आरती भारत माता आरती भारत माता की की , जगत की भािवधाता की भािवधाता की॥ की॥ मुकटसम ु वमवगिरर वमवगिरर सोे सोे, चरण को को राकर धोए राकर धोए , देिता िता कण कण - कण म म छाये छाये ि ेद के के छंद द, ान ान के के कंद द, करे आनंद, सामल ऋवजननी ऋवजननी की की ॥1॥ जगत की की ........... ........... जगत से से य य लगती लगती ारी ारी , बनी ै ै इसकी इसकी छिव छिव ारी ारी , वक दु वक दुवनया वनया झू झू म उठे उठे सारी सारी , देखकर खकर झलक झलक , झ ै पलक पलक , बढ़ी ै ै ललक ललक , ु की ै कृपा पा बरसे बरसे जा जा दाता दाता की की ॥2॥ जगत की की ........... ........... पले जा जा रघु रघुकु कल ल भू ु भूण राम राम , बजाये बं बंसी जा जा घनाम घनाम , जा पग पग - पग पर पर तीरथ धाम तीरथ धाम , अनेको पं पंथ, सों सं संत, िविवध सं सं थ थ सगुण ण - साकार जगा जगाकी की ॥3॥ जगत की की ........... ........... गोद गं गंगा - जमुना लरे लरे, भिगा फर फर - फर फरे फरे, वतरंगा गा लर लर - लर लरे लरे, लगे िघा िघा बहत बहत गरे गरे, हए ख ख , कर कर गेगे अख , य कर कर च च िसमगल गं ल -ि ल मा मा की की ॥4।। ।। जगत जगत की की ........... ........... बढ़ाया सं संतों ने ने सान सान , वकया ि ीरों ि ीरों ने ने िजीनदान िजीनदान , वंद ु म म वनवत वनवत ै ै ाण ाण , चलग साथ े साथ , ाथ म म ाथ ाथ , उठाकर माथ माथ , शपथ गीता गीता - गौमाता की की ॥5॥ जगत की की ........... ........... भारत माता माता की की जय जय ....ि ि ेे मातरम मातरम ! !