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तो वतयमन म त ु ह जगन है; अतीत े त ु ह छ ु टकर िलन है; भव के पन को अवध करन है। इन तीन कम के लए ग ु र क र चेट करत है। त ु ह जगत , र परएा भी खड़ी करत है क त ुम जगे नहा। क त ुहर नीाि इतनी गहर है क कई बर त ह पन िेख लेत े हो क जग गए। त त , पने म ुम नीाि म ु ह ऐे पने ि हगे जनम ुमने नीाि म मझ ल क जग गए। जगे, वह भी झ ुबह उठकर पत चल क पन तो झ ूठ थ ह ; पने म ूठ थ। बह ु त डर है इ बत क क जगने क बत ुन— ुन कर कहा त ुम जगने क पन न िेखने लगो! वह थथय नहा होग। इलए अटव जनक क ख न पड़ ूब क कर कौट करने लगते ह । म ुझे भी िेखन पड़त है क कहा त ुम की नए पने म जओ! कहा अम क पन न िेखने लगो! पने ब पने ह —ार के ह क अम के। पने े म ुत हो जन है —तो अम। और त पकड़ जती ह । क ज —ज बत े अहाकर क त ु ह जि बत ृत हो , वह तण पकड़ जती है। जैे की ने कह क त तो कोई अड ुम तो मसवप हो —पकड़ी! क इम ूचन होती नहा। इलए तो इतने करोड़ लोग इ बत को मन लेते ह क हम मसवप ह । इको पकड़ने म ि ेर नहा लगती। पपी े पपी िआमी भी जब ुनत है िउघोष उपनिष क , अटव क —ाह गजयन —क त ुम परमेवर हो , तो वह भी ोचत है क बलक ु ल ठक है, ह तो हम पहले े जनते थे। कहते नहा थे क कोई मनेग नहा , लेकन जनते तो हम पहले े थे ह। पप इि तो ब पन है! हलाक त ुम कए जते हो पप। अब त ुम एक नई तरकब खोज लेत े हो क ह तो ब म है। चोर त ुम कए चले जते हो , बेईमनी त ा क बत ुम कए चले जते हो —अब त ुम कहते हो , ह ब म है। त ुम अर पओगे, जहा इ तरह के श ुध िवेत होती ह , वह त ुम महपपो को बैठे िेखोगे और न पओगे! वहा उनको नत मलती है, और कहा तो मल नहा कती। और तो जहा भी वे जते ह , कोई कहत है , ह लैकमक ट करने वल ज रह है, कोई कहत , ह चोर है, कोई कहत , ह बेईमन है, ह महपपी है। वह जहा श ुध अम बह रह है, वहा उनको थोड़ी शात मलती है। वहा उनको लगत है क बलक ु ल ठक बत हो रह है। पप इि ब झ ूठे ह ! त ुम ध ु—ातो के प पप को इकठ िेखोगे। उनके वचन उनके अहाकर को बड़ी त ृत िेत े ह चलो , कोई तो जगह है जहा हम ु लत हो कर बैठ कते ह क कोई पप इि नहा है, ह ब म है। न क ु छ क , न क ु छ क ज कत है। कतय हम ह ह नहा, न हम भोत ह —हम तो ी ह ! तो ग ु को िेखन पड़त है क कहा ह ी क धरण त ुहरे लए आमघती तो न हो जएगी। जि े ह घोषण हो जती है। अभी जनक और अटव क बत ुन कर अनेक लोग ने म ुझे प लख िए क ‘ आपने ख ूब जग ि! और हमको न हो ग!’ एक म ने लख क अब तो म जग कर ज रह ूह ा क म सवा परमम ू ाह । वे गए भी! वे प लख कर गए , वे चले ह गए प लख कर! पर िेने तक क मौक उहने नहा ि। वे तो य घोषण करके गए! ‘सवभव ’ ने
प लख ि क जग ग! धवि भ म भगवन ू ह ा। ‘ न इतन क , वे र घ ‘म ु क आपने बत ि क ुट लए उी जोश म म ने लमी को कह , त ! लमी म ुझे कहने लगी क ऊष आ कर रोती है (उनक पनी)। ू ऊष को कह , त ू बलक ुटने े होत है, िेख चोट बच ल है! उी ु ल न कर। ऐे कहा कोई … ऐे कहा सवभव जगने वले नहा। र घ म ब बच ग! चोट बचई सवभव ने? हाि ू चोट तो बचएग ह! म ने उनक पनी को खबर भेज ि क त म ह न कह ू बलक ू मत कर। ु ल घबड़ मत , ऊष। जब तक ू ा े जग गे, तब तक त ऐे तो े कई करवट म ने उनके न क ि नहा थ , म ने. क जर त लगे और र —र ो जएागे। उर ुम ुन लो पहले अटव क तरह जनक क पर करते ह , र त गे। अब अटव क पर चल रह है जनक के लए। वह ुहर उर िे ि ब ोचन , गौर े ोचन। मन बड़ बेईमन है! मन बड़ क ! ि ूर को धोख िेत ह िेत , अपने को भी िे लेत है। जगोगे नचत! जगन ु शल है धोख िेने म है! जगरण त ुहर सवभव है, त ुहरे भीतर पड़ है! लेकन जि ह मन लोगे, बह ु को त ुहर टग ु त जि मन लोगे, तो ग खीाचनी पड़ेगी। र त पड़ कते हो। ु ह चर खने च! अगर त ुम न गरए गए तो त ुम की खतरे म जगरण नचत घटत है—घटन चहए भी! कभी —कभी तीत े भी घटत है। कभी —कभी तण भी घटत है। लेकन र भी ग होगी तो न बन जएग। हलाक त ु को न रखन पड़त है क कहा वह की क भी मक िश म ु ह कभी —कभी चोट भी लगेगी , क त म कह िेत ू ाह नहा ह नहा ुह आ। तो त ुम क ु ह चोट भी लगेगी। वह मजब ूर है। ु छ मन कर चलते थे और उके लए म म चोट न का और त ा ू तो म की भात म चलने ि ुझ े म करन। लेकन चोट म ुझे करनी ह पड़ेगी। अगर ुह त ह ा; र म ने त म न े त ुहर ग ु नहा, त ुहर ागी —थी नहा; र त ुहर श ु ू ुम पर कण न क , ुम पर ेम न क। त ुहरे अहाकर को अगर म की भी करण भा तो म त ह ा। त ुहर ि ुमन ू ुहरे अहाकर को तो मटन है। त ुहरे अहाकर को तो ऐे मट िेन है क उक बीज बलक ु ल िध हो जए। अब न रखन , कहा सवभव ज कर चोट न घ म ने कह ि , अब क ुट ल। अब कोई र नहा है घ ुटने े। अब तो ु छ मतलब नहा है। अब त म घ ट भी लो तो कोई कय नहा पड़त।
हमा प को ह क आपको हद द क अधकतम प तक म फत उपल ू ुतक ुफत कायी जाय औ इटनेट प हद द क उपित को अधक से अधक अधक बढ़ाया औ जाए | इसी म म म आपके आपके सामने एक एक से एक एक अधक प तक म त ुतक ुत क हा ू ह | | पत जसा सा क आप जानते ह ह इ इटनेट प कताब अपलोड कने , , उह हमेा ा अपलोड हमे ु ज उपल खने , , िता साईट अछ तह औ सल प से काम काम के इसके लए अयत मेहनत हनत के िसा िसा ससान सान क भी आवयकता होती ह , औ यह वह काण ह जसक वजह से अभी अभी तक हद द भाषा क कोई भी वेबसाइट बसाइट एक दो साल से यादा यादा नह चल चल ह औ बह एक से एक एक एक ु त ह अप समय म अछ वेबसाइट बसाइट बद हो च क ह | | ुक यह च नौती हमाे सामने भी भी ह , लेकन कन एक ववास भी क हद द के जागक ुनौती हो हे पाठक को इस समया के बाे म अदाज़ा ह औ वे इस इस बाे म वल अ केवल म कदशक नह ह ह | हम आपको हद द क प तक ग , े , हद द म जानका द गे द गे जानका गे ूकदश ुतक औ बह गे औ हम आा ह क आप भी हमे बदले बदले म म अपना या गे आा अपना ु छ द ु त क द गे औ हमा मदद क ग हद े हद को स बनाने म म | गे गे | अपना िहा बढाइये औ हमा मदद कजये | मदद कने के लए ज नह ह क आप पसे स या े या आिधशक मदद ह क , , आप जस तह चाह उस उस तह हमा मदद क सकते ह ह | | हमा मदद कने के तक को आप यहा दे देख सकते ह ह | | आा ह आप हमा सहायता क गे | गे अग आपको हमाा यन पसद आया हो तो सरश सरश 500 . का सहयोग के| आपका सहयोग हद द साहय को अधक से अधक वत े म उपयोगी होगा | आप Paypal िअवा बैक ैक ासर से सहयोग सहयोग क ृत प देन म सकते ह है | अधक जानका के लए मेल क
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यवाद
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वचन –16 अषटाव ाहागीता —(भाग —2) अषटाव िनाक: क: 26 ताबर बर , 1976, ी रजनीश आम , प न। ून।
न सार: न पहला न: ध मनोवैनक नक ए. एच. मैलो लो ने मन क जीवन आवकतओा के म म आमन (Self —actualization) को अातम तम आमन ु सथन ि है। आपके जने आमन मन —जीवन क एक अनवय आवकत आवकत है, और धमय, अम जैे े ाबोधन बोधन ु अनवक प े आमन के थ जोड़ िए गए ह ? क ृ प करके मझएा। पहल बत , क आमन न तो अनवय है है और न आवकत है। वैी ी भष आमन के ाबाबध ा म म लभ म ूलभ ूत प े गलत है। भ ूख है तो रोट क आवकत है आवकत है। िेह है तो व क आवकत है! इनके बन त कन आमन के बन तो ुम जी न कोगे। लेकन िआमी मजे े जीत है। पनी चहए रोट चहए , मकन चहए। इनक तो आवकत है। इनके बन त कोगे। ुम एक ण न जी कोगे आमन के बन तो अधक लोग जीते ह ह ह । तो पहल तो बत आमन आवकत नहा । और अनवय तो तो बलक है। कभी कोई ब ध , कभी कोई अटव , कोई ुध ु ल ह नहा है इसट , म हिम उ िश को उपलध होते ह ह । ह इतन अवती है इ घटन क घटन , क इको अनवय तो तो कह ह नहा ज ज ुहिम कत , नहा तो तो बको घटती , ेक को घटती। अम एक अथय म म ोजन —श है, अथयहन हन है। इलए तो हम इ िेश म उे ोजन उे ू िचनाि कहते ह ह । आनाि क अथय? आनाि क आवकत ? आनाि क अनवयत त ? परमम के बन जगत बड़े मजे मजे े चल रह है। इलए तो परमम कहा िखई िखई नहाि े ि ेत। उक मौज िगी आवक नहा मल मल कन पर जरत है , न िफतर म ूिगी ूम होती —न ि ूकन जरत है, न घर म जरत है। आमन तो आा तक तक आभज , आातक तक ऐरसटोे ऐरसटोे ी है। जरत रोट क जरत है; लेकन