म वामन परु ाण म कहा गया है | दानवराज अं धकासरुऔर महादे व के म य घोर युचल रहा था | अ धक केमख नानी युम मारे गए पर भागव ने अपनी ु से सं जीवनी व या से उ ह पन ज भ आ द दै य फर से युकरने लगे | इस पर नं द आ द गण ुज वत कर दया | पन ुः जी वत हो कर कु
महादे व से कहने लगेक िजन दै य को हम मार गराते ह उ ह दै य गुसं जीवनी व या से पन ते ह , ऐसे म हमारे ुः जी वत कर दे बल पौ ष का या मह व है | यह सन व ने दै य गुको अपने मख नगल कर उदर थ कर लया | उदर म जा कर क व ुकर महादे ु से ने शं क र क तु त आर भ कर द िजस सेस न हो कर शव ने उन को बाहर नकलने क अनम द | भागव े ठ एक द य वष ुत दे तक महादे व के उदर म ह वचरते रहे पर कोई छोर न मलने पर पन त करने लगे | बार बार ाथना करने पर भगवान शं कर ुः शव तु ने हं स कर कहा क मे रे उदर म होने के कारण तम रे पुहो गए हो अतः मे रेश न से बाहर आ जाओ | आज से सम त चराचर ुमे जगत म तम नाम से ह जाने जाओगे | शु व पा कर भागव भगवान शं कर केश न से नकल आये और दै य से ना क और ुशुके थान कर गए | तब से क व शुाचाय के नाम से व यात हु ए | यो तष शा म शुका कारक भी शु ह को ह माना जाता है | शु का एका ी होना——http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/2012/11/19/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8…
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म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
यो तष शा म शुको नेका कारक कहा गया है | ज म कं डल म शु नबल ,अ त ,6-8-12 व भाव म पाप युत या ु जातक को नेदोष होता है |वामन परु ाण व क द परु ाण आ द म शुके नेदोष क कथा कह गयी है |
ट हो तो
एक बार दै यराज ब ल ने गुशुाचाय केनदशन म एक महान य का आयोजन कया | दे व इ छा से भगवान व णु वामन प म य म पधारे तथा ब ल से दान क कामना क | शुाचाय ने व णु को पहचान लया और ब ल को सावधान कया क वामन प म यह अ द त पु व णु है , इ ह दान का सं क प मत करना, तम भव न ट हो जाएगा | ब ल दानवीर थे | उनह ने ुारा सम त वै अपने गुके परामश पर यान नह ं दया | वामन प धार व णु ने तीन पग भू म मां ग ल िजसे दे ने का सं क प वरोचन कु मार ब ल जल से भरा कलश हाथ म ले कर करने लगे | पर कलश के मख जल क धारा नह ं नकल | भगवान व णु समझ गए क कु लगु ु से शुाचाय अपने श य का हत साधने केलए सूम प म कलश के मख ह |उ ह ने एक ु म ि थत हो कर बाधा उपि थत कर रहे तनका उठा कर कलश के मख शुका एक नेन ट हो गया और उस ने कलश को छोड दया |कलश से ु म दाल दया िजस से जलधारा बह नकल और ब ल ने तीन पग भू म दान का सं क प कर दया | अपने दो पग म ह स पण ू मा ड व लोक को माप कर तीसरा चरण ब ल क इ छानस म तक पर रख कर सं क प पण इस वकट दान सेस न हो कर ुार उसके ू कया |ब ल के भगवान व णु ने उ ह रसातल का रा य दान कया और अगले म व तर म इंपद दे ने क घोषणा क | परु ाण म शु का व प एवम कृ त —— म य परु ाण के अनस त है |गले म माला है |उनके चार हाथ म द ड, ा क माला ,पा व वर मुा है |शुक ुार शुका वण वे जल य कृ त है | क द परु ाण म शुको वषा लाने वाला ह कहा गया है | दै य का गुहोने के कारण इनक भोग वलास क कृ त है | यो तष शा
म शु का व प एवम कृ त——-
मख थ के अनस दर ,वात –कफ धान , अ ल य च वाला ,सख पु ट ु यो तष ं ुार शुसु ु म आस त , सौ य ि ट,वीय से ,रजोगु णी ,आराम पसं द, काले घघ ं के श वाला ,कामक वले रं ग का तथा जल त व पर अ धकार रखने वाला है |शुएक नम ुराले ु,सां ह ह तथा यो तष क गणनाओं केलए इ ह ी ह माना जाता है । शुमीन रा श म ि थत होकर सवा धक बलशाल हो जाते ह जो बहृ प त केवा म व म आने वाल एक जल रा श है । यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी ुा ी पं (मोब.-09024390067 ) के अनस । मीन रा श के अ त र त शुवष ुारमीन रा श म ि थत शुको उ च का शुभी कहा जाता है ृ तथा तल ह जो क इनक अपनी रा शयां ह। कं डल म शुका बल भाव कं डल धारक ुा रा श म ि थत होकर भी बलशाल हो जाते ु ु को शार रक प से सद ं ता है तथा उसक इस सद ं स मो हत होकर लोग उसक ओर ुर और आकषक बना दे ुरता और आकषण से खं चे चले आते ह तथा वशे ष प से वपर त लं ग के लोग। शुकेबल भाव वाले जातक शे ष सभी ह के जातक क अपेा अ धक सद ं ह। शुकेबल भाव वाल ं म हलाएं अ त आकषक होती ह तथा िजस थान पर भी ये जाती ह, पुष क लं बी ुर होते कतार इनके पीछे पड़ जाती है । शुके जातक आम तौर पर फै शन जगत, सने मा जगत तथा ऐसे ह अ य े म सफल होते ह िजनम सफलता पाने केलए शार रक सद ं । भारतीय वै दक यो तष म शुको मुय प से प त या ुरता को आव यक माना जाता है प नी अथवा म ेी या े मका का कारक माना जाता है । कं डल धारक केदल से अथात म ेसं बध ं से जु ड़ा कोई भी मामला दे खने के ु
