'गत् मात् भक ् मोतिष' क ीखोज:ग्रहोंक ेफुयेप्रबावक ोदयू क यनेक ेउऩाम हजायो वषों से ववद्वानों द्वाया अध्ममन-भनन औय च त ॊ न के परस्वरुऩ भानव-भन-भस्स्तष्क ववॊ अन्म जड़- त े नों ऩय ग्रहों के ऩड़नेवारे प्रबाव के यहस्मों का खर ु ासा होता जा यहा है , ककन्तु ग्रहों के फयु े प्रबाव को दयू कयने हे तु ककव गव रगबग हय आमाभों के उऩाम भें ऩयू ी सपरता न मभर ऩाने से अक्सयहा भन भें वक प्रश्न उऩस्स्थत होता है ,क्मा बववष्म को फदरा नहीॊ जा सकता ? ककसी व्मस्क्त का बा्मपर मा आनेवारा सभम अ्छा हो तो ्मोितवषमों के सभऺ उनका
सॊतष्ु ट होना स्वाबाववक है , ऩयॊ तु आनेवारे सभम भें कुछ फयु ा होने का सॊकेत हो तो उसे सन ु ते ही
वे उसके िनदान के मरव इ्छुक हो जाते हैं। हभ ्मोितषी अक्सय इसके मरव कुछ न कुछ उऩाम सझ ु ा ही दे ते हैं रेककन हय वक्त फयु े सभम को सध ु ायने भें हभें सपरता नहीॊ मभर ऩाती है । उस सभम हभायी स्स्थित कैंसय मा वड्स से ऩीडड़त ककसी योगी का इराज कय यहे डॉक्टय की तयह
होती है ,स्जसने फीभायी के रऺणों ववॊ कायणों का ऩता रगाना तो जान गमा है ऩयॊ तु फीभायी को ठीक कयने का कोई उऩाम न होने से वववश होकय आखखय प्रकृित की इ्छा के आगे नतभस्तक हो जाता है ।
ऐसी ही ऩरयस्स्थितमों भें हभ मह भानने को भजफूय हो जाते हैं कक वास्तव भें प्रकृित के िनमभ
ही सवोऩरय हैं। हभरोग ऩाषाण-मुग, क्र-मुग, रौह-मुग, काॊस्म-मुग ................ से फढ़ते हुव आज आई टी मुग भें प्रवेश कय क ु ें हैं, ऩय अबी बी हभ कई दृस्ष्ट से रा ाय हैं। नई-नई असाध्म फीभारयमॉ ,जनसॊख्मा-ववृ ि का सॊकट, कहीॊ अितवस्ृ ष्ट तो कहीॊ अनावस्ृ ष्ट, कहीॊ फाढ़ तो कहीॊ सूखा
,कहीॊ बक ू म्ऩ तो कहीॊ ्वाराभख ु ी-ववस्पोट--प्रकृित की कई गॊबीय न ु ौितमों से जझ ू ऩाने भें ववश्व के अव्वर दजे के वैऻािनक बी असभथथ होकय हाय भान फैठे हैं। मह स
है कक प्रकृित के इन
यहस्मों को खर ु ासा कय हभाये सम्भख ु राने भें इन वैऻािनकों की भहत्वऩण ू थ बमू भका यही है ,
स्जससे हभें अऩना फ ाव कय ऩाने भें सवु वधा होती है । प्रकृित के ही िनमभो का सहाया रेकय कई उऩमोगी औजायों को फनाकय बी हभने अऩनी वैऻािनक उऩरस्धधमों का झॊडा गाडा है , ककन्तु वैऻािनकों ने ककसी बी प्रकाय प्रकृित के िनमभों को फदरने भें सपरता नहीॊ ऩामी है ।
ऩथ् ृ वी ऩय भानव-जाित का अवतयण बी अन्म जीव-जॊतुओॊ की तयह ही हुआ। प्रकृित ने जहॉ अन्म जीव-जॊतुओॊ को अऩना अस्स्तत्व फनाव यखने के मरव कुछ न कुछ शारयरयक ववशेषतावॊ प्रदान की वहीॊ भनुष्म को मभरी फौविक ववशेषतावॊ , स्जसने इसे अन्म जीवों से बफल्कुर अरग कय ददमा। फुविभान भानव ने सबी जीव जॊतुओॊ का िनरयऺण ककमा, उनकी कभजोरयमों से पामदा उठाकय
उन्हें वश भें कयना तथा खबू फमों से राब रेना सीखा। जीव-जॊतुओॊ के अध्ममन के क्रभ भें जीव-
ववऻान का ववकास हुआ। प्रा ीनकार से अफ तक के अनुबवों औय प्रमोगों के आधाय ऩय ववमबन्न
प्रकाय के जीवों ,उनके कामथकार ,उनकी शरययीक फनावट आदद का अध्ममन होता आ यहा है । आज जफ हभें सबी जीव-जॊतुओॊ की ववशेषताओॊ का ऻान हो
क ु ा है , हभ उनकी फनावट को
बफल्कुर सहज ढॊ ग से रेते हैं । कौव मा च डड़माॊ को उड़ते हुव दे खकय हभ फकयी मा गाम को उड़ाने की बूर नहीॊ कयतें । फकयी मा गाम को दध ू दे ते दे खकय अन्म जीवों से मही आशा नहीॊ
कयते। फकये से कुत्ते जैसी स्वामभबस्क्त की उम्भीद नहीॊ कयतें । घोड़े की तेज गित को दे खकय फैर को तेज नहीॊ दौड़ाते। जरीम जीवों को तैयते दे खकय अन्म जीवों को ऩानी भें नहीॊ डारते। हाथी ,गधे औय उॊ ट की तयह अन्म जीवों का उऩमोग फोझ ढोने के मरव नहीॊ कयते। इस वैऻािनक मुग भें ऩदाऩथण के फावजूद अबी तक हभने प्रकृित के िनमभों को नहीॊ फदरा । न तो फाघ-शेय- ीता-तेदआ ु -हाथी-बारू जैसे जॊगरी जानवयों का फर कभ कय सकें , न बमॊकय सऩों
के ववष को खत्भ कयने भें सपरता मभरी , औय न ही फीभायी ऩैदा कयनेवारे ककटाणुओॊ को जड़ से सभाप्त ककमा। ऩय अफ जीन के अध्ममन भें मभरती जा यही सपरता के फाद मह बी सॊबव
हो सकता है कक ककसी वक ही प्राणी को ववकमसत कय उससे हय प्रकाय के काभ मरमा जा सके। ऩय इस प्रकाय की सपरता के मरव हभें कापी सभम तक ववकास का िनममभत क्रभ तो यखना ही होगा। जीव-जॊतओ थ ों ने ऩेड-ऩौधों का फायीकी से िनरयऺण ककमा। ऩेड़-ऩौधे की फनावट ु ॊ के अितरयक्त हभाये ऩव ू ज
,
उनके जीवनकार औय उसके ववमबन्न अॊगों की ववशेषताओॊ का जैसे ही उसे अहसास हुआ, उन्होने जॊगरो का उऩमोग आयॊ ब ककमा। हय मग ु भें वनस्ऩित-शास्र वनस्ऩित से जुड़े तथ्मो का खुरासा कयता यहा
,स्जसके
अनस थ ों ने उनका उऩमोग कयना सीखा। पर दे नेवारे फड़े वऺ ु ाय ही हभाये ऩव ू ज ृ ों के मरव फगी े
रगाव जाने रगे। सधजी दे नेवारे ऩौधों को भौसभ के अनस ु ाय फायी-फायी से खारी जभीन ऩय रगामा जाने रगा। इभरी जैसे खट्टे परों का स्वाद फढ़ानेवारे व्मॊजनों भें इस्तेभार होने रगा। भजफत ू तने वारी
रकड़ी पनी य फनाने भें उऩमोगी यही। ऩष्ु ऩों का प्रमोग इर फनाने भें ककमा जाने रगा। कॉटे दाय ऩौधें का उऩमोग फाड़ रगाने भें होने रगा। ईख के भीठे तनों से भीठास ऩामी जाने रगी। कडवे परों का उऩमोग फीभायी के इराज भें ककमा जाने रगा।
इसी तयह बग ू बथ भें बफखयी धातव ु ॊ बी भानव की नजय से छुऩी नहीॊ यहीॊ। प्रायॊ ब भें रौह-अमस्क, ताम्र-
अमस्क औय सोने- ॉदी जैसे अमस्को को गराकय शि ु रुऩ प्राप्त कय उनका उऩमोग ककमा गमा । मबन्न
मबन्न धातओ ु ॊ की प्रकृित के अनरू ु ऩ उनका उऩमोग मबन्न मबन्न प्रकाय के गहने औय फतथनों को फनाने भें
ककमा गमा। कपय क्रभश: कई धातओ ु ॊ को मभराकय मा कृबरभ धातओ ु ॊ को फनाकय उनका उऩमोग बी ककमा जाने रगा। बग ू बथ के यहस्मों का खुरासा कयने के मरव वैऻािनकों के द्वाया ककतने साधन बी फनाव जा क ु े
,
ध्मेम बग ू बथ के आॊतरयक सॊय ना की ऩह ान कयना है , उससे पामदा उठाने की है
प्रकाय के फदराव की कल्ऩना बी वैऻािनकों द्वाया नहीॊ की जा सकती ।
,
उसभें ककसी
इस प्रकाय हभ दे खते हैं कक प्रकृित भें तयह-तयह के जीव-जॊतु गण ु औय स्वबाव की दृस्ष्ट से दे खा जाव
,
,
ऩेड़-ऩौधे औय खिनज-बॊडाय बये ऩड़े हैं।
तो कुदयत की हय वस्तु का अरग-अरग भहत्व है । फड़े
परदाय वऺ ृ दस-फीस वषों तक अ्छी तयह दे खबार कयने के फाद ही पर दे ने रामक होते हैं। कुछ
परदाय वऺ ूॊ ी ृ दो-तीन वषों भें ही पर दे ना आयॊ ब कय दे ते हैं। सस्धजमों के ऩौधे दो- ाय भाह भें ही ऩज औय भेहनत दोनों को वाऩस रौटा दे ते हैं। पनी य फनाने वारे ऩौधों भें पर नहीॊ होता
,
इनकी रकड़ी ही
काभ रामक होती है । वषों फाद ही इन वऺ ृ ों से राब हो ऩाता है । मदद हभें सभचु त जानकायी नहीॊ हो औय टभाटय के ऩौधों को
ाय-ऩॉ
भहीने फाद ही पर दे ते दे खकय उऩेक्षऺत दृस्ष्ट से आभ के ऩेड़ को दे खें
मा आभ के सद ुॊ य ऩेड को दे खकय फफर ू को खयी-खोटी सन ु ावॊ आचथथक दृस्ष्ट से दे खा जाव
,
,
तो मह हभायी बर ू होगी।
तो कबी रोहे का भहत्व अचधक होता है
ऩेट्रोमरमभ का भहत्व अचधक होता है जाते थे
,
,
,
तो कबी सोने का
,
कबी
तो कबी अभ्रख का। कबी घोड़े-हाथी याजा-भहायाजाओॊ द्वाया ऩारे
जफकक आज घोडे हाथी दय दय की ठोकयें खा यहे हैं औय
अ्छे घयानों भें है । कबी आभ के ऩेड़ से अचधक ऩैसे मभरते थे
,
ुने हुव नस्रों के कुत्तों का प्र रन
कबी शीशभ से औय आज टीक के ऩेड़
ववशेष भहत्व ऩा यहे हैं। मग ु की दृस्ष्ट से ककसी वस्तु का ववशेष भहत्व हो जाने से हभ ऩाम: उसी वस्तु की आकाॊऺा कय फैठते हैं दे नेवारा ऩेड़ फन गमा है
, तो क्मा अन्म वस्तओ ु ॊ को रप्ु त होने ददमा जाव। आज टीक सवाथचधक ऩैसे , तो क्मा आभ का भहत्व कभ है ? आखखय आभ का स्वाद तो आभ का ऩेड़
ही तो दे सकता है । वषों से उऩेक्षऺत ऩड़े दे श ऩेट्रोमरमभ के िनमाथत कयने के क्रभ भें आज बरे ही ववश्व के अभीय दे शों भें शामभर हो गव हों
,
ऩड़ता है ।
ऩय अन्म वस्तओ ु ॊ के मरव उसे दस ू ये दे शों ऩय िनबथय यहना ही
ही गमी। अगखणत तायें ,
कपय हभाये ऩव थ ों की नजयें आसभान तक बी ऩहुॊ ू ज
............
ॊद्रभा, सम ू थ
,
यामश ,नऺर
बरा इनके शोध ऺेर भें कैसे शामभर न होते। ब्रहभाॊड के यहस्मों का खुरासा कयने भें
भानव को असाधायण सपरता बी मभरी औय इन प्राकृितक िनमभों के अनस ु ाय उन्होने अऩने कामथक्रभों को िनधाथरयत बी ककमा। ऩथ् थ ू न ृ वी अऩनी घण फनामी गमी।
24
घॊटे भें ऩयू ी कयती है इस कायण
ॊद्रभा को ऩथ् ृ वी की ऩरयक्रभा कयने भें
िनस्श् त ककमा गमा।
365
28
ददन रगते हैं इसमरव
24
द्र ॊ भास
ददनों भें ऩथ् ू जाती है ृ वी अऩने ऩरयभ्रभण-ऩथ ऩय ऩयू ी घभ
ददनों के वक वषथ का कैरेण्डय फनामा गमा। सभामोस्जत ककमा गमा। ददन औय यात
,
6
घॊटे के अॊतय को हय
ऩखू णथभा औय अभावस्मा
,
घॊटे की घड़ी
,
28
ददनों का
इसमरव
365
ौथे वषथ रीऩ ईमय भनाकय
भौसभ ऩरयवतथन
................
सफ प्रकृित के िनमभों के अनस ु ाय होते हैं इसकी जानकायी से न मसपथ सभम ऩय पसरों के उत्ऩादन भें ही
,
वयन ् हभें अऩना फ ाव कयने भें बी कापी सवु वधा होती है । अचधक गभी ऩड़नेवारे स्थानों भें ग्रीष्भऋतु
भें प्रात: ववद्मारम
राकय मा गमभथमों की रम्फी छुदि्टमॉ दे कय च रच राती रू से फ् ों का फ ाव
ककमा जाता है । फयसात के ददनों भें फाढ की वजह से यास्ता फॊद हो जानेवारे स्थानों भें फयसात भें छुदि्टमॉ दे दी जाती हैं ।
ग्रह-नऺरों की ककसी खास स्स्थित भें ऩथ् ू कयने के ृ वी के जड़- ेतनों ऩय ऩड़नेवारे खास प्रबाव को भहसस फाद ही
`पमरत
के न फन ऩाने से
्मोितष´ जैसे ववषम का ववकास ककमा गमा होगा। ऩयॊ तु शामद कुछ प्राभाखणक िनमभों
,
बववष्मवाखणमों के सटीक न हो ऩाने से मा वैऻािनक सों
यखनेवारों का ्मोितष के
प्रित दयु ाग्रह के कायण ही आधिु नक वैऻािनक मग ु भें ्मोितष का अ्छा ववकास नहीॊ हो ऩामा। ककन्तु वषों की साधना के फाद हभ
`गत्मात्भक
्मोितष´ द्वाया सटीक बववष्मवाखणमॉ कयने भें सपर हो यहे
हैं। हभने ऩामा है कक ववमबन्न जॊतओ ु ॊ औय ऩेड़-ऩौधों भें मह फात होती है कक उनके फीज से ही उन्हीॊ के गण ु औय स्वबाव वारे ऩेड़-ऩौधे औय जीव-जॊतओ ु ॊ का जन्भ होता है आॊतरयक सॊय ना भें बरे ही अऩने भाता-वऩता से मभरते जुरते हों कयने के ढॊ ग भें ववमबन्नता होती है ।
, ऩय भनष्ु म , ऩयॊ तु उनकी
के फ् े शायीरयक औय भन औय फवु ि के काभ
जन्भ के सभम ही हय फ् े भें सभानता नहीॊ दे खी जाती है । कोई शयीय से भजफत ू होता है कभजोय। ककसी भें योग-प्रितयोधक-ऺभता की प्र ुयता होती है से तेज होते हैं
,
,
,
तो कोई
तो ककसी भें इसकी अल्ऩता। कोई ददभाग
तो कोई कभजोय। ऩारन-ऩोषण के सभम भें बी फ् े का वातावयण मबन्न-मबन्न होता
,स्जससे उनका भनोवैऻािनक ववकास अ्छी तयह हो ऩाता हो जाते है , अऩनी इ्छा ऩयू ी कयने भें फेसब्री का ऩरय म दे ते है । सपर होते है । फहुत फ् े प्माय की कभी भहसस ू कयते हैं ,
है । फहुत फ् ों को बयऩयू प्माय मभर ऩाता है है । ऩयू े जीवन वे भनभौजी औय
ॊ र
अऩनी फातें फेफाक ढॊ ग से यख ऩाने भें
स्जससे इनका भनोवैऻािनक ववकास सही ढॊ ग से नहीॊ हो ऩाता है । ऩयू ी स्जॊदगी वे अऩनी इ्छाओॊ को
दफाने की प्रवस्ृ त्त यखते हैं। उनके जन्भकारीन ग्रहों के प्रबाव से ही ऩयू ी स्जॊदगी उनके साभने अरगअरग तयह की ऩरयस्स्थितमॉ आती हैं। जन्भकारीन ग्रहों के प्रबाव से ही ककसी की रुच ककसी की ऩढ़ाई भें
,
व्मवसाम भें
,
ककसी की करा भें औय ककसी की याजनीित भें होती है । ककसी का ध्मान अऩने
शयीय को भजफत ू ी प्रदान कयने का होता है की स्स्थित को भजफत ू फनाने का होता है भजफत ू ी दे ने का।
, तो ककसी का कोष को फढ़ाने का , ककसी का ध्मान सॊऩस्त्त , तो ककसी का ध्मान अऩनी घय गहृ स्थी औय सॊतान को
ग्रहों के कायण आनेवारी कई सभस्माओॊ के िनयाकयण कय ऩाने की ददशा भें बी हभने कापी प्रमास ककमा है
,
हारॉकक ववऩयीत ऩरयस्स्थितमों को ऩण ू थ रुऩ से सध ु ाय न ऩाने का हभें अपसोस बी फना यहता है । ऩय
ककसी व्मस्क्त के जन्भकारीन अ्छे ग्रहों के प्रबाव को फढाने औय फयु े ग्रहों के प्रबाव को कभ कयने भें तो कुछ काभमाफी मभर ही जाती है
,
सभम का इॊतजाय बरे ही हभ कयने को भजफयू होते हों। इसऩय
हभ मह सों कय सॊतष्ु ट हो जाते हैं कक प्रकृित के िनमभों को फदर ऩाना इतना आसान नहीॊ । हो सकता
है कुछ वषों भें प्रकृित के ककसी अन्म यहस्म को सभझने के फाद हभ फयु े ग्रहों के प्रबाव से ऩण थ मा भक् ू त ु त हो सकें। ऩय अबी बी इस यहस्म का खुरासा कक अभक ु ग्रह स्स्थित भें जन्भ रेनेवारों की जीवन-मारा
अभक ु ढॊ ग की होगी
,
िनस्सॊदेह आज की फहुत फड़ी वैऻािनक उऩरस्धध है । स्जन्होनें बी इस धयती ऩय
जन्भ रे मरमा है मा रेनेवारे हैं ,उन्हें तो गत्मात्भक ्मोितष के अनस ु ाय उऩस्स्थत होनेवारी
ऩरयस्स्थितमों के अनस ु ाय जीवन जीना ही होगा ,ऩयॊ तु मदद उन्हें अऩने जीवन भें आनेवारे सख ु ों औय दख ु ों का ऩहरे से ही अनभ ु ान हो जाव तो वे तदनरु ु ऩ अऩने कामथक्रभ फना सकते हैं । आनेवारे हय वषथ मा
भहीने के ग्रह स्स्थित को जानकय अऩने कामथ को अॊजाभ दे सकते हैं। मदद ग्रहो की स्स्थित उनके ऩऺ भें हो तो वे हय प्रकाय के कामथ को अॊजाभ दें गे।मदद ग्रहों की स्स्थित उनके ऩऺ भें नहीॊ हो तो वे ककसी
प्रकाय का रयस्क नहीॊ रेंगे। इस प्रकाय वे अऩने जीवनग्राप के अ्छे सभम के सभचु त उऩमोग द्वाया ववशेष सपरता हामसर कय सकते हैं
,
जफकक फयु े सभम भें वे प्रितयोधात्भक ढॊ ग से जीवन व्मतीत कय
सकते हैं । बववष्म भें उत्ऩन्न होनेवारे फ् ों के मरव गत्मात्भक ्मोितष वयदान हो सकता है । क्मकूॊ क ववशेष भह ु ू तों भें फ् े को जन्भ दे कय उसकी जीवन-मारा को कापी भहत्वऩण ू थ तो फनामा ही जा सकता है ।
मग ु ों-मग ु ों से भनष्ु म अऩने सभऺ उऩस्स्थत होनेवारी सभस्माओॊ के कायणों की जानकायी औय उसके
सभाधान के मरव च त ॊ न-भनन कयता यहा है । भानव-भन के च त ॊ न भनन के परस्वरुऩ ही नाना प्रकाय के उऩ ायों के वववयण हभाये प्रा ीन ग्रॊथों भें मभरते हैं। कुछ ववद्वानों का भानना है कक प्राकृितक वनस्ऩितमों से ही सफ प्रकाय के योगों का उऩ ाय सॊबव है
,
उनकी ऩिित ने योऩैथी कहराती है । कुछ
ववद्वानों का भानना है कक जर ही जीवन है औय इसके द्वाया ही सफ प्रकाय के योगों का िनदान सॊबव है । वक अरग वगथ का भानना है कक ववमबन्न प्रकाय के मोग औय व्मामाभ का बी भानव स्वास्थ्म ऩय
अ्छा प्रबाव ऩड़ता है । कुछ ऋवष-भिु नमों का भानना है कक वातावयण को स्वास्थ्मविथक फनाने भें सभमसभम ऩय होनेवारे मऻ हवन की बी फड़ी बमू भका होती है । सतत ् ववकास के क्रभ भें इसी प्रकाय आमव े ु द
,
होम्मोऩैथी
,
वक्मऩ ॊ य ू क्
,
वक्मप्र ू ेशय
,
वरोऩैथी की बी खोज हुई। पमरत ्मोितष भानता है कक
भनष्ु म के सभऺ उऩस्स्थत होनेवारी शयीरयक
,
भानमसक मा अन्म प्रकाय की कभजोयी का भख् ु म कायण
उसके जन्भकार के ककसी कभजोय ग्रह का प्रबाव है औय उस ग्रह के प्रबाव को भानव ऩय ऩड़ने से
योककय ही उस सभस्मा को दयू ककमा जा सकता है । इसी क्रभ भें ववमबन्न धातओ ु ॊ औय यत्नों द्वाया मा तयह तयह के ऩज ू ा ऩाठ के द्वाया ग्रहों के प्रबाव को कभ कय योगों का इराज कयने की ऩयॊ ऩया की शरु ु आत हुई।
`गत्मात्भक ्मोितष` बी कभजोय ग्रहों से जातकों के मरव प्रमत्नशीर यहा है । `गत्मात्भक ्मोितष` के अनस ु ाय ग्रहों की तीन भख् ु म स्स्थितमॉ स्जसके कायण जातक के साभने शायीरयक , भानमसक , आचथथक , ऩारयवारयक मा अन्म ककसी ऩय इन सफसे अरग वऩछरे फीस वषों से
को फ ाने होती हैं बी
,
असाभान्म ऩरयस्स्थितमाॊ उऩस्स्थत होती हैं औय उससे वह अ्छे मा फयु े तौय ऩय प्रबाववत हो सकता है ---
1
सबी वक्री ग्रह कभजोय होते हैं औय जातक को अऩने बाव से सॊफचॊ धत कभजोय तथा िनयाशाजनक
वातावयण प्रदान कयते हैं
,
दख ु द पर प्रदान कयते हैं। खासकय ग्रह के गत्मात्भक दशाकार भें इनका
प्रबाव अवश्म ही भहसस ू ककमा जा सकता है ।
2
सबी शीघ्री ग्रह भजफत ू होते हैं औय जातक को अऩने बाव से सॊफचॊ धत भजफत ू ी तथा उत्साहजनक
वातावयण प्रदान कयते हैं
,
सख ु द पर प्रदान कयते हैं। खासकय ग्रह के गत्मात्भक दशाकार भें इनका
प्रबाव अवश्म ही भहसस ू ककमा जा सकता है ।
3
सबी साभान्म ग्रह भहत्वऩण ू थ होते हैं औय जातक को अऩने बाव से सॊफचॊ धत स्तय तथा कामथ कयने का
वातावयण प्रदान कयते हैं
,
स्तयीम पर प्रदान कयते हैं। खासकय ग्रह के गत्मात्भक दशाकार भें इनका
प्रबाव अवश्म ही भहसस ू ककमा जा सकता है ।
गत्मात्भक ्मोितष के अनस ु ाय ग्रहों के फयु े प्रबाव को ऩरयवितथत कय ऩाना मािन फयु े को अ्छे भें तथा अ्छे को फयु े भें फदर ऩाना कदठन ही नहीॊ असॊबव है
,
ककन्तु ग्रहों के फयु े प्रबाव को कभ कयने के मरव
मा अ्छे प्रबाव को औय फढ़ा ऩाने के मरव िनम्न सराह दी जाती है --------------
1
स्जन जातकों के अचधकाॊश जन्भकारीन ग्रह शीघ्री होते हैं
,
उन्हें रगबग जीवनबय साये सॊदबों की
, स्जसके कायण वे थोड़े राऩयवाह स्वबाव के हो जाते हैं , अऩनी इ्छा नहीॊ यखते हैं , इस कायण भेहनत से दयू बागते हैं। इस स्वबाव को कभ कयने अॊगठ ू ी ऩहननी ादहव , जो उस ददन फनी हो , जफ अचधकाॊश ग्रह साभान्म मा भॊद
सख ु -सवु वधा आसानी से प्राप्त होती है ऩह ान फनाने की
के मरव उन्हें ऐसी गित के हो।
2
स्जन जातकों के अचधकाॊश जन्भकारीन ग्रह साभान्म होते हैं
होते हैं
,
,
वे रगबग जीवनबय कापी भहत्वाकाॊऺी
, स्जसके है , ककन्तु
उन्हें अऩनी ऩह ान फननने की दृढ़ इ्छा होती है
वैसे तो वतथभान मग ु भें ऐसे व्मस्क्तत्व का कापी भहत्व
,
कायण मे सतत ् प्रमत्नशीर होते हैं मदद ग्रह ऋणात्भक हो औय पर
प्रास्प्त भें कुछ ववरम्फ की सॊबावना हो तो वे ऐसी अॊगठ ू ी ऩहनकय कुछ आयाभ कय सकते हैं ददन फनी हो
3
,
,
जो उस
स्जस ददन अचधकाॊश ग्रह शीघ्री हों।
स्जन जातकों के अचधकाॊश ग्रह वक्री हों
ऩड़ सकता है
,
,
उन्हें रगबग जीवनबय कापी कदठनाइमों का साभना कयना
िनयॊ तय िनयाशाजनक ऩरयस्स्थितमों भें जीने के कायण वे कापी कॊु दठत हो जाते हैं। इन
ऩरयस्स्थितमों को कुछ सहज फनाने के मरव उन्हें ऐसी अॊगठ ू ी दी जा सकती है स्जस ददन अचधकाॊश ग्रह शीघ्री हों।
मे अॊगदू ठमॉ उस भह ु ू त्तथ भें फनवामी जा सकती हैं
,
,
जो उस ददन फनी हो
,
जफ उन ग्रहों का शब ु प्रबाव ऩथ् ृ वी के उस स्थान ऩय
ऩड़ यहा हो
,
स्जस स्थान ऩय वह अॊगठ ू ी फनवामी जा यही हो। दो घॊटे के उस ववशेष र्न का
ुनाव कय
अॊगठ ू ी को अचधक प्रबावशारी फनामा जा सकता है ।
हभ सॊगित के भहत्व के फाये भें हभेशा ही कुछ न कुछ ऩढ़ते आ यहें हैं। महॉ तक कहा गमा है -----` सॊगत से गण ु होत हैं
,
सॊगत से गण ु जात
´।
गत्मात्भक ्मोितष्ाा बी सॊगित के भहत्व को स्वीकाय
कयता है । वक कभजोय ग्रह मा कभजोय बाववारे व्मस्क्त को मभरता रोगों से कयनी
ादहव
,
,
सॊगित
,
व्माऩाय मा वववाह वैसे
स्जनका वह ग्रह मा वह बाव भजफत ू हो। इस फात को वक उदाहयण की
सहामता से अ्छी तयह सभझामा जा सकता है । मदद वक फारक का जन्भ अभावस्मा के ददन हुआ हो तो उन कभजोरयमों के कायण
,
स्जनका
ॊद्रभा स्वाभी है
,फ
,
ऩन भें फारक का भनोवैऻािनक ववकास
सही ढॊ ग से नहीॊ हो ऩाता है औय फ् े का स्वबाव कुछ दधफू ककस्भ का हो जाता है
,
उसकी इस स्स्थित
को ठीक कयने के मरव फारक की सॊगित ऩय ध्मान दे ना होगा। उसे उन फ् ों के साथ अचधकाॊश सभम व्मतीत कयना
ादहव
,
स्जन फ् ों का जन्भ ऩखू णथभा के आसऩास हुआ हो। उन फ् ों की उ्छृॊखरता को दे खकय उनके फार भन का भनोवैऻािनक ववकास बी कुछ अ्छा हो जावगा। इसके ववऩयीत मदद उन्हें अभावस्मा के िनकट जन्भ रेनेवारे फ् ों के साथ ही यखा जाव तो फारक अचधक दधफू ककस्भ का हो
जावगा। इसी प्रकाय अचधक उ्छृॊखर फ् ों को अष्टभी के आसऩास जन्भ रेनेवारे फ् ों के साथ यखकय उनके स्वबाव को सॊतमु रत फनामा जा सकता है । इसी प्रकाय व्मवसाम
,
वववाह मा अन्म भाभरों भें
अऩने कभजोय ग्रहों के प्रबाव को कभ कयने मा अऩने कभजोय बावों की सभस्माओॊ को कभ कयने के मरव साभनेवारे के मािन मभरों मा जीवनसाथी की जन्भकॊु डरी भें उन ग्रहों मा भ् ु ों का भजफत ू यहना अ्छा होता है ।
इसके अरावे ग्रहों के फयु े प्रबाव को दयू कयने के मरव हभाये धभथशास्रों भें हय ितचथ ऩवथ ऩय स्नानादद के ऩश् ात ् दान कयने के फाये भें फतामा गमा है ।प्रा ीनकार से ही दान का अऩना भहत्व यहा है ककस प्रकाय का ककमा जाना
ादहव
,
,
ऩयॊ तु दान
इसकी जानकायी फहुत कभ रोगों को है । दान के मरव शि ु द्रधम का
होना अिनवामथ है । दान के मरव सऩ ु ार वह व्मस्क्त है
,
जो अनवयत ककसी कक्रमाकराऩ भें सॊर्न होते
हुव बी अबावग्रस्त है । दष्ु कभथ मा ऩाऩकभथ कयनेवारे मा आरसी व्मस्क्त को दान दे ना फहुत फड़ा ऩाऩ होता है । मदद दान के नाभ ऩय आऩ ठगे जाते हैं
,
तो इसका ऩण् ु म आऩको नहीॊ मभरेगा। इसमरव दान
का उच त पर प्राप्त कयने के मरव आऩ दान कयते मा दे ते सभम ध्मान यखें कक दान उस सऩ ु ार तक ऩहुॊ
सके
,
जहॉ इसका उच त उऩमोग हो सके।ऐसे भें आऩको सवाथचधक पर की प्रास्प्त होगी।
साथ ही अऩनी कॊु डरी के अनस ु ाय ही उसभें जो ग्रह कभजोय हो कयना
ादहव। जातक का
ॊद्रभा कभजोय हो
,
,
उसको भजफत ू फनाने के मरव दान
तो अनाथाश्रभ को दान कयना
ादहव
,
खासकय
12
से कभ उम्र के अबावग्रस्त औय जरुयतभॊद फ् ों को ददव जानेवारे दान से उनका कापी बरा होगा।
वषथ
जातक का फध ु कभजोय हो तो उन्हें ववद्माचथथमों को मा ककसी प्रकाय के रयस थ कामथ भें रगे व्मस्क्त को
सहमोग दे ना
कामथक्रभ फनाने
ादहव। जातक का भॊगर कभजोय हो
,
तो उन्हें मव ु ाओॊ की भदद औय कल्माण के मरव
ादहव। जातक का शक्र ु कभजोय हो तो उनके मरव कन्माओॊ के वववाह भें सहमोग कयना
अ्छा यहे गा। सम ू थ कभजोय हो तो प्राकृितक आऩदाओॊ भें ऩड़नेवारों की भदद की जा सकती है । फह ृ स्ऩित
कभजोय हो तो अऩने भाता वऩता औय गरु ु जनों की सेवा से राब प्राप्त ककमा जा सकता है । शिन कभजोय हो तो वि ृ ाश्रभ को दान कयें मा अऩने आसऩास के जरुयतभॊद अितवि ृ की जरुयतों को ऩयू ा कयने की कोमशश कयें ।
मह तथ्म सवथववददत ही है कक ववमबन्न ऩदाथों भें यॊ गों की ववमबन्नता का कायण ककयणों को अवशोवषत औय उत्सस्जथत कयने की शस्क्त है । स्जन यॊ गों को वे अवशोवषत कयती हैं ऩयॊ तु स्जन यॊ गों को वे ऩयावितथत कयती हैं
, फध ु के द्वाया हये रार , फह ृ स्ऩित के द्वाया
द्वाया दचू धमा सपेद के द्वाया तप्त स् ाई होनी
, वे हभें ददखाई दे ती हैं। , भॊगर के द्वाया रार ,
ादहव।
,
,
वे हभें ददखाई नहीॊ दे ती
मदद मे िनमभ सही हैं तो शक्र ु के द्वाया
ॊद्र के
भकीरे सपेद
,
ऩीरे औय शिन के द्वाया कारे यॊ ग का ऩयावतथन बी वक
सम ू थ
, मािन मे बी अरग अरग यॊ गों को ऩयावितथत कयती है । इस आधाय ऩय सपेद यॊ ग की वस्तओ ॊ , हये यॊ ग की वस्तओ ु ॊ का द्र ु ॊ का फध ु , रार यॊ ग की वस्तओ ु ॊ का भॊगर , भकीरे सपेद यॊ ग की वस्तओ ु ॊ का शक्र ु , तप्त रार यॊ ग की वस्तओ ु ॊ का सम ू थ , ऩीरे यॊ ग की ऩथ् ृ वी भें हय वस्तु का अरग अरग यॊ ग है
वस्तओ ॊ होने से इॊकाय नहीॊ ककमा जा ु ॊ का फह ु ॊ का मशन के साथ सॊफध ृ स्ऩित औय कारे यॊ ग की वस्तओ
सकता। शामद मही कायण है कक नववववादहता स्स्रमों को भॊगर ग्रह के दष्ु प्रबावों से फ ाने के मरव रार यॊ ग को ऩयावितथत कयने के मरव प्राम: रार वस्र से सश ु ोमबत कयने तथा भॉग भें रार मसॊदयू रगे की प्रथा है ।
इसी कायण
ॊद्रभा के फयु े प्रबाव से फ ने के मरव भोती
शक्र ु के मरव हीया
,
सम ू थ के मरव भाखणक
,
,
फध ु के मरव ऩन्ना
,
भॊगर के मरव भग ूॊ ा
फह ु याज औय शिन के मरव नीरभ ऩहनने ृ स्ऩित के मरव ऩख
की ऩयॊ ऩया सभाज भें फनामी गमी है । मे यत्न सॊफचॊ धत ग्रहों की ककयणों को उत्सस्जथत कय दे ते हैं कायण मे ककयणें इन यत्नों के मरव तो प्रबावहीन होती ही हैं
,
,
स्जसके
साथ ही साथ इसको धायण कयनेवारों के
मरव बी प्रबावहीन फन जाती हैं। इसमरव यत्नों का प्रमोग मसपथ फयु े ग्रहों के मरव ही ककमा जाना
,
,
ादहव
अ्छे ग्रहों के मरव नहीॊ। कबी-कबी ऩॊडडतों की सभचु त जानकायी के अबाव के कायण मे यत्न जातक
को अ्छे पर से बी वॊच त कय दे ती है ।
यॊ गों भें अद्भत ू थ के ू प्रबाव होने का सफसे फड़ा प्रभाण मह है कक ववमबन्न यॊ गों की फोतरों भें यखा ऩानी सम प्रकाश भें औषचध फन जाता है
,
स्जसका उऩमोग ववमबन्न योगों की च ककत्सा भें ककमा जाता है ।
'गत्मात्भक
्मोितष' बी कभजोय ग्रहों के फयु े प्रबाव से फ ने के मरव उससे सॊफचॊ धत यॊ गों का
अचधकाचधक प्रमोग कयने की सराह दे ता है । यत्न धायण के साथ साथ आऩ उसी यॊ ग की प्रधानता के वस्र धायण कय सकते हैं । भकान के फाहयी दीवायों की ऩत ु ाई कयवा सकते हैं। मदद व्मस्क्त का जन्भकारीन ॊद्र कभजोय हो, तो उन्हें सपेद कभजोय हो यॊ ग
,
,
तो उसे रार
फह ृ स्ऩित कभजोय हो
, ,
तो उसे ऩीरे
उन ग्रहों के प्रबाव को ऩयावितथत ककमा जा अचधकाचधक प्रबाव आऩऩय ऩड़े
,
फध ु कभजोय हो
,
तो उसे हये
,
भॊगर
, सम ू थ कभजोय हो , तो उसे ईंट के , तथा शिन कभजोय हो , तो कारे यॊ ग का अचधक प्रमोग कय सकता है । रेककन ध्मान यहे , भजफत ू ग्रहों की ककयणों का
शक्र ु कभजोय हो
,
,
तो उसे हल्के नीरे
इसके मरव उससे सॊफचॊ धत यॊ गों का कभ से कभ प्रमोग होना
इन यॊ गों की वस्तओ ु ॊ का प्रमोग न कय आऩ दान कयें
,
ादहव।
तो कापी पामदा हो सकता है ।
प्रा ीनकार से ही ऩेड़-ऩौधें का भानव ववकास के साथ गहया सॊफध ॊ यहा है । बायतीम ्मोितष भें यत्नधायण की ही तयह ववमबन्न वनस्ऩितमों की जड़ों को बी धायण कयने की बी ऩयॊ ऩया है । सम ू थ की शाॊित के मरव फेर की जड़ की जड़
,
,
ॊद्र के मरव खखन्नी की जड़
,
गरु ु के मरव सॊतये मा केरे की जड़
भॊगर के मरव अनॊतभर ू की जड़
,
,
फध ु के मरव ववधाया
शक्र ु के मरव सयपाकों की जड़ तथा शिन की शाॊित के
मरव बफ्छुव की जड़ धायण कयने की फात ्मोितष के प्रा ीन ग्रॊथों भें मरखी है । साथ ही यॊ गों के
अनस ु ाय ही ववमबन्न ऩेड़-ऩौधें की ऩज ू ा मा ववमबन्न दे वी दे वताओॊ ऩय ऩष्ु ऩ अऩथण कयने का बी ववधान है । इससे साबफत होता है कक हभाये ऋवष भिु नमों को ग्रहों के दष्ु प्रबाव को दयू कयने के मरव ऩेड़-ऩौधों की
बमू भका का बी ऩता था। अन्म फातों की तयह ही जफ गॊबीयताऩव थ कापी ददनों तक ग्रहों के प्रबाव को ू क दयू कयने भें ऩेड ऩौधों की बमू भका का बी ऩयीऺण ककमा गमा तो िनम्न फातें दृस्ष्टगो य हुई
--------
-----1.