मइकल ऐाजलो जलो क म तय क थोड़े ह ह जरत है! उनके बन िआमी मजे े रह लेग। छपर क जरत ूतय है, लेकन किल क जरत है ? न ह किल के ाथ थ, कौन —ी अड़चन आ जएगी ? ुद क जरत है, वरट क कहा जरत है? और अगर वरट त हर जरत हो तो वह भी ु द हो जएग। वरट तो आनाि है, अहोभव है। वरट को त म ुहर ुम आवकत क भष म मत खीाचन। चन। परमम को अथयशस शस मत बनन , ईकनॉम मत बनन। इलए तो मजवि कहते ह ह मत : रोट , रोजी और मकन। उम कहा परमम परमम को जगह नहा। इलए क न म परमम को कोई जगह नहा। थोड़ ोचो , कहा परमम ून मय जै जै अथयशसी शसी … अगर परमम क कोई आवकत होती , आमन क आवकत होती तो क नम म क क ूनम ु छ जगह रखत। बलक रखी। श ध अथयशस शस म कोई जरत ह नहा। च तो ह है क त हरे जीवन म परमम क करण कोई परमम ुध ुहरे ु ल जगह नहा रखी। उतरेगी तो बह खड़ी हगी। इलए तो बह करते। परमम क करण उतरेगी तो त े चलते थे थे खड़ी ुम जैे ु त अड़चन ु त े लोग हमत नहा करते र वैे े न चल पओगे। अड़चन आनी श गी। त हरे जीवन क ढाच च िबलने लगेग। त हर शैल ल िबलेगी। त हर होने आनी ु हो जएागी। ुहरे ुहर ुहर क प िबलेग। त हर िश िबलेगी। गी। त र तरह असत —सत हो जओगे। त हर जो जम —जम प थ ब उखडेग। ग। ुहर ुम ब ुर ुहर त हर जड़ उखड़ जएागी। गी। त ह नई नई भ म खोजनी पड़ेगी गी ; प रनी भ म कम न आएगी। त वी पर न टक कोगे, त ह आकश आकश उखड़ ुहर ुह ूम ुरनी ूम ुम प ुह ृवी क हर लेन होग। इ बत को त ुम जतनी गहरई े मझ लो उतन उपोगी होग। परमम बलक र— जर है। इलए तो उन थोड़े—े लोग के ह मन म परमम क पैि ि होती है, जह ह बत परमम ह ु ल गैर मझ म आ गई क जर म आनाि नहा हो हो कत। जर म ि े ि जरत प र होती है। आ आना ि ूर त ह भ भ मने भोजन कर ल। भ खे रहो तो तकल होती है, भोजन करके कौन — ुह ूख लगी , त ुमने ूखे ुख मल जत है? ध ूप पड़ती थी , पीन आत थ , त आ गए , बेचनी न ै ी मट गई। लेकन छपर के नीचे आ आ जने े कोई ुम परेशन और बेचैन थे। छपर के नीचे आ ुख थोड़े ह ह मल जत है। आवकत के जगत म ि ि ुख है और ि ुख े छ ु टकर है; आनाि बलक ु ल नहा। ह तो तकल है क एक गरब िआमी , जके प धन नहा है है, ोचत है धन मल जएग तो आनाि मल जएग। जब धन मल जत है, तब पत चलत है : गरबी तो मट गई , धन भी मल ग , आनाि नहा मल। मल। आवकतओा क क त त म आनाि कहा? आवकतओा क क त त े ि ठ घटन घटती है क आना ुख कम होत जएग। और , एक और अन ूठ ृत ृत जैे े—जैे े ि े—वैे े त ह लगे लगेग क ब ि ुख कम होत जएग , वैे ुह ुख भी मत हो जए और आिना न मले तो र है? एक
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और चहए ? ब आवकतएा प प र हो ग , अब और चहए ? लेकन वह िआमी भी कहत है क ूर ु छ खल —खल है, क ु छ लगत है खो रह है, क ु छ मल नहा! जब तक त े ाबाबध ा न बाधो धो , जब तक त हरे जीवन म क क ुम ोजन —श ू ुम आवकत के ऊपर उठकर न िेखो , जब तक त ुहरे ु छ ऐ न घटे जक जक कोई आवकत नहा थी थी —तब तक आनाि न घटेग। आवकत के मटने े, प होत , वध ूरेरे होने े ि ुख नहा होत ुवध हो जती है; आनाि भी नहा होत। होत। आनाि तो घटत है तब जब त हो —अथय —श म गीत म , , ागीत , ुम आवकत के पर उठते हो ू ू ल म क म है। वैजनर जनर हो न हो , शेपर पर हो न हो , रवीादनथ दनथ ह न ह — र है? खओगे कवतओा । कोई जरत नहा है को , पीोगे, ओढोगे? लेकन ह तो म इलए इलए नम ले रह ू ह ा क त ह मझ मझ म आ जएा। इनम भी थोड़ —बह हो कत है। आ भी ुह ु त अथय हो परमम म उतन भी अथय नहा नहा है है। आमन तो बलक बलक उतन ुम ु ल ह नरथयक है। उक होने क र तो है, अथय बलक ु ल नहा। उे त बकने वल वसत न बन कोगे। ‘कमोडट ’, बजर म ’, बकने ु न ज िन कोई त इ को मझने म मथय हो हो जत है क जब तक म आवकत आवकत क प तय खोजत खोजत रह म मथय ूतय ू ाग , तब तक एक वत घ म ू ा ग। ग। रोज भ गी , रोज खन कम ल ाग ग , रोज खन ख ल ाग ग , र भ घ ु यल म ूम ूख लगेगी ू ू ूख मट जएगी , कल र भ ूख लगेगी। र भोजन , र भ ख, र भोजन। भोजन े क ग ; यय भ ूख ुख न मलेग ूख े जो ि ुख मलत थ , वह न होग। ु छ ारक रक