लए कं डल म इस ह क ि थ त दे खना अ त आव यक हो जाता है । कं डल धारक के जीवन म प त या प नी का सख खने केलए ु दे ु ु भी कं डल म शुक ि थ त अव य दे खनी चा हए। शुको सद ं वी भी कहा जाता है और इसी कारण से सद ं ुरता क दे ुरता, ऐ वय ु तथा कला के साथ जु ड़े अ धकतर े के कारक शुह होते ह, जै से क फै शन जगत तथा इससे जु ड़े लोग, सने मा जगत तथा इससे जु ड़े लोग, रं गमं च तथा इससे जु ड़े लोग, च कार तथा च कार, न ृ य कला तथा नतक-नत कयां , इ तथा इससे सं बं धत यवसाय, डज़ाइनर कपड़ का यवसाय, होटल यवसाय तथा अ य ऐसेयवसाय जो सख वधा तथा ऐ वय से जु ड़े ह। ु-सु कब दगे श
दे व अपना भाव—-
यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी (मोब.-09024390067 ) के अनस पर ुा ी पं ुार कुडल म नौ ह अपना समय आने परू ा भाव दखाते ह। वै से अपनी दशा और अ तरदशा के समय तो येह अपनेभाव को पु ट करते ह ह ले कन 22 वष क उ से इन ह का वशे ष भाव दखाई दे ना शुहोता है । जातक क कुडल म उस दौरान भले ह कसी अ य ह क दशा चल रह हो http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/2012/11/19/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8…
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म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
ले कन उ के अनस ।25 से 28 वष – यह शुका काल है । इस काल म जातक म कामक ुार ह का भी अपना भाव जार रहता है ुता बढती है । शुच लत लोग केलए व णम काल होता है और गुऔर मं गल च लत लोग केलए क टकार । मं गल भावी लोग काम से पी डत होते ह और शुवाले लोग को अपनी वासनाएं बढाने का अवसर मलता है । इस दौरान जो लव मै रज होती है उसे टके रहने क सं भावना अ य काल क तल । शाद केलहाज से भी इसे उ तम काल माना जा सकता है । ुना म अ धक होती है शु का रथ एवम ग त —ी ग ड़ परु ाण के अनस य बल से युत,अनक चेशखर वाला ,तरकश व ऊँ ची पताका से युत है | ुार शु का रथ सै ुष,ऊँ वैा नक प रचय——शु प ृ वी का नकटतम ह, सय दस सबसे बड़ा ह है । शुपर कोई चुबक य ेनह ं है । ूसे ूरा और सौरम डल का छठवाँ इसका कोई उप ह भी नह ं है | यह आकाश म सबसे चमक ला पं ड है िजसे नं गी आँ ख से भी दे खा जा सकता है | शुभी बध ुक तरह एक आं त रक ह है , यह भी च मा क तरह कलायेद शत करता है । यह सय और सय ूक प र मा 224 दन म करता है ूसे इसका प र मा पथ 108200000 कलोमीटर ल बा है । शु ह यास 121036 कलोमीटर और इसक क ा लगभग व ृ ताकार है । यह अ य ह केवपर त द णावत ( Anticlockwise ) च ण करता है । ीक मथको के अनस ेऔर सद ं ुार शु ह म ुरता क दे वी है । 1962 म शु ह क या ा करने वाला पहला अं त र यान मै र नर 2 था। उसके बाद 20 सेयादा शु ह क या ा पर जा चु के ह; िजसमे पायो नयर, वीनस और सो वयत यान वे नरे ा 7 है जो क कसी दस वाला पहला यान था। ूरेह पर उतरने यो तष शा म शु——— यो तष शा म शुको शभ | ह मं डल म शुको मंी पद ा त है | यह वष | ु ह माना गया है ुा रा शय का वामी है ृऔर तल यह मीन रा श म उ च का तथा क या रा श म नीच का माना जाता है | तल श तक इसक मल |शुअपने ुा 20 अं ू कोण रा श भी है थान से सातव थान को पण दे खता है और इसक ि ट को शभ |जनम कं डल म शु स तम भाव का ू ि ट से ुकारक कहा गया है ु कारक होता है |शु क सय श त मैी और गु– मं गल से समता है | यह व ,मल ू-च से ुा , श न – बध ुसे ू कोण व उ च, म रा श –नवां श म ,शुवार म , रा श के म य म ,च के साथ रहने पर , व होने पर ,सय आगे रहने पर ,वग तम नवमां शम, ूके अपरा ह काल म ,ज मकं डल के तीसरे ,चौथे , छटे ( वैयनाथ छटे भाव म शुको न फल मानते ह ) व बारहव भाव म बलवान व ु शभ | यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी (मोब.-09024390067) के अनस ुकारक होता है ुा ी पं ुार शुक या रा श म ि थत होने पर बलह न हो जाते ह तथा इसके अ त र त कं डल म अपनी ि थ त वशे ष के कारण अथवा कसी बरु ेह केभाव म ु आकर भी शुबलह न हो जाते ह। शुपर बरु ेह का बल भाव जातक के वै वा हक जीवन अथवा म ेसं बध ं म सम याएं पै दा
कर सकता है । म हलाओं क कं डल म शुपर बरु ेह का बल भाव उनक जनन णाल को कमजोर कर सकता है तथा उनके ु ॠतुाव, गभाशय अथवा अं डाशय पर भी नकारा मक भाव डाल सकता है िजसके कारण उ ह सं तान पै दा करन म परे शा नयां आ सकतीं ह। शुशार रक सख भी कारक होते ह तथा सं भोग से ले कर हा दक म ेतक सब वषय को जानने केलए कं डल म शु ु के ु क ि थ त मह वपण । यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी (मोब.-09024390067) के अनस ूमानी जाती है ुा ी पं ुार शुका बल भाव जातक को र सक बना दे ता है तथा आम तौर पर ऐसे जातक अपनेम ेसं बध ं को ले कर सं वद ेनशील होते ह। शुके जातक सद ं म शे ष सभी कार के जातक से आगे होते ह। शर र के अं ग म शुजननां ग के ुरता और ए वय का भोग करने