मदद जातक का
द्र ॊ भा कभजोय हो
भें रगाकय उसभें प्रितददन ऩानी दे ना
2.
तो उन्हें तर ु सी मा अन्म छोटे -छोटे औषधीम ऩौधे अऩने अहाते
ादहव।
मदद जातक का फध ु कभजोय हो तो उसे बफना पर पूरवारे मा छोटे छोटे हये परवारे ऩौधे रगाने
से राब ऩहुॊ
3.
,
सकता है ।
इसी प्रकाय जातक का भॊगर कभजोय हो तो उन्हें रार पर-पूरवारे फड़े-फड़े ऩेड़ रगानेा़ से राब
होगा।
4.
इसी प्रकाय जातक का शक्र ु कभजोय हो तो उन्हें सपेद पर-पूरवारे फड़े-फड़े ऩेड़ रगानेा़ से राब
होगा।
5.
इसी प्रकाय जातक का सम ू थ कभजोय हो तो उन्हें तप्त रार यॊ ग के पर-पूरवारे फड़े-फड़े ऩेड़ रगानेा़ से
राब होगा।
6.
इसी प्रकाय जातक का फह ृ स्ऩित कभजोय हो तो उन्हें ऩीरे पर-पूरवारे फड़े-फड़े ऩेड़ रगानेा़ से राब
होगा।
7.
इसी प्रकाय जातक का शिन कभजोय हो तो उन्हें बफना पर-पूर वारे मा कारे पर-पूरवारे फड़े-फड़े
ऩेड़ रगानेा़ से राब होगा। ध्मान यहे
,
मे सबी छोटे -फड़े ऩेड़-ऩौधे ऩयू फ की ददशा भें रगे हुव हों
,
इसके अितरयक्त ग्रह के फयु े प्रबाव
से फ ने के मरव ऩस्श् भोत्तय ददशा भें बी कुछ फड़े ऩेड़ रगाव जा सकते हैं भें आऩ शौककमा तौय ऩय कोई बी ऩेड़ ऩौधे रगा सकते हैं।
,
ककन्तु अन्म सबी ददशाओॊ
उऩयोक्त सभाधानों के द्वाया जहॉ ग्रहों के फयु े प्रबावों को कभ ककमा जा सकता है
,
को फढा ा़ ऩाने भें बी सपरता मभर सकती है ।
वहीॊ अ्छे प्रबावों
भेये आरेख को ऩढने के फाद वक ऩाठक का प्रश्न है कक ऩयु ाने जभाने भें तो हभरोगों के मरव मे कोई उऩाम नहीॊ ककव गव
,
कपय हभरोगों ऩय ग्रहों का फयु ा प्रबाव नहीॊ ऩडा
,
आज इसकी जरूयत क्मूॊ ऩड
गमी। अबी हार कपरहार भें भेये महाॊ आव वक डॉक्टय ने बी भझ ु से मही प्रश्न ऩछ ू ा था। भैने डॉक्टय से ऩछ ू ा कक क्मा कायण है कक आऩरोग गबथवती स्री को इतने ववटाभीन मरखा कयते हैं
,
कर तक गाॊव भें
अत्मॊत िनधथन भदहराओॊ को छोडकय शामद ककसी को बी ऐसी आवश्मकता नहीॊ ऩडती थी। उन्होने कहा कक हभाये यहन सहन भें आव पकथ के कायण ऐसा हो यहा है । गाॊव भें औयतें ऩमाथप्त भारा भें साग सस्धजमाॊ खामा कयती थी
,
ऩयॊ ऩयागत खाने की थामरमों के फाद शयीय भें ककसी औय
नहीॊ यह जाती है । ऩय आज कुछ व्मस्तता की वजह से
,
ीज की जरूयत
तो कुछ ताजी सस्धजमों की अनप्ु रधधता के
कायण भदहराओॊ भें इसकी कभी हो जामा कयती है । अथथ मही है कक प्रकृित से आऩ स्जतनी ही दयू ी फनाव यखें गे
,
आऩको कृबरभ उऩामों की आवश्मकता उतनी ही ऩडेगी।
भैने उन्हें सभझामा कक ऐसी ही फात हय ऺेर भें हैं
,
भैने शब ु भह ु ू त्तथ भें फननेवारे अॊगठ ू ी मािन गहने की
भेये ऩयू े को ऩढनेवारे ने ऩामा होगा कक सफसे ऩहरे
ाथ की है । वक ऩाठक ने मह बी ऩछ ू ा कक हभ मह
कैसे ऩता कयें कक अॊगठ ् भें फनी है । स भु हय फात भें ्मोितषीमों से याम रेना कापी ू ी शब ु भह ु ू तथत कदठन है । इसी के मरव ऩयॊ ऩया फनामी गमी थी। जफ आऩके घय भें कोई शब ु कामथ आयाभ से हो यहा हो
,
तो सभझ जावॊ कक आऩके मरव ग्रहों की शब ु स्स्थित फनी है । सॊतान का जन्भ खुशी खुशी हुआ
,
फ् ा ऩण ू थ रूऩ से स्वस्थ है मािन ग्रह भनोनक ु ू र हैं सन ु ाय को फर ु ामा गमा
,
उसे ऑडथय ददमा गमा
गराकय वक वस्तु फनामी गमी
,
,
,
आऩ जन्भोत्सव की तैमायी कयते हैं। इस सभम
आऩके शब ु सभम भें सोने मा
स्जसे आऩके गरे
,
हाथ मा ऩैय भें धायण कयवा ददमा गमा। मही नहीॊ
अन्म रोगों के द्वाया उऩहाय भें मभरे साभान बी इसी सभम के फने होते हैं फयु ा
,
रोग ऩये शान हैं
,
,
फाद भें ग्रह अ्छा हो मा
फ् े की भानमसक स्स्थित ऩय अचधक प्रबाव नहीॊ ऩडता है ।
इसी तयह फेटे मा फेटी के वववाह के मरव मो्म ऩाटथ नय नहीॊ मभर यहा है हैं
ाॊदी को ऩण ू थ तौय ऩय
,
,
ककतने ददनों से ढूॊढ ढूॊढकय
अ ानक वक उऩमक् ु त ऩाटथ नय मभर जाता है । वैऻािनकों की बाषा भें इसे सॊमोग कहते
ऩय इसभें बी शब ु ग्रहों का प्रबाव होता है । इस सभम कपय से सन ु ाय को फर ु ामा गमा
ददमा गमा
,
आऩके शब ु सभम भें सोने मा
वय औय वधू दोनो के गरे
,
,
उसे ऑडथय
ाॊदी को ऩण ू थ तौय ऩय गराकय वक वस्तु फनामी गमी
,
स्जसे
हाथ मा ऩैय भें धायण कयवा ददमा जाता है । अफ मदद इनके ग्रह फयु े बी हों
, रडकी हैं , नौकयी
तो भानमसक शाॊित दे ने के मरव मे जेवय कापी होते थे। सख ु औय दख ु तो जीवन के िनमभ हैं की शादी हो गमी नहीॊ हो यही है
,
,
ऩित नहीॊ कभाता है
रो कोई फात नहीॊ
,
,
कोई फात नहीॊ
,
ऩाऩाजी फेटी जैसा प्माय कय यहे
ऩाऩा के ही व्मवसाम को सॊबारा जाव
,
कुछ औय काभ कय
मरमा जाव, भतरफ सॊतोष ही सॊतोष। औय कपय सभम हभेशा वक जैसा तो हो ही नहीॊ सकता सफकुछ भन भत ु ाबफक होना ही है । ऩय आजकर आऩका शब ु भह ु ू त्तथ
,
कर
गहने खयीदकय रे आते
, जफ आऩके ग्रह कभजोय र यहे थे। उसे ऩहनकय फ् ा मा वय वधू शाॊित से तबी तक यह ऩाते हैं , जफतक उनके ग्रह भजफत र यहे हों , जैसे ही ू उनका ग्रह कभजोय होता है , उनऩय दग ु न ु ा फयु ा प्रबाव ऩडता है , वे ऩये शान हो जाते हैं , दख ु से रडने की उनकी शस्क्त नहीॊ होती। छोटी छोटी सभस्माओॊ से जूझना नहीॊ ाहते , असॊतोष उनऩय हावी हो जाता है । ऩित कभा यहा है तो सास ससयु के साथ क्मूॊ यहना ऩड यहा है , ट्राॊसपय कयवा रो , ट्राॊसपय हो गमा , तो भझ ु े नौकयी नहीॊ कयने दे यहा , नौकयी बी कयने दी , तो हभाये घभ ू ने कपयने के ददन हैं , मे फ्रैट खयीद यहा है मािन हय फात भें ऩये शानी। कैरयमय भें मव ु कों को ऐसी ही ऩये शानी है , इस तयह ऩित को वैसा ही असॊतोष , ककसी को ककसी से सॊतस्ु ष्ट नहीॊ। इसी प्रकाय जफ आऩका फयु ा सभम र यहा होता है औय आऩ वक ्मोितषी के कहने ऩय अॊगठ ू ी फनवाकय ऩहनते हैं , तो आऩ अऩने कष्ट को दग ु न ु ी कय रेते हैं, इसमरव कबी बी फयु े वक्त भें नई अॊगठ ू ी फनवाने की कोमशश न कयें । हैं
,
र यहा होता है तो आऩ गहने नहीॊ फनवाते
,
वह गहना उस सभम का फना हो सकता है
वक सप्ताह फाद अऩने रयश्तेदायी के वक वववाह से रौटी भेयी फहन ने कर वक प्रसॊग सन ु ामा। उस वववाह भें दो फहनें अऩनी वक वक फ् ी को रेकय आमी थी। हभउम्र रग यही उन फस्् मों भें से वक फहुत ॊ र औय वक बफल्कुर शाॊत थी। उन्हें दे खकय भेयी फहन ने कहा कक इन दोनो फस्् मों भें से वक का जन्भ छोटे
ाॊद औय वक का फडे
ाॊद के आसऩास हुआ रगता है । वैसे तो उनकी भाॊओॊ को दहन्दी ऩरक
की जानकायी नहीॊ थी
,
इसमरव फताना भस्ु श्कर ही था। ऩय दहन्दी त्मौहायों की ऩयॊ ऩया ने इन ितचथमों को
माद यखने भें अ्छी बमू भका िनबामी है
,
शाॊत ददखने वारी फ् ी की भाॊ ने फतामा कक उसकी फ् ी
दीऩावरी के ददन हुई है मािन ठीक अभावस्मा मािन बफल्कुर ऺीण ॊद्रभा के ददन ही औय इस आधाय ऩय उसने फतामा कक दस ू यी मािन ॊ र फ् ी उससे डेढ भहीने फडी है । इसका अथथ मह है कक उस ॊ र फ् ी के जन्भ के दौयान
द्र ॊ भा की स्स्थित भजफत ू यही होगी। ्मोितष की जानकायी न यखने वारों ने
तो इतनी छोटी सी फात ऩय बी आजतक ध्मान न ददमा होगा। क्मा मह स्ऩष्ट अॊतय ऩयु ाने जभाने के फ् ों भें दे खा जा सकता था कभजोय
?
कबी नहीॊ
,
आॊगन के साये फ् े वक साथ उधभ भ ाते दे खे जाते थे
,
द्र ॊ भा के कायण फ् े के भन भें यहा बम बी दस ू यों को खेरते कूदते दे खकय सभाप्त हो जाता
था। भन भें
र यही ककसी फात को उसके कक्रमाकराऩों से नहीॊ सभझा जा सकता था।
ग्रहों के फयु े प्रबाव को दयू कयने के मरव शब ु भह ु ू त्तों भें जेवय फनवाने के फाद हभने सॊगित की है । हभने कहा कक वक कभजोय ग्रह मा कभजोय बाववारे व्मस्क्त को मभरता वववाह वैसे रोगों से कयनी का सॊफध ॊ चगने
ादहव
,
,
सॊगित
,
ाथ की
व्माऩाय मा
स्जनका वह ग्रह मा वह बाव भजफत ू हो। आज के मग ु भें जफ रोगों
ुने रोगों से हो गमा है
,
ग्रहों को सभझने की अचधक आवश्मकता हो गमी है । प्रा ीन
कार भें ऩयू े सभाज से भेरजोर यखकय हभ अऩने गण ु ों औय अवगण ु ों को अ्छी तयह सभझने का प्रमास कयते थे
,
हय प्रकाय का सभझौता कयने को तैमाय यहते थे। ऩय आज अऩने वव ाय को ही प्रभख ु ता दे ते
हैं औय ऐसे ही वव ायो वारों से दोसती कयना ऩसॊद कयते हैं। महाॊ तक कक वववाह कयने से ऩहरे फात ीत कयके साभनेवारे के स्वबाव को ऩयख रेते हें सभझौता कयने की आदत हो नागवाय गज ु यता है
,
,
,
जफकक दो ववऩयीत स्वबाव हो औय दोनो ओय से
तो व्मस्क्त भें सॊतर ु न अचधक फनता है । ऩय अफ हभें सभझौता कयना
अऩनों से सही ढॊ ग से तारभेर फना ऩाने वारे रोगों से ही सॊफध ॊ फनाना ऩसॊद कयते
हैं। ऐसी स्स्थित भें अऩने औय साभनेवारों के वक जैसे ग्रहों के प्रबाव से उनका सॊकुच त भानमसकता का फनना स्वाबाववक है ।
इसके अरावे हभने ग्रहों के फयु े प्रबाव के मरव दान की
ाथ की है । हभरोग जफ छोटे थे
त्मौहाय मा खास अवसयों ऩय नहाने के फाद दान ककमा कयते थे। घय भें स्जतने रोग थे
,
,
तो हय
सफके नाभ से
सीधा िनकरा हुआ होता था। स्नान के फाद हभरोगों को उसे छूना होता था। दस ू ये ददन गयीफ ब्राहभण आकय दान कव गव साये अनाज को रे जाता था। वे रोग स भु गयीफ होते थे। उन्हें कोई रार बी नहीॊ होता था
,
स्जतना मभर जाता
,
उससे सॊतष्ु ट हो जामा कयते थे। हाराॊकक गहृ स्थ के घयों से मभरे
इस सीधे के फदरे उन्हें सभाज के मरव ग्रॊथो का अ्छी तयह अध्ममन भनन कयना ही नहीॊ सत्म को साभने राना था
,
,
नव नव
स्जसे उन्होने साभास्जक औय याजनीितक ऩरयस्स्थितमों के बफगडने के दौयान
ऩीढीमों ऩव ू थ ही छोड ददमा था। ऩय कपय बी ककसी गयीफ को दान दे कय हभ अ्छी प्रवस्ृ त्त ववकमसत कय ही रेते थे
,
साथ ही फयु े वक्त भें भन का कष्ट बी दयू होता ही है ।
आज हभरोग उतने सही जगह दान बी नहीॊ कय ऩाते हैं। हभाये महाॊ वक ब्राहभण प्रितददन शाभ को
,
आयती के फाद वह थार रेकय प्रत्मेक दक ु ान भें घभ ू ा कयता है
कभ से कभ बी तो उसकी थारी भें
हजाय रूऩव प्रितददन हो जाते हैं। सडक ऩय आते जाते भेये साभने से वह गज ु यता है मसक्के की उम्भीद यखता है
,
ऩय भैं उसे नहीॊ दे ती
,
भेयी दृस्ष्ट भें अचधक उच त है । स्जस शहय भें प्रितददन ग्रे्मव ु ट को बी प्रितभाह भार जाते हैं
,
2000
रू मभरते हों
,
भझ ु से बी
भेये अऩने ऩयु ोदहत जी फहुत गयीफ हैं
,
12
से
14
,
है । ककसी बी ऺेर भें ऩारता का दहसाफ ही सभाप्त हो गमा है दष्ु प्रबाव भें है ।
उन्हे दे ना
घॊटे काभ कयने के फाद वक
वहाॊ इसे शाभ के दो घॊटे भे
उसको ददमा जानेवारा दान दान नहीॊ हो सकता
,
द ॊ
1000
रू मभर
ऩय आज ऐसे ही रोगों को दान मभरा कयता
,
इस कायण तो हय व्मस्क्त ग्रहों के ववशेष
ऩय इन सफ फातों को सभझने के मरव मह आवश्मक है कक ऩहरे हभें ग्रहों के प्रबाव को स्वीकाय कयना होगा। स्जस तयह ऊऩय के उदाहयण से भैने स्ऩष्ट ककमा कक उसी तयह फध ु से ककशोय का अध्ममन
,
द्र ॊ भा से फ् े का भन प्रबाववत होता हैं
,
भॊगर से मव ु ाओॊ का कैरयमय प्रबाववत होता हैं औय शक्र ु से
कन्माओॊ का वैवादहक जीवन। इसी प्रकाय फह ृ स्ऩित औय शिन से वि ृ ों का जीवन प्रबाववत होता है
,
इसमरव इन साये ग्रहों की स्स्थित को भजफत ू फनाने के मरव सॊफचॊ धत जगहों ऩय दान कयना मा भदद भें खडे हो जाना उच त है । इसभें ककसी तयह की शॊका नहीॊ की जा सकती है ।
ग्रहों के फयु े प्रबाव को दयू कयने के उऩामों की कयने की
,
सीधे स्वीकाय कय रेना फेहतय
ाथ के क्रभ भें ववमबन्न यॊ गो के द्वाया इसे सभामोस्जत
ाथ की गमी है । इन यॊ गो का उऩमोग आऩ ववमबन्न यॊ ग के यत्न के साथ ही साथ वस्र धायण
से रेकय अऩने साभानों औय घयों की ऩत ु ाई तक औय ववमबन्न प्रकाय की वनस्ऩितमों को रगाकय प्राप्त कय सकते हैं। सन ु ने भें मह फडा अजीफ सा रग सकता है
,
ऩय इस ब्रहभाॊड की हय वस्तु वक खास यॊ ग
का प्रितिनचधत्व कयती है औय इस कायण वक जैसे यॊ गों को ऩरयवितथत कयनेवारी सबी वस्तओ ु ॊ का आऩस भें वक दस ॊ हो जाता है । औय मही ग्रहों के दष्ु प्रबाव को योकने भें हभायी भदद कयता है । ू ये से सॊफध
ककसी बी ऩिित के द्वाया उऩ ाय ककव जाने से ऩहरे उसके आधाय ऩय ववश्वास कयना आवश्मक होता है ।
‘गत्मात्भक
्मोितष’ का भानना है कक ककसी बी प्रकाय की शायीरयक
,
भानमसक मा अन्म ऩरयस्स्थितमों
की गडफडी भें उस व्मस्क्त के जन्त्भकारीन ग्रहों की ‘गत्मात्भक शस्क्त’ की कभी बी वक फडा कायण होती हैं
,
इसमरव उन्हें दयू कयने के मरव हभें ग्रहों के इस दष्ु प्रबाव को सभाप्त कयना ही ऩडेगा
,
कक असॊबव है । हभरोग मसपथ उसके प्रबाव को कुछ कभ मा अचधक कय सकते हैं। स्जस ग्रह से हभ प्रबाववत हो यहे होते हैं
शस्क्त प्रदान कयता है ।
,
जो
उससे सॊफचॊ धत यॊ गों का प्रमोग हभें सभस्माओॊ से भार आसानी से रडने की
यॊ ग हभाये भन औय भस्स्तष्क को कापी प्रबाववत कयते हैं। कोई खास यॊ ग हभायी खुशी को फढा दे ता है तो कोई हभें कष्ट दे ने वारा बी होता है । मदद हभ प्रकृित के अत्मचधक िनकट हों स्जस यॊ ग का हभें सवाथचधक उऩमोग कयना
ादहव
,
,
तो ग्रहों के अनस ु ाय
उस यॊ ग को हभ खद ु ऩसॊद कयने रगते हैं औय उस
यॊ ग का अचधकाचधक उऩमोग कयते हैं। प्रकृित की ओय से मह व्मवस्था खुद हभायी भदद के तौय ऩय हो
जाती है । ऩय प्रकृित से दयू कॊप्मट ू य भें ववमबन्न यॊ गों के सॊमोजन से तैमाय ककव गव नाना प्रकाय के यॊ गों भें से वक को
न ु ना आज हभाया पैशन है औय वह हभें ग्रहों के दष्ु प्रबाव से रडने की शस्क्त नहीॊ दे
ऩाता। सॊऺेऩ भें मही कहा जा सकता है कक आज हय स्थान ऩय कृबरभता के फने होने से ही हभें कृबरभ तौय ऩय ग्रहों के मरव उऩामों की मा यॊ गों की ऐसी व्मवस्था कयनी होती है ऩरयस्स्थितमों भें बी खुश यह सके। प्रकृित से हभ स्जतना ही दयू यहें गे आवश्मकता ऩडेगी।
,
,
ताकक हभ ववऩयीत
हभें इराज की उतनी ही
इस प्रकाय प्रकृित के िनमभों को सभझना ही फहुत फडा ऻान है , उऩ ायों का ववकास तो इसऩय ववश्वास होने मा इस ऺेर भें फहुत अचधक अनस ॊ ान कयने के फाद ही हो सकता है । अबी तो ऩयॊ ऩयागत ऻानों की ु ध तयह ही ्मोितष के द्वाया ककव जाने वारे उऩ ायो को फहुत भान्मता नहीॊ दी जा सकती , ऩय ग्रहों के प्रबाव के तयीके को जानकय अऩना फ ाव कय ऩाने भें हभें फहुत सहामता मभर सकती है । रेककन कपय बी ्मोितवषमों द्वाया रार कय ही रेते हैं।
ददखाव जाने ऩय रोग उनके
क्कय भें ऩडकय अऩने धन का कुछ नक ु सान
ग्रहों के अनुसाय हो मा कपय ऩूवज थ न्भ के कभों के अनुसाय, स्जस स्तय भें हभने जन्भ मरमा , स्जस स्तय का हभें वातावयण मभरा, उस स्तय भें यहने भें अचधक ऩये शानी नहीॊ होती। ऩय कबी कबी
अऩनी जीवनमारा भें अ ानक ग्रहों के अ्छे मा फुये प्रबाव दे खने को मभर जाते हैं , जहाॊ ग्रहों का अ्छा प्रबाव हभायी सुख औय सपरता को फढाता हुआ हभाये भनोफर को फढाता है , वहीॊ ग्रहों का फुया प्रबाव हभें दख ु औय असपरता दे ते हुव हभाये भनोफर को घटाने भें बी सऺभ होता है ।
वास्तव भें , स्जस तयह अ्छे ग्रहों के प्रबाव से स्जतना अ्छा नहीॊ हो ऩाता , उससे अचधक हभाये आत्भववश्वास भें ववृ ि होती है द्व ठीक उसी तयह फुये ग्रहों के प्रबाव से हभायी स्स्थित स्जतनी बफगडती नहीॊ , उतना अचधक हभ भानमसक तौय ऩय िनयाश हो जामा कयते हैं। ्मोितष के
अनुसाय हभायी भन:स्स्थित को प्रबाववत कयने भें द्र ॊ भा का फहुत फडा हाथ होता है । धातु भें द्र ॊ भा का सवाथचधक प्रबाव ाॊदी ऩय ऩडता है । मही कायण है कक फारारयष्ट योगों से फ ाने के मरव जातक को
ाॊदी का
द्र ॊ भा ऩहनाव जाने की ऩयॊ ऩया यही है । फडे होने के फाद बी हभ ाॊदी
के छल्रे को धायण कय अऩने भनोफर को फढा सकते हैं। आसभान भें
द्र ॊ भा की घटती फढती स्स्थित से
ॊद्रभा की ्मोितषीम प्रबाव डारने की शस्क्त भें
घट फढ होती यहती है । अभावस्मा के ददन बफल्कुर कभजोय यहने वारा
ॊद्रभा ऩूखणथभा के ददन
अऩनी ऩूयी शस्क्त भें आ जाता है । आऩ दो
ाय भहीने तक
द्र ॊ भा के अनुसाय अऩनी भन:स्स्थित
को अ्छी तयह गौय कयें , ऩूखणथभा औय अभावस्मा के वक्त आऩको अवश्म अॊतय ददखाई दे गा। ऩूखणथभा के ददन
द्र ॊ ोदम के वक्त मािन सूमाथस्त के वक्त द्र ॊ भा का ऩथ् ृ वी ऩय सवाथचधक अ्छा
प्रबाव दे खा जाता है । इस र्न भें दो घॊटे के अॊदय
ाॊदी को ऩूणथ तौय ऩय गराकय वक छल्रा
तैमाय कय उसी वक्त उसे ऩहना जाव तो उस छल्रे भें
द्र ॊ भा की सकायात्भक शस्क्त का ऩूया
प्रबाव ऩडेगा , स्जससे व्मस्क्त के भनोवैऻािनक ऺभता भें ववृ ि होगी। इससे उसके च त ॊ न भनन
ऩय बी सकायात्भक प्रबाव ऩडता है । मही कायण है कक रगबग सबी व्मस्क्त को ऩखू णथभा के ददन द्र ॊ भा के उदम के वक्त तैमाय ककव गव द्र ॊ भा के छल्रे को ऩहनना
ादहव।
वैसे तो ककसी बी ऩूखणथभा को ऐसी अॊगूठी तैमाय की जा सकती है , ऩय ववमबन्न यामश के रोगों
को मबन्न मबन्न भाह के ऩूखणथभा के ददन ऐसी अॊगूठी को तैमाय कयें । 15 भा थ से 15 अप्रैर के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को भेष यामशवारे , 15 अप्रैर से 15 भई के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को
वष ु यामशवारे , 15 जून से ृ यामशवारे , 15 भई से 15 जून के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को मभथन 15 जुराई के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को ककथ यामशवारे , 15 जुराई से 15 अगस्त के भध्म
आनेवारी ऩूखणथभा को मसॊह यामशवारे , 15 अगस्त से 15 मसतम्फय के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को
कन्मा यामशवारे , 15 मसतम्फय से 15 अक्तूफय के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को तुरा यामशवारे , 15 अक्तूफय से 15 नवम्फय के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को वस्ृ श् क यामशवारे , 15 नवम्फय से 15 ददसॊफय के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को धनु यामशवारे , 15 ददसॊफय से 15 जनवयी के भध्म
आनेवारी ऩूखणथभा को भकय यामशवारे , 15 जनवयी से 15 पयवयी के भध्म आनेवारी ऩूखणथभा को कॊु ब यामशवारे तथा 15 पयवयी से 15 भा थ के भध्म आनेवारे ऩूखणथभा को भीन यामशवारे अऩनी अऩनी अॊगूठी फनवाकय ऩहनें , तो अचधक पामदे भॊद होगा।
<p>& amp;lt;p><br /> </p>& amp;lt;/p> प्रस्तुतकताथ सॊगीता ऩुयी ऩय 7:34 am 23 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
शतनवाय, 14 नवम्फय2009 घड़ीक ीियहहीसभमक ीजानक ायीभनुष्म क ेिर फहुिउऩमोग़ीह सॊसाय के प्राम: सबी रोग आज घड़ी ऩहनने रगे हैं। इसे ऩहनने ऩय बी औय नहीॊ ऩहनने ऩय बी हय स्स्थित भें सभम तो अफाध गित से
रता ही यहे गा मािन स्जस सभम स्जतना फजना है ,
फजता ही यहे गा , हभ सभम भें कोई ऩरयवतथन नहीॊ कय सकते , कपय घड़ी के ऩहनने से क्मा राब ? इसे ऩहनने की क्मा फाध्मता है ? क्मा इसे आऩ शौक से ऩहनते हैं ? मा स भु
मह प्रमोजनीम
है ?