िआमी क परभष ह है—जो केवल वल वध खोज रह है, अ वध न हो। आमक िआमी क अथय ह ह है क जो ुवध ुवध इ को मझ ग क वध ब भी मल जए तो जीवन म खलते, न गाध उठती , न गीत बजते। नहा, जीवन ुवध ू ल नहा खलते ुगा क वीण खल ह पड़ी रह जती है। इलए म धमय धमय को को आभज कहत ू ह ा। आभज क अथय है है. इक कोई ोजन नहा है है। ह ोजन —हन , ोजन —श ू कहो ोजन — अतीत। और त हरे जीवन म जब भी कभी कोई ोजन — अतीत उतरत है, वहा थोड़ी थोड़ी —ी झलक आनाि क मलती जब ुहरे है; जैे े ेम म है, र है? खओगे? पीोगे? ओढोगे? करोगे ेम क न अगर कोई त मे प छने लगे क । ेम क अथय है ुमे ूछने पगल हो रहे हो , ेम े ि है ? ब क क— बैल ल तो बढ़ेग नहा। मकन बड़ बनेग नहा। ेम े ि है? म गावते वते हो हो ? इलए तो रजनीत ेम —ेम के चकर म नहा पड़त पड़त ; वह र शत िप पर लगत , ेम पर नहा। धन क िवन , धन क नहा आकाी ी , र शत धन को कमने म लगत है। ेम , वह कहत है, अभी नहा! अभी लगत ु यत कहा? र ेम क ोजन भी क ु छ नहा िखई िेत —सव तरह क पगलपन मल छो , वे कह गे, ेम नी पगलपन। लेकन कन ेम म गे ूम होत है। त ुम वहरक लोग े प ूछो थोड़ी —ी झलक मलती है उक , जो ोजन —हन है, जक कोई अथय नहा नहा; र भी परम रम है, र भी परम वभम है; र भी िचनाि है। कोई िआमी बैठकर ठकर अपनी तर बज रह है। त छो क ‘ मलेग इे?’ ?’ वह उर न िे पएग। ‘ र है इ तर ुम उे प ूछो को ठोकने, खीाचने चने, पीटने े? बाि करो। क ि करो! ैै टर बनओ , खेत म ु छ कम करो क ु छ कम क बत करो। क ु छ उपजओ , क ु छ पैि ओ! े तर छेड़ने े र है?’ ड़ने म र आ ग , वह कभी —कभी भ ख भी रह जन पाि ि ?’ लेकन जको तर छेड़ने र ूख करत है और तर नहा छोड़त। छोड़त। व ख — भ ख मर। उके प इतने ह पैे े थे… उक भई उे इतने ह पैे े िेत थ क त िन क रोट खरि ट वनगॉग भ ूख ूख कत थ। तो वह तीन िन खन खत , चर िन भ ख रहत। और जो पैे े बचते, उने खरित राग , कैनव नव , और च बनत। ूख च उके एक भी बकते नहा नहा। क उने जो च बनए , वे कम —े—कम अपने म के ौ ल पहले थे। ि न क र ुन तभ म के पहले होती है। वसत त: तभ क अथय ह ह ह है , जो म के पहले हो। कोई खरििर न थ उन च क। अब ुत: तो उक एक —एक च लख म बकत है, ि —ि लख पे म एक —एक च बकत है। तब कोई ि पैे े म भी खरिने को बकत एक भी तैर र न थ। वह भ ख ह जी , भ ख ह मर। घर के लोग हैरन थे क क त पगल है! ूख ूख ू पगल िआमी क भ पड़ रह थ। कोई रधर बह ूख पहल जरत है, लेकन क ु छ मल रह होग वनगॉग को , जो की को िखई नहा पड़ रह होगी! नहा तो तो , ोजन ? न तठ मल रह है, न नम मल रह है , न धन मल रह है; भ ूख मल रह , पीड़ मल रह , िरदत मल रह —लेकन वह है क अपने च बनए ज रह है। जब वह च बनने लगत तो न भ ूख रह जती , न िेह रह जती —वह िेहतीत हो जत। जब उके रे च बन गए , जो उे बनने थे, तो उने आमह कर ल। और वह जो प लखकर छोड़ ग , उम लख ग क अब जीने म क नहा रह। रह। लख क ु छ अथय नहा अब ह बड़े मजे मजे क बत है। वह लख ग क जो म झे बनन थ , बन ल ; जो म झे ग नग नन थ , ग नग न ल , जो म झे राग ुझे ुझे ुनग ुनन ुनग ुन ुझे म ढलन थ , ढल ि ; जो म झे कहनी थी बत , कह ि ; जो मेरे भीतर छप थ , वह गट हो ग ; अब क नहा है है रहने क। ढलन ुझे ु छ अथय नहा वह जो अथयहन हन च बन रह थ , वह उक अथय थ थ ; जब उक कम च जैे े कोई और अथय जै ुक ग , वह िव हो ग। जीवन म थ नहा! ि रोट रोज ख लो र लो र भ ख लग लो र लो र रोट रोज ख लो र लो र भ ख लग लो ? हर रोट नई रोट नई भ ख ले आती है