कारक होते ह तथा म हलाओं के शर र म शु जनन णाल का त न ध व भी करते ह तथा म हलाओं क कं डल म शुपर कसी ु बरु ेह का बल भाव उनक जनन मता पर वपर त भाव डाल सकता है । कं डल धारक के जीवन म प त या प नी का सख ु ु दे खने केलए भी कं डल म शुक ि थ त अव य दे खनी चा हए। शुको सद ं वी भी कहा जाता है और इसी कारण से ुरता क दे ु सद ं साथ जु ड़े अ धकतर े के कारक शुह होते ह, जै से क फै शन जगत तथा इससे जु ड़े लोग, सने मा ुरता, ऐ वय तथा कला के
जगत तथा इससे जु ड़े लोग, रं गमं च तथा इससे जु ड़े लोग, च कार तथा च कार, न ृ य कला तथा नतक-नत कयां , इ तथा इससे सं बं धत यवसाय, डजाइनर कपड़ का यवसाय, होटल यवसाय तथा अ य ऐसेयवसाय जो सख वधा तथा ऐ वय से जु ड़े ह। ु-सु कारक व—स
यो तष ं थ के अनस ुार शु
ी ,,काम सख गीत-न ृ य , ववाह ु,भोग – वलास, वाहन,स दय ,का य रचना ,गीत –सं
,वशीकरण ,कोमलता,जल य थान ,अ भनय , वे त रं ग के सभी पदाथ ,चां द ,बसं त ऋतु ,शयनागार , ल लत कलाएं ,आ ने य दशा ,ल मी क उपासना ,वीय ,मनोरं जन ,ह रा ,सग | ुि धत पदाथ,अ ल य रस और व आभष ूण इ या द का कारक है
http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/2012/11/19/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8…
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रोग —– यो तषाचाय एवं वा तश ुा
म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
ी पं डत दयानं द शा
ी (मोब.-09024390067) के अनस डल म शु अ त ,नीच या श ु ुार ज म कं ु रा श का ,छटे -आठव -बारहव भाव म ि थत हो ,पाप ह से यत ते य रोग,वीय दोष से ु या ट, ष बल वह न हो तो नेरोग, गु होने वाले रोग , ो े ट ल स, मे ह,मू वकार ,सज त या र त दर ,पां डु इ या द रोग उ प न करता है | ुाक , कामा धता, वे कं डल म शुपर अशभ का वशे ष भाव जातक के भीतर शार रक वासनाओं को आव यकता से अ धक बढ़ा दे ता है िजसके ुराहु ु चलते जातक अपनी बहु त सी शार रक उजा तथा पै सा इन वासनाओं को परू ा करने म ह गं वा दे ता है िजसके कारण उसक से हत तथा
जनन मता पर बरु ा भाव पड़ सकता है तथा कु छे क मामल म तो जातक कसी गु त रोग से पी ड़त भी हो सकता है जो कं डल के ु दस हु ए जानले वा भी सा बत हो सकता है । ूरेह क ि थ त पर नभर करते फल दे ने का समय—शुअपना शभ २८ वष क आयु म ,अपने वार व होरा म ,बसं त ऋतु म,अपनी दशाओं व गोचर म दान करता है | ुाशभ ुफल २५ से त णाव था पर भी इस का अ धकार कहा गया है |
यो तषानस जाने वाले फ़ल——ुार बारह भाव म शु के वारा दये यो तषाचाय एवं वा तश ुा
ी पं डत दयानं द शा
कहे गये है वे इस कार से है :-
ी (मोब.-09024390067) के अनस ुार शुकेलयेयो तष शा
म जो फ़ल
थम भाव म शु— जातक के ज म के समय लगन म वराजमान शुको पहले भाव म शुक उपा ध द गयी है । पहले भाव म शुके होने से जातक सु दर होता है ,और शुजो क भौ तक सख ,जातक को सख ,शुदै य का राजा है इस लये जातक को भौ तक ु का दाता है ुी रखता है व तओ को दान करता है ,और जातक को शराब कबाब आ द से कोई परहे ज नह होता है ,जातक क च कला मक अ भ यि तय ुं म अ धक होती है ,वह सजाने और सं वरने वाले काम म द होता है ,जातक को राज काय के करने और राजकाय के अ दर कसी न कसी कार से शा मल होने म आन द आता है ,वह अपना हु कु म चलाने क कला को जानता है ,नाटक सने मा और ट वी मी डया के वारा अपनी ह बात को रखने के उपाय करता है ,अपनी उपभोग क मता के कारण और रोग पर ज द से वजय पाने के कारण
अ धक उ का होता है ,अपनी तरफ़ वरोधी आकषण होने के कारण अ धक कामी होता है ,और काम सख उसे कोई वशे ष ु केलये य न नह करने पडते ह। वतीय भाव म शु—
दस ,मख जातक कला मक बात करता है ,अपनी आं ख से वह कला मक अ भ यि त करने ु कहा गया है ु से ूरा भाव कालपुष का मख के अ दर मा हर होता है ,अपने चे हरे को सजा कर रखना उसक नीयत होती है , सु दर भोजन और पे य पदाथ क तरफ़ उसका झान होता है ,अपनी वाकपटु ता के कारण वह समाज और जान प हचान वालेेम य होता है ,सं सा रक व तओ और यि तय के त ुं अपनी समझने क कला से पण के कारण वह व वान भी माना जाता है ,अपनी जानप हचान का फ़ायदा ले ने के कारण वह ूहोने साहसी भी होता है ,ले कन अके ला फ़ं सने के समय वह अपने को न:सहाय भी पाता है ,खाने पीने म साफ़सफ़ाई रखने के कारण वह अ धक उ का भी होता है । तीसरे भाव म शु—
तीसरे भाव म शुके होने पर जातक को अपने को द शत करने का चाव बचपन से ह होता है ,कालपुष क कुडल के अनस ुार तीसरा भाव दस मा ट वी मी डया केवारा द शत करना भी होता ूर को अपनी कला या शर र केवारा कहानी नाटक और सने है ,तीसरे भाव के शुवाले जातक अ धकतर नाटकबाज होते है ,और कसी भी कार के संष ेण को आसानी सेय त कर सकते है ,वे फ़टाफ़ट बना कसी कारण के रोकर दखा सकते है , बना कसी कारण के हं स कर दखा सकते है , बना कसी कारण के गुसा भी कर