याबर भें भेयी नीॊद वक फाय टूटती है , उस सभम टॉ थ जराकय दीवार घड़ी की ओय झॉकता हूॊ। तीन फजे के ऩहरे का सभम होता है , तो सडक वारी खखड़की को नहीॊ खोरता हूॊ। सभम तीन
फजे के फाद का हो , तो खखड़की को खोर दे ता हूॊ। घड़ी भुझे ऐसा कुछ कयने का आदे श दे ती है , फात वैसी नहीॊ है । भैं घड़ी के भाध्मभ से फाहयी ऩरयवेश को सभझने की कोमशश कयता हूॊ , तद्नुरुऩ भेयी कामथवाही होती है । 12 फजे याबर से 3 फजे बोय तक िनशा य मा असाभास्जक तत्वों का बम होता है । इस सभम शेष सॊसाय गॊबीय िनद्रा भें ऩड़ा होता है । ऐसी फात को सभझकय
अव त े न भन सड़क की तयप की खखड़की को खोरने की इजाजत नहीॊ दे ता। घड़ी भुझे केवर
सभम फता यही होती है , भै उसके साथ अऩने को िनमोस्जत कयता हूॊ। यात फहुत फाकी हो , तो ऩुन: सो जाता हूॊ। अगय नीॊद तीन फजे के फाद खुरी , तो छत ऩय टहरता हूॊ मा मरखने-ऩढ़ने का कुछ काभ कय रेता हूॊ।
जो व्मस्क्त स्जतना व्मस्त होता है , उसे घड़ी की उतनी ही आवश्मकता होती है । स्टे शन मा फसस्टै ण्ड ऩय ऐसे फहुत से आदभी मभरें गे , स्जन्हें आऩ फाय-फाय घड़ी दे खते हुव ऩावॊगे। सभझ रीस्जव ककसी आवश्मक काभ से वे कहीॊ जा यहे हैं औय िनधाथरयत िनस्श् त सभम ऩय उन्हें ककसी गॊतधम तक ऩहुॊ ना है । जफ ये र मा फस का आना िनस्श् त है , उस व्मस्क्त का उससे मारा कयना िनस्श् त है तो कपय फाय-फाय घड़ी दे खने की व्माकुरता कैसी ? घड़ी तो ये र मा फस की गित को कभ मा तेज नहीॊ कय सकती , गाड़ी भें आमी गड़फड़ी मा ब्रेक-डाउन को बी ठीक नहीॊ कय सकती। आशा औय िनयाशा के फी
झूरनेवारे व्मस्क्त को घड़ी सभझा बी नहीॊ सकती। कपय वह
व्मस्क्त फाय-फाय घड़ी क्मो दे खता है । सभम के यफ्ताय भें सभरुऩता फनी हुई है । स्जतना फजना है , फजता जा यहा है । कपय घड़ी दे खनेवारे , घड़ी दे खकय अऩने फोखझर भन को औय हल्का कयते हैं मा हल्के भन को औय फोखझर मा कपय घड़ी के भाध्मभ से सॊसाय को सभझते हुव उससे अऩने को सही जगह खऩाने की कोमशश कयते हैं।
ऩयीऺा भें सस्म्भमरत होनेवारे सबी ऩयीऺाचथथमो की कराई भें घड़ी ददखाई ऩड़ती है । प्रश्नऩर मभरने के सभम औय ऩूयी ऩयीऺा के दौयान ऩयीऺाथी का स्जतना ध्मान प्रश्नऩर को दे खने का
होता है , उससे कभ घड़ी ऩय नहीॊ होता। उत्तयऩुस्स्तका भें मरखने के सभम बी वे फाय-फाय घड़ी ऩय ही िनगाह यखते हैं। दे खनेवारे को कबी-कबी ऐसा प्रतीत होगा , भानो घड़ी भें ही उस प्रश्न
का उत्तय मरखा हो । जफ ऩयीऺा की अवचध सभाप्त सभाप्त होने भें भाभूरी सभम फ ा होता है ,कुछ ऩयीऺाथी के
ह े ये ऩय सॊतोष की ये खावॊ उबयती है , वे प्रसन्न नजय आते हैं , तो कुछ
ऩयीऺाचथथमों को इस सभम फाय-फाय घड़ी दे खते हुव योने की भद्र ु ा भें दे खा जा सकता है । ऩयीऺाचथथमों भें हॊ सने मा योने का बाव क्मा स भु घड़ी की ही दे न है ?
उऩयोक्त उदाहयणों से स्ऩश्ट है कक घड़ी अऩने-आऩभें बफल्कुर तटस्थ है । वह ककसी के हॊ सने मा
योने का कायण कदावऩ नहीॊ फन सकती। ककन्तु घड़ी को स्जसने बी सभझ मरमा , वह अचधक से अचधक काभ कय सकता है । उसकी कामथऺभता फढ़ जाती है । उसे इस फात की ऩूयी जानकायी हो जाती है कक ककस भौके ऩय कौन सा काभ ककमा जाना
ादहव। घड़ी के भाध्मभ से घय फैठे साये
सॊसाय को सभझ ऩाने भें सहामता मभरती है । घड़ी तत्कारीन ऩरयवेश की जानकायी दे कय कभ से कभ सभम भें अचधक से अचधक काभ कयने की प्रवस्ृ त्त का ववकास कयके आत्भववश्वास का सॊ ाय कयती है । सभम को सभझकय उसके अनुसाय काभ कयनेवारे तथा सभम की भॉग के ववरुि काभ कयनेवारे के आत्भववश्वास भें कापी अॊतय होता है ।
फैंक के खाते भें आऩका धन जभा है , उसकी आऩको जरुयत है , उसऩय आऩका अचधकाय बी है , ककन्तु आऩ 11 फजे से 5 फजे ददन भें ही उसकी िनकासी कय सकते हैं , 11 फजे याबर को फैंक से िनकारने का प्रमत्न कयें गे , तो हथकड़ी बी रग सकती है । इसी प्रकाय हय सभम की अऩनी ववशेषता होती है । वक ववद्माथी गखणत भें कभजोय है तथा प्रितददन 1 फजे से 2 फजे के फी रुटीन के अनुसाय
उसकी गखणत की ऩढ़ाई होती है । गखणत की इस कऺा भें उऩस्स्थत यहे मा अनुऩस्स्थत , दोनो ही स्स्थित भें वह ववद्माथी स्वाबाववक रुऩ से खद ु को अशाॊत ऩावगा। मह घड़ी की दे न कदावऩ नहीॊ
है , वह तो उस व्मवस्था की दे न है , स्जसके अनस ु ाय इस अरुच कय ववषम को ढोने का काभ उसे मभरा हुआ है ।गखणत की ऩढ़ाई का सभम िनधाथरयत है , घड़ी उस सभम की जानकायी दे ती है , ककन्तु घड़ी अऩने आऩभें तटस्थ है , िनयऩेऺ है । प्रितऺण हभ घटनाओॊ के फी घटनाओॊ के फी
से गुजयते औय मह भाभूरी घड़ी सभम की जानकायी दे कय
तारभेर स्थावऩत कयने के मरव ददशािनदे श कयते हुव हभें सॊ ामरत औय
कक्रमाशीर कयती है । रेककन वव ायनीम है कक मह घड़ी आमी कहॉ से ? बरे ही घड़ी को ऩथ् ृ वी की
दै िनक गित का ऩमाथम नहीॊ कहा जाव , ऩथ् ृ वी की दै िनक गित को सभझने के मरव मा उसका ऩूणत थ : प्रितिनचधत्व कयने के मरव घड़ी के 24 घॊटों का स्वीकाय ककमा गमा , ताकक सूमोदम , सूमाथस्त दोऩहय मा आधीयात के नैसचगथक शाश्वत ऩरयवेश को आसानी से सभझा जा सके।
अफ ऩथ् ृ वी की दै िनक गित औय उसके ऩमाथम घड़ी के 24 घॊटे को सभझने के फाद उस ब्रहभाॊड को सभझने की
ष्े टा कयें , जो ,भहीने ऋतु , वषथ, मुग, भन्वॊतय , सस्ृ ष्ट , प्ररम का रेखा-जोखा औय
सॊऩूणथ जगत की गितववचध को ववयाट कम्प्मूटय की तयह अऩने-आऩभें सॊजोव हुव है । िनस्सॊदेह इन वखणथत सॊदबों का रेखा-जोखा ववमबन्न ग्रहों की गितववचधमों ऩय िनबथय है । उसकी सही
जानकायी आत्भववश्वास भें ववृ ि कये गी , उसकी वक झरक भार से ककसी का कल्माण हो सकता है , ददव्म
ऺु खर ु जावगा , आत्भऻान फढ़े गा औय सॊसाय भें फेहतय ढॊ ग से आऩ अऩने को
िनमोस्जत कय ऩावॊगे। बववष्म को सही ढॊ ग से सभझ ऩाना , उसभें अऩने आऩको खऩाते हुव सही यॊ ग बयना सकायात्भक दृस्ष्टकोण है । सभम की सही जानकायी साधन औय साध्म दोनो ही है । ऩहरी दृस्ष्ट भें दे खा जाव , तो घड़ी भार वक साधन है , ककन्तु गॊबीयता से दे खें , तो वह भौन यहकय बी कई सभस्माओॊ का इराज कय दे ती है । इसी तयह ग्रहों के भाध्मभ से बववष्म की
जानकायी यखनेवारा भौन यहकय बी अऩनी सभस्माओॊ का सभाधान प्राप्त कय रेता है , ऩय इसके मरव वक स् े ्मोितषी से आऩका ऩरय म आवश्मक है । अित साभान्म व्मस्क्त के मरव घड़ी मा पमरत ्मोितष शौक का ववषम हो सकता है , ककन्तु
जीवन के ककसी ऺेर भें उॊ ाई ऩय यहनेवारे व्मस्क्त के मरव घड़ी औय बववष्म की सही जानकायी की जरुयत अचधक से अचधक है । मह फात अरग है कक सही भामने भें बववष्मद्रष्टा की कभी अबी बी फनी हुई है । 'गत्मात्भक दशा ऩिित' सॊऩूणथ जीवन के तस्वीय को घड़ी की तयह स्ऩष्ट फताता है । ग्रह ऊजाथ रेखाच र से मह स्ऩष्ट हो जाता है कक कफ कौन सा काभ ककमा जाना ादहव। वक घड़ी की तयह ही गत्मात्भक ्मोितष की जानकायी बी सभम की सही जानकायी प्राप्त कयने का साधन भार नहीॊ , वयन ् अप्रत्मऺत: फहुत सायी सू नावॊ प्रदान कयके , सभुच त कामथ कयने की ददशा भें फड़ी प्रेयणा-स्रोत है । जो कहते हैं कक घड़ी भैंने मों ही ऩहन यखी है मा ्मोितषी के ऩास भैं मों ही
रा गमा था ,
िनस्श् त रुऩ से फहुत ही धत्ू तथ मा अऩने को मा दस ू यों को ठगनेवारे होते हैं। मह सही है कक आज के व्मस्त औय अिनस्श् त सॊसाय भें हय व्मस्क्त को वक अ्छी घड़ी मा पमरत ्मोितष की जानकायी की आवश्मकता है । इससे उसकी कामथऺभता कापी हद तक फढ़ सकती है । जीवन के ककसी ऺेर भें फहुत ऊॊ ाई ऩय यहनेवारा हय व्मस्क्त मह भहसस ू कयता है कक भहज सॊमोग के
कायण ही वह इतनी ऊॊ ाई हामसर कय सका है , अन्मथा उससे बी अचधक ऩरयश्रभी औय फवु िभान व्मस्क्त सॊसाय भें बये ऩड़े हैं , स्जनकी ऩह ान बी नहीॊ फन सकी है । उस फड़ी
भत्कायी शस्क्त
की जानकायी के मरव पुयसत के ऺणों भें उनका प्रमास जायी यहता है । मही कायण है कक फडे फडे
ववद्वान बी जीवन के अॊितभ ऺणों भें सवथशस्क्तभान को सभझने की कोमशश कयते हैं। ऐसे रोगों को पमरत ्मोितष की जानकायी से कई सभस्माओॊ को सुरझा ऩाने भें भदद मभर सकती है , ककन्तु इसके मरव अऩने ववयाट उत्तयदािमतव को सभझते हुव सभम िनकारने की जरुयत है । अऩनी कीभती जीवन-शैरी भें से कुछ सभम िनकारकय इस ववद्मा का ऻान प्राप्त कयें गे , तो इसके मरव बी वक घड़ी की आवश्मकता अिनवामथ होगी।
प्रस्तत ु कताथ ववशेष कुभाय ऩय 8:36 pm 21 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
शतनवाय, 29 अगस्ि2009 शक ुनऩद्धतिक ीवज्ञातनक िा भेये गॉव भें वक फुदढ़मा यहती थी। उसके महॉ शकुन कयाने के मरव अक्सय ही रोग आमा कयते
थे। उसके महॉ रोगों के आवागभन को दे खकय भै कौतूहरवश वहॉ ऩहुॊ ा , मह जानने की स्जऻासा के साथ कक मह फुदढ़मा आखखय कयती क्मा है , स्जससे इसे सफ फातें भारूभ हो जाती हैं। उन ददनों भेयी उम्र भार 10-12 वषथ ही यही होगी। मदद कोई ववद्माथी उसके ऩास ऩहुॊ ता औय ऩछ ू फैठता कक वह ऩयीऺा भें ऩास होगा मा नहीॊ , तो फदु ढ़मा उसे दस ू ये ददन की सफ ु ह फर ु ाती , उसके आने ऩय ऑखें फॊद कय होठों से कुछ फद ु फद ु ाती , भानो कोई भॊर ऩढ़ यही हो। इसके फाद फहुत शीघ्रता से जभीन भें कुछ ये खावॊ खीॊ ती थी । कपय याभ , सीता , रक्ष्भण याभ , सीता , रक्ष्भण , के क्रभ को दहु याती री जाती। मदद अॊत की ये खा भें याभ आता तो कहती , अ्छी
तयह ऩास हो जाओगे। मदद अॊत भें सीता आती , तो ऩास नहीॊ हो ऩाओगे , वक फड़ी अड़ न है । मदद रक्ष्भण आ जातें , तो कहती ऩास हो जाओगे , ककसी तयह ऩास हो जाओगे। इसी तयह ककसी का कोई जानवय खो गमा है , तो वह फुदढ़मा से ऩूछता कक उसका जानवय मभरेगा मा नहीॊ , तो वह जभीन भें पटापट कई ये खावॊ खीॊ
दे ती , कपय उन रकीयों को उसी
तयह याभ , सीता औय रक्ष्भण के नाभ से चगनना शुरु कय दे ती , अॊितभ ये खा भें याभजी का नाभ
आमा , तो जानवय मभर जावगा , सीताजी आमी , तो जानवय नहीॊ मभरेगा , रक्ष्भणजी आव , तो कदठन ऩरयश्रभ से जानवय मभर जावगा। जानवय ककस ददशा भें मभरेगा , इस प्रश्न के उत्तय भें वह पटापट जभीन ऩय कई ये खावॊ खीॊ ती , ऩहरी ये खा को ऩूयफ , दस ू यी ये खा को वऩश् भ , तीसयी ये खा को उत्तय औय
ौथी ये खा को दक्षऺण के रुऩ भें चगनती जायी यखती। मदद अॊितभ ये खा भें
ऩयू फ आमा , तो जानवय के ऩयू फ ददशा भें , ऩस्श् भ आमा , तो जानवय के ऩस्श् भ ददशा भें ,
उत्तय आमा , तो उसके उत्तय ददशा भें तथा दक्षऺण आमा , तो जानवय के दक्षऺण ददशा भें होने की बववष्मवाणी कय दी जाती। फुदढ़मा की इस कामथवाही भें स ककतना होता होगा , मह तो नहीॊ कहा जा सकता , ककन्तु इसे ववऻान कहना ककसी बी दृस्ष्ट से उच त नहीॊ होगा।
फुदढ़मा की शकुन कयने की ऩिित अत्मॊत सयर है। इससे कौन आदभी ककतना राबास्न्वत हो
सकता है , मह सों ने की फात है । याभ , रक्ष्भण औय सीता की चगनती से ये खाओॊ को चगनना औय ककसी िनष्कषथ ऩय ऩहुॊ ना भहज तीन सॊबावनाओॊ भें से वक का उल्रेख कयता है । तीनों सॊबावनाओॊ का ववऻान से कोई वास्ता नहीॊ , कपय बी गॉव के सयर रोग ककसी दवु वधा भें ऩड़ते
ही व्माकुर होकय उसके ऩास ऩहुॊ ने का क्रभ फनाव यहते थे। जो धत्तथ मा ाराक तयह के रोग होते , वे बी फुदढ़मा के ऩास भनोयॊ जनाथथ ऩहुॊ ते। फुदढ़मा अऩनी रोकवप्रमता से खश ु होती थी , कुछ रोग शकुन के फदढ़मा होने ऩय खश ु होकय कुछ दे बी दे ते , ऩय कापी रोगों के मरव वह उऩहास का ववषम फनी हुई थी , इस तयह फुदढ़मा की शकुन कयने की ऩिित वववादास्ऩद औय हास्मास्ऩद थी। फदु ढ़मा की उऩयोक्त शकुन ऩिित की
ाथ इसमरव कय यहा हूॊ कक आज पमरत ्मोितष भें शकुन ऩिित को व्माऩक ऩैभाने ऩय स्थान मभरा हुआ है । शकुनी ने तो ऩाॊडवों ऩय ववजम प्राप्त कयने औय अऩने बाॊजे दम ु ोधन को ववजमी फनाने के मरव ककस ऩाशे का व्मवहाय ककमा था मा
ककस ववचध से ऩाशे पेकता मा पेकवाता था , मह अनुसॊधान का ववषम हो सकता है , जहॉ केवर
जीत की ही सॊबावनावॊ थी , रेककन इतना तो तम है कक स्जस ऩाशे से हाय औय जीत दोनो का ही िनणथम हो , उसभें सॊबावनावॊ केवर दो होंगी। घनाकाय वक ऩाशा हो , स्जसके हय परक भें अरग अॊक मरखा हो , स्जसके हय अॊक का पर अरग-अरग हो , उसकी सॊबावनावॊ 1/6 होंगी।
कूॊ क
प्रत्मेक अॊक के मरव वक-वक पर मरखा गमा है , तो वक ऩाशे से फायी-फायी से 6 प्रकाय के परों को सुनामा जा सकता है । ऐसे प्रमोगों का ऩरयणाभ कदावऩ सही नहीॊ कहा जा सकता। भनोयॊ जनाथथ मा रोगों को फेवकूप फनाने के मरव शकुन ककमा जाव , तो फात दस ू यी है ।
हय ये रवे स्टे शन भें तौरभाऩक भशीनें यहती हैं। उसभें िनधाथरयत शल् ु क डार दे ने ऩय तथा उस
भशीन भें खड़े होने ऩय व्मस्क्त के वजन के साथ ही साथ उसके बा्म को फताने वारा वक काडथ भफ् ु त भें मभर जाता है । अचधकाॊश रोग उसे अऩना सही बा्मपर सभझकय फहुत रुच के साथ ऩढ़ते हैं । इस ववचध से प्राप्त बा्मपर को बी वक प्रकाय से रॉटयी से उठा हुआ बा्मपर सभझना
ादहव। जो ववऻान ऩय आधत ृ नहीॊ होने के कायण कदावऩ ववश्वसनीम नहीॊ कहा जा
सकता। इसमरव इस बा्मपर को ववऻान भान्मता नहीॊ दे सकता।
फड़े-फड़े शहयों भें रराट ऩय ितरक रगाव ्मोितशी के रुऩ भें तोते के भाध्मभ से दस ू यों का
बा्मपर िनकारते हुव तथाकचथत ्मोितवषमों की सॊख्मा बी फढ़ती दे खी जा यही है । 25-30 ऩच म थ ों भें ववमबन्न प्रकाय के बा्मों का उल्रेख होता है । बा्मपर की जानकायी प्राप्त कयने वारा व्मस्क्त तोतेवारे को िनधाथरयत शुल्क दक्षऺणा के रुऩ भें दे ता है , स्जसे प्राप्त कयते ही
तोतेवारा ऩॊडडत तोते को िनकार दे ता है । तोता उन ऩच म थ ों भें से वक ऩ ी िनकारकय अऩने भामरक के हाथ भें यख दे ता है , उस ऩ ी भें जो मरखा होता है , वही उस स्जऻासु व्मस्क्त का
बा्म होता है । तत्ऺण ही वक फाय औय दक्षऺणा दे कय बा्मपर िनकारने को कहा जाव , तो प्राम: बा्मपर फदर जावगा। इस ऩिित को बी बा्मपर की रॉटयी कहना उच त होगा। ग्रहों से सॊफॊचधत पर कथन से इस बा्मपर का कोई रयश्ता नहीॊ। इसी तयह धामभथक प्रवस्ृ त्त के कुछ रोगों को याभामण के प्रायॊ मबक बाग भें उस्ल्रखखत श्री याभश्राका प्रश्नावमर से बा्मपर प्राप्त कयते दे खा गमा हैं। याभश्राका प्रश्नावमर भें नौ
ौऩाइमों
के अॊतगथत स्थान ऩानेवारे 25 गुना नौ मािन 225 अऺयों को ऩॊद्रह गुना ऩॊद्रह , फयाफय 225 ऊध्र्व ववॊ ऩाश्वथ कोष्ठकों के फी
क्रभ से इस प्रकाय सजामा गमा है कक स्जस कोष्ठक ऩय बगवान का
नाभ रेकय ऊॊगरी यखी जाव , वहॉ से नौवें कोष्ठक ऩय जो अऺय मभरते प्रकक्रमा की िनयॊ तयता को जायी यखा जाव , तो अॊतत: वक
रे जावॊ , औय इस
ौऩाई फन जाती है , हय
ौऩामी के
मरव वक ववशेष अथथ यखा गमा है । बक्त उस अथथ को अऩना बा्म सभझ फैठता है । जैस-े सुनु मसम सत्म असीस हभायी। ऩूजदहॊ भनकाभना तुम्हायी। इसका पर होगा - प्रश्नकताथ का प्रश्न उत्तभ है । कामथ मसि होगा । इसी तयह वक
ौऩाई - उधये अॊत न होई िनफाहू। कारनेमभ स्जमभ यावण याहू। का पर इस प्रकाय होगा- इस कामथ भें बराई नहीॊ हैं। कामथ की सपरता भें सॊदेह है । इस प्रकाय की नौ ौऩाइमों से धनात्भक मा ऋणात्भक पर बक्त प्राप्त कयते हैं। महॉ बी पर प्राप्त कयने की ववचध रॉटयी ऩिित ही भानी जा सकती है । धामभथक ववश्वास औय आस्था की दृस्ष्ट से याभामण से शकुन कय भन को शाॊित प्रदान कयने की मह ववचध बक्तों के मरव
सवोत्तभ हो सकती है , ऩयॊ तु इस प्रकाय के वक उत्तय प्राप्त कयने की सॊबावना 1/9 होगी औय मह कदावऩ नहीॊ कहा जा सकता है कक इसे ककसी प्रकाय का वैऻािनक आधाय प्राप्त है । शकुन शकुन ही होता है । कबी शकुन की फातें सही , तो अचधकाॊश सभम गरत बी हो सकती हैं।
घय मा अस्ऩतार भें अऩना कोई भयीज भयणासन्न स्स्थित भें हो औय उसी सभम बफल्री मा कुत्ते के योने की आवाज आ यही हो , तो ऐसी स्स्थित भें अक्सय भयीज के िनकटतभ सॊफॊचधमों का आत्भववश्वास कभ होने रगता है , ककन्तु ऐसा होना गरत है । कुत्ते मा बफल्री के योने का मह अथथ नहीॊ कक उस भयीज की भौत ही हो जावगी। कुत्ते मा बफल्री का योने की फेसुयी आवाज
वातावयण को फोखझर औय भन:स्स्थित को कष्टकय फनाती है , ककन्तु मह आवाज हय सभम कोई
बववष्मवाणी ही कयती है मा ककसी फुयी घटना के घटने का सॊकेत दे ती है , ऐसा नहीॊ कहा जा सकता।
इस तयह कबी मारा की जा यही हो औय यास्ते के आगे बफल्री इस ऩाय से उस ऩाय हो जाव , तो शत-प्रितशत वाहन- ारक वाहन को वक ऺण के मरव योक दे ना ही उच त सभझते हैं। ऐसा वे मह सों कय कयते हैं कक मदद गाड़ी नहीॊ योकी गमी , तो आगे
रकय कहीॊ बी दघ थ ना घट ु ट
सकती है । ऐसी फातें कबी बी ववऻानसम्भत नहीॊ भानी जा सकती , क्मोकक स्जस फात को रोग
फयाफय दे खते सुनते औय व्मवहाय भें राते हैं , उसे वे पमरत ्मोितष का अॊग भान रेते हैं , उन्हें ऐसा रगता है , भानो बफल्री ने यास्ता काटकय मह बववष्मवाणी कय दी कक थोड़ी दे य के मरव
रुक जाओ , अन्मथा गाड़ी दघ थ नाग्रस्त हो जावगी। कैसी ववडम्फना है , ये रवे पाटक ऩय ऩहया दे ु ट यहा
ौकीदाय जफ आते हुव ये र को दे खकय गाड़ीवारे को रुकने का सॊकेत कयता है , तो फहुत से रोग वक्सीडेंट की ऩयवाह न कयते हुव ये रवे कॉमसॊग को ऩाय कयने को उद्मत हो जाते हैं औय बफल्री के यास्ता काटने ऩय उससे डयकय रोग गाड़ी योक दे ते हैं। भैं ऩहरे ही इस फात की
ाथ कय
क ु ा हूॊ कक प्रभख ु सात ग्रहों मा आकाशीम वऩॊडों के नाभ के आधाय ऩय सप्ताह के सात ददनों के नाभकयण बरे ही कय ददमा गमा हो , रेककन इन ददनों ऩय सॊफॊचधत ग्रहों का कोई प्रबाव नहीॊ होता है । रेककन शकुन के मरव रोगों ने इन ददनों को आधाय फनाने भें कोई कसय नहीॊ छोड़ी। मथा ` यवव भुख दऩथण , सोभे ऩान , भॊगर धिनमा , फुध
मभष्टान्न। बफपे दही , शक ु े याम , शिन कहे नहाम , धोम खाम।´ इसका अथथ हुआ कक यवववाय को दऩथण भें ह े या दे खने ऩऱ , सोभवाय को ऩान खाने ऩय , भॊगरवाय को धिनमा फाने ऩय , फुध को
मभठाई का सेवन कयने ऩय , फह ृ स्ऩितवाय को दही खाने ऩय , शुक्रवाय को सयसों मा याई खाने ऩय तथा शिनवाय को स्नान कय खाने के फाद कोई काभ कयने ऩय शकुन फनता है , कामथ की मसवि होती है । इन सफ फातों का कोई वैऻािनक ऩऺ नहीॊ है , स्जससे पमरत ्मोितष का कोई रेना-
दे ना यहे । जफ सप्ताह के ददनों से ग्रहों के प्रबाव का ही कोई धनात्भक मा ऋणत्भक सह-सॊफॊध नहीॊ है , तो इराज , शकुन मा बववश्मपर कथन कहॉ तक सही हो सकता है , मह सों नेवारी फात है ।
शकुन ऩिित से मा रॉटयी की ऩिित से कई सॊबावनाओॊ भें से वक को स्वीकाय कयने की प्रथा है । ककन्तु हभ अ्छी तयह से जानते हैं कक फाय-फाय ऐसे प्रमोगों का ऩरयणाभ ववऻान की तयह
वक जैसा नहीॊ होता। अत: इस प्रकाय के शकुन बरे ही कुछ ऺणों के मरव आहत भन को याहत
दे दे , बववश्म मा वतथभान जानने की ऩक्की ववचध कदावऩ नहीॊ हो सकती। स्भयण यहे , ववऻान से सत्म का उद्घाटन ककमा जा सकता है तथा अनुभान से कई प्रकाय की सॊबावनाओॊ की व्माख्मा कयके अिनश् म औय िनश् म के फी
ऩें डुरभ की तयह चथयकता यहना ऩड़ सकता है , रेककन इन
दोनों से अरग रॉटयी मा शकुन ऩिित से अनुभान औय सत्म दोनों की अवहे रना कयते हुव अॊधेये भें टटोरते हुव जो बी हाथ रग जाव , उसे अऩनी िनमित भान फैठने का ददथ झेरने को वववश होना ऩड़ता है ।
प्रस्तुतकताथ सॊगीता ऩुयी ऩय 9:30 pm 29 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक जमोितष ्
भंगरवाय, 14 जर ु ाई2009 क्मा क हीसभमभज ज भरेनव े ारोंक ाबिवष्म क साहोिाह????? ववश्व की कुर आफादी इस सभम 7 अयफ के आसऩास है औय उस आफादी का रगबग छठा बाग 1 कयोड़ से अचधक केवर बायत भें है । ऩरयवाय िनमोजन के कामथक्रभों भें फढ़ोत्तयी के फावजद ू
प्रत्मेक दस वषों भें इस सभम आफादी 25 प्रितशत फढ़ती री आ यही है । अत: मह कहा जा सकता है कक फ् ों का जन्भदय अऩने उपान ऩय है । इस सभम प्रत्मेक मभनट भें बायत भें जन्भ रेनेवारे फ् ों की सॊख्मा 4 होती है । कपय बी मदद आऩ ककसी फड़े अस्ऩतार भें कुछ ददनों के
मरव ठहयकय िनयीऺण कयें , तो आऩ ऩावॊगे कक शामद ही कोई दो फ् े ककसी ववशेश सभम भें वक साथ उत्ऩन्न होते हैं। अत: हय फ् े की भॊस्जर िनस्श् त तौय ऩय मबन्न होगी , ाहे रगन की कॊु डरी वक जैसी ही क्मों न हो , साये ग्रहों की स्स्थित वक जैसी ही क्मों न हो। कबी-कबी वक ही गबथ से दो फ् ों का बी जन्भ होता है , तथावऩ जन्भसभम बफल्कुर वक नहीॊ होता , मही कायण है कक दो जड़ ु वॉ बाइमों के फी
फहुत सायी सभानताओॊ के फावजद ू कुछ ववषभतावॊ बी होती हैं , ककन्तु ववषभतावॊ कबी-कबी इतनी भाभर ू ी होती हैं कक दोनों के फी
उसे
अरग कय ऩाना कापी कदठन कामथ होता है। हो सकता है , इन भाभर ू ी ववषभताओॊ के कायण ही
दोनो की भॊस्जर मबन्न-मबन्न हो , दोनों अरग-अरग व्मवसाम भें हों। फहुत फाय दे खने को ऐसा बी मभरता है कक दो जड़ ु वॉ बाइमों भें से वक जन्भ रेने के साथ ही मा कुछ ददनों फाद भय गमा औय दस ू या आजतक जीववत ही है । जो जीववत है , उसकी ारयबरक ववशेषतावॊ , सों -वव ाय की शैरी , उम्र के साऩेऺ ग्रहों की स्स्थित औय शस्क्त के अनस ु ाय ही है , ककन्तु जो सॊसाय से
रा
गमा , उसके सबी ग्रहों का पर उस जातक को क्मों नहीॊ प्राप्त हो सका ? मह फहुत ही गॊबीय प्रश्न है । भैने आमुदाथम से सॊफॊचधत सॊऩूणथ प्रकयण का अध्ममन ककमा , उसके िनमभ-िनमभावमर को बी ध्मान से सभझने की
ष्े टा की , ककन्तु भुझे कोई सपरता नहीॊ मभरी। गत्मात्भक दशाऩिित से
ही वक तथ्म का उद्घाटन कयने भें अवश्म सपर हुआ कक जफ ककसी ग्रह का दशाकार र यहा होता है , उससे अष्टभ बाव भें र्नेश ववद्मभान हो , तो कुछ रोगो को भत्ृ मु मा भत्ृ मुतल् ु म कष्ट अवश्म प्राप्त होता है । सॊजम गॉधी जफ 34 वषथ के थे औय भॊगर के कार से गुजय यहे थे , जफ
उनकी भत्ृ मु हुई। उनकी जन्भकॊु डरी भें धनु यामश के भॊगर से अष्टभ भें रगनेश शिन ककथ यामश भें स्स्थत था। इनकी भत्ृ मु के सभम शिन औय भॊगर दोनो ही ग्रह र्न से अष्टभ बाव भें गो य भें रगबग वक तयह की गित भें भॊदगाभी थे। इसी तयह वन टी याभायाव शिन के भध्मकार से गज ु य यहे थे , वे 78 वषथ की उम्र के थे । इनका जन्भकारीन शिन कन्मा यामश द्वादश बाव भें स्स्थत था तथा र्नेश शक्र ु शिन के अष्टभ बाव भें भेष यामश भें भौजद ू था।
इसी प्रकाय अन्म कई रोगों को बी इस प्रकाय की स्स्थित भें भत्ृ मु को प्राप्त कयते दे खा , अत:
इसे भौत के ऩरयकस्ल्ऩत फहुत से कारों भें से वक सॊबाववत कार बरे ही भान मरमा जाव , ऩूये आत्भववश्वास के साथ हभ भौत का ही कार नहीॊ कह सकते। इससे बी अचधक सत्म मह है कक भौत कफ आवगी , इसकी जानकायी जन्भकॊु डरी से अबी तक ककव गव शोधों के आधाय ऩय भारूभ कय ऩाना असॊबव ही है ।
ाहे जन्भसभम की शुितभ जानकायी ककसी ्मोितषी को क्मो
न दे दी जाव , भौत के सभम की जानकायी दे ऩाना ककसी बी ्मोितषी के मरव कदठन होगा
,क्मोकक इससे सॊफॊचधत कोई सूर उनके ऩास नहीॊ है । अत: जुड़वे भें से वक की भौत क्मो हुई औय जीववत के साथ ग्रह ककस प्रकाय काभ कय यहे हैं ? इन दोनों की तुरना का कोई प्रश्न ही उऩस्स्थत नहीॊ होता। वक ्मोितषीम ऩबरका भें ऑस्टे मरमाई जुड़वो की ऐसी बी कहानी ऩढ़ने को मभरी , जो 65-66 वषथ की रम्फी उम्र तक जीने के फाद वक ही ददन फीभाय ऩड़े औय वक ही ददन
कुछ मभनटों के अॊतय से भय गव। दोनों की जीवनशैरी , ारयबरक ववशेषतावॊ , कामथक्रभ सबी वक ही तयह के थे। इतनी सभानता न बी हो , कपय बी वक ददन औय वक ही र्न के जातको भें कुछ सभानतावॊ तो िनस्श् त तौय ऩय होती हैं। महॉ वक प्रश्न औय बी उठ जाता है कक स्जस ददन स्जस र्न भें भहात्भा गॉधी , जवाहयरार नेहरु , सुबाश द्र ॊ फोस , दहटरय , नेऩोमरमन आदद ऩैदा हुव थे , उस ददन उस र्न भें क्मा कोई औय ऩैदा नहीॊ हुआ ? मदद ऩैदा हुआ तो उन्हीॊ च त थ रोगों की तयह वह बी च त थ मा मशस्वी क्मों नहीॊ है ? इस प्रश्न का उत्तय सहज नहीॊ ददमा जा सकता। मदद उत्तय ऋणात्भक हो मािन
भहात्भा गॉधी जैसे रोगों के जन्भ के ददन उसी र्न की उसी डडग्री भें ववश्व के ककसी बाग भें ककसी व्मस्क्त का जन्भ नहीॊ हुआ , तो उत्तय को ववशुि ऩरयकस्ल्ऩत भाना जा सकता है , ककन्तु भै इतना तो अवश्म कहना ाहूॊगा कक प्रकृित भें अित भहत्वऩूणथ घटनावॊ कापी ववयर होती हैं , जफकक साभान्म घटनाओॊ भें िनयॊ तयता फनी होती हैं। शेयनी अऩने जीवन भे वक फ् े को ऩैदा कयती है , उसका फ् ा शेय होता है , स्जनकी ववशेशताओॊ औय खबू फमों को अन्म जीवों भें नहीॊ
दे खा जा सकता है । अत: शेय के फ् े के जन्भ के सभम भें जरुय कुछ ववशेषतावॊ यहती होंगी , वह ऺण ववयरे ही उऩस्स्थत होता होगा। उस ऺण भें मसमायनी अऩने फ् े को जन्भ नहीॊ दे
सकती , क्मोंकक मसमाय के फ् े वक साथ दजथनों की सॊख्मा भें जन्भ रेते हैं औय इसमरव इनके फ् ों की ववशेषताओॊ को असाधायण नहीॊ कहा जा सकता। इनका जन्भ साभान्म सभम भें ही होगा। इसी तयह भहाऩुरुषों के आववबाथव के कार भें ग्रहो की ववशेश स्स्थित के कायण जन्भ-दय भें
ववयरता यहती होगी। भहाऩुरुषों के जन्भ के सभम ककसी साभान्म ऩुरुष का जन्भ नहीॊ हो सकता है । वक साथ दो बगवान के अवताय की गवाही इितहास बी नहीॊ दे ता। भेयी इन फातों को मदद
आऩ कोयी कल्ऩना बी कहें , तो दस ू यी फात जो बफल्कुर ही िनस्श् त है , वक र्न औय वक र्न की डडग्री भें भहत्वऩूणथ व्मस्क्त का जन्भ वक स्थान भें कबी नहीॊ होता। मदद ककसी दयू स्थ दे श
भें ककसी दस ू ये व्मस्क्त का जन्भ इस सभम हो बी , तो आऺाॊस औय दे शाॊतय भें ऩरयवतथन होने से
उसके र्न औय र्न की डडग्री भें ऩरयवतथन आ जावगा। कपय बी जफ जन्भ दय फहुत अचधक हो , तो मा फहुत साये फ् े मबन्न-मबन्न जगहों ऩय वक ही ददन वक ही र्न भें मा वक ही र्न डडग्री भें जन्भ रें , तो क्मा सबी के कामथकराऩ , ारयबरक ववशेशतावॊ , व्मवसाम , मशऺा-दीऺा , सुख-दख ु वक जैसे ही होंगे ? भेयी सभझ से उनके कामथकराऩ , उनकी फौविक तीक्ष्णता , सुख-दख ु की अनुबूित , रगबग वक जैसी ही होगी। ककन्तु इन जातकों की मशऺा-दीऺा , व्मवसाम आदद सॊदबथ बौगोमरक औय
साभास्जक ऩरयवेश के अनुसाय मबन्न बी हो सकते हैं। महॉ रोगों को इस फात का सॊशम हो सकता है कक ग्रहों की
ाथ के साथ अकस्भात ् बौगोमरक साभास्जक ऩरयवेश की
ाथ क्मो की
जा यही है ? स्भयण यहे , ऩथ् ृ वी बी वक ग्रह है औय इसके प्रबाव को बी इॊकाय नहीॊ ककमा जा