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एक िआमी अगर असी ल जीए तो असी ल म य एा कहते हो —रोट , रोजी , मकन — उने क ? जको त ुम अथयप ूण उने क ? जर त ुम गौर करो। न मल ूम कतने हजर मन भोजन उने मल —म ू बन ि। इतन ह कम क। जर ोचो , असी ल म उने कतने मल —म ू के ढेर, अगर वह लगत ह चल जत तो कतने ढेर लग जते, पहड़ खड़े कर िेत। ब इतन ह उक कम है। पीछे त ुम मल —म ू क एक पहड़ छोड़ कर िव हो जओगे। इको त ुम अथय कहते हो ? लेकन ह अथय जै मल ूम पड़त है। इक ह अथय शस है। म इीलए परमम को अथय नहा कहत , क अथयि ेने े ह तो वह अथयशस क हस हो जएग। म उे कहत ू ह ा ‘अथयतीत ’। वह कोई आवकत नहा है। और जब तक त उलझे हो , तब तक त ुम आवकतओा म ुम उ तर आाख न उठ कोगे। इलए म कहत ूह ा जब कोई मज बह गत होती है, अथ नहा होती। ृध होत है, तभी धमय म ु त म ह मेर बत बड़ी म म ह डलती है लोग को। क लोग प ुकल म ूछने लगते ह . ‘तो र गरब धमयक नहा हो कत ?’ नहा कहत। गरब भी धमयक हो कत है, लेकन गरब मज कभी धमयक मज नहा हो कत। तगत प े गरब भी इतन तभवन हो कत है क धमयक हो जए , जीवन क थयत को मझ ले; जको हम अथय कहते ह , उक थयत मझ ले। तो र जो अथतीत है, वह अथय हो जत है। लेकन वह बड़ी पातरण क , बड़ी ात क बत है। लेकन म ृध मज नचत प े धमयक हो जत है। मेरे िेखे तो वह म प ूर थीा, खलहन भरे ृध मज है जो धमयक हो जए। भरत जब अपने सवणय —शखर पर थ , जब जरत थे, खेतो म ल थीा, लोग भ ूखे न थे, पीड़त न थे, परेशन न थे, तब धमय ने ऊाच े शखर छ ु ए , तब भगिवगीत उतर , तब अटव क महगीत उतर , तब उपनिष गाज,े तब ब ुध और महवीर ने इ िेश को जग। वह सवणय—शखर थ। अब वै सवणय —शखर पचम ज च है, प नहा है। प ुक है। अब अगर धमय क कोई भी ाभवन है तो पचम म ूरब म ूरब के थ धमय क अतीत है, पचम के थ धमय क भव है। त , ुमने अपने हथ गाव। त ुमने ह ोचकर गाव क रख है धन म ािप म ! क ु छ भी नहा रख है, ह भी च है। लेकन जब धन —ािप होती है तभी पत चलत है क क ु छ भी नहा रख है। इतनी थयकत उम है—ह िखने क। और जब त ब होत है और त ुहरे जीवन म ुम पते हो क ु छ भी नहा ुह आ, तो पहल ि एक उे, जो आवकत नहा है। ूह क उठती है क अब खोज और अनवय तो बलक ुम चहे करो चहे न करो , हो कर रहेग। ु ल ह नहा है परमम। अनवय क तो अथय ह होत क त अनवय मौत है, मध नहा। अनवय तो म ु है, न नहा। अनवय ब ुढ़प है, धमय नहा। अनवय इतन ह है क ह जो ृ णभाग ुर है, बह जएग। शवत आएग क नहा, ह अनवय नहा है। शवत तो त ुम खोजोगे तो आएग। खोजोगे , भटकोगे, बर —बर प लोगे और खो जएग , बड़ी म ुकल े आएग। अनवय तो कतई नहा है। अनवय क तो ह मतलब है क त ुम बैठे रहो , क ु छ न करो , होने वल है, होकर रहेग। मौत जै होग परमम र , जैे भी िआमी मरते ह , ऐे भी िआमी आमन को उपलध हो जएागे। नहा, न तो अनवय है और न आवकत है। आमन खोजने े होग , गहन धन े होग , बड़ी वर े होग , िव पर लगओगे अपने को , तो होग। आमन भ नहा है क हो जएग , लख है वध म । वध म जो लख है, वह तो ुद है, वह होत रहेग। िचौह ल के हो जओगे तो कमवन पैि होगी। असी ल के हो जओगे तो मौत आ जएगी। पच के पर होने लगोगे तो ब हो जती है। अगर की बचे म न हो तो क ुढ़प आ जएग। कमवन अनवय है; िचौह ल के ुह ए क हर बचे म ु छ गड़बड़ है, तो चक क जरत है। होनी ह चहए ; अनवय है; क ृ तक है। लेकन अम अनवय नहा है और न क ृ तक है। हो जए तो चमकर है। जब हो जए की को तो आचय है : जो नहा घटन चहए , वह घट। इलए तो हम ि तक ि रखते ह ब ुध को , क जो नहा घटन थ वह घट , जक कोई अपे न थी , वह घट ; जक कोई ाभवन न थी , वह घट। हजर ल बीत जते ह , ब तती है। कोई तर हमरे ि म बजत रहत है। अाभव ुध को हम नहा भ ूल पते। उनक ि हम भी ुह आ है। इ प म कहत ूह ा अाभव , तो म ह नहा कह रह ू ह ा क नहा घटने वल , ृवी पर बे ि अाभव घटन आमन है। जब घटती है, घट कती है, लेकन अनवयत नहा है। ऐ नहा है क त ुम क ु छ न करोगे और अपने े घट जएगी। क ृ तक नहा है, अत —क ूछ है क ‘ आपके जने आमन मन ु —जीवन क एक अनवय आवकत है?’ि ोन बत नहा है। ृ तक है। प अनवय हो तो र त ु ह क ु ह बह ु छ करने क जरत न रह। त ु छ करन पड़ेग , तब भी घट जए तो चमकर है। तब भी ु त क पक नहा है, आवन नहा है क घट ह जएगी , कोई गराट नहा है। बड़ी अभ अीम ूतप ूव य घटन है उतर कर लन है ीम म को , उतर कर लन है िेह म परमम को ; उतर कर लन है श , महश ू को मन म ू के लए जगह बननी है। अनवय तो बलक ु ल नहा है। अनवय तो वह है जो हो ग है। वन हो गई है, घर ब ग है, धन क िौड़ चल रह है, िप क िौड़ चल रह है। रजनीत अनवय है, धमय अनवय नहा है। इलए तो हमने इ िेश म धमयक त को मिर ि। हमने ट को िआर नहा ि , क इम है पर भी ट होन चहते ह । नहा हो पते, ह ि ूर बत है; लेकन भी होन चहते ह , है। ह होन क । ह बड़ी धरण बत है। िप पर हो जन क