सकते है ,यह उनक ज म जात स त का उदाहरण माना जा सकता है । अ धकतर म हला जातक म तीसरे भाव का शुबडे भाई क प नी के प म दे खा जाता है ,तीसरे भाव के शुवाला जातक खू बशरू त जीवन साथी का प त या प नी होता है ,तीसरे भाव के शुवाले जातक को जीवन साथी बदलने म दे र नह लगती है , च कार करने के साथ वह अपने को भावक जाल म गं थता चला जाता ुता के ू http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/2012/11/19/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8…
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आइये जाने शु ह का पु र ाण व यो तष शा
म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
है ,और उसी भावक चलते वह अपने को अ दर ह अ दर जीवन साथी के त बरुभावना पै दा कर ले ता है ,अ सर जीवन क ुता के
अ भ यि तय को सा रत करते करते वह थक सा जाता है ,और इस शुके धारक जातक आल य क तरफ़ जाकर अपना क मती
समय बरबाद कर ले ते है ,तीसरे शुके कारण जातक के अ दर चतरु ाई क मा ा का भाव अ धक हो जाता है ,आल य के कारण जब वह कसी गं भीर सम या को सल म असमथ होता है ,तो वह अपनी चतरु ाई से उस सम या को दरूकरने क को शश करता है । ुझाने चौथे भाव म शु—
चौथे भाव का शुकालपुष क कुडल के अनस ,जातक के अ दर मान सक प से कामवासना ुार च मा क कक रा श म होता है क अ धकता होती है ,उसेयाल म के वल पुष को नार और नार को पुष का ह याल रहता है ,जातक आि तक भी होता है ,परोपकार भी होता है ,ले कन परोपकार के अ दर ी को पुष के त और पुष को ी के त आकषण का भाव दे खा जाता है ,जातक यवहार कु शल भी होता है ,और यवहार के अ दर भी शुका आकषण मुय होता है ,जातक का वभाव और भावनाय
अ धक मा ा म होती है ,वह अपने को समाज म वाहनो से युत सजे हु ये घर से युत और आभष युत दखाना चाहता ूण से है ,अ धकतर चौथे शुवाले जातक क रहने क यव था बहु त ह सजावट दे खी जाती है ,चौथे भाव के शुकेयि त को फ़ल और
सजावट खान का काम करने से अ छा फ़ायदा होता दे खा गया है ,पानी वाल जमीन म या रहने वालेथान के अ दर पानी क सजावट याय पानी वाले जहाज के काम आ द भी दे खे जाते है ,धनु या विृचक का शुअगर चौथे भाव म वराजमान होता है ,तो जातक को हवाई जहाज के अ दर और अं तर पं चम भाव म शु—
के अ दर भी सफ़ल होता दे खा गया है ।
पं चम भाव का शुक वता करने केलये अ धक युत माना जाता है ,च मा क रा श कक से दस के कारण जातक भावना ूरा होने को बहु त ह सजा सं वार कर कहता है ,उसके श द के अ दर शै र ो शायर क पट दे खा जाता है ,अपनी ुता का मह व अ धक प से भावना के चलते जातक पज अ धकतर दरूह रहता है ,उसे श ा से ले कर अपने जीवन के हर पहलू म के वल भौ तकता का ूा पाठ से मह व ह समझ म आता है , ह जो सामने है ,उसी पर व वास करना आता है ,आगेया होगा उसे इस बात का याल नह आता है ,वह कसी भी तरह पराशि त को एक ढकोसला समझता है ,और अ सर इस कार के लोग अपने को क यट खे ल और सजावट ूर वाले सामान केवारा धन कमाने क फ़राक म रहते है ,उनको भगवान से अ धक अपने कलाकार दमाग पर अ धक भरोशा होता
है ,अ धकतर इस कार के जातक अपनी उ क आ खर मं िजल पर कसी न कसी कारण अपना सब कु छ गं वाकर भखार क तरह का जीवन नकालते दे खे गये है ,उनक औलाद अ धक भौ तकता के कारण मान सकता और र त को के वल सं तिुट का कारण ह समझते है ,और समय के रहते ह वे अपना मह ं फ़े र ले ते ह। ु वाभा वकता से छठे भाव म शु—
छठा भाव कालपुष के अनस ,और क या रा श का भाव होने के कारण शुइस थान म नीच का माना ुार बध ुका घर माना जाता है जाता है ,अ धकतर छठे शुवाले जातक के जीवन साथी मोटे होते है ,और आराम तलब होने के कारण छठे शुवाल को अपने
जीवन साथी के सभी काम करने पडते है ,इस भाव के जातक के जीवन साथी कसी न कसी कार से दस लोग से अपनी शार रक ूरे काम सं तिुट को परू ा करने के च कर म के वल इसी लये रहते है , य क छठे शुवाले जातक के शर र म जननां ग स ब धी कोई न कोई बीमार हमे शा बनी रहती है , चढ चढापन और झ लाहट केभाव से वे घर या प रवार के अ दर एक कार सेले श का कारण भी बन जाते है ,शर र म शि त का वकास नह होने से वे पतले दब शर र के मा लक होते है ,यह सब उनक माता के कारण भी माना ुले जाता है ,अ धकतर छठे शुके जातक क माता सजने सं वरने और अपने को द शत करने के च कर म अपने जीवन के अं तम समय तक यासरत रहतीं है । पता के पास अनाप सनाप धन क आवक भी रहती है ,और छठे शुके जातक के एक मौसी क भी
जीवनी उसकेलये मह वपण ,माता के खानदान से कोई न कोई कलाकार होता है , या मी डया आ द म अपना काम कर रहा ूहोती है होता है । स तम भाव म शु—