सकता। आकाश के सबी ग्रहों भें कोई ऩरयवतथन नहीॊ हुआ है , ऩयॊ तु मबन्न-मबन्न मुगों सत्मुग , रेतामुग , द्वाऩय औय कमरमुग भें भनुष्मों के मबनन-मबन्न स्वबाव की ाथ है । भनुष्म ग्रह से सॊ ामरत है , तो भनुष्म के साभूदहक स्वबाव ऩरयवतथन को बी ग्रहों से ही सॊ ामरत सभझा जा सकता है , जो ककसी मुग ववशेष को ही जन्भ दे ता है ।
रेककन सों ने वारी फात तो मह है कक जफ ग्रहों की गित , स्स्थित , ऩरयभ्रभण ऩथ , स्वरुऩ औय स्वबाव आकाश भें ्मो का त्मो फना हुआ है , कपय इन मुगों की ववशेषताओॊ को ककन ग्रहों से जोड़ा जाव । मुग-ऩरयवतथन िनस्श् त तौय ऩय ऩथ् ृ वी के ऩरयवेश के ऩरयवतथन का ऩरयणाभ है । ऩथ् ृ वी ऩय जनसॊख्मा का फोझ फढ़ता जाना , भनुष्म की सुख-सुववधाओॊ के मरव वैऻािनक अनुसॊधानों का तॉता रगना , भनुष्म का सुववधावादी औय आरसी होते
रे जाना , बोगवादी सॊस्कृित का ववकास
होना , जॊगर-झाड़ का साप होते जाना , उद्मोगों औय भशीनों का ववकास होते जाना , ऩमाथवयण
का सॊकट उऩस्स्थत होना , मे सफ अन्म ग्रहों की दे न नहीॊ। मह ऩथ् ृ वी के तर ऩय ही घट यही घटनावॊ हैं। ऩथ् ृ वी का वामुभॊडर प्रितददन गभथ होता जा यहा है । आकाश भें ओजोन की ऩयत
कभजोय ऩड़ यही है , दोनो ध्रव ु ों के फपथ अचधक से अचधक वऩघरते जा यहे हैं , हो सकता है , ऩथ् ृ वी भें ककसी ददन प्ररम बी आ जाव ,इन सफभें अन्म ग्रहों का कोई प्रबाव नहीॊ है ।
ग्रहों के प्रबाव से भनुष्म की च त ॊ नधायावॊ फदरती यहती हैं , ककन्तु ऩथ् ृ वी के ववमबन्न बागों भें यहनेवारे वक ही ददन वक ही र्न भें ऩैदा होनेवारे दो व्मस्क्तमों के फी
कापी सभानता के
फावजूद अऩने-अऩने दे श की सभ्मता , सॊस्कृित , साभास्जक , याजनीितक औय बौगोमरक ऩरयवेश से प्रबाववत होने की मबन्नता बी यहती है । सॊसाधनों की मबन्नता व्मवसाम की मबन्नता का कायण
फनेगी । सभुद्र के ककनाये यहनेवारे रोग , फड़े शहयों भें यहनेवारे रोग , गॉवो भें यहनेवारे सॊऩन्न रोग औय गयीफी ये खा के नी े यहनेवारे रोग अऩने दे शकार के अनुसाय ही व्मवसाम का
न ु ाव
अरग-अरग ढॊ ग से कयें गे। वक ही प्रकाय के आई क्मू यखनेवारे दो व्मस्क्तमों की मशऺा-दीऺा मबन्न-मबन्न हो सकती है , ककन्तु उनकी च त ॊ न-शैरी वक जैसी ही होगी। इस तयह ऩथ् ृ वी के प्रबाव के अॊतगथत आनेवारे बौगोमरक प्रबाव को नजयअॊदाज नहीॊ ककमा जा सकता।
इस कायण वक ही र्न भें वक ही डडग्री भें बी जन्भ रेनेवारे व्मस्क्त का शयीय बौगोमरक ऩरयवेश के अनुसाय गोया मा कारा हो सकता है । रम्फाई भें कभी-अचधकता कुछ बी हो सकती है , ककन्तु स्वास्थ्म , शयीय को कभजोय मा भजफूत फनानेवारी ग्रॊचथमॉ , शायीरयक आवश्मकतावॊ औय शयीय से सॊफॊचधत भाभरों का आत्भववश्वास वक जैसा हो सकता है । सबी के धन औय ऩरयवाय
ववशमक च त ॊ न वक जैसे होंगे , सबी भें ऩुरुषाथथ-ऺभता मा शस्क्त को सॊगदठत कयने की ऺभता वक जैसी होगी। सबी के मरव सॊऩस्त्त , स्थािमत्व औय सॊस्था से सॊफॊचधत वक ही प्रकाय के
दृस्ष्टकोण होंगे। सबी अऩने फार-फ् ों से वक जैसी रगाव औय सुख प्राप्त कय सकेंगे। सबी की
सूझ-फूझ वक जैसी होगी। सबी अऩनी सभस्माओॊ को हर कयने भें सभान धैमथ औय सॊघषथ ऺभता
का ऩरय म दें गे। सबी अऩनी जीवनसाथी से वक जैसा ही सुख प्राप्त कयें गे। अऩनी-अऩनी गह ृ स्थी के प्रित उनका दृस्ष्टकोण वक जैसा ही होगा। सबी का जीवन दशथन वक जैसा ही होगा , जीवनशैरी वक जैसी ही होगी। बा्म , धभथ , भानवीम ऩऺ के भाभरों भें उदायवाददता मा कट्टयवाददता का वक जैसा रुख होगा। सबी के साभास्जक याजनीितक भाभरों की सपरता वक जैसी होगी। सबी का अबीष्ट राब वक जैसा होगा। सबी भें ख थ कयने की प्रवस्ृ त्त वक जैसी ही होगी। ककन्तु शयीय का वजन , यॊ ग मा रुऩ वक जैसा नहीॊ होगा। सॊमुक्त ऩरयवाय की रॊफाई , ौड़ाई वक
जैसी नहीॊ होगी। धन की भारा वक जैसी नहीॊ हो सकती है । सॊगठन शस्क्त , शायीरयक ताकत मा बाई-फहनों की सॊख्मा भें बी ववमबन्नता हो सकती है । सॊऩस्त्त बी ऩरयवेश के अनुसाय ही मबन्न-
मबन्न होगी । सॊतान की सॊख्मा वक जैसी नहीॊ हो सकती है । दाम्ऩत्म जीवन मबन्न-मबन्न प्रकाय
का हो सकता है । जीवन की रॊफाई भें बी वकरुऩता की फात नहीॊ होगी , कोई दीघथजीवी तो कोई भध्मजीवी तथा कोई अल्ऩामु बी हो सकता है । व्मवसाम की ऊॊ ाई मा स्तय बी अरग-अरग हो सकता है । इसी प्रकाय राब औय ख थ का स्तय बी साभास्जक , याजनीितक , बौगोमरक , आचथथक
मा अन्म सॊसाधनों ऩय िनबथय हो सकता है । ककन्तु गत्मात्भक दशा ऩिित के अनुसाय ही वे सबी जातक वक साथ ककसी खास वषथ भें , ककसी खास भहीनें भें , ककसी खास ददन भें तथा ककसी खास घॊटे भें सुख मा दख ु की अनुबूित अवश्म कयें गे , उनभें सकायात्भक मा नकायात्भक दृस्ष्टकोण उसी तयह ददखाई ऩड़ेगा।
ककसी व्मस्क्त को ईंट फनाते हुव आऩने अवश्म दे खा होगा। उसके ऩास उसका अऩना सॉ ा होता है तथा सनी हुई गीरी मभट्टी होती है । प्रत्मेक फाय वह गीरी मभट्टी से सॉ े को बयता है औय वकवक ईंट िनकारता है । घॊटे बय भें वह हजाय की सॊख्मा भें ईंटे िनकार रेता है । ईंट फनानेवारे की िनगाह भें सबी ईंटे वक तयह की ही होती हैं , ककन्तु स्जसे ईंटे खयीदना होता है , वह कुछ ईंटों
को कभजोय कह अस्वीकृत कय दे ता है , जफकक उन ईंटों भें जफदथ स्त सभानता होती है । इस तयह वक आभ के वऺ ृ भें आभ के ढे यो पर वक साथ रगते हैं ,परों के ऩरयऩक्व होने ऩय सबी परों की फनावट औय स्वाद भें फड़ी सभानता होती है , कोई बी उन्हें दे खकय कह सकता है कक आभ वक ही जाित के हैं , ऩयॊ तु कुछ को आकाय प्रकाय औय स्वाद की दृस्ष्ट से कभजोय फताकय
अस्वीकृत कय ददमा जाता है । इसी प्रकाय भानविनमभथत हो मा प्रकृितसस्ृ जत , हय सॊसाधन के वक होने औय फीज की सभानता होने के फावजूद अऩवाद के रुऩ भें कुछ ववषभतावॊ कबी
आश् मथ ककत कय दे नेवारी होती हैं। इसी प्रकाय वक ही ददन वक र्न भें मा र्न के वक ही अॊश भें जन्भ रेनेवारे फहुत साये रोगों भें कुछ ववषभताओॊ के फावजूद उनकी अचधकाॊश सभानताओॊ को नजयअॊदाज नहीॊ ककमा जा सकता। प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 12:15 am 25 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
शक्र ु वाय, 3 अप्रर2009 क्माहगत्मात्भक ्मोतिष? प्रा ीन ्मोितष के ग्रॊथों भें वखणथत ग्रहों की अवस्था के अनुसाय भनुष्म के जीवन ऩय ऩड़ने वारे ग्रहों की गित के साऩेऺ उनकी शस्क्त के प्रबाव के 12-12 वषों का ववबाजन `गत्मात्भक दशा
ऩिित´ कहराता है । मह मसिाॊत, ऩयॊ ऩयागत ्मोितष ऩय आधारयत होते हुव बी ऩूणत थ मा नवीन दृस्ष्टकोण ऩय आधारयत है ।
इस ऩिित भें वषों से री आ यही `ववॊशोत्तयी दशा ऩिित´ को स्थान न दे कय नमे प्रभेमों तथा सूरों को स्थान ददमा गमा है । इसभें प्रत्मेक ग्रह के प्रबाव को अरग-अरग 12 वषों के मरव
िनधाथरयत ककमा गमा है । साथ ही ग्रहों की शस्क्त िनधाथयण के मरव स्थान फर, ददक् फर, कार फर, नैसचगथक फर, दृक फर, अष्टक वगथ फर से मबन्न ग्रहों की गितज औय स्थैितज ऊजाथ को स्थान ददमा गमा हैं। ब क्र के 30 प्रितशत तक के ववबाजन को मथेष्ट सभझा गमा है तथा उससे अचधक ववबाजन की आवश्मकता नहीॊ सभझी गमी है । र्न को सफसे भहत्वऩूणथ यामश सभझते हुव इसे सबी प्रकाय की बववष्मवाखणमों का आधाय भाना गमा है ।
द्र ॊ भा भन का प्रतीक ग्रह है । फ ऩन भें सबी अऩने भन के अनुसाय ही कामथ कयना ऩसॊद कयते
हैं। इसमरव इस अवचध को
द्र ॊ भा का दशा कार भाना गमा है , ाहे उनका जन्भ ककसी बी नऺर
भें क्मों न हुआ हो। द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त के िनधाथयण के मरव इसकी सूमथ से कोखणक दयू ी ऩय ध्मान दे ना आवश्मक होगा। मदद द्र ॊ भा की स्स्थित सूमथ से 0 डडग्री की दयू ी ऩय हो, तो द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत, मदद 90 डडग्री, मा 270 डडग्री दयू ी ऩय हो, तो शस्क्त 50 प्रितशत औय मदद 180 डडग्री की दयू ी ऩय हो, तो प्रितशत होती है । कयते हैं। मदद
द्र ॊ भा की गत्मात्भक
द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त 100
द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त के अनुसाय ही जातक अऩनी ऩरयस्स्थितमाॊ प्राप्त
द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत हो, तो उन बावों की कभजोरयमों, स्जनका
द्र ॊ भा स्वाभी है तथा जहाॊ उसकी स्स्थित है , के कायण जातक के फार भन के भनोवैऻािनक ववकास भें फाधावॊ उऩस्स्थत होती हैं। मदद
द्र ॊ भा की गत्मात्भक शस्क्त 50 प्रितशत हो, तो उन
बावों की अस्त्मधक स्तयीम ववॊ भजफूत स्स्थित, स्जनका
द्र ॊ भा स्वाभी है तथा जहाॊ उसकी स्स्थित
है , के कायण फ ऩन भें जातक का भनोवैऻािनक ववकास सॊतुमरत ढॊ ग से होता है । मदद
द्र ॊ भा की
गत्मात्भक शस्क्त 100 प्रितशत हो, तो उन बावों की अित सहज, सख ु द ववॊ आयाभदामक स्स्थित, स्जनका
द्र ॊ भा स्वाभी है तथा जहाॊ उसकी स्स्थित है , के कायण फ ऩन भें जातक का
भनोवैऻािनक ववकास कापी अ्छा होता है । 5वें -6ठे वषथ भें
द्र ॊ भा का प्रबाव सवाथचधक ददखामी
ऩड़ता है । फुध ववद्मा, फुवि औय ऻान का प्रतीक ग्रह है । 12 वषथ से 24 वषथ की उम्र ववद्माध्ममन की होती है , ाहे वह ककसी बी प्रकाय की हो। इसमरव इस अववध को फुध का दशा कार भाना गमा है । फुध
की गत्मात्भक शस्क्त के िनधाथयण के मरव इसकी सूमथ से कोखणक दयू ी के साथ इसकी गित ऩय बी ध्मान दे ना आवश्मक होता है । मदद फुध सूमथ से 0 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो औय इसकी
गित वक्र हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत होती है। मदद फुध सूमथ से 26-27 डडग्री के
आसऩास स्स्थत हो तथा फुध की गित 10 प्रितददन की हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 50 प्रितशत होती है । मदद फुध सूमथ से 0 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो औय फुध की गित 2 डडग्री प्रितददन के
आसऩास हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 100 प्रितशत होती है । फुध की गत्मात्भक शस्क्त के
अनुसाय ही जातक ववद्माथी जीवन भें अऩनी ऩरयस्स्थितमाॊ प्राप्त कयते हैं। मदद फुध की शस्क्त 0
प्रितशत हो, तो उन सॊदबो की कभजोरयमों, स्जनका फुध स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक के भानमसक ववकास भें फाधावॊ आती हैं। मदद फुध की शस्क्त 50 प्रितशत के
आसऩास हो, तो उन बावों की स्तयीम ववॊ भजफूत स्स्थित, स्जनका फुध स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक का भानमसक ववकास उ्
कोदट का होता है । मदद फुध की
शस्क्त 100 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की आयाभदामक स्स्थित, स्जनका फध ु स्वाभी है
तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक का भानमसक ववकास सहज ढॊ ग से होता है । 17वें18वें वषथ भें मह प्रबाव सवाथचधक ददखामी ऩड़ता है । भॊगर शस्क्त ववॊ साहस का प्रतीक ग्रह है । मुवावस्था, मानी 24 वषथ से 36 वषथ की उम्र तक जातक अऩनी शस्क्त का सवाथचधक उऩमोग कयते हैं। इस दृस्ष्ट से इस अववध को भॊगर का दशा कार भाना गमा है । भॊगर की गत्मात्भक शस्क्त का आकरन बी सूमथ से इसकी कोखणक दयू ी के
आधाय ऩय ककमा जाता है । मदद भॊगर सूमथ से 180 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो भॊगर की
गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत, मदद 90 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो भॊगर की गत्मात्भक शस्क्त
50 प्रितशत, मदद 0 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो भॊगर की गत्मात्भक शस्क्त 100 प्रितशत होगी। भॊगर की गत्मात्भक शस्क्त के अनुसाय ही जातक अऩनी मुवावस्था भें अऩनी ऩरयस्स्थितमाॊ प्राप्त कयते हैं। मदद भॊगर की शस्क्त 0 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की कभजोरयमों, स्जनका
भॊगर स्वाभी है औय स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक के उत्साह भें कभी आती है । मदद भॊगर की शस्क्त 50 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की अस्त्मधक स्तयीम ववॊ भजफूत स्स्थित, स्जनका भॊगर स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण उनका उत्साह उ्
कोदट का होता है । मदद भॊगर की शस्क्त 100 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की सख ु द
ववॊ आयाभदामक स्स्थित, स्जनका भॊगर स्वाभी है औय स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक की ऩरयस्स्थितमाॊ सहज होती हैं। 29वें-30वें वषथ भें मह प्रबाव सवाथचधक ददखामी ऩड़ता है । शुक्र
तुयाई का प्रतीक ग्रह है । 36 वषथ से 48 वषथ की उम्र के प्रौढ़ अऩने कामथक्रभों को मुस्क्तऩूणथ
ढॊ ग से अॊजाभ दे ते हैं। इसमरव इस अवचध को शुक्र का दशा कार भाना गमा है । शुक्र की
गत्मात्भक शस्क्त के आकरन के मरव, सूमथ से इसकी कोखणक दयू ी के साथ-साथ, इसकी गित ऩय
बी ध्मान दे ना आवश्मक होता है । मदद शुक्र सूमथ से 0 डडग्री की दयू ी ऩय हो औय इसकी गित वक्र हो, तो शुक्र की गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत होती है । मदद शुक्र सूमथ से 45 डडग्री की दयू ी के
आसऩास स्स्थत हो औय इसकी गित प्रितददन 1 डडग्री की हो, तो शुक्र की गत्मात्भक शस्क्त 50 प्रितशत होती है । मदद शुक्र की सूमथ से दयू ी 0 डडग्री हो औय इसकी गित प्रितददन 1 डडग्री से
अचधक हो, तो शुक्र की गत्मात्भक शस्क्त 100 प्रितशत होती है । शुक्र की गत्मात्भक शस्क्त के
अनुसाय ही जातक अऩनी प्रौढ़ावस्था ऩूवथ का सभम व्मतीत कयते हैं। मदद शुक्र की शस्क्त 0 डडग्री
हो, तो उन सॊदबों की कभजोरयमों, स्जनका शुक्र स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण
जातक अऩनी स्जम्भेदारयमों का ऩारन कयने भें कदठनाई प्राप्त कयते हैं। मदद शुक्र की शस्क्त 50 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन सॊदबों की भजफूत ववॊ स्तयीम स्स्थित, स्जनका शुक्र स्वाभी है
तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण जातक अऩनी स्जम्भेदारयमों का ऩारन कापी सहज ढॊ ग से कय ऩाते हैं। 41वें-42वें वषथ भें मह प्रबाव सवाथचधक ददखामी ऩड़ता है । ्मोितष की प्रा ीन ऩुस्तकों भें भॊगर को याजकुभाय तथा सूमथ को याजा भाना गमा है । भॊगर के दशा कार 24 से 36 वषथ भें वऩता फनने की उम्र 24 वषथ को जोड़ ददमा जाव, तो मह 48 वषथ से 60
वषथ हो जाता है । इसमरव इस अववध को सूमथ का दशा कार भाना गमा है । वक याजा की तयह ही जनसाभान्म को सूमथ के इस दशा कार भें अचधकाचधक कामथ सॊऩन्न कयने होते हैं। सबी ग्रहों को ऊजाथ प्रदान कयने वारे स्अधकतभ ऊजाथ के स्रोत सूमथ को हभेशा ही 50 प्रितशत गत्मात्भक शस्क्त प्राप्त होती है । इसमरव इस सभम उन बावों की स्तयीम ववॊ भजफूत स्स्थित, स्जनका सूमथ स्वाभी है तथा स्जसभें उसी स्स्थित है , के कायण उनकी फ ी स्जम्भेदारयमो का ऩारन उ्
कोदट का होता
है । फह ृ स्ऩित धभथ का प्रतीक ग्रह है । 60 वषथ से 72 वषथ की उम्र के वि ृ , हय प्रकाय की स्जम्भेदारयमों
िनवाथह कय, धामभथक जीवन जीना ऩसॊद कयते हैं। इसमरव इस अववध को फह ृ स्ऩित का दशा कार भाना गमा है । फह ृ स्ऩित की गत्मात्भक शस्क्त का आकरन बी सूमथ से इसकी कोखणक दयू ी के
आधाय ऩय ककमा जाता है । मदद फह ृ स्ऩित सूमथ से 180 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो फह ृ स्ऩित की गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत, 90 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो फह ृ स्ऩित की गत्मात्भक
शस्क्त 50 प्रितशत तथा मदद 0 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो फह ृ स्ऩित की गत्मात्भक शस्क्त
100 प्रितशत होगी। फह ृ स्ऩित की गत्मात्भक शस्क्त के अनुसाय ही जातक अऩने वि ृ जीवन भें
अऩनी ऩरयस्स्थितमाॊ प्राप्त कयते हैं। मदद फह ृ स्ऩित की शस्क्त 0 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन
बावों की कभजोरयमों, स्जनका फह ृ स्ऩित स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण उनका
जीवन िनयाशाजनक फना यहता है । मदद फह ृ स्ऩित की शस्क्त 50 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन
बावों की भजफूत ववॊ स्तयीम स्स्थित, स्जनका फह ृ स्ऩित स्वाभी है तथा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण अवकाश प्रास्प्त के फाद का जीवन उ्
कोदट का होता है । मदद फह ृ स्ऩित की शस्क्त
100 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की आयाभदामक स्स्थित, स्जनका फह ृ स्ऩित स्वाभी है
औय स्जसभें इसकी स्स्थित है , के कायण जातक की ऩरयस्स्थितमाॊ वि ृ ावस्था भें कापी सुखद होती हैं।
प्रा ीन ्मोितष के कथनानुसाय ही शिन को, अितवि ृ ग्रह भानते हुव, जातक के 72 वषथ से 84 वषथ की उम्र तक का दशा कार इसके आचधऩत्म भें ददमा गमा है । शिन की गत्मात्भक शस्क्त का आकरन बी सूमथ से इसकी कोखणक दयू ी के आधाय ऩय ही ककमा जाता है । मदद शिन सूमथ से 180 डडग्री की दयू ी ऩय हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 0 प्रितशत होती है । मदद शिन सूमथ से 90 डडग्री
की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 50 प्रितशत होती है । मदद शिन सूमथ से 0 डडग्री की दयू ी ऩय स्स्थत हो, तो इसकी गत्मात्भक शस्क्त 100 प्रितशत होती है । शिन की शस्क्त के
अनस ु ाय ही जातक अित वि ृ ावस्था भें अऩनी ऩरयस्स्थितमाॊ प्राप्त कयते हैं। मदद शिन की शस्क्त 0 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की कभजोरयमों, स्जनका शिन स्वाभी है , मा स्जसभें उसकी
स्स्थित है , के कायण अित वि ृ ावस्था का उनका सभम कापी िनयाशाजनक होता है । मदद शिन की गत्मात्भक शस्क्त 50 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की अस्त्मधक भजफत ू ववॊ स्तयीम स्स्थित, स्जनका शिन स्वाभी है , मा स्जसभें उसकी स्स्थित है , के कायण उनका मह सभम उ्
कोदट का होता है । मदद शिन की शस्क्त 100 प्रितशत के आसऩास हो, तो उन बावों की अित सुखद ववॊ आयाभदामक स्स्थित, स्जनका शिन स्वाभी हो, मा स्जसभें उसकी स्स्थित हो, के कायण, वि ृ ावस्था के फावजूद, उनका सभम कापी सुखद होता है ।
इसी प्रकाय जातक का उत्तय वि ृ ावस्था का 84 वषथ से 96 वषथ तक का सभम मूयेनस, 96 से 108
वषथ तक का सभम नेप््मून तथा 108 से 120 वषथ तक का सभम प्रूटो के द्वाया सॊ ामरत होता
है । मूयेनस, नेप््मून ववॊ प्रूटो की गत्मात्भक शस्क्त का िनधाZयण बी, भॊगर, फह ृ स्ऩित औय शिन की तयह ही, सूमथ से इसकी कोणात्भक दयू ी के आधाय ऩय ककमा जाता है । इस प्रकाय इस दशा
ऩिित भें सबी ग्रहों की वक खास अववध भें वक िनस्श् त बूमभका होती है । ववॊशोत्तयी दशा ऩिित की तयह वक भार
द्र ॊ भा का नऺर ही सबी ग्रहों को सॊ ामरत नहीॊ कयता है ।
सबी ग्रह, अऩनी अवस्था ववशेष भें कॊु डरी भें प्राप्त फर औय स्स्थित के अनुसाय, अऩने कामथ का सॊऩादन कयते हैं। रेककन इन 12 वषों भें बी सभम-सभम ऩय उताय- ढ़ाव आना तथा छोटे -छोटे
अॊतयारों के फाये भें जानकायी इस ऩिित से सॊबव नहीॊ है । 12 वषथ के अॊतगथत होने वारे उरट-पेय का िनणथम `र्न साऩेऺ गत्मात्भक गो य प्रणारी´ से कयें , तो दशा कार से सॊफॊचधत सायी कदठनाइमाॊ सभाप्त हो जावॊगी। इन दोनों मसिाॊतों का उऩमोग होने से ्मोितष ववऻान ददन दन ू ी यात
ौगुनी प्रगित के ऩथ ऩय होगा, इसभें कोई सॊदेह नहीॊ है ।
गत्मात्भक ्मोितष ऩय आधारयत भेये धरागऩय आऩका स्वागत है । प्रस्तुतकताथ सॊगीता ऩुयी ऩय 5:38 pm 44 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
शक्र ु वाय, 24 अक्िूफय2008 हभग्रहक ीकक सशक्क्िसेप्रबािविहैं वक ही ग्रह का कोण फदर जाने से उसका प्रबाव फदर जाता है ऩथ् े न , जीव-जॊतु औय भनुष्म ग्रहों के ववककयण , कॉस्स्भक ककयण , ववद्मुतृ वी के सबी जड़- त म् ु फकीम तयॊ ग , प्रकाश , गुरुत्वाकषथण मा गित से ही प्रबाववत हैं । इन सबी शस्क्तमों की
बौितक ववऻान भें की गमी है । ऩुन: ववऻान इस फात की बी
ाथ
ाथ कयता है कक सबी प्रकाय की
शस्क्तमॉ वक-दस ू ये के स्वरुऩ भें रुऩाॊतरयत की जा सकती है । ऊऩय मरखखत शस्क्तमों के
ाहे स्जस
रुऩ से ग्रह हभें प्रबाववत कयें , वह शस्क्त िनस्श् त रुऩ से ग्रहों के स्थैितक औय गितज ऊजाथ से प्रबाववत हैं , क्मोंकक व्मावहारयक तौय ऩय भैंने ऩामा है कक ग्रह-शस्क्त का सॊऩूणथ आधाय उसकी गित भें छुऩा हुआ है ।
ऩन ु : वक प्रश्न औय उठता है , सबी ग्रह मभरकय ककसी ददन ऩथ् ृ वीवामसमों के मरव ऊजाथ मा
शस्क्त से सॊफॊचधत वक जैसा वातावयण फनाते हैं , तो उसका प्रबाव मबन्न-मबन्न वनस्ऩित , जीवजॊतु , औय भनुष्मों ऩय मबन्न-मबन्न रुऩ से क्मों ऩड़ता है ? वक ही तयह की ककयणों का प्रबाव वक ही सभम ऩथ् ृ वी के ववमबन्न बागों भें मबन्न-मबन्न तयह से क्मों ऩड़ता है ? इस फात को सभझने के मरव कुछ फातों ऩय गौय कयना ऩड़ेगा। भई का भहीना
र यहा हो , भध्म आकाश भें
सूमथ हो ,दोऩहय का सभम हो , प्र ण्ड गभी ऩड़ती है । इसी सभम ऩथ् ृ वी के स्जस बाग भें सुफह हो यही होगी , वहॉ सुफह के वातावयण के अनुरुऩ , जहॉ शाभ हो यही होगी , वहॉ शाभ के अनुरुऩ तथा जहॉ भध्म याबर होगी , वहॉ सभस्त वातावयण आधी यात का होगा।
अमबप्राम मह है कक वक ही ककयण का कोण फदर जाने से उसका प्रबाव बफल्कुर फदर जाता है । दोऩहय की सम ॊ गभी , जो अबी व्माकुर कय दे नेवारी है , आधीयात को स्वमॊभेव याहत ू थ की प्र ड दे नेवारी हो जाती है । प्रत्मेक दो घॊटे भें ऩथ् ृ वी अऩने अऺ भें 30 डडग्री आगे फढ़ जाती है औय
इसके िनयॊ तय गितशीर होने से सबी ग्रहों के प्रबाव का कामथऺेर फदर जाता है । ऩथ् ृ वी के हय
ऺण के फदराव के कायण ग्रहों के कोण भें फदराव आता है , स्जसके परस्वरुऩ हय ऺण सज ृ न , जन्भ-भयण , आववबाथव आदद जीवात्भा की ग्रॊचथमों भें दजथ हो जाती है । साथ ही सदै व फदरते
ग्रहीम ऩरयवेश के साथ हय जीवात्भा की धनात्भक-ऋणात्भक प्रितकक्रमा होती है । इस तयह वक ही ग्रहीम वातावयण का ऩथ् े न ऩय अरग-अरग प्रबाव ऩड़ता है । ृ वी के प्ऩे- प्ऩे भें स्स्थत जड़- त ग्रह की गित , प्रकाश , गरू ु त्वाकषथण से रोग प्रबाववत होते हैं
प्रश्न मह बी है कक जफ ग्रह की गित , प्रकाश ,गरु ु त्वाकषथण मा ववद्मत ु - म् ु फकीम-शस्क्त से रोग
प्रबाववत हैं , तो अबी तक ग्रह-शस्क्त की तीव्रता की जानकायी के मरव बौितक ववऻान का सहाया नहीॊ रेकय पमरत ्मोितष भें स्थानफर , ददक्फर , कारफर , नैसचगथक फर , ष्े टाफर , दृस्ष्टफर , आत्भकायक , मोगकायक , उत्तयामण , दक्षऺणामण , अॊशफर , ऩऺफर आदद की
ाथ भें ही
्मोितषी क्मों अऩना अचधकाॊश सभम गॊवाते यहें ? आज इनसे सॊफॊचधत हय िनमभों औय को फायी फायी से हय कॊु डमरमों भें जॉ
की जाव , इन िनमभों को कम्प्मूटयीकृत कय इसकी जॉ
की जाव ,
भेया दावा है , कोई िनष्कषथ नहीॊ िनकरेगा। बौितक ववऻान भें स्जतनें प्रकाय की शस्क्तमों की
ाथ
की गमी है , सबी को भाऩने के मरव इकाई , सूर मा सॊमॊर की व्मवस्था है । ग्रहों की शस्क्त को भाऩने के मरव हभाये ऩास न तो सूर है , न इकाई औय न ही सॊमॊर। ववकासशीर ववऻानो का वकदस ू ये से ऩयस्ऩय सहसॊफॊध आवश्मक आज से हजायो वषथ ऩूवथ सूममथ सिाॊत नाभक ऩुस्तक भें ग्रहों की ववमबन्न गितमों का उल्रेख है ,
इन गितमों के मबन्न-मबन्न नाभकयण हैं ककन्तु इन गितमों की उऩमोचगता केवर ग्रह की आकाश भें सम्मक् स्स्थित को ददखाने तक ही सीमभत थी। इन्हीॊ गितमों भें ववमबन्न प्रकाय से ग्रह की
शस्क्तमॉ िछऩी हुई हैं , इस फात ऩय अबी तक रोगों का ध्मान गमा ही नहीॊ था। ककसी बी स्थान ऩय मे ग्रह ववमबन्न गितमों से सॊमुक्त हो सकते हैं। अत: वक ही स्थान ऩय यहकय मे ग्रह मबन्न गित के कायण मबन्न पर को प्रस्तुत कयते हैं , जातक को मबन्न भनोदशा दे ते हैं। पमरत
्मोितष भें ग्रह-गितमों के ववमबन्न परों का ऩूया उऩमोग ककमा जा सकता है , स्जसका उल्रेख ्मोितष के प्रा ीन ग्रॊथों भें नहीॊ ककमा गमा है । इसका भुख्म कायण मह हो सकता है कक उस
सभम बौितक ववऻान भें उस्ल्रखखत स्थैितज मा गितज ऊजाथ , गुरुतवाकषथण , कॉस्स्भक ककयण , ववद्मुत
म् ु फकीम ऺेर आदद की खोज नहीॊ हुई हो।
स्भयण यहे , हय ववऻान का ववकास द्रत ु गित से तबी हो सकता है , जफ ववकासशीर ववऻान वक
दस ू ये से ऩयस्ऩय धनात्भक सहसॊफॊध फनाव यखें। उन ददनों बौितक ववऻान का फहुआमाभी ववकास नहीॊ हो ऩामा था , इसमरव हभाये ऋवष मा ऩूवज थ ग्रहों की शस्क्त की खोज आकाश के ववमबन्न
स्थानों भें उसकी स्स्थित भें ढूॊढ़ यहे थे। उन्होने ग्रहों की शस्क्त को खोज भें वड़ी- ोटी का ऩसीना वक कय ददमा था। कबी वे ऩातें कक ग्रहों की शस्क्त मबन्न-मबन्न यामशमों भें मबन्न-मबन्न है । कबी भहसूस कयते कक वक ही यामश भें ग्रह मबन्न-मबन्न पर दे यहें हैं। उसी यामश भें यहकय
कबी अऩनी सफसे फड़ी ववशेषता तो कबी अऩनी कभजोयी दजथ कयाते हैं। आज के सबी ववद्वान ्मोितषी बी अवश्म ही ऐसा भहसूस कयते होंगे। भैं अनेक कॊु डमरमों भें वक ही यामश भें स्स्थत
ग्रहों से उत्ऩन्न दो ववऩयीत प्रबावों को दे ख
क ु ा हूॊ। ककथ र्न हो , ऩॊ भ बाव भें वस्ृ श् क यामश
का फह ु से ऩरयऩूणथ , सॊतप्ृ त बी हो सकता है , तो ृ स्ऩित हो , ऐसी स्स्थित भें व्मस्क्त सॊतान सख िनस्सॊतान औय दख ु ी बी।
वस्ृ श् क यामश के ऩॊ भ बाव का फह ृ स्ऩित
ाहे स्जस द्रे ष्काण , नवभाॊश , षड्वगथ मा अष्टकवगथ भें
हो , स्जतने बी अ्छे अॊक प्राप्त कय रें , मदद वह भॊगर के साऩेऺ अचधक गितशीर नहीॊ हुआ , तो जातक धनात्भक ऩरयणाभ कदावऩ नहीॊ प्राप्त कय सकता। अत: ग्रह की शस्क्त ककसी ववशेष स्थान भें नहीॊ , वयन ् उसके यामशश की तुरना भें फढ़ी हुई गित के कायण होती है । ग्रह के
फराफर िनधाथयण के मरव ऩयॊ ऩया से ददक्फर को बी भहत्वऩूणथ भाना जाता है । याजमोग प्रकयण की सभीऺा भें उिृत कॊु डरी भें भॊगर ददक्फरी था , ककन्तु जातक मुवावस्था भें ही टी फी का
भयीज था। भैंने ऩामा कक उसके जन्भकार भें भॊगर सभरुऩगाभी था , जो अितशीघ्री यामशश के बाव भें स्स्थत था। इस कायण भॊगर ऋणात्भक था औय मुवावस्था भें ही मािन भॊगर के कार भें ही जातक की सायी ऩरयस्स्थितमॉ औय प्रवस्ृ त्तमॉ ऋणात्भक थी। पमरत ्मोितष भें अफ तक ग्रहों की स्स्थित को ही सवाथचधक भहत्व ददमा गमा है , उसकी है मसमत मा शस्क्त को सभझने की