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एक गाव म ब ुध क आगमन ुह आ थ। तो उ गव के वजीर ने अपने रज को कह क ब ुध आते ह , हम सवगत के लए गव के बहर चल। रज अकड़ील थ। उने कह , ‘जने क हम जरत है ? और ब ुध ह ? भखर ह ह । आ जएागे अपने — आप! हमरे जने न जने क जरत है ? वह ब ूढ़ वजीर तो ह ुन कर रोने लग। उने अपन इसती लख ि। उने कह , ‘ह मेर इसती ले ल, ह गप! म ुझे म कर म चल! अब त , भी बैठन उचत नहा। ुहर छ म उ रज ने कह , ‘ममल है? इम म ने क म ट ूह ा, वे भखर इतने नरज होने क बत है ? ुर बत तो कह नहा । ु छ ब ह । उनके लए म ुझे लेने जने क जरत है?’ उ वजीर ने कह , ‘ब बत खम हो गई। अब म त ा ग। त ुहरे प न बैठ क ुम अपने लए वजीर खोज लो। क ऐे िआमी ू के प बैठन , जे इतनी भी मझ न हो क रजनीत तो धरण है , रज होन तो धरण है। लेकन ह ब ुध क भखर हो जन अधरण है , अप गरो! ह ौभ त ूव य है, अवती है। हा क ुहर क वे इ ु छ घट है। जओ , उनके चरण म गाव म म तो चल! त आते ह । और ुहरे प बैठन क ु ाग है। ‘ ह ठक कह रह है वजीर। इ ब ूढ़े के प आाख ह । इके प क ु छ मझ है, क ु छ परख है। धन क हमने मिर नहा क है। हमने मिर क ु छ और ह बत क क है —बोध क , ा क , ग क। उहने जहने छोड़ , उहने जहने ऊपर आाख उठई और आकश क तर िेख , उनक हमने मन क है। पचम म इतह लख ग , प इतह नहा लख ग , हमने प ूरब म ुरण लखे। पचम के वचरक बड़े हैरन होते ह क भरत म इतह नहा लख ग! वे मझते ह , प ुरण तो कथ , कपन! लेकन हमने इतह जन कर नहा लख , क इतह तो होत है धरण घटनओा क ; प ुरण होत है अधरण घटनओा क। इलए तो कपन जै मल ूम होत है प ुरण , क उ पर भरो नहा आत क ह घट भी होग। प ुरण क अथय होत है जो कभी —कभी घटत है। इतह क अथय होत है जो रोज घटत है, जो प ुनत है। नेपोलन हो , क निरशह हो , क तैम ूर लाग हो , क चागज े हो , क हटलर हो , क सटेलन हो , क मओ हो —ह रोज क घटन है ; इे इतह बनत है। े तो अखबर क कतरन ह , जने इतह बनत है। ब करण उतर आए ुध क घटन अनहोन है। नहा घटन थ और घट। जैे अचनक आधी रत म ूरज आए , क अाधरे े म और हम पकड़ भी न पएा और खो जए , और हमरे हथ भी न लगे और खो जए। हम ठगे और अवक रह जएा, आए और चल जए। गाजे एक गीत , हम ठक े ुन भी न पएा, क हम अपने शोरग ुल े भरे ह , और गीत िव हो जए। एक सम ृत भर रह जए , और हम ख ख ुि ह शक होने लगे क ह गीत ुन थ ? ऐ िआमी िेख थ ? हम ुि ह भरो न आए। हम ख ुि ािहे म पड़ने लग े जैे सम । जै— ूर होने लगे, वैे —वैे हमीा को भरो न आए. ऐ ह ृत क होने लगे और ि ु आ थ ? प कभी —कभी होत है। वैी अवती घटनओा के ाह क नम ुरण क अथय होत है. जो कभी —कभी होत है, हजर ल म प ुरण है। प ुरण पर भरो आत ह नहा। इतह तो रह है , इतह तो क ू ड़ —ककय ट है, कचरे क ढेर है, जो रोज होत है। प लोग ुरने िन म ुबह उठ कर गीत पढ़ते थे धमिप पढ़ते थे क ु रन पढ़ते थे, अब उठ कर अखबर पढ़ते ह । जो रोज होत है.। त कभी खल क , त क ुमने अखबर म ुम जो पढ़ते हो वह रोज होत है! र भी त ुम रोज उी को पढ़ते हो। त ुमने अखबर म ु छ न होतेि ेख ? की ने कभी अखबर म न होतेि ेख ? अखबर े ि प ुरनी चीज त ुमने िेखी ? कहते हो , न अखबर है! िो िन क प ुरन हो जए तो र त ुम नहा पढ़ते। म एक जगह रहत थ , तो मेरे प एक पगल िआमी रहत थ। उको अखबर क बड़ शौक थ। वह ब मोहले के अखबर इकठे कर लेत। शि अखबर के करण पगल हो ग हो , क म ग वह पगल ह थ। वह म ुझे भी ु छ पत नहा। लेकन जब आकर जो भी अखबर वगैरह होते, ब उठ कर ले जत। कभी म ने कह उको क त ू त —त आठ —आठ िन प ुरने अखबर उठ कर ले जत है, इनक त ू करेग ? वह बोल , अखबर प ुरने, नए! अरे जब पढ़ो —तभी नए! जब हमने पढे ह नहा, तो हमरे लए तो नए। उ पगल िआमी ने बड़ी ब ुधमनी क बत कह। कह क नए और प ुरने!