स तम भाव म शुकालपुष क कुडल के अनस ,इस भाव म शुजीवन साथी के प म ुार अपनी ह रा श तल ुा म होता है अ धकतर मामल म तीन तीन म ेस ब ध दे ने का कारक होता है ,इस कार केम ेस ब ध उ क उ नीसवीं साल म,प चीसवीं
साल म और इक तीसवीं साल म शुकेवारा दान कये जाते है ,इस शुका भाव माता क तरफ़ से उपहार म मलता है ,माता के अ दर अ त कामक काव का प रणाम माना जाता है , पता क भी अ धकतर मामल म या तो शु ुता और भौ तक सख ु क तरफ़ झु वाले काम होते है ,अथवा पता क भी एक शाद या तो होकर छू ट गयी होती है ,या फ़र दो स ब ध लगातार आजीवन चला करते है ,स तम भाव का शुअपने भाव म होने के कारण म हला म
को ह अपने काय के अ दर भागीदार का भाव दे ता है । पुष को
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आइये जाने शु ह का पु र ाण व यो तष शा
म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
सु दर प नी का दायक शुप नी को अपने से नीचे वालेभाव म रखने केलये भी उ तरदायी माना जाता है ,इस भाव का शु उदारता वाल
कृ त भी रखता है ,अपने को लोक य भी बनाता है ,ले कन लोक य होने म नाम सह प म लया जाये यह आव यक नह है ,कारण यह शुकामवासना क अ धकता सेय भचार भी बना दे ता है ,और दमागी प से चं चल भी बनाता है , वला सता के कारण जातक अ धकतर मामल म कम ह न होकर अपने को उ टे सीधे काम मे लगा ले ते है । आठव भाव म शु—
आठव भाव का शुजातक को वदे श या ाय ज र करवाता है ,और अ सर पहले से माता या पता केवारा स प न कये गये जीवन साथी वाले र ते दर कनार कर दये जाते है ,और अपनी मज से अ य र ते बनाकर माता पता केलये एक नई मस शा के ुीबत हमे लये खडी कर द जाती है । जातक का वभाव तन के कारण माता केवारा जो श ा द जाती है वह समाज वरोधी ुक मजाज होने ह मानी जाती है ,माता के पं चम भाव म यह शुहोने के कारण माता को सय ता है ,और सय त होने के कारण ूका भाव दे ूशुक यु वह या तो राजनी त म चल जाती है ,और राजनी त म भी सबसे नीचे वाले काम करने को मलते है ,जै से साफ़ सफ़ाई करना
आ द,माता क माता यानी जातक क नानी केलये भी यह शुअपनी गाथा के अनस ,और उसे कसी न ुार वैवय दान करता है कसी कार से श का या अ य पि लक वाले काय भी दान करता है ,जातक को नानी क स पि त बचपन म ज र भोगने को मलती है ,ले कन बडे होने के बाद जातक मं गल के घर म शुके होने के बाद या तो मल
सजावट टे कनोलोजी यानी क
म जाता है ,या फ़र कसी कार क
यट कनोलोजी म अपना नाम कमाता है । लगातार पुष वग कामक ूर और अ य आई ट वाल टे ुता
क तरफ़ मन लगाने के कारण अ सर उसके अ दर जीवन र क त व क कमी हो जाती है ,और वह रोगी बन जाता है ,ले कन रोग के चलते यह शुजवानी के अ दर कये गये काम का फ़ल ज र भग केलये िज दा रखता है ,और कसी न कसी कार के असा य ुतने रोग जै से तपे दक या सां स क बीमार दे ता है ,और शि तह न बनाकर ब तर पर पडा रखता है । इस कार के पुष वग ि य पर अपना धन बरबाद करते है ,और ी वग आभष जन के साधन तथा महं गे आवास म अपना धन यय करती है । ूणो और मनोरं नव भाव का शु—
नव भाव का मा लक कालपुष के अनस ,और गुके घर म शुके बै ठ जाने से जातक केलये शुधन ल मी का ुार गुहोता है
कारक बन जाता है ,उसके पास बाप दादा के जमाने क स पि त उपभोग करने केलये होती है ,और शाद के बाद उसके पास और धन बढने लगता है ,जातक क माता को जननां ग स ब धी कोई न कोई बीमार होती है ,और पता को मोटापा यह शुउपहार म दान
करता है ,बाप आराम पसं द भी होता है ,बाप के रहते जातक केलये कसी कार क धन वाल कमी नह रहती है ,वह मनचाहे तर के से धन का उपभोग करता है ,इस कार के जातक का यान शुके कारण बडेप म ब कं ग या धन को धन से कमाने के साधन योग करने क द ता ई वर क तरफ़ से मलती है ,वह लगातार कसी न कसी कारण से अपने को धनवान बनाने केलये कोई कसर नह छोडता है । उसके बडे भाई क प नी या तो बहु त कं जू स होती है ,या फ़र धन को समे टने के कारण वह अपने प रवार से बलग होकर जातक का साथ छोड दे ती है ,छोटे भाई क प नी भी जातक के कहे अनस ,और वह हमे शा जातक केलये भा य बन कर ुार चलती है
रहती है ,नवां भाव भा य और धम का माना जाता है ,जातक केलये ल मी ह भगवान होती है ,और यो यता के कारण धन ह भा य होता है । जातक का यान धन के कारण उसक र ा करने केलये भगवान से लगा रहता है ,और वह के वल पज वल धन को ूा पाठ के कमाने केलये ह करता है । सख वाले जातक नव शुवाले ह दे खे गये है ,छोटे भाई क प नी का साथ होने के कारण ुी जीवन जीने छोटा भाई हमे शा साथ रहने और समय समय पर अपनी सहायता दे ने केलये त पर रहता है । दशम भाव का शु—-