ष्े टा हीॊ की गमी है । धनबाव भें स्स्थत वष ृ का फह ृ स्ऩित कयोड़ऩित औय मबखायी दोनों को जन्भ दे सकता है । इस कायण फह ृ स्ऩित औय शुक्र दोनों भें अॊितनथदहत शस्क्त को मबन्न तयीके से
सभझने की फात होनी
ादहव। थाने भें फैठे सबी रोगों को थानेदाय सभझ मरमा जाव तो अनथथ
ही हो जावगा , क्मोंकक बरे ही वहॉ अचधक सभम थानेदाय की उऩस्स्थित यहती हो , ऩयॊ तु कबी वहॉ वस ऩी , डी वस ऩी औय कबी सपेदऩोश अऩयाधी बी फैठे हो सकते हैं।
अबी तक ग्रहों के फराफर को सभझने के मरव ववमबन्न ववद्वानों की ओय से स्जतने तयह के सुझाव ्मोितष के ग्रॊथों भें ददव गव हैं , वे ऩमाथप्त नहीॊ हैं। ऩयॊ ऩयागत सबी िनमभों की जानकायी , जो शस्क्त िनधाथयण के मरव फनामी गमी है , भें सवथश्रेष्ठ कौन सा है , िनकारना भुस्श्कर है , स्जसऩय बयोसा कय तथा स्जसका प्रमोग कय बववष्मवाणी को सटीक फनाकय जनसाभान्म के
साभने ऩेश ककमा जा सके। ऐसी अनेक कॊु डमरमॉ भेयी िनगाहों से होकय बी गज ु यी हैं , जहॉ ग्रह को शस्क्तशारी मसि कयने के मरव प्राम: सबी िनमभ काभ कय यहे हैं , कपय बी ग्रह का पर
कभजोय है । इसका कायण मह है कक उऩयोक्त सबी िनमभों भें से वक बी ग्रह-शस्क्त के भर ू स्रोत से सॊफॊचधत नहीॊ हैं। इसी कायण पमरत ्मोितष अिनस्श् त वातावयण के दौय से गज ु य यहा है । प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 7:16 am 63 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
फह ू य2008 ृ स्ऩतिवाय, 2 अक्िफ
पिरि्मोतिष:िवज्ञानमाअंधिवश्वास पमरत ्मोितष ववऻान है मा अॊधववश्वास , इस प्रश्न का उत्तय दे ऩाना सभाज के ककसी बी वगथ के मरव आसान नहीॊ है । ऩयॊ ऩयावादी औय अॊधववश्वासी वव ायधाया के रोग ,जो कई स्थानों ऩय ्मोितष ऩय ववश्वास कयने के कायण धोखा खा
क ु ें हैं ,बी इस शास्र ऩय सॊदेह नहीॊ कयते। साया
दोषायोऩण ्मोितषी ऩय ही होता है । वैऻािनकता से सॊमक् ु त वव ायधाया से ओत-प्रोत व्मस्क्त बी ककसी भस ु ीफत भें पॊसते ही सभाज से छुऩकय ्मोितवषमों की शयण भें जाते दे खे जाते हैं।
्मोितष की इस वववादास्ऩद स्स्थित के मरव भै सयकाय ,शैऺखणक सॊस्थानों ववॊ ऩरकारयता ववबाग को दोषी भानती हूॊ। इन्होने आजतक ्मोितष को न तो अॊधववश्वास ही मसि ककमा औय न ही ववऻान ? सयकाय मदद ्मोितष को अॊधववश्वास सभझती तो जन्भकॊु डरी फनवाने मा जन्भऩरी मभरवाने के काभ भें रगे ्मोितवषमों ऩय कानूनी अड़ नें आ सकती थी। मऻ हवन कयवाने मा तॊर-भॊर का
प्रमोग कयनेवारे ्मोितवषमों के कामथ भें फाधावॊ आ सकती थी। सबी ऩबरकाओॊ भें यामश-पर के प्रकाशन ऩय योक रगामा जा सकता था। आखखय हय प्रकाय की कुयीितमों औय अॊधववश्वासों जैसे जुआ , भद्मऩान , फार-वववाह, सती-प्रथा आदद को सभाप्त कयनें भें सयकाय ने कोई कसय नहीॊ
छोड़ी है ,ऩयॊ तु ्मोितष ऩय ववश्वास कयनेवारों के मरव ऐसी कोई कड़ाई नहीॊ हुई। आखखय क्मों ? क्मा सयकाय ्मोितष को ववऻान सभझती है ? नहीॊ, अगय वह इस ववऻान सभझती तो इस ऺेर भें कामथ कयनेवारों के मरव कबी-कबी ककसी प्रितमोचगता, सेमभनाय आदद का आमोजन होता तथा ववद्वानों को ऩुयस्कायों से सम्भािनत कय प्रोत्सादहत ककमा जाता। ऩयॊ तु आजतक ऐसा कुछ बी
नहीॊ ककमा गमा। ऩरकारयता के ऺेर भें दे खा जाव तो रगबग सबी ऩबरकावॊ मदा-कदा ्मोितष से सॊफॊचधत रेख, इॊटयव्मू , बववष्मवाखणमॉ आदद िनकारती यहती है ऩय जफ आजतक इसकी
वैऻािनकता के फाये भें िनष्कषथ ही नहीॊ िनकारा जा सका, जनता को कोई सॊदेश ही नहीॊ मभर ऩामा तो कपय ऐसे रेखों मा सभा ायों का क्मा औच त्म ? ऩबरकाओॊ के ववमबन्न रेखों हे तु ककमा जानेवारा ्मोितवषमों कें
मन का तयीका ही गरत है ।
उनकी व्मावसािमक सपरता को उनके ऻान का भाऩदॊ ड सभझा जाता है , रेककन वास्तव भें ककसी की व्मावसािमक सपरता उसकी व्मावसािमक मो्मता का ऩरयणाभ होती है ,न कक ववषमववशेष की गहयी जानकायी। इन सपर ्मोितवषमों का ध्मान पमरत ्मोितष के ववकास भें न होकय अऩने व्मावसािमक ववकास ऩय होता है । ऐसे व्मस्क्तमों द्वाया ्मोितष ववऻान का प्रितिनचधत्व कयवाना ऩाठकों को कोई सॊदेश नहीॊ दें ऩाता है । जो ्मोितषी ्मोितष को ववऻान मसि कय सकें , उन्हें ही अऩने वव ाय प्रस्तुत कयने के मरव आभॊबरत ककमा जाना
ादहव मा वक
प्रितमोचगता भें ककसी व्मस्क्त की जन्भितचथ, जन्भसभम औय जन्भस्थान दे कय सबी ्मोितवषमों से उस जन्भऩरी का ववश्रेषण कयवाना
ादहव । उसकी ऩूयी स्जॊदगी कें फाये भें जो ्मोितषी
सटीक बववष्मवाणी कय सके उसे ही अखफायों ,ऩबरकाओॊ भें स्थान मभरना
ादहव।
ऩयॊ तु ्मोितवषमों की ऩयीऺा रेने के मरव कबी बी ऐसा नहीॊ ककमा गमा ,परस्वरुऩ ्मोितष की गहयी जानकायी यखनेवारे सभाज के सम्भुख कबी नहीॊ आ सके औय सभाज नीभ-हकीभ
्मोितवषमों से ऩये शान होता यहा। इसके अितरयक्त वैऻािनक दृस्ष्टकोण यखनेवारे कुछ रोग औय कुछ सॊस्थावॊ ऐसी है , जो ्मोितष ववऻान के प्रित ककसी ऩूवाथग्रह से ग्रमसत हैं। वे ्मोितष से सॊफॊचधत फातों को सुनने भें रुच
कभ औय उऩहास भें रुच
्मादा यखते हैं। उनके दृस्ष्टकोण भें
सभन्वमवाददता की कभी बी आजतक ्मोितष को ववऻान नहीॊ मसि कय ऩामी है । ्मोितष ववऻान की वैऻािनकता के फाये भें सॊशम प्रकट कयते हुव मह कहा जाता है कक सौयभॊडर भें सम ू थ स्स्थय है तथा अन्म ग्रह इसकी ऩरयक्रभा कयते हैं, ककन्तु ्मोितष शास्र मह भानता है कक ऩथ् ृ वी स्स्थय है औय अन्म ग्रह इसकी ऩरयक्रभा कयते हैं। जफ मह ऩरयकल्ऩना ही गरत है तो
उसऩय आधारयत बववष्मवाणी कैसे सही हो सकती है ? ऩय फात ऐसी नहीॊ है । स्जस ऩथ् ृ वी ऩय हभ यहते हैं , वह ककसी गाड़ी भें
रामभान होते हुव बी हभाये मरव स्स्थय है , ठीक उसी प्रकाय , स्जस प्रकाय हभ र यहे होते हैं , वह हभाये मरव स्स्थय होती है औय ककसी स्टे शन ऩय ऩहुॊ ते ही
हभ कहते हैं , `अभुक शहय आ गमा।´ स्जस ऩथ् ृ वी भें हभ यहतें हैं , उसभें हभ स्स्थय सूमथ के ही उदम औय अस्त का प्रबाव दे खते हैं। इसी प्रकाय अन्म आकाशीम वऩॊडों का बी प्रबाव हभऩय
ऩड़ता है । ऩथ् ू ये ग्रह ऩय बेजना होता है तो ऩथ् ृ वी से कोई कृबरभ उऩग्रह को ककसी दस ृ वी को स्स्थय भानकय ही उसके साऩेऺ अन्म ग्रहों की दयू ी िनकारनी ऩड़ती है । जफ मह सफ गरत नहीॊ होता
तो ्मोितष भें ऩथ् ृ वी को स्स्थय भानते हुव उसके साऩेऺ अन्म ग्रहों की गित ऩय आधारयत पर कैसे गरत हो सकता है ? ्मोितष की वैऻािनकता के फाये भें सॊशम प्रकट कयते हुव दस ू या तकथ मह ददमा जाता है कक सौयभॊडर भें सम ॊ भा उऩग्रह है , ू थ ताया है , ऩथ् ु , फह ृ वी, भॊगर, फध ृ स्ऩित, शिन आदद ग्रह हैं तथा द्र जफकक ्मोितष शास्र भें सबी ग्रह भाने जाते हैं । इसमरव इस ऩरयकल्ऩना ऩय आधारयत
बववष्मवाणी भहत्वहीन है । इसके उत्तय भें भेया मह कहना है कक सबी ववऻान भें वक ही शधदों के तकनीकी अथथ मबन्न-मबन्न हो सकते हैं । अबी ववऻान ऩयू े ब्रहभाॊड का अध्ममन कय यहा है । ब्रहभाॊड भें स्स्थत सबी वऩॊडों को स्वबावानुसाय कई बागों भें व्मक्त ककमा गमा है । सबी तायाओॊ की तयह ही सूमथ की प्रकृित होने के कायण इसे ताया कहा गमा है । सूमथ की ऩरयक्रभा कयनेवारे वऩॊडों को ग्रह कहा गमा है । ग्रहों की ऩरयक्रभा कयनेवारे वऩॊडों को उऩग्रह कहा गमा है । ककन्तु
पमरत ्मोितष ऩूये ब्रहभाॊड का अध्ममन नहीॊ कय मसपथ अऩने सौयभॊडर का ही अध्ममन कयता
है । सूमथ को छोड़कय अन्म तायाओॊ का प्रबाव ऩथ् ृ वी ऩय नहीॊ भहसूस ककमा गमा है । इसी प्रकाय
अन्म ग्रहों के उऩग्रहों का ऩथ् ॊ , फुध, फह ृ वी ऩय कोई प्रबाव नहीॊ दे खा गमा है । सूम,थ द्र ृ स्ऩित, शुक्र, शिन ववॊ भॊगर की गित औय स्स्थित के प्रबाव को ऩथ् े न औय भानव-जाित ऩय ृ वी , उसके जड़- त भहसूस ककमा गमा है । इसमरव इन सफों को ग्रह कहा जाता है । ग्रहों की इस शास्र भें मही
ऩरयबाषा दी गमी है । इसके आधाय ऩय इसकी वैऻािनकता ऩय प्रश्नच न्ह नहीॊ रगामा जा सकता। तीसया तकथ मह है कक ्मोितष भें याहू औय केतु को बी ग्रह भाना गमा है , जफकक मे ग्रह नहीॊ हैं । मे तकथ फहुत ही भहत्वऩूणथ हैं। सफसे ऩहरे मह जानकायी आवश्मक है कक याहू औय केतु हैं क्मा ? ऩथ् ृ वी को स्स्थय भानने से ऩथ् ृ वी के है । ऩथ् ृ वी के
ायो ओय
ायो ओय सूमथ का वक काल्ऩिनक ऩरयभ्रभण-ऩथ फन जाता
द्र ॊ भा का वक ऩरयभ्रभण ऩथ है ही । मे दोनो ऩरयभ्रभण-ऩथ वक दस ू ये
को दो ववन्दओ ु ॊ ऩय काटते हैं । अितप्रा ीनकार भें ्मोितवषमों को भारूभ नहीॊ था कक वक वऩॊड की छामा दस थ हण औय ू ये वऩॊडों ऩय ऩड़ने से ही सूमग्र सूमग्र थ हण औय
द्र ॊ ग्रहण होते हैं। जफ ्मोितवषमों ने
द्र ॊ ग्रहण होते दे खा, तो वे इसके कायण ढूॊढ़ने रगे। दोनो ही सभम इन्होने ऩामा कक
सूम,थ द्र ॊ , ऩथ् ॊ के ऩरयभ्रभण-ऩथ ऩय कटनेवारे दोनो ववन्द ु रम्फवत ् हैं। फस उन्होने ृ वी ववॊ सूम,थ द्र सभझ मरमा कक इन्हीॊ ववन्दओ ु ॊ के परस्वरुऩ खास अभावस्मा को सूमथ तथा ऩूखणथभा की याबर को द्र ॊ आकाश से रुप्त हो जाता है । उन्होने इन ववन्दओ ु ॊ को भहत्वऩूणथ ऩाकय इन ववन्दओ ु ॊ का
नाभकयण `याहू´ औय `केत´ु कय ददमा। इस स्थान ऩय उन्होने जो गल्ती की, उसका खामभमाजा ्मोितष ववऻान अबी तक बुगत यहा है ,क्मोंकक याहू औय केतु कोई आकाशीम वऩॊड हैं ही नहीॊ औय हभरोग ग्रहों की स्जस उजाथ से बी प्रबाववत हो---गुरुत्वाकषथण, गित, ककयण मा ववद्मुतम् ु फकीम शस्क्त, याहू औय केतु इनभें से ककसी का बी उत्सजथन नहीॊ कय ऩाते। इसमरव इनसे
प्रबाववत होने का कोई प्रश्न ही नहीॊ उठता। मही कायण है कक याहू औय केतु ऩय आधारयत बववष्मवाणी सही नहीॊ हो ऩाती।
ौथा तकथ मह है कक सबी ्मोितवषमों की बववष्मवाखणमों भें ववववधता क्मों होती है ? हभ सबी जानते हैं कक कोई बी शास्र मा ववऻान क्मों न हो कामथ औय कायण भें सही सॊफॊध स्थावऩत ककमा गमा हो तो िनष्कषथ िनकारने भें कोई गल्ती नहीॊ होती। इसके ववऩरयत मदद कामथ औय कायण भें सॊफॊध भ्राभक हो तो िनष्कषथ बी भ्रमभत कयनेवारे होंगे। ्मोितष ववऻान का ववकास फहुत ही प्रा ीन कार भें हुआ। उस कार भें कोई बी शास्र कापी ववकमसत अवस्था भें नहीॊ था।सबी शास्रों औय ववऻानों भें नव-नव प्रमोग कय मुग के साथ-साथ उनका ववकास कयने ऩय फर ददमा गमा , ऩय अपसोस की फात है कक ्मोितष ववऻान अबी बी वहीॊ है जहॉ से इसने मारा शुरु की थी । भहवषथ जैमभनी औय ऩयाशय के द्वाया ग्रह शस्क्त भाऩने औय दशाकार िनधाथयण के जो सूर थे ,उसकी प्रामोचगक जॉ
कय उन्हें सुधायने की ददशा भें कबी कामथ नहीॊ
ककमा गमा। अॊधववश्वास सभझते हुव ्मोितष-शास्र की गरयभा को जैसे-जैसे धक्का ऩहुॊ ता गमा, इस ववद्मा का हय मुग भें ह्रास होता ही गमा। परस्वरुऩ मह 21वीॊ सदी भें बी िघसट-िघसटकय ही
र यहा है । ्मोितवषमों की बववष्मवाखणमों
भें अॊतय का कायण कामथ औय कायण भें ऩायस्ऩरयक सॊफॊध की कभी होना है । ग्रह-शस्क्त िनकारने के मरव भानक-सूर का अबाव है । कुर 10-12 सूर हैं ,सबी ्मोितषी अरग अरग सूर को
भहत्वऩूणथ भानते हैं। दशाकार िनधाथयण का वक प्राभाखणक सूर है , ऩय उसभें वक साथ जातक के ाय- ाय दशा
रते यहतें हैं-वक भहादशा, दस ू यी अॊतदथ शा, तीसयी प्रत्मॊतय दशा औय
ौथी सूक्ष्भ
भहादशा। इतने िनमभों को मदद कम्प्मूटय भें बी डार ददमा जाव , तो वह बी सही ऩरयणाभ नहीॊ दे ऩाता है , तो ऩॊडडतों की बववष्मवाणी भें अॊतय होना तो स्वाबाववक है । सबी ्मोितषी अरग अरग दशा को भहत्वऩूणथ भान रें तो सफके कथन भें अॊतय तो आवगा ही । अगरा तकथ मह है कक आजकर सबी ऩबरकाओॊ भें र्नपर की
ाथ यहती है । वक यामश भें
जन्भ रेनेवारे राखों रोगों का बा्म वक जैसा कैसे हो सकता है ? मह वास्तव भें आश् मथ की फात है , ककन्तु मह स है कक ककसी ग्रह का प्रबाव वक यामश वारो ऩय तो नहीॊ , ऩय वक र्न के राखों कयोड़ों रोगों ऩय वक जैसा ही ऩड़ता है । `वक जैसा पर´ से वक स्वबाव वारे पर का
फोध होगा ,न कक भारा भें सभानता का । भारा का स्तय तो उसकी जन्भकॊु डरी ववॊ अन्म स्तय ऩय िनबथय कयता है ,जैसे ककसी खास सभम ककसी र्न के मरव धन का राब वक भजदयू के मरव 50-100 रु का तथा वक फड़े व्मवसामी के मरव राखों-कयोड़ों का हो सकता है । रेककन
अचधकाॊश रोगों को अऩने र्न की जानकायी नहीॊ होती , वे ऩबरकाओॊ भें िनकरनेवारे यामशपर को दे खकय भ्रमभत होते यहते हैं। अगरा तकथ मह है कक ककसी दघ थ ना भें वक साथ सैकड़ों हजायो रोग भाये जाते हैं ,क्मा सबी की ु ट कॊु डरी भें ्मोितषीम मोग वक-सा होता है ? इस तकथ का मह उत्तय ददमा जा सकता है कक
्मोितष भें अबी कापी कुछ शोध होना फाकी है , स्जसके कायण ककसी की भत्ृ मु की ितचथ फतरा ऩाना अबी सॊबव नहीॊ है ,ऩय दघ थ नाग्रस्त होनेवारों के आचश्रतों की जन्भकॊु डरी भें कुछ ु ट
कभजोरयमॉ --सॊतान ,भाता ,वऩता ,बाई ,ऩित मा ऩत्नी से सॊफॊचधत कष्ट अवश्म दे खा गमा है । ककसी दघ थ ना भें वक साथ इतने रोगों की भत्ृ मु प्रकृित की ही व्मवस्था हो सकती है वयना ु ट
ड्राइवय मा ये रवे कभथ ायी की गल्ती का खामभमाजा उतने रोगों को क्मों बग ु तना ऩड़ता है ,उन्हें
भौत की सजा क्मों मभरती है , जो फड़े-फड़े अऩयाचधमों को फड़े-फड़े दष्ु कभथ कयने के फावजूद नहीॊ दी जाती।
इसी तयह गखणत की सुववधा के मरव ककव गव आकाश के 12 काल्ऩिनक बागों के आधाय ऩय बी ्मोितष को गरत साबफत कयने की दरीर दी जाती है । मदद इसे सही भाना जाव तो आऺाॊस औय दे शाॊतय ये खाओॊ ऩय आधारयत बूगोर को बी गरत भाना जा सकता है । आकाश के इन
काल्ऩिनक 12 बागों की ऩह ान के मरव इनकें ववस्ताय भें स्स्थत तायासभूहों के आधाय ऩय ककमा
जानेवारा नाभकयण ऩय ककमा जानेवारा वववाद का बी कोई औच त्म नहीॊ हैं , क्मोंकक आकाश के 360 डडग्री को 12 बागों भें फॉट दे ने से अनॊत तक की दयू ी वक ही यामश भें आ जाती है । ऩूजा-ऩाठ मा ग्रह की शाॊित से बा्म को फदर ददव जाने की फात बी वैऻािनको के गरे नहीॊ
उतयती है । हभाये वव ाय से बी ऐसा कय ऩाना सॊबव नहीॊ है । ककसी फारक के जन्भ के सभम की सबी ग्रहों सदहत आकाशीम स्स्थित के अनुसाय जो जन्भकॊु डरी फनती है , उसके अनुसाय उसके ऩूये
जीवन की रुऩये खा िनस्श् त हो जाती है , ऐसा हभने अऩने अनुबव भें ऩामा है । ऩूजा ऩाठ मा ग्रहशाॊित से बा्म भें फदराव रामा जा सकता , तो इसका सवाथचधक राब ऩॊडडत वगथ के रोग ही
उठाते औय सभाज के अन्म वगों की तयक्की भें रुकावटें आती। रेककन मह सत्म है कक ऩूजा-ऩाठ, मऻ-जाऩ, भॊगरा-भॊगरी, भुहूत्तथ आदद अवाॊिछत तथ्मों ववॊ हस्तये खा , हस्ताऺय ववऻान , तॊर- ,
जाद-ू टोना, बूत-प्रेत, झाडपूॊक , न्मभ ू योरोजी , पेंगसुई, वास्तु, टै यो काडथ, रार ककताफ आदद ्मोितष से इतय ववधाओॊ के बी ्मोितष भें प्रवेश से ही ्मोितष ववऻान की तयक्की भें फाधा ऩहुॊ ी है ।
्मोितष ववऻान भूरत: सॊकेतों का ववऻान है , मह फात न तो ्मोितवषमों को औय न ही जनता को बूरनी ादहव। ककन्तु जनता ्मोितषी को बगवान फनाकय तथा ्मोितषी अऩने बक्तों को
फयगराकय पमरत ्मोितष के ववकास भें फाधा ऩहुॊ ाते आ यहे हैं। हय ववऻान भें सपरता औय असपरता साथ-साथ रती है । भेडडकर साइॊस को ही रें। हय सभम वक-न-वक योग डॉक्टय को रयस थ कयने को भजफूय कयते हैं। ककसी ऩरयकल्ऩना को रेकय ही कामथ-कायण भें सॊफॊध स्थावऩत
कयने का प्रमास ककमा जाता है , ऩय सपरता ऩहरे प्रमास भें ही मभर जाती है , ऐसी फात नहीॊ है । अनेकानेक प्रमोग होते हैं , कयोड़ों-अयफों ख थ ककव जाते हैं, तफ ही सपरता मभर ऩाती है । बग ू बथ-ववऻान को ही रें , प्रायॊ ब भें कुछ ऩरयकल्ऩनाओॊ को रेकय ही कक महॉ अभक ु द्रधम की खान
हो सकती है , कामथ कयवामा जाता था ,ऩयॊ तु फहुत स्थानों ऩय असपरता हाथ आती थी। धीये -धीये इस ववऻान ने इतनी तयक्की कय री है कक कसी बी जभीन के बग ू बथ का अध्ममन कभ ख थ से ही सटीक ककमा जा सकता है । अॊतरयऺ भें बेजने के मरव अयफों रुऩव ख थ कय तैमाय ककव गव उऩग्रह के नष्ट होने ऩय वैऻिनकों ने हाय नहीॊ भानी। उनकी कभजोरयमों ऩय ध्मान दे कय उन्हें सुधायने का प्रमास ककमा गमा तो अफ सपरता मभर यही है । उऩग्रह से प्राप्त च र के साऩेऺ की जानवारी भौसभ की बववष्मवाणी िनत्म-प्रितददन सुधाय के क्रभ भें दे खी जा यही है ।
भानव जफ-जफ गल्ती कयते हैं , नई-नई फातों को सीखते हैं ,तबी उनका ऩूया ववकास हो ऩाता है , ऩयॊ तु ्मोितष-शास्र के साथ तो फात ही उल्टी है , अचधकाॊश रोग तो इसे ववऻान भानने को
तैमाय ही नहीॊ , मसपथ खामभमॉ ही चगनाते हैं औय जो भानते हैं , वे अॊधबक्त फने हुव हैं । मदद कोई ्मोितषी सही बववष्मवाणी कये तो उसे प्रोत्साहन मभरे न मभरे ,उसके द्वाया की गमी वक बी गरत बववष्मवाणी का उसे व्मॊ्मवाण सुनना ऩड़ता है । इसमरव अबी तक ्मोितषी इस याह ऩय
रते आ यहें हैं , जहॉ च त्त बी उनकी औय ऩट बी उनकी ही हो। मदद उसने ककसी से कह
ददमा, `तम् ु हे तो अभक ु कष्ट होनेवारा है , ऩज ू ा कयवा रो ,मदद उसने ऩज ू ा नहीॊ कयवाई औय कष्ट हो गमा,तो ्मोितषी की फात बफल्कुर सही। मदद ऩज ू ा कयवा री औय कष्ट हो गमा तो `ऩज ू ा
नहीॊ कयवाता तो ऩता नहीॊ क्मा होता´ । मदद ऩज ू ा कयवा री औय कष्ट नहीॊ हुआ तो `्मोितषीजी तो ककल्कुर कष्ट को हयनेवारे हैं´ जैसे वव ाय भन भें आते हैं। हय स्स्थित भें राब बरे ही ऩॊडडत को हो , पमरत ्मोितष को जाने-अनजाने कापी धक्का ऩहुॊ ता आ यहा है । ककन्तु राख व्मवधानों के फावजूद बी प्रकृित के हय
ीज का ववकास रगबग िनिम त होता है
प्रकृित का मह िनमभ है कक स्जस फीज को उसने ऩैदा ककमा , उसे उसकी आवश्मकता की वस्तु मभर ही जावगी । दे ख-ये ख नहीॊ होने के फावजूद प्रकृित की सायी वस्तुवॊ प्रकृित भें ववद्मभान यहती ही है । फारक जन्भ रेने के फाद अऩनी आवश्मकताओॊ की ऩूितथ के मरव अऩनी भॉ ऩय
िनबथय होता है । मदद भॉ न हों , तो वऩता मा ऩरयवाय के अन्म सदस्म उसका बयण-ऩोषण कयते हैं। मदद कोई न हो , तो फारक कभ उम्र भें ही अऩनी जवाफदे ही उठाना सीख जाता है । वक ऩौधा बी अऩने को फ ाने के मरव कबी टे ढ़ा हो जाता है , तो कबी झुक जाता है । रतावॊ भजफूत ऩेड़ों से मरऩट कय अऩनी यऺा कयती हैं ।
कुर मभराकय मही कहा जा सकता है कक सफकी यऺा ककसी न ककसी तयह हो ही जाती है औय
ऐसा ही ्मोितष शास्र के साथ हुआ। आज जफ सबी सयकायी औय गैय-सयकायी सॊस्थावॊ ्मोितष ववऻान के प्रित उऩेऺात्भक यवैमा अऩना यही है , सबी ऩयॊ ऩयागत ्मोितषी याहू , केतु औय ववॊशोत्तयी के भ्राभक जार भें पॊसकय अऩने ददभाग का कोई सदऩ ु मोग न कय ऩाने से तनावग्रस्त हैं , वहीॊ दस ू यी ओय ्मोितष ववऻान का इस नव वैऻािनक मुग के अनुरुऩ गत्मात्भक ववकास हो क ु ा है । `गत्मात्भक ्मोितषीम अनुसॊधान केन्द्र´ द्वाया ग्रहों के गत्मात्भक औय स्थैितक शस्क्त
को िनकारने के सूर की खोज के फाद आज ्मोितष वक वस्तुऩयक ववऻान फन
क ु ा है ।
जीवन भें सबी ग्रहों के ऩड़नेवारे प्रबाव को ऻात कयने के मरव दो वैऻािनक ऩिितमों `गत्मात्भक दशा ऩिित´ औय `गत्मात्भक गो य प्रणारी´ का ववकास ककमा गमा है , स्जसके द्वाया जातक अऩने ऩूये जीवन के उताय- ढ़ाव का रेखाच र प्राप्त कय सकते हैं। इस दशा-ऩिित के अनुसाय शयीय भें स्स्थत सबी ग्रॊचथमों की तयह सबी ग्रह वक ववशेष सभम ही भानव को प्रबाववत कयते हैं। जन्भ
से 12 वषथ तक की अवचध भें भानव को प्रबाववत कयनेवारा भन का प्रतीक ग्रह
द्र ॊ भा है ,
इसमरव ही फ् े मसपथ भन के अनुसाय कामथ कयतें हैं ,इसमरव अमबबावक बी खेर-खेर भें ही
उन्हें सायी फातें मसखराते हैं। 12 वषथ से 24 वषथ तक के ककशोयों को प्रबाववत कयनेवारा ववद्मा , फुवि औय ऻान का प्रतीक ग्रह फुध होता है , इसमरव इस उम्र भें फ् ों भें सीखने की उत्सुकता
औय ऺभता कापी होती है । 24 वषथ से 36 वषथ तक के मुवकों को प्रबाववत कयनेवारा शस्क्त-साहस का प्रतीक ग्रह भॊगर होता है , इसमरव इस उम्र भें मुवक अऩने शस्क्त का सवाथचधक उऩमोग कयते हैं ।
36 वषथ से 48 वषथ की उम्र तक के प्रौढ़ों को प्रबाववत कयनेवारा मुस्क्तमो का ग्रह शुक्र है , इसमरव
इस उम्र भें अऩनी मुस्क्त-करा का सवाथचधक उऩमोग ककमा जाता है । 48 वषथ से 60 वषथ की उम्र के व्मस्क्त को प्रबाववत कयनेवारा ग्रह सभस्त सौयभॊडर की उजाथ का स्रोत सूमथ है , इसमरव इस उम्र
के रोगों ऩय अचधकाचधक स्जम्भेदारयमॉ होती हैं, फड़े-फड़े कामों के मरव उन्हें अऩने तेज औय धैमथ की ऩयीऺा दे नी ऩड़ती है । 60 वषथ से 72 वषथ की उम्र को प्रबाववत कयनेवारा धभथ, न्माम का प्रतीक ग्रह फह ृ स्ऩित है, इसमरव मह सभम सबी प्रकाय के जवाफदे दहमों से भुक्त होकय धामभथक जीवन जीने का भाना गमा है । 72 वषथ से 84 वषथ तक की अितवि ृ ावस्था को प्रबाववत कयनेवारा
सौयभॊडर का दयू स्थ ग्रह शिन है । इसी प्रकाय 84 से 96 तक मूयेनस , 96 से 108 तक नेऩ्मून औय 108 से 120 वषZ की उम्र तक प्रूटो का प्रबाव भाना गमा है ।
इस दशा-ऩिित के अनुसाय मदद ऩूखणथभा के सभम फ् े का जन्भ हो तो फ ऩन भें स्वास्थ्म की भजफूती औय प्माय-दर ु ाय का वातावयण मभरने के कायण उनका भनोवैऻािनक ववकास कापी
अ्छा होता हैं। इसके ववऩरयत, अभावस्मा के सभम जन्भ रेनेवारे फ् े भें स्वास्थ्म मा वातावयण की गड़फड़ी से भनोवैऻािनक ववकास फाचधत होते दे खा गमा है । फ् े के जन्भ के सभम फुध ग्रह की स्स्थित भजफूत हो तो ववद्माथी जीवन भें उन्हें फौविक ववकास के अ्छे अवसय मभरते हैं । ववऩरयत स्स्थित भें फौविक ववकास भें कदठनाई आती हैं। जन्भ के सभम भॊगर भजफूत हो तो 24वषथ से 36 वषथ की उम्र तक भनोनुकूर भाहौर प्राााप्त होता है । ववऩयीत स्स्थित भें जातक
अऩने को शस्क्तहीन सभझता है । जन्भ के सभम भजफूत शुक्र की स्स्थित 36 वषथ से 48 वषथ की उम्र तक सायी जवाफदे दहमों को सु ारुऩूणथ ढॊ ग से अॊजाभ दे ती हैं, ववऩयीत स्स्थित भें , काभ सु ारुऩूणथ ढॊ ग से नहीॊ
र ऩाता है । इसी प्रकाय भजफूत सूमथ 48 वषथ से 60 वषथ तक व्मस्क्त के
स्तय भें कापी ववृ ि राते हैं, ककन्तु कभजोय सूमथ फड़ी असपरता प्रदान कयते हैं। जन्भकार का
भजफूत फह ृ स्ऩित से व्मस्क्त का अवकाश-प्राप्त के फाद का जीवन सुखद होता हैं।ववऩयीत स्स्थित
भें अवकाश प्राप्त कयने के फाद उनकी जवफदहे ही खत्भ नहीॊ हो ऩाती हैं। भजफूत शिन के कायण 72 वषथ से 84 वषथ तक के अितवि ृ की बी दहम्भत फनी हुई होती है , जफकक कभजोय शिन इस
अवचध को फहुत कष्टप्रद फना दे ते हैं।इन ग्रहों का सवाथचधक फुया प्रबाव क्रभश: 6ठे , 18वें , 30वें , 42वें ,54वें, 66वें औय 78वें वषथ भें दे खा जा सकता है । गत्मात्भक ्मोितष की खोज के ऩश् ात ् ककसी व्मस्क्त का बववष्म जानना असॊबव तो नहीॊ ,
भुस्श्कर बी नहीॊ यह गमा है , क्मोंकक व्मस्क्त के बववष्म को प्रबाववत कयने भें फड़ा अॊश ववऻान
के िनमभ का होता है , छोटा अॊश ही साभास्जक , याजनीितक , आचथथक मा ऩारयवारयक होता है मा व्मस्क्त खद ु तम कयता है । वास्तव भें , हय कभथमोगी आज मह भानते हैं कक कुछ कायकों ऩय
आदभी का वश होता है , कुछ ऩय होकय बी नहीॊ होता औय कुछ कुछ ऩय तो होता ही नहीॊ ।
व्मस्क्त का वक छोटा िनणथम बी गहये अॊधे कुवॊ भें चगयने मा उॊ ी छराॊग रगाने के मरव कापी होता है । इतनी अिनस्श् तता के भध्म बी अगय ्मोितष बववष्म भें झाॊकने की दहम्भत कयता
आमा है तो वह उसका दस् ु साहस नहीॊ , वयण ् सभम-सभम ऩय ककव गव रयस थ के भजफूत आधाय ऩय उसका खड़ा होना है ।
वायसेपिरिक थनअवज्ञातनक भैं प्रत्मेक भॊगरवाय को शैव कयने मा फार फनाने के मरव सैरन ू जाता हूॊ , मा कबी-कबी सैरन ू वारे को ही घय ऩय फर ु वा रेता हूॊ। सेरन ू भें जो नाई यहता है , वह गॊवई रयश्ते भें भझ ु े ा ाजी कहता है । ववगत
दो वषोZाॊ से भैं उससे रागातय प्रत्मेक भॊगरवय को शैव कयवाता आ यहा हूॊ। वक ददन सैरन ू वारा भझ ु से कहता है -` ा ाजी वक प्रश्न ऩछ ू ू ॊ ?´ भैंने कहा -` क्मों नहीॊ
? खुशी से ऩछ ू सकते हो । ´ ` रोग कहते हैं , आऩ फहुत फड़े ्मोितषी हो , ,रोग कहते हैं तो भैं हो सकता हूॊ , ऩय तझ ु े कोई सॊशम है क्मा ? ´ ` इतने फड़े ्मोितषी होने के फावजूद आऩ भॊगरवाय को फार मा दाढ़ी फनवाते हैं। कई रोगों का कहना है कक फह ृ स्ऩितवाय को फार फनवाने से रक्ष्भी दयू बागती है औय शिनवाय भॊगरवाय को रागाताय फार
फनवाने से फहुत ही अिनष्ट होता है । वक याजा रागाताय कुछ ददनों तक इन्हीॊ ददनों भें हजाभत फनवामा कयता था , स्जससे कुछ ददनों फाद उसकी हत्मा हो गमी थी। ´
वह फोरता ही जा यहा था। उसकी फातों को सन ु ने के फाद भैंने कहा-` ककस याजा भहायाजा के साथ कौन
सी घटना घटी थी ददन इसमरव
, मह तो भझ ु े भारभ ू नहीॊ औय न ही भैं भारभ ू कयना ाहता हूॊ। भैने भॊगरवाय का
मन ककमा क्मोंकक इस ददन अॊधववश्वास के
क्कय भें ऩड़ने से रोगों की बीड़ तम् ु हाये ऩास
नहीॊ होती औय इसमरव तभ ु पुसथत भें होते हो। भझ ु े कापी दे य तक तम् ु हाया इॊतजाय नहीॊ कयना होता है ।
भेया काभ शीघ्र ही फन जाता है । आज से फहुत ददन ऩहरे सप्ताह के दस ू ये ददनों भें बी तम् ु हाये ऩास आमा था। उस सभम तम् ु हें पुसथत नहीॊ थी , तफ कापी दे य भझ ु े अखफाय ऩढ़कय सभम काटना ऩड़ा था। इस तयह भेये कीभती सभम की कुछ फवाथदी हो गमी थी। अफ भझ ु े भॊगरवाय को फार कटवाने भें सवु वधा हो जाती है । इसमरव इस ददन के साथ सभझौता कय है । सम ु ोग उसे ही कहते हैं नहीॊ है है
,
क ु ा हूॊ , सप्ताह के दस ू ये ददनों भें भझ ु े असवु वधा होती जफ काभ आसानी से फन जाव। इन कामोZाॊ के मरव भेये मरव फध ु वाय शब ु
, क्मोंकक इस ददन सभम की अनावश्मक फवाथदी हो जाती है , रुटीन भें व्मवधान उऩस्स्थत होता
, काभ कयनें का मसरमसरा बफगड़ जाता है।
सभाज भें दे खा जाव
, तो अचधकाॊश रोग भॊगरवाय औय शिनवाय को इस तयह के कामोZाॊ मा अन्म ददनों को अन्म ककसी प्रकाय के कामोZाॊ के मरव अशब ु भानते हैं। उनका ऐसा ववश्वास है कक गरत ददनों भें ककमा गमा कामथ अिनष्टकय पर बी प्रदान कय सकता है । इसे कोया अॊधववश्वास ही कहा जा सकता है
, क्मोंकक बरे ही ग्रहों के नाभ ऩय इन वायों का नाभकयण हो गमा हो ,ककन्तु स् ी फात मह
है कक ग्रहों की स्स्थित से इन वायों का कोई सॊफध ॊ है ही नहीॊ। न तो यवववाय को सम ू थ आकाश के ककसी खास बाग भें होता है ,औय न ही इस ददन सम ू थ की गित भें कोई ऩरयवत्र्तन होता है
, औय न ही यवववाय
को सम ू थ केवर धनात्भक मा ऋणात्भक पर ही दे ता है । जफ ऐसी फाते है ही नही तो कपय यवववाय से सम ू थ का कौन सा सॊफध ॊ है
?