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म य य नहा आत। नहा होन थ , र भी हो जत है। वे ि ुलभ ूल खोजते थे, त ुम क ुलभ ू ल क खोज ू ड़ —ककय ट खोजते हो। ि म वे भी धीरे— धीरे ि धीरे — धीरे अघट क घटने क ाभवन उनके भीतर भी बन जती थी। ुलयभ हो जते थे। अघट क खोज म इलए म त अनवय बत है और बे बे गैर— ुमे कहन चहत ह ू ा : न तो अनवय और न आवक। धमय इ जगत म अनवक। इलए तो है, बी करोड़ लोग बन धमय के जी रहे ह , कौन —ी अड़चन है? च तो ह है, बह ु त मजे े जी रहे ह । चात — मट। ब ननबे िआम ुख— ुवध े जी रहे ह । शिय क ु छ थोड़े —े लोग को अड़चन है, मगर ौ म को कोई अड़चन नहा है। कोई एकध है ौ म , कोई ोवेनन कोई और , कोई एकध है जको अड़चन है। मगर उ एकध क गणन ? लोकता तो भीड़ के लए जीत है। ननबे को तो कोई मतलब नहा है। उह शरब मल जए , ु ािर पनी मल जए , मकन मल जए , कर मल जए , खने —पीने क जगह मल जए —पयत है। त ुम कतने ुद े रजी हो जते हो! त ुम न — क ुहर िनत तो िेखो! अटव कहते ह , ह त ुहर मल तो िेखो! कैे मलन हो त ुम, कतने ुद ु छ े रजी हो जते हो। त े रजी हो जते हो! ि धमय अगर बलक ुन म ुध पैि होग तो उे अड़चन होगी। ु ल िव हो जए तो बह ु त थोड़े लोग को अड़चन होगी। कोई गौतम ब लेकन बक को तो कोई अड़चन न होगी। अप ूव य है धमय। कभी —कभी खलने वल ू ल है, रोज नहा खलत। कभी —कभी खलने वल ू ल है! मेरे प क ुझे कहने लग , इके पाच ौ पए िेने ह , जे खरि। ु छ िन तक एक मल थ। वह एक पौध ले आ। वह म म ने कह , ‘पगल इ एक पौधे के पच ौ पे, इक इतन म ू ? ममल है, इ पौधे क ख ूबी है?’ उने कह , ‘इम एक बर खलत है। ू ल खलत है, लेकन वह बरह ल म
‘
तो म ने कह , ‘र िेने लक है। र त ू पाच ौ नहा हजर भी िे। त ू ले ज। क जब बरह ल म ूल खलत है तो अवती है। ऐे मौमी खल जते ह । बरह ल , तो थोड़ धमय जै ू ल ह , िो तह चर तह म ू ल है। इे त ू जर लग। इे मेरे बगीचे म होन ह चहए। हम ती कर गे इक , जब खलेग। ‘ और जब ि ू ल खल —वह रत को ह खलत —प ूणयम क रत को वह खल , तो र पड़ो ,ि ूर— ूर े लोग उे िेखने आने लगे। वह कभी —कभी खलत , उके िशयन रोज —रोज नहा होते। ब ुध —प ुष कभी —कभी खलते ह । वह हर क कमल कभी —कभी खलत है। उक आका मत करो जो रोज खलत है, जो रोज मलत है। उ ुद म क ु छ भी नहा है। उक आका रो जो अप ूव य है, अवती है, अनवयचनी , पकड़ के बहर है। उे चहो जो अा भव है। ज िन त ुमने अाभव को चह , उी िन त ुम धमयक ुह ए। अाभव क वन — धमय क मेर परभष है।तरत म ईवर म ह ा भरो करत ू ूलन क बड़ ध वचन है, क क ईवर अाभव है। अाभव है! इलए भरो करत ूह ा। ाभव म भरो करन! ाभव म भरो करने के लए कोई ब भरो तो ब भरोे के लए त ुधमनी चहए , कोई बड़ी तभ चहए ? ाभव म ुध े ब ुध को आ जत है। अाभव म ुहरे भीतर ध के पहड़ उठ , गौरशाकर नमयत हो , तो अाभव क ध होती है। अाभव क चह है धमय। ‘पैशनॉर ि इापॉबल!’ और त ुमने प ूछ है क ‘ धमय, अम जैे ाबोधन अनवक प े आमन के थ जोड़ िए गए ह ?’ नहा, जर भी नहा। वे ाबोधन बडे थयक ह । धमय क अथय होत है. सवभव। वह बड़ ाके तक शि है। धमय क अथय रलजन मजहब नहा होत। रलजन मजहब को तो हम ाि कहते ह । धमय क अथय तो बड़ गहर है। जके करण इसलम , धमय है; और जके करण ईइत , धमय है, और जके करण जैन , धमय है; और जके करण हाि ू धमय है; जके करण े रे धमय, धमय कहे जते है—वह जो बक रभ ूत है, उक नम धमय है। े ब उ धमय तक पह ु ाचने के मगय ह , इलए ाि ह । ईइत एक ाि ुह ई , हाि ू एक ाि है, जैन एक ाि है, बौध एक ाि है, इसलम एक ाि है। धमय तो वह है जहा तक े भी ाि पह ु ाच िेत े ह । इलए इसलम को धमय कहन उचत नहा, हाि ू को धमय कहन उचत नहा—ाि! ‘ाि ’ शि अछ है। इक अथय होत है मगय, जे हम पह ु ाच । ज पर पह ु ाच , वह धमय है। ‘धमय’ बड़
अन द पर जो ूठ शि है। उक गहर अथय होत है. सवभव ; हमर जो आातक सवभव है; हमरे भीतर के आखर क छप है बीज क तरह , उक गट हो जन। हम परमम को बीज क तरह लए घ ूम रहे ह । हम जम —जम तक घ ूमते रहे ह परमम को बीज क तरह लए। जब तक हम उ बीज को भ गे —न क —तब तक धमय क व गहरे ूम न ि ृ खड़ न होग। अगर धमय े परचत होन है तो न म उतरन पड़े। क न भ म बनत है और धमय क बीज न क भ म म अाक रत होत है।