दसम भाव का शुकालपुष क कुडल के अनस घर म वराजमान होता है , पता केलये यह शुमाता से शा सत बताया ुार श न के जाता है ,और माता केलये पता सह प से कसी भी काम के अ दर हां म हांमलाने वाला माना जाता है ।छोटा भी कु कम बन जाता है ,और बडा भाई आरामतलब बन जाता है । जातक के पास कतने ह काम करने को मलते है ,और बहु त सी आजी वकाय उसके आसपास होती है । अ सर दसव भाव का शुदो शा दयां करवाता है ,या तो एक जीवन साथी को भगवान के पास भे ज दे ता है ,अथवा
कसी न कसी कारण से अलगाव करवा दे ता है । जातक केलये एक ह काम अ सर परे शान करने वाला होता है , क कमाये हु ये धन
को वह श न वाले नीचे काम के अ दर ह यय करता है ,इस कार के जातक दस काय करने केलये साधन जु टाने का काम ूर केलये
करते है ,दसव भाव के शुवाले जातक म हलाओं केलये ह काम करने वाले माने जाते है ,और कसी न कसी कार से घर को सजाने वाले कलाकार के काम,कढाई कशीदाकार ,प थर को तरासने के काम आ द दसव भाव के शुके जातक के पास करने को मलते है ।
यारहव भाव का शु—-
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म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
यारहवां भाव सं चार के दे वता यरू े नस का माना जाता है ,आज के यग चार का बोलबाला भी है ,मी डया और इ टरने ट का काय ुम सं इसी शुक बदौलत फ़ल भत ,इस भाव का शुजातक को वजु अल साधन को दे ने म अपनी महारता को दखाता ूमाना जाता है है ,जातक फ़ म एनीमे शन काटू न बनाना काटू न फ़ म बनाना ट वी केलये काम करना,आ द केलये हमे शा उ सा हत दे खा जा
सकता है । जातक केपता क जु बान म धन होता है ,वह कसी न कसी कार से जु बान से धन कमाने का काम करता है ,जातक का छोटा भाई धन कमाने के अ दर
स होता है ,जातक क प नी अपने प रवार क तरफ़ दे खने वाल होती है ,और जातक क कमाई के
वारा अपने मायके का प रवार सं भालने के काम करती है । जातक का बडा भाई ी से शा सत होता है ,जातक के बडी ब हन होती है ,और वह भी अपने प त को शा सत करने म अपना गौरव समझती है । जातक को जमीनी काम करने का शौक होता है ,वह खे ती
वाल जमीन को स भालने और दध काम करने के अ दर अपने को उ सा हत पाता है ,जातक क माता का वभाव भी एक कार ूके से हठ ला माना जाता है ,वह धन क क मत को नह समझती है ,और माया नगर को राख के ढे र म बदलने केलये हमे शा उ सक ु रहती है ,ले कन पता के भा य से वह िजतना खच करती है ,उतना ह अ धक धन बढता चला जाता है । बारहव भाव म शु—
बारहव भाव के शुका थान कालपुष क कुडल के अनस के घर म माना जाता है ,राहु और शुदोनो मलकर या तो ुार राहु जातक को आजीवन हवा म उडाकर हवाई या ाय करवाया करते है ,या आराम दे ने के बाद सोचने क या करवाने के बाद शर र को फ़ु लाते रहते है ,जातक का मोटा होना इस भाव के शुक दे न है ,जातक का जीवन साथी सभी जातक क िज मे दा रयां सं भालने का काय करता है ,और अपने को लगातार कसी न कसी कार क बीमा रय का ास बनाता चला जाता है ,जातक का पता या तो प रवार म बडा भाई होता है ,और वह जातक क माता के भा य से धनवान होता है , पता का धन जातक को मुत म भोगने को
मलता है ,उ क बयाल सवीं साल तक जातक को मान सक सं तिुट नह मलती है ,चाहे उसके पास कतने ह साधन ह ,वह कसी न
कसी कार से अपने को अभाव त ह मानता रहता है ,और नई नई क म लगाकर बयाल स साल क उ तक िजतना भी यास कमाने के करता है ,उतना ह वह पता का धन बरबाद करता है ,ले कन माता के भा य से वह धन कसी न कसी कारण से बढता चला जाता है । उ क तीसर सीढ पर वह धन कमाना चालू करता है ,और फ़र लगातार मरते दम तक कमाने से हार नह मानता है ।
जातक का बडा भाई अपने जु बान से धन कमाने का मा लक होता है ,ले कन भाभी का भाव प रवार क मयादा को तोडने म ह रहता है ,वह अपने को धन का द ु मन समझती है ,और कसी न कसी कार से पा रवा रक म हलाओं से अपनी तू तू म म करती ह मलती है ,उसे बाहर जाने और वदे श क या ाय करने का शौक होता है ,भाभी का जीवन अपनी कमजो रय के कारण या तो अ पताल म बीतता है ,या फ़र उसके सं ब ध कसी न कसी कार से यौन स ब धी बीमा रय के त समाज म काय करने के त मलते है ,वह
अपने डा टर या म हलाओं को जनन के समय सहायता दे ने वाल होती है । आप अ य जानका रय केलये मझ ईमे ल कर सकते ह ुे शु का रा श फल—— ज म कं डल म शु का मे षा द रा शय म ि थत होने का फल इस कार है :ु मे ष म –शुहो तो जातक रा म अ प ि ट वाला , वरोध म त पर , अशां त ,ई यालु ,वे यागामी ,अ व वासी ,चोर,नीच कृ त का व ी के कारण बं धन म जाने वाला होता है | वष षक ,गं ध –मा य-व ृ म शु हो तो जातक कृ व याओं का
युत ,दाता,अपने ब धु ओं क पालना करने वाला, सु दर, धनी, अने क
ाता ,सबका हत करने वाला ,गु णवान व परोपकार होता है |
मथु न म शु हो तो जातक व ान –कला शा
का
ाता ,चतरु ता से बोलने वाला,कृ त ,
स ,सु दर कामी ,ले खक, क व , म ेी,