आऩको जानकय आश् मथ होगा कक यवववाय से सम ॊ है ही नहीॊ । यवववाय से सम ॊ ू थ का कोई सॊफध ू थ का सॊफध
ददखा ऩाना ककसी बी ्मोितषी के मरव न केवर कदठन वयन ् असॊबव कामथ है । सवु वधा के अनस ु ाय ककसी बी फ् े का कुछ बी नाभ यखा जा सकता है
, ऩयॊ तु उस फ् े भें नाभ के अनस ु ाय गण ु बी आ जावॊ , ऐसा िनस्ाश् त नहीॊ है । मथानाभ तथागण ु रोगों की सॊख्मा नगण्म ही होती है , इस सॊमोग की सयाहना
की जा सकती है ऩय ककसी व्मस्क्त का कोई नाभ यखकय उसके अनरु ु ऩ ही ववशेषताओॊ को प्राप्त कयने की इ्छा यखें तो मह हभायी बर ू होगी । इस फात से आभ रोग मबऻ बी हैं है
` ऑख का अॊधा , नाभ नमनसख ु ´ ।
, तबी ही मह कहावत भशहूय
इसी तयह कबी-कबी ऩथ् ृ वीऩित नाभक व्मस्क्त के ऩास कोई जभीन नहीॊ होती तथा दभड़ीरार के ऩास
कयोड़ों की सॊऩस्त्त होती है । सॊऺेऩ भें मह कहा जा सकता है कक ककसी नाभकयण का कोई वैऻािनक अथथ हो मा नाभ के साथ गण ॊ हो ु ों का बी सॊफध
, मह आवश्मक नहीॊ है। कोई व्मस्क्त अऩने ऩरु का नाभ यवव यख दे तथा उसभें सम ू थ की ववशेषताओॊ की तराश कये , उसकी ऩज ू ा कय सम ू थ बगवान को खुश यखने की ेष्टा कये तो ऐसा सॊबव नहीॊ है । इस तयह न तो यवववाय से सम ू थ का , न सोभवाय से ॊद्र का , भॊगरवाय से भॊगर का , फध ु वाय से फध ु का , फह ु वाय से शक्र ु का औय न ृ स्ऩितवाय से फह ृ स्ऩित का , शक्र ही शिनवाय से शिन का ही सॊफध ॊ होता है ।
इसी तयह भॊगरवाय का व्रत कयके सख ु द ऩरयस्स्थितमों भें भन औय शयीय को स् ु त
ाहे स्जस हद तक स्वस्थ
,
, दरुु स्त मा ववऩयीत ऩरयस्स्थितमों भें शयीय को कभजोय कय मरमा जाव , हनभ ु ानजी मा भॊगर ग्रह का ककतना बी स्भयण कय मरमा जाव , हनभ ु ान मा भॊगर ऩय इसका कोई बी वैऻािनक प्रबाव नहीॊ ऩड़ता। ऩज ू ा कयने से मे खश ु हो जावॊगे , ऐसा ववऻान नहीॊ कहता , ककन्तु ऩज ु ायी मे सभझ रें औय फहुत आस्था के साथ ऩज ू ाऩाठ भें तल्रीन हो जावॊ , तो भनोवैऻािनक रुऩ से इसका बरे ही कुछ राब उन्हें मभर जाव , वे कुछ ऺणों के मरव याहत की सॉस अवश्म रे रेते हैं। कबी कबी नाभकयण ववशेषताओॊ के आधाय ऩय बी ककमा जाता है औय कबी कुछ च रों औय तामरकाओॊ के अनस ु ाय ककमा जाता है । ऋतओ ु ॊ का नाभकयण इनकी ववशेषताओॊ की वजह से है जानते हैं। ग्रीष्भऋतु कहने से ही प्र ॊड गभीZ का फोध होता है तथा शयदऋतु कहने से उस भौसभ का फोध होता है
, इसे हभ सबी
, वषाZऋतु से भस ू राधाय वस्ृ ाष्ट का
, जफ अत्मचधक ठॊ ड से रोग यजाई के अॊदय यहने भें
सख ु भहसस ू कयें । इसी तयह भाह के नाभकयण के साथ बी कुछ ववशेषतावॊ जुड़ी हुई है । स्आश्वन भहीने का नाभकयण इसमरव हुआ , क्मोंकक इस भहीने भें स्अश्वनी नऺर भें ऩखू णZभा का ॉद होता है । फैशाख नाभ इसमरव ऩड़ा
, क्मोंकक इस भहीने भें ववशाखा नऺर भें ऩखू णZभा का ॉद होता है।
इस तयह हय भहीने की ववशेषता मबन्न-मबन्न इसमरव हुई ,क्मोंकक सम ू थ की स्स्थित प्रत्मेक भहीने आकाश भें मबन्न-मबन्न जगहों ऩय होती है । ्मोितषीम दृस्ाष्ट से बी हय भहीने की अरग-अरग ववशेषतावॊ हैं।
इसी तयह शक् ु र ऩऺ औय कृष्ण ऩऺ भें उजारे औय अॊधेये का अनऩ ु ात फयाफय फयाफय होने के फावजद ू वक को कृष्ण औय दस ू ये को शक् ु र ऩऺ कहा गमा है । दोनों ऩऺों के भौमरक गण ु ों भें कोई बी अॊतय नहीॊ होता है । फड़ा मा छोटा
ॉद दोनो ऩऺों भें होता है । अष्टभी दोनों ऩऺों भें होती है । ककन्तु मे नाभ अरग ही
दृस्ाष्टकोण से ददव गव हैं । स्जस ऩऺ भें शाभ होने के साथ ही अॊधेया हो ऩऺ भें शाभ ऩय उजारा यहे शक् ु र ऩऺ के आयॊ ब भें
, उसे शक् ु र ऩऺ कहते हैं।
, उसे कृष्ण ऩऺ औय स्जस
द्र ॊ भा सम ू थ के अत्मॊत िनकट होता है । प्रत्मेक ददन सम ू थ से उसकी दयू ी फढ़ती
जाती है औय ऩण थ ासी के ददन मह सम ू भ ू थ से सवाथचधक दयू ी ऩय ऩण ू थ प्रकाशभान दे खा जाता है । इस सभम सम ू थ से इसकी कोखणक दयू ी
री
180 डडग्री होती है। इस ददन सम ू ाथस्त से सम ू ोZदम तक योशनी होती है ।
इसके फाद कृष्ण ऩऺ का प्रायॊ ब होता है । प्रत्मेक ददन सम ू थ औय
ॊद्रभा की कोखणक दयू ी घटने रगती है ।
इसका प्रकाशभान बाग घटने रगता है औय कृष्ण ऩऺ के अॊत भें अभावश ितचथ के ददन सम ू थ ही ववन्द ु ऩय होते हैं। सम ू ोZदम से सम ू ाथस्त तक अॊधेया ही अॊधेया होता है ।
ॊद्रभा वक
इस तयह ऋतु
, भहीने औय ऩऺों की वैऻािनकता सभझ भें आ जाती है। ब क्र भें सम ू थ , ॊद्रभा औय नऺर - सबी का वक दस ॊ है , ककन्तु सप्ताह के सात ददनों का नाभकयण ग्रहों ू ये के साथ ऩयस्ऩय सॊफध के गण ु ों ऩय आधारयत न होकय माद यख ऩाने की सवु वधा से प्रभख ु सात आकाशीम वऩॊडों के नाभ के आधाय ऩय ककमा गमा रगता है
, भहीनें को दो दहस्सों भें फॉटकय वक-वक ऩखवाये का शक् ु र ऩऺ औय कृष्ण ऩऺ फनामा गमा है । दोनो ही ऩऺ सम ू थ औय ॊद्रभा की ववस्ाभ्न्न स्स्थितमों के साऩेऺ हैं , ककन्तु
वक ऩखवाये को दो दहस्सों भें फॉटकय दो सप्ताह भें सभझने की ववचध केवर सवु वधावादी दृस्ाष्टकोण का ऩरय ामक है । जफ सप्ताह का िनभाथण ही ग्रहों ऩय आधारयत नहीॊ है अरग अरग ददनों का बी कोई वैऻािनक अथथ नहीॊ है । सौयभास औय
, तो उसके अॊदय आनेवारे सात
द्र ॊ भास दोनों की ऩरयकल्ऩनाओॊ का आधाय मबन-मबन्न है । ऩथ् ृ वी
365 ददन औय कुछ घॊटों
भें वक फाय सम ू थ की ऩरयक्रभा कय रेती है । इसे सौय वषZ कहतें हैं, इसके फायहवें बाग को वक भहीना कहा जाता है । सौयभास से अमबप्राम सम ू थ का वक यास्ाश भें ठहयाव मा आकाश भें कयना होता है । रगबग
ॊद्रभास उसे कहते हैं
30 डडग्री की दयू ी तम
, जफ ॊद्रभा वक फाय ऩयू ी ऩथ्ृ वी की ऩरयक्रभा कय रेता है। मह
29 ददनों का होता है । फायह भहीनों भें फायह फाय सम ू थ की ऩरयक्रभा कयने भें ॊद्रभा को रगबग 354 ददन रगते हैं। इसमरव ॊद्रवषZ 354 ददनों का होता है। सौय वष्र औय ॊद्रवषZ के सवा ्मायह ददनों के अॊतय को प्रत्मेक तीन वषोZाॊ के ऩश् ात ् द्र ॊ वषZ भें वक अितरयक्त भहीनें भरभास को जोड़कय ऩाट ददमा जाता है । सौय वषZ भें बी
365 ददनों के अितरयक्त के 5 घॊटों को ाय वषे फाद रीऩ ईमय वषZ भें पयवयी भहीने को 29 ददनों का फनाकय सभन्वम ककमा जाता है , ककन्तु सप्ताह के सात ददन , जो ऩखवाये के 15 ददन , भहीने के 30 ददन , ाॊद्रवषZ के 354 ददन औय सौय वषZ के 365 ददन भें से ककसी का बी ऩण ू थ बाजक मा अऩवत्र्ताॊक नहीॊ है , के सभन्वम मा सभामोजन का ्मोितष शास्र भें कहीॊ बी उल्रेख नहीॊ है , स्जससे स्वमॊभेव ही ्मोितषीम सॊदबथ भें सप्ताह की अवैऻािनकता मसि हो जाती है । अत: भैं दावे के साथ कह सकता हूॊ कक यवववाय को सम ू थ का , सोभवाय को ॊद्र का , भॊगरवाय को भॊगर का , फध ु वाय को फध ु का , फह ु वाय को शक्र ु का तथ शिनवाय को शिन ृ स्ऩितवाय को फह ृ स्ऩित का , शक्र का ऩमाथम भान रेना वक फहुत फड़ी गल्ती है । ग्रहों का सप्ताह के सातो ददनों से कोई रेना-दे ना नहीॊ है ।
सात ददनों का सप्ताह भानकय ऩऺ को रगबग दो दहस्सों भें फॉटकय सात ददनों के भाध्मभ से सातो ग्रहों को माद कयने की
ष्े टा की गमी होगी। रोग कबी मह भहसस ू नहीॊ कयें कक ग्रहों का प्रबाव नहीॊ होता
।शामद इसी शाश्वत सत्म के स्वीकय कयने औय कयाने के मरव ऋवष भिु नमो द्वाया सप्ताह के सात ददनों को ग्रहों के साथ जोड़ना वक फड़े सर ू के रुऩ भें काभ आमा हो। वक ्मोितषी होने के नाते सप्ताह के इन सात ददनों से भझ ु े अन्म कुछ सवु वधावॊ प्राप्त हैं। आज भॊगरवाय को
ॊद्रभा मसॊह यास्ाश भें स्स्थत है
, तो बफना ऩॊ ाॊग दे ख ही मह अनभ ॊ भा वस्ृ ाश् क यास्ाश ु ान रगाना सॊबव है कक आगाभी भॊगरवाय को द्र भें , उसके फाद वारे भॊगरवाय को कॊु ब यास्ाश भें तथ उसके फादवारे भॊगरवाय को वष ृ यास्ाश भें मा उसके अत्मॊत िनकट होगा। इस दृस्ाष्ट से
ॊद्रभा की ब क्र भें
28 ददनों का क्र भानकय इसे 4 बागों भें फॉट ददमा गमा हो तो
दहसाफ सवु वधा की दृस्ाष्ट से अ्छा ही है । भॊगरवाय को स्स्थय यास्ाश भें आनेवारे भॊगरवाय को
ॊद्रभा स्स्थय यास्ाश भें ही यहे गा। कुछ ददनों फाद
रा जावगा तो कपय कुछ सप्ताहों तक भॊगरवाय को
ॊद्रभा है तो कुछ सताहों तक
ॊद्रभा द्ववस्वबाव यास्ाश भें
ॊद्रभा द्ववस्वबाव यास्ाश भें ही यहे गा।
भैं वैऻािनक तथ्मों को सहज ही स्वीकाय कयता हूॊ। ऩॊ ाॊग भें ितचथ , नऺर , मोग औय कयण की ाथ यहती है । मे सबी ग्रहों की स्स्थित ऩय आधारयत हैं। ककसी ्मोितषी को फहुत ददनों तक अॊधेयी कोठयी भें फॊद कय ददमा जाव
, ताकक भहीने औय ददनों के फीतने की कोई सू ना उसके ऩास नहीॊ हो । कुछ भहीनों फाद स्जस ददन उसे आसभान को िनहायने का भौका मभर जावगा , केवर सम ॊ भा की स्स्थित को ू थ औय द्र दे खकय वह सभझ जावगा कक उस ददन कौन सी ितचथ है , कौन से नऺर भें द्र ॊ भा है , साभान्म गणना से वह मोग औय कयण की बी जानकायी प्राप्त कय सकेगा , ककन्तु उसे सप्ताह के ददन की जानकायी कदावऩ सॊबव नहीॊ हो ऩावगी , ऐसा इसमरव क्मोंकक सम ू थ , ॊद्रभा मा अन्म ग्रहों की स्स्थित के साऩेऺ सप्ताह के सात के ददनों का नाभकयण नहीॊ है ।
प्रस्तत ु कताथ ववशेष कुभाय ऩय 10:17 pm 3 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
यिववाय, 21 िसिम्फय2008 याहू-क ेिुक ापिरिऩयक ोईप्रबावनहीं बौितक ववऻान ककसी वऩॊड के साऩेऺ मा उसके अस्स्तत्व के कायण गरु ु त्वाकषZण
, ववद्मत ु - ुम्फकीम-ऺेर
, मा अन्म रुऩाॊतरयत शस्क्त के स्वरुऩों की व्माख्मा कयता है। जहॉ वऩॊड नहीॊ है , ककसी प्रकाय कीाे
शस्क्त के अस्स्तत्व भें होने की फात कही ही नहीॊ जा सकती। याहू-केतु आकाश भें ककसी वऩॊड के रुऩ भें नहीॊ हैं। अत: इसभें अॊितनथदहत औय उत्सस्जथत शस्क्त को स्वीकाय ककमा ही नहीॊ जा सकता है । पमरत
्मोितष भें याहूकेतु को कष्टकायक ग्रह कहा गमा है , इससे रोग ऩीस्ाड़त होते हैं। ्मोितवषमों ने इसके बमावह स्वरुऩ का वणथन कय धभथशास्र भें स्उल्रखखत बगवान ववष्णु की तयह ही इनके साथ उच त न्माम नहीॊ ककमा है ।
हभाये धभथग्रथ ॊ ों भें जैसा उल्रेख है
, छर से दे वताओॊ की ऩॊस्क्त भें फैठकय अभत ृ ऩान कयते हुव याऺस का
वध श्रीववष्णु ने सद ु शZन क्र से कय ददमा याऺस के गदथ न का उऩयी बाग याहू औय नी रा बाग केतु कहरामा। बगवान नें ऐसा कयके याऺसी गण ु ों का प्रकायाॊतय भें वध ही कय ददमा था। ककन्तु ्मोितषी
आज बी उसे जीववत सभझते हैं औय उसके बमावह स्वरुऩ का वणथन कयके मजभानों को बमबीत कयते हैं। सम थ हण औय ू ग्र
ॊद्रग्रहण के सभम ही इनके असाधायण स्वरुऩ को दे खकय रोगों के भस्स्तष्क भें मह
फात कौध गमी हो कक सम ू थ औय
ॊद्रभा जैसे प्रबावशारी
, प्रकाशोत्ऩादक , आकाशीम वऩॊडों के दे दीप्मभान
स्वरुऩ को िनस्तेज कयनेवारे ग्रहों की दष्ु टता औय ववध्वॊसात्भक प्रवस्ृ त्त को कैसे अस्वीकाय कय मरमा जाव
, ककन्तु भेया दृस्ाष्टकोण महॉ बफल्कुर ही मबन्न है।
दो मभर ऩयस्ऩय टकयाकय रहुरह ू ान हो जावॊ , घामर हो जावॊ ,तो इसभें उस जगह का क्मा दोष , जहॉ इस प्रकाय की घटना घट गमी हो। सम थ हण औय ॊद्रग्रहण मदद असाधायण घटनावॊ हैं , तो इसके सभस्त ू ग्र
परापर की वववस्ृ त्त सम ू थ के सभम ऩथ् ृ वी की छामा
ॊद्र तक ही सीमभत हो
, क्मोंकक मे शस्क्तऩज ॊ ृ मा शस्क्त के स्रोत हैं। द्र ॊ ग्रहण
द्र ॊ भा ऩय ऩड़ती है औय सम थ हण के सभम ू ग्र
ॊद्रभा के कायण सम ू थ आॊस्ाशक तौय
ऩय मा ऩण ू थ रुऩ से नहीॊ ददखाई ऩड़ता है । इस प्रकाय के ग्रहण याहू केतु ये खा ऩय सम ू थ ॊद्र के ऩहुॊ ने के कायण होते हैं। इस प्रकाय के ग्रहणों से ककसकी शस्क्त घटी औय ककसकी फढ़ी ,उसका भल् ू माॊकण ककमा जाना
ादहव। याहू केतु जैसे ववन्दओ ु ॊ को शस्क्त का स्रोत सभझ रेना , उन ऩरयकस्ल्ऩत ववन्दओ ु ॊ की शस्क्त औय ववशेषताओॊ को ब क्र के ककसी बाग से जोड़ दे ना तथ व्मस्क्तववशेष के जीवन के ककसी बाग से इसके भख् ु म प्रितपरन कार को जोड़ने की ऩरयऩाटी वैऻािनक दृस्ाष्ट से उच त नहीॊ रगती। ॊद्रभा का ऩरयभ्रभणऩथ ऩथ् ृ वी के
तस्ु ादथक फहुत ही छोटा है । इसकी तर ु ना भें सम ू थ के तस्ु ादथक ऩथ् ू वी का ऩरयभ्रभणऩथ फहुत ही ववशार है । मदद ऩथ् ॊ ऩथ की तर ु ना भें ृ वी को स्स्थय भान मरमा जाता है , तो द्र सम ू थ का काल्ऩिनक ऩरयभ्रभण ऩथ िनस्ाश् त रुऩ से फड़ा हो जावगा। ऩरयकल्ऩना मह है कक ॊद्रभा औय सम ू थ के ऩरयभ्रभण ऩथ वक दस ू ये को काटते हैं
, उसभें से वक ववन्द ु उत्तय की ओय तथा दस ू या दक्षऺण की ओय झुका होता है । दोनों के ऩरयभ्रभणऩथ ऩरयचध की दृस्ाष्ट से वक दस ू ये से कापी छोटे -फड़े हैं ,अत: इनके ऩयस्ऩय कटने का कोई प्रश्न ही नहीॊ उऩस्स्थत होता है , ककन्तु दोनो के ऩरयभ्रभण ऩथ को फढ़ाते हुव नऺरों की ओय रे जामा जाव तो दोनो का ऩरयभ्रभणऩथ आकाश भें दो ववन्दओ ु ॊ ऩय अवश्म कटता है । इस तयह द्र ॊ सम थ थ के कटनेवारे दोनो ववन्दओ ू ऩ ु ॊ उत्तयावनत ् औय दक्षऺणावनत ् का नाभ क्रभश: याहू औय केतु है । इस तयह मेाे काल्ऩिनक ववन्द ु आकाश भें ककतनी दयू ी ऩय है
, इसका बी सही फोध नहीॊ हो ऩाता। ऩन ु : अस्स्तत्व की दृस्ाष्ट से ववन्द ु ववन्द ु ही है , इसकी न तो रॊफाई है , न ौड़ाई औय न ही भोटाई , इसमरव वऩॊड के नकायात्भक अस्स्तत्व तथा दयू ी की अिनस्ाश् तता के कायण पमरत भें याहू केतु का भहत्व सभी ीन नहीॊ रगता। ककन्तु मे सम ू थ औय ॊद्रग्रहण कार को सभझने भें सहामक हुव , इसमरव इन्हें ग्रह का दजाथ दे ददमा गमा। सम थ हण औय ू ग्र
ॊद्रग्रहण को सम ू थ
ॊद्रभा की मिु त औय ववमिु त से अचधक
भहत्व नहीॊ ददमा जा सकता। मह मिु त ववमिु त खास इसमरव भानी जा सकती है मा तीव्रता भें वस्ृ ाि की सॊबावना यहती है
, क्मोंकक मह याहूकेतु ये खा ऩय होती है , जो ऩथ्ृ वी के केन्द्र से होकय गज ु यती है ,
ककन्तु इस प्रकाय की आकाशीम घटनावॊ फहुत फाय घटती हैं। सम ू थ फध ु औय सम ू थ शक्र ु के ग्रहणों को बी दे ख ुका हूॊ , ककन्तु इसके ववशेष पमरत की ाथ मिु त से अचधक कहीॊ बी नहीॊ हुई है । मदद इन ववशेष मिु तमों ऩय बी फात हो
, इनके पमरत को उजागय कयने की फात हो तो आकाश भें याहू केतओ की सॊख्मा ु
ग्रहों से बी अचधक हो जावगी। आकाशीम वऩॊडों से सॊफचॊ धत बौितक ववऻान स्जन शस्क्तमसिाॊतों ऩय काभ कयता है
, उन्हीॊ का उऩमोग कयके सही पर प्राप्त ककमा जा सकता है। याहू केतु ऩरयकस्ल्ऩत आकाशीम ववन्द ु हैं , अत: आकाशीम स्ााॊऩड की तयह इसके पर को स्वीकाय नहीॊ ककमा जा सकता। याहू केतु को ग्रह न भानकय पमरत ्मोितष से इनकी छुट्टी कय दी जाव तो ववॊशोत्तयी ऩिित भें वखणZत याहू केतु के भहादशा औय अॊतदथ शा का क्मा होगा ? ठॊ डे ददभाग से काभ रें तो जो याहू केतु सम ॊ ू थ औय द्र का बऺण कय यहा था
, वस्ट्रोकपस्जक्स के मसिाॊत आज उसी का बऺण कय यहें हैं। स्जस प्रकाय सम ू थ औय
ॊद्रभा के ऩरयभ्रभणऩथों के दो ववन्दओ ु ॊ ऩय कटने से उन ऩरयकस्ल्ऩत ववन्दओ ु ॊ के नाभ याहू केतु ऩड़े , इस तयह सम ू थ फध ु , सम ू थ शक्र ु , सम ू थ भॊगर , सम ू थ फह ू थ शिन , ऩन ु : ॊद्र फध ु , ॊद्र भॊगर , ॊद्र ृ स्ऩित , सम शक्र ु
, ॊद्र फहृ स्ऩित , ॊद्र शिन , के ऩरयभ्रभण ऩथ बी दो ववन्दओ ु ॊ ऩय कट सकते हैं , इन ऩरयस्स्थितमों भें इन ऩरयकस्ल्ऩत ववन्दओ ु ॊ के नाभ याहू1 , याहू2 ,याहू3 ,,,,,,,,,,,,,,तथा केत1 ु , केत2 ु , केत3 ु ,,,,,,,,,,,,,ऩड़ते रे जावॊगे। सम थ थ के साथ सबी ग्रहों के ऩरयभ्रभण ऩथ के कटने से 9 याहू केतओ ू ऩ ु ॊ का , ॊद्रऩथ के साथ अन्म ग्रहों के कटने से 8 याहू केतओ ु ॊ का , इस तयह फध ु के ऩरयभ्रभण ऩथ ऩय 7 , भॊगर के ऩरयभ्रभण ऩथ ऩय 6,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,। इस तयह मह मसि हे ा जाता है कक सम ू थ
द्र ॊ भा के वक ही तर भें मिु त-ववमिु त ,जो ऩथ् ृ वी तर के सभकऺ
होती है
, की ही तयह शेष ग्रहों की मिु त-ववमिु त की सॊबावनावॊ 44 फाय फनती है। इस तयह अनेकानेक मािन 45 याहू केतओ ु ॊ का आववबाZव हो जावगा। महॉ ध्मान दे ने मो्म फात मे है कक इन ववशेष ऩरयस्स्थितमों भें मिु त मा ववमिु त फनानेवारे ग्रह तत्कार मा कारान्तय भें अऩने दशाकार भें स भु असाधायण ऩरयणाभ प्रस्तत ु कयते हैं। इन ववशेष ववन्दओ ु ॊ के ठीक
90 डडग्री की दयू ी ऩय दोनो तयप दोनो
के ऩरयभ्रभणऩथ सवाथचधक दयू ी ऩय होंगे। उस सभम सॊफचॊ धत दोनो ग्रहों की मिु त मा ववमिु त का अथथ ग्रहण कार की मिु त-ववमिु त के ववऩयीत ककस प्रकाय का पर प्रदान कयें गे
, मह ऩयीऺण का ववषम होना ादहव।
हय दो ग्रहों के ववमबन्न ऩरयभ्रभणऩथ ऩयस्र वक दस ू ये कों काटे तो उन ववन्दओ ु ॊ ऩय उनकी मिु त-ववमिु त के पमरत से
90 डडग्री की दयू ी ऩय मिु त-ववमिु त के पमरत की ववमबन्नता को सभझने औय ऩयीऺण कयने
का दािमत्व ्मोितवषमों के सभऺ उऩस्स्थत होता है । तफ ही याहू केतु ववन्दओ ु ॊ ऩय ग्रहों की मिु त-ववमिु त की ववशेषताओॊ की ऩकड़ की जा सकती है । ऩथ् ू थ के ृ वी सम
तस्ु ादथक ऩरयक्रभा कयती है
, ककन्तु जफ ऩथ्ृ वी के साऩेऺ सम ू थ की ऩरयक्रभा को गौय से
दे खा जाव तो इसका कबी उत्तयामण औय कबी दक्षऺणामण होना बफल्कुर ही िनस्ाश् त है । इसी तयह
सबी ग्रहों के ऩरयभ्रभणऩथ की िनमभावमर प्राम: सिु नस्ाश् त है । मे सबी ग्रह सम ू थ की ऩरयक्रभा कयते हैं
,
अऩने ऩथ ऩय चथयकते हुव बरे ही मे उत्तय-दक्षऺण आवती हो जावॊ , क्मोंकक ऩथ् ू थ स्वमॊ ृ वी के साऩेऺ सम उत्तयामन-दक्षऺणामन होता प्रतीत होता है । सबी ग्रहों की गित मबन्न-मबन्न होती है अत: ववमबन्न ग्रहों के ऩथ भेंाॊ वव रन ऩरयबावषत होता यहता है । इस प्रकाय ककसी बी दो ग्रहों की मिु त-ववमिु त ऩथ् ृ वी तर सभानाॊतय वक तर भें वक ववॊद ु ऩय मा सम ू थ औय क ु ी है
,
180 डडग्री ऩय होती यहती है।
ॊद्रभा कफ याहू केतु ववॊद ु ऩय मिु त मा ववमिु त कयें गे , इसकी िनममभतता की जानकायी प्राप्त हे ककन्तु शेष ग्रहों से सॊफचॊ धत याहू केतु ववॊदओ ु ॊ की गित की िनममभतता की जानकायी गखणत
्मोितष के भभथऻ ही दे सकते हैं । जनसाभान्म तक इसकी जानकायी की आवश्मकता इसमरव भहसस ू
नहीॊ की गमी क्मोंकक शेष ग्रहों के ग्रहण न तो आकषZक होते हैं औय न ही दृस्ाष्टऩटर भें आ ही ऩाते हैं। पमरत ्मोितष भें बी इसकी फदहकथऺीम ग्रह भॊगर
ाथ मिु त के रुऩ भें ही होती है
, ग्रहण के रुऩ भें नही। ऩथ्ृ वी के
, फहृ स्ऩित , शिन , मयू े नस , नेऩ्मन ू औय प्रट ू ो सम ू थ से ग्रहण के फावजूद सम ू थ
के ऩष्ृ ठतर भें ही यहें गे
, अत: मे ऩथ्ृ वी से दृष्ट नहीॊ हो सकते। अनेक याहू केतओ ाथ कयके भैं मही ु ॊ की मसि कयना ाह यहा हूॊ कक पमरत ्मोितष भें वखणZत इसके बमानक स्वरुऩ को रोग बर ू जावॊ। ककसी बी दो ग्रहों के मरव मे ऐसे ऩरयकस्ल्ऩत ववन्द ु हैं
, जहॉ ऩहुॊ ने ऩय इन दोनों आकाशीम वऩॊडों के
साथ ही साथ ऩथ् ु ॊ ऩय सॊफचॊ धत ग्रहों के वक फाय ऩहुॊ जाने ऩय ृ वी वक सीधी ये खा भें होता है । इन ववन्दओ उन ग्रहों की शस्क्त भें बरे ही कभी मा वस्ृ ाि दे खी जाव , ककन्तु इस ऩरयप्रेक्ष्म भें याहू केतु के प्रबाव को अरग से दजथ कयना कदावऩ उच त नहीॊ रगता। ऩहरे वक याहू औय वक केतु से ही रोग इतने बमबीत होते थे , अफ 45 याहू औय केतु की ाथ कय भैं रोगों को डयाने की ेष्टा नहीॊ कय यह हूॊ , वयन ् इसके भाध्मभ से असमरमत को सभझाने की ेष्टा कय यहा हूॊ , इस ववश्वास के साथ कक इसकी जानकायी के फाद इसके जानकाय इसका दरु ु ऩमोग नहीॊ कयें गे। अफ वे ददन रद गव ऩय ब क्र के यास्ाशमों मा नऺरों ऩय इसके स्वामभत्व की
ाथ की जाती थी। इनके नाभ ऩय भहादशा औय अॊतदथ शा की
, जफ याहू केतु के गण ु ों के आधाय
ाथ होती थी। इनके उ् ाथ होती थी।
मा नी
यास्ाश की
सबी प्रकाय की दशाऩिितमों भें इनके प्रबाव की दहस्सेदायी सिु नस्ाश् त की जाती थी। याहू केतु के सही स्वरुऩ कों सभझ रेने के फाद मह दािमत्व हभ ्मोितवषमों के सभऺ उऩस्स्थत होता है कक ववमबन्न दशाऩिितमों
, ाहे वह ववॊशोत्तयी हो मा अष्टोत्तयी मा ऩयॊ ऩयागत , याहू केतु के भहादशा के कार मबन्नता 18 वषZ औय 7 वषZ के साथ ही साथ भहादशा औय अॊतदथ शा आदद से सॊफचॊ धत रदु टमों को कैसें सभाप्त ककमा जा सकेगा ? ऩॊ ाॊग िनभाथणकत्र्ताओॊ को मह स्भयण होगा कक श्री सॊवत ् 2050 शक 1915 काितथक कृष्ण सप्तभी शिनवाय 6 नवॊफय 1993 को सम ू -थ फध ु की बेद-मिु त हुई थी। इसे सम ू थ फध ु का ग्रहण कहा जा सकता है । बरा याहू केतु के अबाव भें कोई ग्रहण सॊबव है ? प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 2:17 am 4 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
यिववाय, 14 िसिम्फय2008 याजमोगोंक ीवज्ञातनक िा पमरत ्मोितष भें ग्रह मा ग्रहों की ववशेष स्स्थितमों का वववयण याजमोग मा ्मोितषमोग प्रकयण भें मभरता है । याजमोग ्मोितष भें प्रमक् ु त होनेवारा वह शधद है याजा की तयह सख ु
, स्जसका अथथ साभान्मतमा याजा होने मा