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ि धमय नहा ह । ह , कभी —कभी धमयक त होते ह । जो ह , वे ब ाि ह । तो धमय शि थय नहा है। ऐे जिबयसती ुन म आमन के ऊपर नहा थोप ि ग है। और अम भी बड़ बह ुहर नजत है। मझने क कोशश करो। ु म ू शि है। उक भी वह मतलब होत है. वह , जो त त ह । एक तो जो त ुहरे प िो तरह क चीज ु ह ि ूर ने ि ह , जो त ुहर नजी नहा ह जैे भष। जब त ुम पैि ुह ए थे तो त ुम कोई भष ले कर न आए थे। भष त ु ह ि गई। मौन त ुम ले कर आए थे। भष त ु ह ि गई। मौन अम है, भष मजक है। जो त ुम ले कर आए थे, जो त ुहर है, नजी है—वह अम है। जो उधर है , ब है, वह अम नहा है। जो भी त ु ह ि ूर ने िे ि है, वह अम नहा है। त ुहरे प बह ुमने वववल े ीख , शस े ीख , ग ुओा े ीख —वह अम नहा है। ज ु त न हो कत है जो त िन त ुहर अातचेतन जगेग , त ुहर आाख ख ुलेगी , त ुहरे अपने शन क ि ुभयव होग —उक नम अम है। अम क कोई शस नहा होत और अम क कोई कतब नहा होती और अम को उधर पने क कोई उप नहा है। अम कोई वसत ु नहा जो हसतातरत हो के। अम है त ुहर आातक नज प , त ुहर नजत। ज िन त ुम ब उधर को छटकर अलग कर िोगे; कहते जओगे ह भी म नहा, ह भी म नहा, नेत , नेत ; त ुम इाकर करते जओगे और वैी घड़ी बचेगी जब त म ू ह ा—उ िन अम! तो ी — भव ह अम है ; बक ुम इाकर न कर कोगे ; जे त ु ह कहन पड़ेग , ह तो ब गैर— अम है। े शि बड़े रे ह । इन शि क अथय मझोगे तो त ुहरे भीतर शि क अथय ुनते— ुनते, मझते—मझते ह क ु छ घटन घटनी श ु हो जएगी। एक छोट —ी चनगर महवन को जल िेती है। े छोटे —छोटे शि नहा ह , े छोट —छोट चनगरा ह ।
द ूसरा न : ग ु श को ीधे भी िेखत है लेकन र भी उे वभन परओा े जन —ब ूझ कर ग ुजरत है। इे श क आमन ती और श ुधतर होत है ? क ृ प करके मझएा। ग ु िेखत है त ुहरे तीन प —त ुम जो थे, त ुम जो हो , त ुम जो हो कते हो। त ुम जो थे, उे त ु ह छ ु टकर िलन है। त ुहरे अतीत े त ु ह म ुत िलनी है। त ुहरे अतीत को पछ डलन है, कर िेन है; वह कचर है जो त ुहरे िपयण पर इकठ हो ग। त ु ह अतीत े वछन करन है, ह पहल कम। र त ुम जो हो , उके त त ु ह जगन है। क त ु ह उक बलक ुम कौन हो। त ुम जो रहे हो अब तक , ु ल पत नहा क त त ुहर अतीत इतन बोझल हो ग है, उे त ुम इ भात िब गए हो क त ुहर वतयमन त ु ह िखई नहा पड़त। और वतयमन बड़ छोट — ण है, बड़ आणवक —इतन छोट ण है क त ुम उे पकड़ भी नहा कते। त ुमनेि ेख क ह रह वतयमन क वह ग। इतन कहने म क ह रह वतयमन , वतयमन अतीत हो जत है। इतने म म तो वतयमन ग। वतयमन को कहने के लए शि भी ज वतयमन ज च ुटओ , उतनी िेर म ुक होत है। वतयमन तो बड़ी पतल धर है, बड़ी ूम! वहा तो त ुम शत ी रहोगे तो ह पकड़ पओगे। तो त जगन है; और भव..। अगर ल जकड़े रहे तो अतीत ह ु ह अतीत े छ ु टकर िलन है; त ु ह वतयमन म ुग अतीत म त ुहरे भव क नणयक होत है, अतीत ह त ुहरे भव को बनत है। म ुिय त ुहरे भव को भी नट करत चल जत है। क त ुम भव क जो ोजन बनओगे, वह कहा े लओगे? त ुहरे अतीत े लओगे। अतीत के अन ुभव के आधर पर ह त ुम भव के भवन खड़े करोगे। वे प ुनत हगी। वह र —र वह िोहरन होग। थोड़े—बह ु त हेर —ेर कर लोगे, राग िबल लोगे, थोड़ प िबल लोगे; लेकन होग वह अतीत ह ज ह ा ृगरत। भव क त ुम ु आ, ावर ुह आ। लश ह होगी —अछे वस म ोजन जो भी बनओगे, अतीत े आएगी , वह अतीत क ोजेन है, ेपण होग। तो ग ेपत न होने िे। नहा तो त ु क चेट होगी क वह त ु ह अतीत को भव म ुहर अतीत तो नट ुह आ , त ुहर भव भी नट हो जएग। ग ु क चेट होगी क त ु ह अतीत े म ुत करव िे और ग ु क चेट होगी क त ु ह भव क चात और वचरण े भी म ुत करव िे। क भव क र वचर भव को नट करन है। भव क वचर कैे हो कत है? भव तो वह है जो अभी आ नहा। भव तो वह है जक त ु ह कोई पत नहा। भव तो अभी कोर सलेट है, कोर कगज है, ज पर क ु छ लख नहा ग। अभी त ुम भव पर अगर क ु कर िोगे तो त ुम भव को खरब कर लोगे। उक कोरपन घर आने के पहले ह ु छ लखन श खरब हो जएग।