स जन ,गीत-सं गीत से धन ा त करने वाला ,दे व – ा मण भ त व ि थर मैी रखने वाला होता है |
कक म शु हो तो जातक र तधमरत , पं डत, बल ,मद वाला ,सु दर ,डरपोक , अ धक ु व धन ा त करने ृ,ुधान, इि छत सख ीसं ग व म यपान से रोग पी ड़त होने वाला ,अपने कसी वं श दोष के कारण दख | ुी होता है
सं ह म शु हो तो जातक
ी से वी ,अ प पुवाला,सख द से युत ,ब धुम ेी ,परोपकार , अ धक चं ताओं से र हत, गु ु –धन-आनं
– वज –आचाय क स म त मानने वाला होता है |
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म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
क या म शु हो तो जातक अ प चं ता वाला ,मद शल, ु, परोपकार , कलाकु ृ,ुनपण पं डत होता है |
ी से बहु त मीठा बोलने वाला ,तीथ व सभा म
तल शु हो तो जातक प र म से धन पै दा करने वाला ,शरू ,पु प –सग ध –व म ेी, वदे श म त पर ,अपनी र ा करने म नपण ुा मे ुं ु ,काय म चपल, धनी,पु यवान,शोभनीय , सौभा यवान , दे व व वज क अचना से क तवान होता है | विृचक म शु हो तो जातक व वे षी ,नश ं,अधम ,बकवास करने वाला ,शठ, भाइय से वर त , अ शं सनीय ,पापी , हं सक ृस ,द र ,नीचता म त पर,गु तां ग रोगी व श न | ुाशक होता है
धनु म शु हो तो जातक उ तम धम-कम-धन से युत ,जगत होता है |
य ,सु दर, े ठ, कु ल म धनी , व वान ,मंी, ऊँ चा शर र ,चतरु
मकर म शुहो तो जातक यय के भय से सं त त ,दब ह ,उ म बड़ी ी म आस त , दय रोगी ,धन का लोभी ,लोभ वश अस य ुल दे बोल कर ठगने वाला , नपण के धन क इ छु क ,दख श सहन करने वाला होता है | ु, ल व,दस ू, ले ूरे ुी ,मढ़ कुभ म शुहो तो जातक उ वे ग रोग त त , वफल कम म सं ल न ,पर भोग –व ाभष र हत ,व म लन होता है | ूण से
ीगामी , वधम ,गुव पु से वै र करने वाला , नान –
मीन म शु हो तो जातक द ,दानी,गु णवान,महाधनी ,श ओ को नीचा दखाने वाला,लोक म व यात , े ठ , व श ट काय करने ुं वाला ,राजा को य ,वा मी व बुमान ,स जन से स मान पाने वाला ,वचन का धनी ,वं शधर व ानवान होता है | (शुपर कसी अ य ह क यु त या ि ट केभाव से उपरो त रा श फल म प रवतन भी सं भव है |) शु का सामा य दशा फल—— ज म कं डल म शु व , म ,उ च रा श -नवां श का ,शभ ुभावा धप त ,ष बल ,शभ ुयुत - ट हो तो शु क शभ ुदशा म सख ु ु
साधन म व ृ ,वाहन सख पशओ क व ृ ,सरकार से स मान ,गीत –सं गीत व ु ,धन ऐ वय , ववाह , ी सख ु , व या लाभ ,पालतू ुं अ य ल लत कलाओं म च ,घर म उ सव ,न ट रा य या धन का लाभ , म –ब धु बां धव से समागम ,घर म ल मी क कृ पा
,आ धप य ,उ साह व ृ ,यश –क त , ं ग जन म आकषण ,क या सि त त क ृार म च ,नाटक –का य र सक सा ह य व मनोरं सं भावना होतीहै | चां द ,चीनी,चावल ,दध बने पदाथ,व ,सग साधन ,आभष ुि धत य ,वाहन सख ु भोग के ूण ,फसी ूव दध ू से आइट स इ या द के ेम लाभ होता है |सरकार नौकर म पदो न त होती है | के हु ए काय पण ह | िजस भाव का वामी ूहो जाते शुहोता है उस भाव से वचा रत काय व पदाथ म सफलता व लाभ होता है |
यो तषाचाय एवं वा तश डत दयानं द शा ी (मोब.-09024390067) के अनस रा श नवां श का ुा ी पं ुार य द शुअ त ,नीच श ु ,ष बल वह न ,अशभ ुभावा धप त पाप युत ट हो तो शुक अशभ ुदशा म ववाह व दा प य सख ु म बाधा ,धन क हा न ,घर म
चोर का भय ,गु तां ग म रोग, वजन सेवे ष , यवसाय म बाधा ,पशु धन क हा न , सने मा –अ ल ल सा ह य अथवा काम वासना क ओर यान लगे रहने के कुभाव से श ा पदाथ म असफलता व हा न होती है |
ाि त म बाधा होती है | िजस भाव का वामी शुहोता है उस भाव से वचा रत काय व
गोचर म शु का भाव —– ज म या नाम रा श से 1,2,3,4,5,8,9,11,12 व थान पर शु शभ ता है |शे ष थान पर शुका मण अशभ ुफल दे ुकारक होता है | ज मकाल न च कराता है |
सेथम थान पर शुका गोचर सख ु व धन का लाभ, श ा म सफलता , ववाह,आमोद- मोद , यापार म व ृ
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दस गोचर से नवीन व ूरेथान पर शुके है |
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ाभष गीत म ूण ,गीत सं
च ,प रवार स हत मनोरं जन ,धनालाभ व रा य से सख ु मलता
तीसरेथान पर शुका गोचर म लाभ ,श ु क पराजय ,साहस व ृ ,शभ सख ुसमाचार ाि त ,भा य व ृ ,बहन व भाई के ुम वृ व रा य से सहयोग दलाता है | चौथेथान पर शुकेगोचर से कसी मनोकामना क पू त ,धन लाभ ,वाहन लाभ ,आवास सख समागम ,जन ु ,स बि धय से सं पक म व ृ व मान सक बल म व ृ होती है | पां चव थान पर शुकेगोचर से सं तान सख ु ,पर
ा म सफलता ,मनोरं जन , म ेी या े मका से मलन ,स ा लाटर से लाभ होता है
| टेथान पर शुके गोचर से श ु व ृ ,रोग भय ,दघ ुटना , सातव थान पर शुकेगोचर से जननि है |
ी से झगडा या उसे क ट होता है |
य स ब धी रोग ,या ा म क ट ,
ी कोक ट या उस से ववाद ,आजी वका म बाधा होती