, सॊसाधन मा प्रितष्ठा प्राप्त कयने की बववष्मवाणी की ऩस्ु ाष्ट कयता है। याजमोगों
की वववे ना मा उल्रेख कयते हुव साभान्मतमा ्मोितषी मा ्मोितषप्रेभी अऩने भस्स्तष्क भे बावी उऩरस्धधमों की फहुत फड़ी तस्वीय खीॊ रेने की बर ू कयते हैं। ूॊकक आज का मग ु याजतॊर का नहीॊ है
,
कई रोग इसकी व्माख्मा कयते हुव कहते हैं कक याजमोग का जातक भॊरी , या्मऩार , याष्ट्रऩित , कभाॊडय , जनप्रितिनचध मा टाटा ,बफड़रा जैसी कम्ऩिनमों का भामरक होना है । रेककन जफ इस प्रकाय के
मोगों की प्रास्प्त फहुत अचधक ददखराई ऩड़ने रगी , मािन याजमोगवारी फहुत सायी कॊु डमरमॉ दे खने को मभरने रगीॊ , तो ्मोितषी पमरत कहते वक्त कुछ सभझौता कयने रगे औय याजमोग का अथथ गजेटेड अपसयो से जोड़ने रगें ।
1965 के आसऩास अचधकाॊश ्मोितवषमों के दृस्ाष्टकोण रगबग ऐसे ही थे। जफ बी ककसी कॊु डरी भें कोई याजमोग ददखाई ऩड़ता , भै बी शीघ्र इस िनणथम ऩय ऩहुॊ जाता कक सॊफचॊ धत जातक को असाधायण व्मस्क्तत्व का भामरक होना ादहव। काराॊतय भें मािन 1970 तक जफ फहुत सी कॊु डमरमो को गौय से दे खने का भौका मभरा , तो याजमोग से सॊफचॊ धत भेयी धायणावॊ धीये -धीये फदरने रगी। गाखणितक दृस्ाष्ट से याजमोग की सॊबावनाओॊ ऩय भेया ध्मान केस्ान्द्रत हुआ। इस अनक्र ु भ भें भेया ऩहरा रेख 1971 भें शस्क्तनगय ददल्री से प्रकास्ाशत होनेवारी ्मोितषीम ऩित ्यका ` बायतीम ्मोितष´ भें प्रकास्ाशत हुआ , स्जसका शीषZक था - ` ाभय मोग की सॊबावनावॊ औय इसका भल्ू माॊकण ´ । इस रेख को मरखते हुव भैनें ग्रह मोग की सॊबावनाओॊ को गखणत भें वखणZत सॊबावनावाद की कसौटी ऩय यखने की कोस्ाशश की। दस ू या रेख जमऩयु से िनकरनेवारी ्मोितष ऩित ्यका ` ्मोितष भातथण्ड ´ भें नवॊफय 1974 भें प्रकास्ाशत हुआ , स्जसका शीषZक था--` ववऩमथम मोग औय इॊददया गॉधी ´ । श्रीभती इॊददया गॉधी की कॊु डरी भें कोई बी ग्रह स्वऺेरीम मा उ्
का नहीॊ था
, ककन्तु सम ू -थ भॊगर ,
फह ॊ का ऩयस्ऩय ववऩमथम था । इस रेख भें बी मोगों की सॊबावनाओ की ृ स्ऩित-शु ्यक्र तथा शिन- द्र गाखणितक व्माख्मा थी। प्रकाशन के सभम मे रेख कापी
च त थ थें। इस तयह ्मोितष की प्रा ीन ऩस् ु तकों
भें वखणZत अचधकाॊश याजमोगों की गाखणितक व्माख्मा के फाद भैं इस िनष्कषZ ऩय ऩहुॊ ा कक इस प्रकाय के मोग फहुत साये कॊु डमरमों भें बये ऩड़े हैं , स्जनका कोई ववशेष अथथ नहीॊ है । अफ तो भैं दृढताऩव थ इस ू क फात को कह सकता हूॊ कक याजमोगों की तामरका भें ऐसे फहुत साये याजमोग हैं 7 की सॊख्मा भें होने के फावजदू बी जातक को ववस्ाशष्ट नहीॊ फना ऩाते हैं। मदद आऩको ्मोितष भें रुच
, जो ककसी कॊु डरी भें 5-
है
, तो कई फाय आऩ ऩढ़ ही ुके होंगे कक ककसी कॊु डरी भें तीन ग्रह उ् के हों तो जातक नऩ ु म होता है । जफ प्रायॊ ब भें इस मोग की जानकायी हुई थी , तो अऩनी कॊु डरी भें ृ तल् उ् स्थ ग्रहों को चगनने की कोस्ाशश की , जैसा हय कोई कयते ही होंगे , ऐसा भेया भानना है । भेयी कॊु डरी भें उ् स्थ ग्रह मसपथ भॊगर था। श्रीभती इॊददया गॉधी की कॊु डरी भें ढॊ ाूढ़ने की कोस्ाशश की तो वक बी नहीॊ मभरा
, ऩन ु : मह सों ते हुव कक मह स भु उ् कोदट का याजमोग है , इॊददया गॉधी से बी अचधक प्रबत ु ासॊऩन्न कॊु डरी भें मभर सकता है , उनके वऩता श्री जवाहयरारजी की कॊु डरी को दे खा । वहॉ बी तीन उ् स्थ ग्रहों को नहीॊ ऩामा। ककन्तु वक ददन ऐसा बी आमा , जफ भैं तीन उ् स्थ ग्रहों की तराश भें नहीॊ था , कपय बी वक दक ु ानदाय की कॊु डरी भें सहसा तीन उ् स्थ ग्रह ददखाई ऩड़े। उस दक ु ानदाय की भामसक आम ऩरयवाय के बयण-ऩोषण के फाद दो सौ से अचधक की नहीॊ थी।
उक्त कॊु डरीवारे स्जन के जीवन का ऩव ू ाथिथ फहुत ही सॊघषZभम था। मे अऩने जीवन के अॊितभ ऺणों को सख् थ तो व्मतीत कय यहे थे , ऩय अचधक सध ॊु ाइश नहीॊ थी। इस कॊु डरी को दे खने के ु सऩव ू क ु ाय की गज फाद भैं सो ने रगा--इस कॊु डरी भें सम ू थ
, फहृ स्ऩित औय शिन उ् के हेाा ै ॊ। इस जातक के जन्भ के सभम के आसऩास जफ तक भेष यास्ाश भें सम ू थ यहा होगा , तीन उ् स्थ ग्रहों का मोग वक भहीने के मरव कामभ होगा औय इस वक भहीने के अॊदय स्जतने बी फ् ों ने जन्भ मरमा होगा , सबी की कॊु डरी
भें तीन ग्रह उ् स्थ ही यहे होंगे। ककन्तु वे सबी जातक नऩ ृ मोग भे जन्भ रेकय बी वास्तव भें याजा नहीॊ हुव होंगे। इनभें से वक व्मस्क्त भाभर ू ी दक ु ानदाय के रुऩ भें भझ ु े मभर गमा जाने , कहॉ , कौन ककस स्स्थित भें है ।
, शेष के फाये भें बगवान ही
उऩयोक्त व्माख्मा से इतनी फात तो स्ऩष्ट हो गमी कक अबी तक याजमोगों का सही भल् ू माॊकण नहीॊ हुआ है औय न ही आधिु नक ्मोितषी इस ददशा भें कोई ठोस कदभ ही उठा ऩाव हैं। स्जस याजमोग भें वक याजा को ऩैदा होना
ादहव
, उसभें वक भाभर ू ी दक ु ानदाय ऩैदा हो जाता है औय जफ श्रीभती इॊददया गॉधी जैसे सवथगण ु सॊऩन्न प्रधानभॊरी की कॊु डरी की व्माख्मा कयने का अवसय मभरता है , तो फड़े से फड़े ्मोितषी उनकी कॊु डरी भें फध ु ाददत्म याजमोग ही उनके प्रघानभॊरी फनने का कायण फताते हैं , जफकक सॊबावनावाद के अनस ु ाय 50 प्रितशत से अचधक रोगों की कॊु डरी भें फध ु ाददत्म मोग के होने की सॊबावना होती है । वक भहान ्मोितषी ने अऩनी ऩस् ु तक भें मरखा है , फध ु ाददत्म मोग मद्मवऩ प्राम: सबी कॊु डमरमों भें ऩामा जाता है , कपय बी इसे कभ भहत्वऩण ू थ नहीॊ सभझना ादहव। इस तयह याजमोगों का ववश्रेषण क्मा असभॊजस भें डारनेवारा ऩे ीदा , अस्ऩष्ट औय भ्राभक नहीॊ है ? इस तयह के ऩे ीदे वाक्म याजमोग के ववषम भें ही नहीॊ , वयन ् ्मोितष के सभस्त िनमभों के प्रित फस्ु ािजीवी वगथ की जो धायणा फनती है , उससे पमरत ्मोितष का बववष्म उ्जवर नहीॊ ददखाई ऩड़ता है। आज कम्प्मट ू य का जभाना है
, अऩने सभस्त ्मोितषीम िनमभों , मसिाॊतो को कम्प्मटू य भें डारकय दे खा जाव , कॊु डरी िनभाथण से सॊफचॊ धत गखणत बाग का काभ सॊतोषजनक है , ऩयॊ तु पमरत बाग बफल्कुर ही स्थूर ऩड़ जाता है , इससे ककसी को सॊतस्ु ाष्ट नहीॊ मभर ऩाती है । वक भाभर ू ी प्रास्थ्भक स्कूर के स्ाशऺक औय फस ारक की कॊु डरी भें अनेक याजमोग िनकर आते हैं औय अभेरयका के याष्ट्रऩित बफर स्ाक्रॊटन की कॊु डरी भें वक दरयद्र मोग का उल्रेख इस तयह होता है
, भानो वह अित ववस्ाशष्ट व्मस्क्त
न होकय मबखायी हो। वास्तव भें पमरत ्मोितष से सॊफचॊ धत िनमभ फहुत ही उरझनऩण ू थ औय अस्ऩष्ट हैं। मदद कोई मह कहे कक वक रुऩमे भें सौ आभ खयीदकय तो रामा गमा है , ऩयॊ तु इसे कभ भहत्वऩण ू थ नहीॊ सभझा जाव
, वक आभ का दाभ दस रुऩमे है , तो इस प्रकाय के दवु वधाऩण ू थ तथ्मो को कम्प्मट ू य भें डारने के फाद आभ की कीभत के फाये भें ऩछ ू ा जाव , तो कम्प्मट ू य बी सदै व दवु वधाऩण ू थ उत्तय ही दे गा। अबी फाजाय भें याजमोगों से सॊफचॊ धत कई ऩस् ु तकें उऩरधध है , ककन्तु आजतक के ववद्वानों के ववश्रेषण की ऩिित भौमरक मा वैऻािनक तथ्मों ऩय आधारयत नहीॊ है ।
ईस प्रकाय की दवु वधाऩण ू थ ऩस् ु तकों के फाजाय भें बये होने के कई कायण हो सकते हैं। वैऻािनक दृस्ाष्टकोणों का अबाव हो मा व्मावसािमक सपरता भें अचधक रुच
होने के कायण ऩयॊ ऩयागत बर ू ों को
नजयअॊदाज ककमा जा यहा हो। कायण जो बी हो
, रेककन सबी ऩस्ु तको ाॊभें ऩयॊ ऩयागत याजमोगों को
भहत्वऩण ू थ सभझा गमा है औय उसका भार दहन्दी अनव ु ाद कय ददमा गमा है । इन याजमोगों की ऩस्ु ाष्ट भें मसपथ वक भहाऩरु ु षों की जन्भकॊु डरी को उिृत कय ददमा गमा है । ऐसा ही होता आमा है
, सों कय ऩाठक
के ददभाग भें याजमोगों की गरत धायणावॊ आ जाती हैं । जफ बी वे ककसी कॊु डरी भें याजमोग को ऩा रेते हैं
, पमरत की
ाथ कयते तिनक बी नहीॊ दह कक ाते कक अभक ु जातक भॊरी मा ऩदाचधकायी होगा
,
जफकक तथ्म अनभ ु ान के ववऩयीत असभॊजस भें डारनेवारे होते हैं। भैंने याजमोगों के सबी िनमभों का
बरी-बॉित अध्ममन ककमा है औय सवथदा इसी िनष्कषZ ऩय आमा हूॊ कक इनका न तो सही क्रभ है औय न ही िनस्ाश् त भल् ू म। इन मोगों की सहामता से मोगों की तीव्रता की अमबव्मस्क्त नहीॊ की जा सकती
है । याजमोग भें ऩैदा होनेवारे व्मस्क्तमों को वगीकृत नहीॊ ककमा जा सकता। याजमोग के शास्ाधदक अथथ मा िनदहत अथथ को कामभ नहीॊ यखा जा सकता
, वयन ् याजमोगों को सभझने के क्रभ भें उरझनें ही साभने
आवॊगी। इन मोगों को सटीक फनाने के क्रभ भें ्मोितषी गखणत के सॊबावनावाद औय ग्रहगित भें सफसे
भहत्वऩण ू थ भॊदगित भॊद गित की उऩस्स्थित को याजमोगों भें मसम्भमरत कय सॊबावनाओॊ को ववयर फनाने की कोस्ाशश कयें
, नही ाॊतो इन मोगों का कोई अमबप्राम नहीॊ यह जावगा।
कई याजमोगों की ववपरता को प्रस्तत ु कयती कॊु डरी हभनें दे खा है, जो वक ऐसे व्मस्क्त की है
, जो
अऩने भाता-वऩता औय अऩने ऩयू े ऩरयवाय को ऩये शान कयता हुआ अऩनी सायी सॊऩस्त्त खो फैठा है । इश्कमभजाज , कपजूरख थ औय शयाफी है , ाकू यखता है , दस ू यों को ऩये शान कयना , धभकी दे ना औय धरैकभेमरॊग कयना इसका काभ है । ऩमु रस की िनगाह सदै व इसऩय फनी यहती है । इस प्रकाय प्रशासन की दृस्ाष्ट भें बी मह वक सॊदद्ध व्मस्क्त है । टी फी का भयीज है भहामोग
, इसकी कॊु डरी भें
ाभय मोग
, नी बॊग
, रु क मोग फध ु ाददत्म मोग -- सबी ववद्मभान है । रगनेश भॊगर दशभ बाव भें ददक्फरी है ।
ककन्तु याजमोग से सॊफचॊ धत ककसी बी पर का जीवन भें घोय अबाव है ।
प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 3:03 am 7 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
भंगरवाय, 9 िसिम्फय2008 ग्रहशक्क्िक ायहस्म बववष्म की सटीक जानकायी के मरव वकभार ववधा पमरत ्मोितष िनस्सॊदेह पमरत ्मोितष वैददक कारीन सफसे ऩयु ानी ववधा है । स्जस सभम कल्ऩ िनरुक्त आदद भहज कुछ ही ववधा थी
, व्माकयण , छन्द ,
, पमरत ्मोितष को वेदों का नेर कहा जाता था। आज सबी ववश्वववद्मारमों भें हजायों ववषमों का प्रवेश हो ुका है , अन्म ववषमों की तयह गखणत ्मोितष की
खगोर ववऻान के रुऩ भें ऩढ़ाई हो यही है
, ककन्तु पमरत ्मोितष को ववश्वववद्मारम के फाहय कय ददमा
गमा है । तकथ मह ददमा जा यहा है कक कयोड़ों भीर दयू यहकय ग्रह ऩथ् े न को कैसे प्रबाववत ृ वी के जड़- त कय सकता है
? अगय वह प्रबाववत कये बी , तो वक ही ग्रह कयोड़ो व्मस्क्तमों ऩय अऩना मबन्न-मबन्न प्रबाव कैसे प्रस्तत ु कय सकता है ? ्मोितषी इसे ववऻान कहते हैं , कुछ रोग शास्र , तो कुछ अवैऻािनक कहकय इसऩय बयोसा नहीॊ कयने की सराह दे ते हैं। कुछ रोगों को इस ववधा से आक्रोश मा च ढ़ इस फात से है कक मह रोगों को बा्मवादी फनाता है औय मथास्स्थितवाद औय अकभथण्मता को फढ़ावा दे ता है ।
पमरत ्मोितष के ऩऺधयों के अनस ु ाय आत्भऻान के मरव ्मोितष ऻान से फड़ा सॊसाधन औय कुछ हो ही नहीॊ सकता। सबी ववधावॊ बत ू कार औय वतथभान कार की जानकायी दे सकती है
, बववष्म की सटीक
जानकायी के मरव वकभार ववधा पमरत ्मोितष ही है । ऩऺ-ववऩऺ भें फहुत सायी फातें हो सकती हैं , ककन्तु ववश्व के ककसी बी ववश्वववद्मारम भें इसे सभचु त स्थान नहीॊ मभरने से इसका ऩरड़ा कभजोय ऩड़ गमा है । प्रगितशीर वव ायधाया के रोग बी नहीॊ हैं
,
, जो अऩने को आधिु नक सभझते हैं , इसे अॊधववश्वास कहने से
ूकते। दस ू यी ओय मह जानते हुव बी कक वक यास्ाश के अॊदय ऩथ् ृ वी के ऩ ास कयोड़ा़ रोग आते भाभर ै यहती है । कपय वे इसे फकवास मा ू ी यास्ाशपर को ऩढ़ने के मरव ऩ ास प्रितशत आफादी फे न
भनोयॊ जन का साधन फताते हैं। आखखय ऐसी कौन सी कभजोयी है फनामी हुई है
, जो पमरत ्मोितष को ववश्वसनीम
?
बौितक ववऻान भें ववमबन्न प्रकाय की शस्क्तमों का उल्रेख है । हय प्रकाय की शस्क्त की भाऩ के मरव वैऻािनक सर ॊ मा उऩकयण है ू मा शस्क्तभाऩक इकाई है । शस्क्त की भाऩ के मरव वक सॊमर
, ताकक शस्क्त के स्वरुऩ मा तीव्रता का आकरन स्ऩष्ट तौय ऩय ककमा जा सके। स्ऩीडोभीटय से फस ,ट्रे न मा मान की गित का स्ऩष्ट फोध हो जाता है । थभाथभीटय से ताऩ , फैयोभीटय से हवा का दवाफ , अल्टीभीटय से उड़ान के सभम वामम ु ान की ऊॊ ाई ,ऑडडमोभीटय से ध्विन की तीव्रता के फाये भें कहा जा सकता है । फड़ी भारा की ववद्मत ु -धाया को भाऩने के मरव इरेक्ट्रोभीटय तथा छोटी को भाऩने के मरव गैल्वेनोभीटय का
व्मवहाय ककमा जाता है । रैक्टोभीटय दध ू की शि ु ता को भाऩता है तथा ये नगेज ककसी ववशेष स्थान भें हुई वषाZ की भारा की सू ना दे ता है । स्टॉऩ वा से सक्ष् ू भ अवचध को रयकाडथ ककमा जा सकता है । उऩयोक्त
सबी प्रकाय के वैऻािनक प्रकयण मा सॊमर ॊ ों का िनभाथण वैऻािनक सर ू ों ऩय आधारयत हैं। अत: मे िनस्ाश् त सू ना प्रदान कयने भें सऺभ हैं। इनसे प्राप्त होनेवारी सबी जानकारयमॉ वैऻािनक औय ववश्वसनीम हैं।
रेककन मदद हभ पमरत ्मोितष के ववद्वानों से ऩछ ू ा जाव कक हभ ग्रह की ककस शस्क्त से प्रबाववत हैं तथा हभाये ऩास उस शस्क्त की तीव्रता को भाऩने का कौन सा वैऻािनक सर ू मा उऩकयण है प्रश्नों का सभचु त उत्तय दे ना कापी कदठन होगा। ऩय मह स नहीॊ दे सकेंगे
, तो इन
है कक हभ जफतक इन प्रश्नों के उत्तय
, पमरत-्मोितष का अनभ ु ान का ववषम भानने की फाध्मता जनसभद ु ाम भें फनी ही यहे गी। बैितक ववऻान भें वखणZत सबी शस्क्तमॉ अनब ु व भें मबन्न-मबन्न प्रकाय की हो सकती हैं , वस्तत ु : उनके भर ू स्वरुऩ भें कोई मबन्नता नहीॊ होती। हय घय भें ववद्मत ु -आऩिू तथ हो यही है , वही ववद्मत ु फल्फ भें
प्रकाश
, हीटय भें ताऩ , ऩॊखे भें गित , टे ऩरयकॉडथय मा स्टीरयमो भें सॊगीत का रुऩ धायण कयता है। इस प्रकाय बौितक ववऻान भें गित , ताऩ , प्रकाश , म् ु फक , ववद्मत ु घ्विन आदद शस्क्त के ववमबन्न स्वरुऩ हैं , स्जन्हे वक-से दस ू ये भें आसानी से ऩरयवितथत ककमा जा सकता है । सॊमोग से पमरत-्मोितष के अनस ु ाय बी आकाशीम वऩॊडों की स्जस शस्क्त से हभ प्रबाववत होते हैं , वे सायी शस्क्तमॉ बौितक ववऻान भें वखणZत शस्क्तमॉ ही हैं। सम ू थ के प्रकाश औय ताऩ को तथा
द्र ॊ भा के प्रकाश को ऩथ् ू कयते ही हैं ृ वीवासी घटते-फढ़ते क्रभ भें भहसस
। सम ू थ के कायण ऋत-ु ऩरयवतथन का होना तथा ददन-यात का होना सफको भान्म है । अभावश औय ऩखू णZभा का प्रबाव सभद्र ु भें बी दे खा जाता आ यहा है । ऩखू णZभा के ददन आत्भहत्मा मा ऩागरऩन की प्रवस्ृ त्तमों
भें वस्ृ ाि को बी रोगों ने भहसस ू ककमा है । ककन्तु जफ शेष ग्रहों के प्रबाव को मसि कयने की फायी आती है
, तो ्मोितषी प्रत्मऺ तौय ऩय प्रभाण जुटा ऩाने भें असभथथ ददखाई दे ते हैं। मही फात वैऻािनकों ,
फस्ु ािजीवी वगथ के रोगों औय आभ रोगों के ्मोितष ऩय अववश्वास कयने का कायण फन जाता है । रेककन अफ वैसी फात नहीॊ यह गमी है की जानकायी हो
ुकी है
, क्मोंकक भझ ु े सबी ग्रहों के गितज औय स्थैितज ऊजाथ के गणना
, स्जससे मे ऩथ्ृ वीवासी को प्रबाववत कयते आ यहे हैं।
सबी ग्रह गितशीर हैं
, ऩथ्ृ वी बी गितशीर है। सबी सम ू थ की ऩरयक्रभा कय यहे हैं। अत: कोई बी ग्रह कबी ऩथ् ृ वी से कापी िनकट , तो कबी कापी दयू ी ऩय रा जाता है । ऩथ् ृ वी से ग्रहों की दयू ी के घटने-फढ़ने के कायण ऩथ् ृ वी के साऩेऺ उसकी गित भें बी िनयॊ तय फदराव होता यहता है । कोई ग्रह ऩथ् ृ वी से फहुत अचधक दयू ी ऩय हो , तो वह अचधक गितशीर होता है । ऩन ु : वही ग्रह ऩथ् ृ वी के स्जतना अचधक िनकट होता है , उतना ही ववऩयीत गित भें होता है । ऩथ् ृ वी से ग्रहों की दयू ी भें जफदथ स्त ऩरयवतथन हो
, तो ग्रह की गित भें
बी आभर ू - र ू ऩरयवतथन हो जाता है । अचधक गितशीर औय ववऩयीत गित के वक ही ग्रह के जातक उस ग्रह के कार भें फहुत ही आक्राभक तो दस ू या फहुत ही दै न्म ऩरयस्स्थितमों से सॊमक् ु त होता है । सॊऺेऩ भें ऩथ् ु - ुम्फकीम ृ वी से ग्रह की दयू ी के फदरने से गित भें फदराव आता है औय गित के फदरने से ववद्मत ऩरयवेश भें स्वत: ही फदराव आता है ।
वक साधायण उदाहयण से इस असाधायण तथ्म को सभझने की दयू ी
ेष्टा की जा सकती है । सम ू थ से भॊगर की
22.7 कयोड़ ककरोभीटय है औय ऩथ्ृ वी से सम ू थ की दयू ी 15 कयोड़ ककरोभीटय। ऩथ् ृ वी औय भॊगर दोनो ही सम ू थ की ऩरयक्रभा कयते हैं। जफ सम ू थ के वक ही ओय ऩथ् ृ वी औय भॊगर दोनों होते हैं , तो दोनों के फी की दयू ी 22.7–15 = 7.7 कयोड़ ककरोभीटय होती है । ककन्तु जफ सम ू थ ऩथ् ृ वी औय भॊगर के फी हो अथाZत ् सम ू थ के वक ओय ऩथ् ू यी ओय भॊगर हो , तो ऩथ् ृ वी तथा दस ृ वी से भॊगर की दयू ी फढ़ जाती है औय मह दयू ी 22.7+15=37.7 कयोड़ ककरोभीटय हो जाती है । इस तयह ऩथ् ृ वी से भॊगर की न्मन ू तभ औय अचधकतभ दयू ी का अनऩ ु ात 1:5 हो जाता है । ऩहरी अवस्था भें भॊगर अत्मचधक वक्र गित भें , तो दस ू यी अवस्था भें अत्मचधक गितशीर भागी गित भें होता है । भॊगर की तयह ही कोई बी ग्रह ऩथ् ृ वी से अचधकतभ नजदीक होने ऩय अचधकतभ वक्र गित भें तथा अचधकतभ दयू ी ऩय स्स्थत होने ऩय
अितशीघ्री भागी गित भें होगा। गित भें फदराव होते यहने से ऩथ् ृ वी के ऩरयवेश भें ग्रहों के ववद्मत ु म् ु फकीम ऺेर औय इसकी तीव्रता भें फदराव आता यहता है । जैसा कक भैंने ऩहरे ही कहा है
, सबी प्रकाय की शस्क्तमॉ भर ू रुऩ से वक ही हैं अत: ग्रहों के अचधक दयू ी ऩय होने मा अचधक नजदीक होने ऩय मबन्न-मबन्न प्रकाय की शस्क्त तयॊ गों की उत्ऩस्त्त होती है ,
उसका वैऻािनक नाभकयण जैसे बी ककमा जाव। ऩथ् ृ वी से अचधक दयू ी ऩय यहनेवारा ग्रह अचधक गितशीर होता है
, अत: इस प्रकाय के ग्रह भें गितज उजाथ अचधक होती है। ऩन ु : ऩथ् ृ वी के अचधक िनकट यहनेवारा ग्रह वक्र गित भें होता है , अत: वह ऋणात्भक गितज उजाथ से सॊमक् ु त होता है । ककन्तु ऩथ् ृ वी से औसत दयू ी ऩय यहनेवारे ग्रह औसत गितथ भें होते हैं। इनभें गितज उजाथ की कभी तथा स्थैितज ऊजाथ की
अचधकता होती है । कोई बी ग्रह वक्री मा भागी ितचथ के आसऩास शत-प्रितशत स्थैितज ऊजाथ से सॊमक् ु त होता है ।
गितज उजाथ के ग्रहों से सॊमक् ु त जातक उस ग्रह के कार भें सहज-सख ु द ऩरयस्स्थितमों के फी है उस सभम उनभें ककसी प्रकाय की जवाफदे ही नहीॊ होती प्रकाय के जातक मसपथ अचधकाय को सभझते हैं
से गज ु यता
, ऩरयवेश उसे बा्मवान मसि कय दे ता है। इस
, कतथधम से उन्हें कोई भतरफ नहीॊ होता। ऋणात्भक
गितज उजाथ वारे ग्रहों से सॊमक् ु त जातक उस ग्रह के कार भें ववऩयीत कदठन ऩरयस्स्थितमों के फी गज ु यते हैं
से
, ग्रहों से सॊफचॊ धत बावों की जवाफदे ही भें ककसी प्रकाय की कोई कभी नहीॊ होती , ऩरयवेश से ही दै न्म होते हैं , हय सभम ककॊ कतथधमववभढ़ ू ता की स्स्थित होती है । ककन्तु स्थैितक उजाथ से सॊमक् ु त जातक िनयॊ तय काभ कयने भें ववश्वास यखते हैं , पर की च न्ता कबी नहीॊ कयतें , सभन्वमवादी होते हैं , अऩने सख ु आयाभ की च न्ता कबी नहीॊ कयतें , दृस्ाष्टकोण भें व्माऩकता औय ववयाटता होती है । उऩयोक्त वववे ना से मह स्ऩष्ट हो जाता है कक बौितक ववऻान भें स्उल्रखखत सबी प्रकाय की शस्क्तमॉ ही वस्तत ु : ग्रहों की शस्क्तमॉ हैं। ककन्तु स्जस सभम पमरत ्मोितष ववकमसत हो यहा था
, उस सभम
बौितक ववऻान भें ऊजाथ से सॊफचॊ धत मसिाॊतों का ववकास नहीॊ हो ऩामा था। अत: पमरत ्मोितष को ववकमसत कयनेवारे च न्तक
, ऋवष ,भहवषथ , ग्रहों की शस्क्त को उसकी ववमबन्न स्स्थितमों भें ढॊ ाूढ़ने की
ेष्टा कय यहें थे। ग्रहों की शस्क्त को सभझने के मरव आज तक बौितक ववऻान के िनमभों का इस्तेभार
नहीॊ ककमा जा सका
, अत: पमरत ्मोितष अबी तक अनभ ु ान का ववषम फना हुआ है ।
भझ ु े मह सचू त कयते हुव हषZ हो यहा है कक ग्रहफर को सभझने की इस वैऻािनक ववचध की सझ ू अकस्भात ् कुछ घटनाओॊ के अवरोकन के ऩश् ात ् सन ् 1981 भें भेये भस्स्तश्क भें कौंधी औय सन ्
1987 तक ववमबन्न ग्रहों के ववमबन्न प्रकाय की शस्क्तमों को सभझने की ेष्टा कयता यहा। इसके ऩवू थ वक नई गत्मात्भक दशा ऩिित, स्जसकी फिु नमाद सन ् 1975 भें यखी गमी थी , भें ग्रहशस्क्त की तीव्रता को इसभें मसम्भमरत कय दे नें से ऩण थ ा आ गमी। ककसी बी व्मस्क्त के जीवन की सपरताू त असपरता
, सख ु -दख ु , फढ़ते-घटते भनोफर तथा व्मस्क्त के स्तय को रेखाच र भें जीवन के ववमबन्न
बागों भें अनामास ददखामा जाना सॊबव हो सका। इस ऩिित से ककसी ववशेष उम्र भें जातक की
भन:स्स्थित सका।
, उसके कामथक्र्य्भ औय उसके सभस्त ऩरयवेश को आसानी से सभझा जाना बी सॊबव हो
रेख के आयॊ ब भें भैनें ग्रहशस्क्त को भाऩने के मरव वक सॊमर ॊ मा उऩकयण की आवश्मकता की थी
ाथ की