आठव थान पर शुके गोचर से क ट क नव त ,धन लाभ व सख | ु म व ृ होती है नव थान पर शु केगोचर रा य कृ पा,धा मक थल क या ा ,घर म मां ग लक उ सव ,भा य व ृ होती है | दसव थान पर शुकेगोचर से मान सक चं ता ,कलह,नौकर यवसाय म व न ,काय म असफलता ,रा य से परे शानी होती है | यारहव थान पर शुके गोचर से धन ऐ वय क व ृ,काय म सफलता, म
का सहयोग मलता है |
बारहव थान पर शुकेगोचर से अथ लाभ, भोग वलास का सख श या ा ,मनोरं जन का सख | ु, वदे ु ा त होता है ( गोचर म शुके उ च , व म ,श ु नीच आ द रा शय म ि थत होने पर , अ य ह से यु त , ि ट केभाव से , अ टकवग फल से या वे ध थान पर शभ पर उपरो त गोचर फल म प रवतन सं भव है |) ुाशभ ु ह होने अशभ ुशु गह ृक शाि त केउपाय—— ——-ज मप का अथवा गोचर के शुके अशभ ु भाव समा त कर उनको शभ ु भाव म बदलन केलए यो तषाचाय एवं वा तश ुा
ी पं डत दयानं द शा
ी (मोब.-09024390067) के अनस छ ऐसे उपाय िजनको करने से आप नि चत ह ुार कु
लाभाि वत ह गे । कोई भी उपाय शुल प केथम शुवार से आर भ कर———-सदै व व छ व पहन तथा इ का योग कर। —— ी वग का सदै व स मान कर।
——-शुस बि धत कसी भी व तु को मुत म ना ल।
——भोजन से पहले गाय केलए भोजन का कु छ ह सा नकाल। ——-कभी भी फटे या जल कपड़े नह ं पहनने चा हए। ——-शुवार को सह साथ इ ुा गन म हला को सह ुाग साम ी के शु केउपाय करने से वै वा हक सख ुक
का दान करे ।
ाि त क सं भावनाएं बनती है . वाहन से जु डे मामल म भी यह उपाय लाभकार रहते
है . ह म शुको ववाह व वाहन का कारक ह कहा गया है .इसके साथ साथ वाहन दघ बचने केलये भी ये उपाय कये जा ुटना से सकते है ——
—ज मकाल न शु नबल होने के कारण अशभ ने वाला हो तो न न ल खत उपाय करने से बलवान हो कर शभ ुफल दे ुफल दायक हो http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/2012/11/19/%E0%A4%86%E0%A4%87%E0%A4%AF%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8…
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म मह व, भाव एवं उपाय—– | " वनायक वा तु टाई स"
जाता है |
—–र न धारण – वे त रं ग का ह रा लै टनम या चां द क अं गू ठ म पव नी ,पव म जड़वा कर शुवार को ूफा गु ूाषाढ़ व भरणी न सय बाद पुष दाय हाथ क तथा ी बाएं हाथ क म यमा अं गु ल म धारण कर | धारण करने से पहले “ॐ ां ं सः ूदय के शुाय नमः” म के 108 उ चारण से इस म ह त ठा करके धू प,द प , वे त पु प, अ त आ द से पज ून कर ल ——ह रे क साम य न हो तो उपर न वे त जरकन भी धारण कर सकते ह| ——-दान त ,जाप – शुवार के नमक र हत त रख , साथ म “ॐ ां ं सः शुाय नमः” इस म जाप कर |
का 16000 क संया म
——- शुवार को आटा ,चावल दध त च दन ,इ , वे त रं ग का व ,चां द इ या द का दान कर | ू,दह , म ी , वे ——शुक दान दे ने वाल व तओ म घी व चावल का दान कया जाता है . इसके अ त र त शु यो क भोग- वलास के कारक ह ुं है . इस लये सख का भी दान कया जा सकता है . बनाव - ं गार क व तओ का दान भी इसके अ तगत कया जा ु- आराम क व तओ ुं ुं सकता है ….दान
या म दान करने वालेयि त म
ा व व वास होना आव यक है . तथा यह दान यि त को अपने हाथ से करना
चा हए. दान से पहले अपने बड का आ शवाद ले ना उपाय क शभ म सहयोग करता है . ुता को बढाने ——— ह क व तओ सेनान करना उपाय के अ तगत आता है . शुका नान उपाय करते समय जल म बडी इलायची डालकर ुं उबाल कर इस जल को नान के पानी म मलाया जाता है . इसके बाद इस पानी सेनान कया जाता है . नान करने से व तु का भाव यि त पर
य
प से पडता है . तथा शुके दोष का नवारण होता है . यह उपाय करते समय यि त को अपनी शुता का
यान रखना चा हए. तथा उपाय करने क अव ध के दौरान शुदे व का यान करने से उपाय क शभ . इसके दौरान ्होती है ुता म व ृ शुमंका जाप करने से भी शुके उपाय के फल को सहयोग ा त होता है ——शु केइस उपाय म न न लोक का पाठ कया जाता है —“ऊँ जय ती मं गला काल भ काल दग ुा मा शवा धा ी वाहा वधा “ शुके अशभ ुगोचर क अव ध या फर शुक दशा म इस लोक का पाठ
त दन या फर शुवार केदन करने पर इस समय के
अशभ क सं भावना बनती है . मह ं अशुहोने पर मंका जाप नह ं करना चा हए. ऎसा करने पर वपर त फल ुफल म कमी होने ुके ा त हो सकते है . वै वा हक जीवन क परे शा नय को दरूकरने केलये इस लोक का जाप करना लाभकार रहता है वाहन दघ ुटना से बचाव करने केलये यह मंलाभकार रहता है .
ी गह ,मनु य क कामक इसका सीधा स ब ध भी है ,और हर कार के स दय और ऐ वय से ये सीधे स ब ध ुता से ृहै रखता है .शुकेलए ओपल ,ह रा , फ टक का योग करना च हये और य द ये बहु त ह खराब है तो पुष को अि वनी मुा या या रोज करनी च हये .”ओम र म दम शुको अ छा करने केलए . ूदग ुाय नमः” इसक एक माला रोज करनी च हये ———-शु
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