, इसके मरव भझ ु े फहुत अचधक बटकना नहीॊ ऩड़ा। सॊऩण ू थ ब्रहभाॊड की फनावट अऩने आऩभें ऩरयऩण ू थ है । ग्रहों की शस्क्त को िनधास्ाZयत कयने का मॊर बी भझ ु े महीॊ ददखाई ऩड़ा। भैनें दे खा कक जफ सम ू थ ॊद्र अभावश के ददन मिु त कय यहे होते हैं , ॊद्रभा के ऩण ू थ अप्रकास्ाशत बाग को ही हभ दे ख ऩाते हैं , भतरफ ॊद्रभा नहीॊ ददखाई ऩड़ता है । जफ सम ू थ ॊद्रभा ऩयस्ऩय 30 डडग्री का कोण फनाते हैं , उसके छठे बाग को ही हभ प्रकास्ाशत दे ख ऩाते हैं। जफ सम ू -थ ॊद्र ऩयस्ऩय 90 डडग्री का कोण फनाते हैंाॊ , तफ ॊद्रभा का आधा बाग प्रकाशभान होता है । जफ दोनो 180 डडग्री का कोण फनाते हे ाैाॊ , उसका शतप्रितशत बाग ही प्रकाशभान हो जाता है । इस तयह सम ू थ से ॊद्रभा की दयू ी जैस-े जैसे फढ़ती है , उसका प्रकाशभान बाग बी उसी अनऩ ु ात भें फढ़ता जाता है । ठीक इसके ववऩयीत भैंने ऩामा कक भॊगर , फह ृ स्ऩित , शिन , मयू े नस , नेप््मन ू औय प्रट ू ो सम ू थ से मिु त कय यहे होते हैं , तो उनकी गित सफसे अचधक होती है , जफकक मे सम ू थ से 180 डडग्री की दयू ी ऩय हो तो सवाथचधक वक्र गित भें होते हैं। इस तयह इन ग्रहों की गितज उजाथ मह िनकरा कक
, सम ू थ से कोखणक दयू ी फढ़ने ऩय कभ होती री जाती है । िनष्कषZ
ॊद्रभा के प्रकाश से उसकी शस्क्त की जानकायी प्राप्त कयना हो मा अन्म ग्रहों की गितज
ऊजाथ को िनकारना हो
, उस ग्रह की सम ू थ से कोखणक दयू ी को िनकारने की आवश्मकता ऩड़ेगी। इसी
कोखणक दयू ी के अनऩ ु ाती मा व्मत्ु क्रभानऩ ु ाती ग्रह की शस्क्त होगी। सबी ग्रहों की गितज औय स्थैितज ऊजाथ को िनकारने के मरव सर ू ों की खोज की जा
ुकी है । सम ू थ से ग्रहों की कोखणक दयू ी को जानने के
मरव ककसी उऩकयण की कोई आवश्मकता नहीॊ है । ऩॊ ाॊग भें वखणZत ग्रहों के अॊश को ही जान रेना कापी होगा सकेगा।
, इसकी जानकायी के फाद गितज ऊजाथ औय स्थैितज ऊजाथ को सरू के द्वाया िनकारा जा
फॊदक ू की गोरी भें शस्क्त है
, इसे हय कोई भहसस ू कयता है ।
फॊदक ू की गोरी कापी छोटी होती है होता
, गितयदहत होने ऩय इसभें ककसी प्रकाय की शस्क्त का फोध नहीॊ
, ककन्तु अत्मचधक गितशीरता के कायण ही गोरी की भायक ऺभता फढ़ जाती है। हथेरी ऩय ऩत्थय का टुकड़ा यखकय कोई बी व्मस्क्त अऩने को शस्क्तशारी सभझता है , क्मोकक उसे भारभ ू है कक ऩत्थय को गित दे कय उसे शस्क्तशारी फनामा जा सकता है । इस प्रकाय ककसी बी वऩॊड भें गित का भहत्व तो अनामास सभझ भें आता है
, ककन्तु ग्रहों के बीभकाम वऩॊड भें अप्रत्मास्ाशत रुऩ से अत्मचधक गित होने
के फावजद ू ग्रहों की शस्क्त को अन्मर ढूॊढ़ने की कोस्ाशश की जाती यही है । स्जस ऩथ् ृ वी का व्मास आठ हजाय भीर है
, स्जसकी ऩरयचध 25 हजाय भीर है , स्जसका वजन 5.882´1021 टन है , रगबग वक मभनट भें हजाय भीर की यताय से ऩरयभ्रभण-ऩथ ऩय आगे फढ़ यही है , की तर ु ना भें फह ृ स्ऩित कई गण ु ा फड़ा है , इसकी यपताय प्रित मभनट रगबग 500 भीर है । इनकी तेज गित की तर ु ना राखों हाडाªाेजन फभ मा अणुफभ से की जा सकती है । इस प्रकाय की ववयाट शस्क्त से ववद्मत ु - ुम्फकीम शस्क्त
तयॊ गों से ऩथ् ृ वीवासी प्रबाववत होते हैं।ग्रहों की स्थैितज ऊजाथ औय गितज ऊजाथ का प्रबाव ककसी बी व्मस्क्त ऩय मबन्न-मबन्न प्रकाय से ऩड़ता है । हजायों प्रकाय की कॊु डमरमों भें ग्रहों के इस मबन्न प्रबाव को भैं भहसस ू कयता हॊ ाू। सबी गह गित-िनमभों के आधाय ऩय ही अऩना पर प्रस्तत ु कयते हैं शस्क्त हैं।
, गित ही इनकी
ककसी बी व्मस्क्त के जन्भकार भें सबी ग्रहों की गित औय स्स्थित मबन्न-मबन्न तयह की होती हें तथा
उसके र्न से सम ू थ की कोखणक दयू ी उस सभम के जातक को ववश्व के सबी भनष्ु मों से मबन्न फनाती है । ववश्व को दे खने का उसका नजरयमा मबन्न होता है । वह वक मबन्न फीज की तयह हो जाता है । हय
व्मस्क्त फदरे हुव कोण से ब्रहभ की प्रितछामा मा प्रतीक है । ग्रह इस शयीय भें ब्रहभ भें ग्रॊचथ के रुऩ भें होते हैं। वे सभम-सभम ऩय अऩना पर प्रस्तत ु कयते हैं।
प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 2:43 am 4 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
यिववाय, 7 िसिम्फय2008 पिरि्मोतिषक ीत्रुटिमॉ वंदयू क यनेक ेउऩाम ववकमसत ववऻान नहीॊ , ववकासशीर ववद्मा मा शास्र है पमरत ्मोितष अबी ववकमसत ववऻान नहीॊ , ववकासशीर ववद्मा मा शास्र है , ककन्तु इसके
ववकास की ऩमाथप्त सॊबावनावॊ ववद्मभान हैं । इसे अिनस्ाश् त से िनस्ाश् त की ओय आसानी से रे जामा जा सकता है । इस शास्र को ववऻान भें रुऩाॊतरयत ककमा जा सकता है । गखणत ्मोितष ववऻान है , क्मोंकक आकाश भें ग्रहों की स्स्थित , गित आदद से सॊफॊचधत िनस्ाश् त सू ना प्रदान
कयता है । सैकड़ो वषोZाॊ फाद रगनेवारे सूमग्र थ हण , द्र ॊ ग्रहण की अवचध की सू ना घॊटा , मभनट
औय सेकण्ड तक शि ु रुऩ से प्रदान कयता है । मह बी सचू त कयता है कक ऩथ् ृ वी के ककस बाग भें मह ददखाई ऩड़ेगा। ककन्तु हभ पमरत ्मोितष को ववऻान नहीॊ कह ऩाते ,क्मोंकक ग्रहों के
परापर का स्ऩष्ट उल्रेख हभ नहीॊ कय ऩाते। धनेश धन स्थान भें स्वगह ृ ी हो तो व्मस्क्त को धनवान होना
ादहव ऩयॊ तु इस मोग से कोई कयोड़ऩित , कोई रखऩित औय कोई सहस्रऩित है तो
कोई केवर अऩनी आवश्मकताओॊ की ऩिू तथ ही जोड़-तोड़ से कय ऩा यहा है । र्नेश , राबेश औय
नवभेश धन स्थान भें हो तो जातक को इस मोग से फहुत ही सभि ृ औय धनवान होना ादहव ऩयॊ तु इस मोग भें उत्ऩन्न हुव व्मस्क्त को बी दरयद्रता के दौय से गज ु यते हुव दे खा जाता है । भेये ऩास ऐसे कई उदाहयण हैंाॊ - कम्प्मूटय स्जस कॊु डरी भें अचधक से अचधक धन मोग की कयता है , वह व्मस्क्त धनी नहीॊ है तथा स्जस कॊु डरी भें कुछ दरयद्र मोगों की
ाथ है , वह
ाथ
सवाथचधक सॊऩन्न दे श का याष्टऩित है । ऐसी ऩरयस्स्थित भें ग्रहों की स्स्थित के अनुसाय उससे उत्ऩन्न प्रबाव मा परापर की सभरुऩता का क्मा सही ऩता
र ऩाता है ? ग्रहों की शस्क्त ,
उसकी तीव्रता मा उत्ऩन्न प्रबाव के भूर स्रोत मा असरी कायणों तक क्मा हभ ऩहुॊ क्मा ग्रह की शस्क्त , तीव्रता मा कामथऺभता को भाऩने का सही उऩाम हभाये ऩास है ।
क ु े हैं ?
्मोितष भें ग्रहों की शस्क्तभाऩक पाभर ूथ ा आवश्मक है बौितक ववऻान भें ववमबन्न प्रकाय की शस्क्तमों का उल्रेख है । प्रत्मेक शस्क्त की भाऩ के मरव वैऻािनक सूर हैं , शस्क्तभाऩक इकाई है । शस्क्त की भाऩ के मरव शस्क्तभाऩक सॊमॊर मा उऩकयण
है , ताकक उसकी तीव्रता का आकरण स्ऩष्ट रुऩ से ककमा जा सके। स्ऩीडोभीटय से फस , ये र औय मान की गित का स्ऩष्ट फोध हो जाता है । थभाथभीटय से ताऩभान का स्ऩष्ट फोध होता है । फैयोभीटय से हवा के दफाफ की जानकायी होती है । अल्टीभीटय से उड़ान के सभम वामूमान की ऊॊ ाई का ऩता
रता है । ऑडडमोभीटय से ध्विन की तीव्रता का ऩता रता है । ववद्मुत की भारा
को भाऩने के मरव इरेक्टोभीटय का व्मवहाय होता है । गैल्वेनोभीटय से कभ भारा की ववद्मुतधाया कों भाऩा जाता है । रैक्टोभीटय दध ू की शुिता को भाऩता है । ये नगेज ककसी ववशेष स्थान ऩय हुई वषाZ की भारा को भाऩता है । सेक्सटें ट से आकाशीम वऩॊडों की कोखणक ऊॊ ाई की भाऩ की जाती है । स्टॉऩ वा
से सूक्ष्भ अवचध को रयकाडथ ककमा जाता है । उऩयोक्त सबी प्रकाय के मॊर वैऻािनक
सूरों ऩय आधारयत िनस्ाश् त सू ना दे ने का काभ कयते हैं , अत: मे सबी जानकारयमॉ वैऻािनक औय ववश्वसनीम हैं। मदद हभ ्मोितवषमों से ऩूछा जाव कक ग्रह-शस्क्त की तीव्रता को भाऩने के
मरव हभाये ऩास कौन सा वैऻािनक सूर मा उऩकयण है तो भै सभझता हूॊ कक इस प्रश्न का उत्तय दे ना कापी कदठन होगा ,रेककन जफतक इस प्रश्न का सही उत्तय नहीॊ मभरेगा , पमरत ्मोितष अनुभान का ववषम फना यहे गा। अफ ग्रहों के फराफर को िनधाथरयत कयने से सॊफॊचधत कुछ सूरों की खोज कय री गमी है । इसकी
ाथ थोड़ी दे य फाद होगी , सफसे ऩहरे हभ वक फाय उन सबी
ऩयॊ ऩयागत ्मोितषीम िनमभों ऩय दृस्ाष्टऩात कयें , जो ग्रह फराफर िनधाथयण के सर ू के रुऩ भें ववद्मभान हैं -
1 स्थान-फर- स्वगह ृ ी , उ्
, भर ू ित ्यकोण , मभर यास्ाश भें स्स्थत मा स्उल्रखखत द्रे ष्काण
,नवभाॊश ,सप्तभाॊश , आदद ‘ााडवगथ भें अचधक वगथ प्राप्त होने ऩय मा अन्म ग्रहों के साऩेऺ अष्टक वगथ िनमभ से
ाय ये खाओॊ से ऊऩय होने ऩय ग्रह फरवान होता है ।
2 ददक्फर- फध ॊ ु , फह ु , द्र ृ स्ऩित र्न भें , शक्र भॊगर दशभ बाव भें ददक्फरी होते हैं।
तथ ु थ बाव भें , शिन सप्तभ बाव भें तथा सम ू थ ,
3 कारफर- कारफर के अॊतगथत सदै व फमर होता है ।
द्र ॊ , शिन , भॊगर याित ्य भें , सूमथ , गुरु , शुक्र ददन भें तथा फुध
4 नैसचगZकफर- शिन , भॊगर , फुध , गुरु , शुक्र , द्र ॊ औय सूमथ उत्तयोत्तय आयोही क्रभ भें फरवान होते हैं। शामद इस प्रकाय के ग्रह फर की ऩरयकल्ऩना इनके प्रकाश की तीव्रता को ध्मान भें यखकय की गमी थी। 5 ष्े टाफर- भकय से मभथन ॊ की स्स्थित हो तो उनभें ु ऩमथन्त ककसी बी यास्ाश भें सूमथ , द्र ष्े टाफर होगा तथा अन्म सबी ग्रह
द्र ॊ भा के साथ होने से
ष्े टाफर प्राप्त कय सकेंगे।
6 दृस्ाष्टफर- ककसी ग्रह को शब ु ग्रह दे ख यहा हो तो शब ु दृस्ाष्टप्राप्त ग्रह फरवान हो जाता है । 7 आत्भकायक ग्रहफर - आत्भकायक ग्रहफर की स्स्थित के साऩेऺ ग्रहफर मा जैमभनी सर ू से
ग्रहफर आत्भकायक ग्रह के साथ मा उससे केन्द्रगत यहनेवारे ग्रह ऩण थ री , दस ू फ ू ये , ऩॉ वे आठवें औय वकादश भें यहनेवारे अिथफरी तथा तीसये , छठे , नवें औय द्वादश बाव भें यहनेवारे िनफथर होते हैं। 8 अॊशफर- ककसी यास्ाश के प्रायॊ मबक अॊशो भें स्स्थत यहनेवारा ग्रह फाल्मावस्था भें होता है तथा यास्ाश के अॊितभ बाग भें यहनेवारा ग्रह वि ृ ावस्था भें होता है । यास्ाश के भध्म भें यहनेवारे ग्रहों को फरवान कहा जाता है ।
9 मोगकायक-अमोगकायक फर - सॊदहताओॊ भें ग्रह परापर की वववस्ृ त्त स्जस ढॊ ग से मभरती है , उसके अनुसाय मोगकायक ग्रहों को शुबपरदामक ,फरवान तथा अमोगकायक ग्रहों को अशुबपरदामक औय िनफथर सभझा जाता है ।
10 ऩऺफर- कृष्णऩऺ भें ऩाऩग्रह ववॊ शुक्रऩऺ भें शुबग्रह फरवान होते हैं।
11 अमण फर- उत्तयामण भें शुबग्रह औय दक्षऺणामण भें ऩाऩग्रह फरवान होते हैं। इस प्रकाय ग्रह के फराफर िनधाथयण के मरव ऩयॊ ऩया से ्मायह िनमभों की खोज हो
क ु ी है ।
स्थान फर के अॊतगथत आनेवारे दो िनमभों ‘ााडवगथ फर औय अष्टकवगथफर को अरग-अरग कय ददमा जाव तो ग्रह शस्क्त की जानकायी के मरव कुर तेयह प्रकाय के िनमभ ऩयॊ ऩया भें प्र मरत हैं। हो सकता है कक ्मोितष के अन्म ग्रॊथों भें कुछ औय िनमभों का बी उल्रेख हो। इन
ऩरयस्स्थितमों भें ग्रह फराफर से सॊफॊचधत कई गॊबीय प्रश्न वक साथ उऩस्स्थत होते हैं 1 ग्रह फर िनधथरयत कयने का वक बी िनमभ सही होता तो दस ू ये , तीसये , ```````````````````````` फायहवें , तेयहवें िनमभ की फात क्मों आती ?
2 सबी िनमभ ऋवष-भुिनमों की ही दे न हैं। मदद कोई वक िनमभ सही है तो शेष की उऩमोचगता क्मा है ?
3 मदद ग्रह फराफर िनधाथयण भें सबी िनमभों का उऩमोग कयें तो क्मा ग्रहफर की वास्तववक जानकायी हो ऩावगी मा ग्रहफर िनमभों के फी
्मोितषी उरझकय ही यह जावॊगे ?
4 कम्प्मूटय भें ग्रह फराफर से सॊफॊचधत सबी िनमभों को डारकय फायी फायी से मा वक साथ इनकी सत्मता की जॉ
की जाव तो क्मा सपरता मभरने की सॊबावना हैं ?
5 क्मा ग्रह फराफर से सॊफॊचधत सबी िनमभ वक दस ू ये के ऩूयक हैं ? आऩ कुछ उत्तय दें गे , इसे ऩहरे भैं ही उत्तय दे ता हूॊ कक उऩयोक्त िनमभों भें वक बी िनमभ ग्रहफर िनधाथयण के मरव आॊस्ाशक रुऩ से बी सही नहीॊ हैं। शामद इसीमरव पमरत ्मोितष अनभ ु ान का ववषम फना हुआ है । मदद कोई वक िनमभ काभ कयता तो दस ू ये िनमभ की आवश्मकता ही नहीॊ भहसस ू होती। वक िनमभ के ऩयू क िनमभों के रुऩ भें शेष िनमभों को भान
बी मरमा जाव तो व्मावहारयक तौय ऩय इसकी ऩस्ु ाष्ट नहीॊ हो ऩा यही है । ऐसे कई उदाहयण भेये
ऩास हैं , ग्रह फराफर से सॊफॊचधत अचधकाॊश िनमभों के अनस ु ाय ग्रह फरवान होने के फावजद ू ग्रह का पर कभजोय है । िनष्कषZत: इन ऩयॊ ऩयागत सबी िनमभों के सॊदबथ भें मही कहना ाहूॊगा कक इन सबी िनमभों को कम्प्मट ू य भें डारकय ववमबन्न भहत्वऩण ू थ कॊु डमरमों भें इसकी सत्मता की जॉ
की जाव तो ऩरयणाभ कुछ बी नहीॊ िनकरेगा । मह पमरत ्मोितष की सफसे फड़ी
कभजोरयमों भें से वक है ।
पमरत ्मोितष के प्रणेता हभाये ऩू्म ऋवष-भुिनमों , ऩूवज थ ों औय पमरत ्मोितष के ववद्वानों के सभऺ ग्रहशस्क्त के यहस्मों को सभझने की गॊबीय न ु ौती, हय मुग भें उऩस्स्थत यही है । इसमरव उन्होनें ववमबन्न दृस्ाष्टकोणों से ग्रह शस्क्त के यहस्म को उद्घादटत कयने का बयऩूय प्रमास
ककमा। सॊबवत: इसमरव ग्रह-शस्क्त को सभझने से सॊफॊचधत इतने सूरों का उल्रेख ववमबन्न ऩुस्तकों भें दजथ है ।
आज बौितक ववऻान वऩॊड की शस्क्त को उसकी गित , ताऩ , प्रकाश , म् ु फक , ववद्मुत औय
ध्विन के साऩेऺ उसके अस्स्तत्व को स्वीकाय कयता है । ववऻान मह बी कहता है कक ककसी बी शस्क्त को उसके दस ू ये स्वरुऩ भें ऩरयवितथत ककमा जा सकता है । ग्रह भें गित औय प्रकाश है ,
ऩयस्ऩय गुरुत्वाकषZण के कायण प्रत्मेक ग्रह का अऩना वक ववद्मुत- म् ु फकीम ऺेर होता है । सबी आकाशीम वऩॊड ऩयस्ऩय गुरुत्वाकषZण फर औय गित से इतने सशक्त फॊधे हुव हैं कक कयोड़ा़ों वषZ व्मतीत हो जाने के फाद बी अऩने िनमभों का ऩारन मथावत कय यहें हैं। सूमथ से ऩथ् ृ वी 15 कयोड़ ककरोभीटय दयू यहकय सूमथ के
ायो ओय 365 ददन , 5 घा्ॊ ाटे , 48 मभनट औय कुछ सेकण्ड भें वक
ऩरयक्रभा कय रेती है । कयोडों वषोZाॊ के फाद बी वक ऩरयक्रभा की अवचध भें मभनट बय का अॊतय
नहीॊ ऩड़ा। स्भयण यहे , ऩथ् ृ वी अऩने ऩरयभ्रभण ऩथ भें वक मभनट भें रगबग हजाय भीर की गित से सूमथ के
ायो ओय ऩरयक्रभा कयते हुव अग्रसय है । फह ृ स्ऩित जैसा बीभकाम ग्रह सूमथ की ऩरयक्रभा 80 कयोड़ ककरोभीटय की दयू ी ऩय यहते हुव प्रितमभनट रगबग 500 भीर की गित से कय यहा है ।
ग्रहों की गित औय ऩथ् ृ वी ऩय उसकी साऩेक्षऺक गित का प्रबाव ऩथ् ृ वी के ऩरयवेश भें अणु-ऩयभाणुओॊ ऩय ककस ववचध से ऩड़ता हे , मह वैऻािनकों के मरव शोध का ववषम बरे ही हो , हभ ्मोितवषमों को मह सभझ रेना
ादहव कक ग्रह-शस्क्त का साया यहस्म उसकी गित भें तथा उस आकाशीम
वऩॊड की सम ू थ के साथ ऩथ् ृ वी ऩय फन यही कोखणक दयू ी भें ही िछऩा हुआ है । फॊदक ू की गोरी फहुत छोटी होती है , ऩय उसकी शस्क्त उसकी गित के कायण है । हाथ भें वक ऩत्थय का टुकड़ा यखकय रोग अऩने को फरवान सभझ रेते हैं , क्मोंकक ऩत्थय को गित दे कय शस्क्तशारी फनामा जा सकता है । इसी ऩरयप्रेक्ष्म भें ग्रहों की शस्क्त को सभझने की
ष्े टा कयें ,
फॊदक ू की गोरी भें गित के कायण उसकी शस्क्त को सभझने भें कदठनाई नहीॊ होती , ककन्तु
बीभकाम ग्रहों भें उसकी तीव्र गित को दे खते हुव बी उसकी शस्क्त को अन्मर तराशने की ष्े टा की जाती यही है । गित भें शस्क्त के यहस्म को न सभझ ऩाने के कायण ही ऩयॊ ऩयागत ्मोितष भें ग्रह-शस्क्त के िनधाथयण के मरव गित से सॊफॊचधत ककसी सर ू की
ाथ नहीॊ की गमी केवर यास्ाश
स्स्थित भें ही ग्रहों की शस्क्त को ढूॊढ़ने का फहुआमाभी िनष्पर प्रमास ककमा गमा, जफकक ग्रहों के बीभकाम वऩॊड औय उसकी तीव्र गित की तुरना राखों -कयोड़ों ऩयभाणु-फभों से की जा सकती है । ग्रहों के ववमबन्न प्रकाय की गितमों का ऻान हभाये ऩू्म ऋवष-भुिनमों , ्मोितवषमों को ऩूया था। सूम-थ मसिाॊत भें ग्रहों की ववमबन्न गितमों - अितशीघ्री , शीघ्री , सभ , भॊद , कुटीरा , वक्र औय
अितवक्र आदद का उल्रेख है , ककन्तु इन गितमों का उऩमोग केवर ्मोितष के गखणत प्रकयण भें ककमा गमा है । ऩॊ ाॊग-िनभाथण , ग्रहों की स्स्थित के सही आकरण सूम-थ ग्रहण ववॊ द्र ॊ -ग्रहण की
जानकायी के मरव ग्रहों की इन गितमों का प्रमोग ककमा गमा ऩयॊ तु पमरत ्मोितष के ववकास भें इन गितमों का उऩमोग नहीॊ हो सका , क्मोंकक ्मोितवषमों को मह जानकायी नहीॊ हो सकी कक ग्रह-शस्क्त का साया यहस्म ग्रह-गित भें ही िछऩा हुआ है । ऩथ् ृ वी के साऩेऺ ग्रहों की ववमबन्न गितमों के कायण ही उनकी गितज औय स्थैितज ऊजाथ भें सदै व ऩरयवत्र्तन होता यहता है , तदनुरुऩ जातक की प्रवस्ृ त्तमों औय स्वबाव भें ऩरयवत्र्तन होता है । मह बी ध्मातव्म है कक ककसी आकाशीम वऩॊड औय सूमथ के फी
ऩथ् ृ वी ऩय जो कोण फनेगा , वह आकाशीम वऩॊड की ग्रह-गित के
साथ सदै व व्मुत्क्रभानुऩाती सॊफॊध फनावगा।
इस तयह
द्र ॊ भा के प्रकाशभान बाग को भाऩना हो मा अन्म ग्रहों की गित को सभझना हो , सूमथ
से उस वऩॊड की ऩथ् ृ वी ऩय फन यही कोखणक दयू ी को सभझ रेना ऩमाथप्त होगा । इस तयह ग्रह की शस्क्त की जानकायी के मरव अरग से ककसी उऩकयण को फनाने की आवश्मकता नहीॊ है ।
ववमबन्न ग्रहों की शस्क्त के आकरण के मरव इस आधाय ऩय ववमबन्न सूरों का प्रमोग ककमा जा सकता है । इसका ऩूया प्रमोग कय ही पमरत ्मोितष को इसकी ऩहरी कभजोयी से छुटकाया ददरामा जा सकता है । इसकी ऩूयी जानकायी अगरे ककसी ऩुस्तक भेाेाॊ पमरत ्मोितष के
ववऻान प्रकयण के ककसी अध्माम के अॊतगथत की जावगी , स्जससे ककसी ग्रह-शस्क्त की तीव्रता को प्रितशत भें जाना जा सकता है । इसके फाद इस प्रश्न का उत्तय मभर जावगा कक ककस व्मस्क्त के मरव ककस ग्रह की बमू भका सवोऩरय है , कोई व्मस्क्त ककस सॊफॊध भें अचधकतभ ऊॊ ाई ऩय जाने
की ऺभता यखता है तथा उस ऊॊ ाई को प्राप्त कयने का उसे कफ भौका मभरेगा , इसके मरव नई दशा-ऩिित का वक नमा सर ू बी अरग से ववकमसत ककमा गमा है । ग्रह औय याशीश की साऩेक्षऺक गित जातक को सकायात्भक मा नकायात्भक दृस्ाष्टकोण प्रदान कयती है । ग्रह की गित औय ग्रह की सम ू थ से कोखणक दयू ी का ऩयस्ऩय गहया सॊफॊध है , ककन्तु
ककसी बी हारत भें ग्रह-शस्क्त को सभझने के मरव ऩयॊ ऩयागत िनमभों भें वक बी िनमभ ग्रहशस्क्त के भूर स्रोत से सॊफॊचधत नहीॊ हैं। जफ ककसी वक ग्रह की शस्क्त का सही भूल्माॊकण नहीॊ ककमा जा सकता तो फहुत से ग्रहों की मुित , ववमुित औय साऩेक्षऺक ग्रहों की स्स्थित का भूल्माॊकण कदावऩ नहीॊ ककमा जा सकता। इस
तयह ववमबन्न याजमोग , दरयद्र मोग , भत्ृ मुमोग , मा अिनष्टकय मोगों का कोई ववशेष अथथ नहीॊ यह जाता। सबी मोगों की व्माख्मा अनुभान ऩय आधारयत हो जाती है । मह पमरत ्मोितष की दस ू यी फड़ी कभजोयी है । मही कायण है कक वक ही कॊु डरी ववमबन्न ्मोितवषमों की नजय भें
मबन्न-मबन्न तयह से ऩरयरक्षऺत होती है । सबी का िनष्कषZ वक नहीॊ होता। सबी याजमोगों को स भु
भहत्वऩूणथ फनाने के मरव स्थैितज धनात्भक ग्रहों को मोग भें बागीदाय फनाना आवश्मक
शतथ होगी । उ्
गखणत के सॊबावनावाद का प्रमोग कयके इसे अऩेऺाकृत ववयर फनाना होगा।
तबी पमरत ्मोितष की दस ू यी फड़ी कभजोयी से छुटकाया ऩामा जा सकता है ।
पमरत ्मोितष की तीसयी औय सफसे फड़ी कभजोयी ` ववॊशोत्तयी दशा ऩिित ´ है , स्जसऩय बायतीम ्मोितवषमों को नाज है तथा स्जसकी जानकायी के फाद ही वे भहसूस कयते हैं कक वे ऩाश् ात्म ्मोितवषमों से अचधक जानकायी यखते हैं , क्मोंकक ऩाश् ात्म ्मोितवषमों कों केवर
गो य के ग्रहों का ही ऻान होता है , जफकक बायत के ्मोितवषमों को गो य के अितरयक्त ऐसे
सूरों की बी जानकायी है , स्जससे ववमबन्न ग्रहों का परापर जीवन के ककस बाग भें होगा , की स्ऩष्ट व्माख्मा की जा सकती है मािन कोई ग्रह जीवन भें कफ पर प्रदान कयें गे , बायत के ्मोितषी ववशोत्तयी ऩिित से इसकी स्ऩष्ट व्माख्मा कय सकते हैं। ककन्तु भेया भानना है कक ववॊशोत्तयी ऩिित से दयू स्थ बववष्मवाणी की ही नहीॊ जा सकती है ।
िनकटस्थ बववष्मवाखणमॉ अनुभान ऩय आधारयत होती हैं औय घदटत घटनाओॊ को सही ठहयाने के मरव ववॊशोत्तयी ऩिित फहुत ही फदढ़मा आधाय है , क्मोंकक ववॊशोत्तयी ऩिित भें वक ग्रह अऩनी भहादशा का पर प्रस्तुत कयता है , दस ू या अॊतदथ शा का , तीसया प्रत्मॊतयदशा का तथा ौथा
सक्ष् ू भदशा का । कल्ऩना कीस्जव , ्मोितषीम गणना भें भहादशावारा ग्रह कापी अ्छा पर प्रदा
कयनेवारा है , अॊतदथ शा का ग्रह फहुत फयु ा पर प्रदान कयने की सू ना दे यहा है । प्रत्मॊतय दशा का ग्रह साभान्म अ्छा औय सक्ष् ू भ भहादशा का ग्रह साभान्म फयु ा पर दे ने का सॊकेत कय यहा हो , इन ऩरयस्स्थितमों भें ककसी के साथ अ्छी से अ्छी औय ककसी के साथ फुयी से फयु ी मा कुछ बी घदटत हो जाव , हे ड हो जाव मा टे र, ककसी बी ्मोितषी के मरव अऩनी फात , अऩनी
व्माख्मा , अऩनी बववष्मवाणी को सही ठहया ऩाने का ऩमाथप्त अवसय मभर जाता है । रेककन इतना तो तम है कक कोई बी ्मोितषी सॊसाय के मरव ककतनी बी बववष्मवाणी क्मो न कय रे , ववॊशोत्तयी ऩिित से अऩने मरव कोई बववष्मवाणी नहीॊ कय ऩातें । इस दशा-ऩिित के जानकाय के मरव इससे फड़ी दद ु थ शा औय क्मा हो सकती है ? ककसी ग्रह की शस्क्त ककतनी है , उसके याशीश की शस्क्त ककतनी है , वह ऩथ् ृ वी से ककतनी दयू ी
ऩय स्स्थत है , वह ककस उम्र का प्रतीक ग्रह है , इन सफ फातों से ववॊशोत्तयी दशा ऩिित का कोई सॊफॊध नहीॊ है । जन्भकारीन
द्र ॊ भा ऩुष्म नऺर भें स्स्थत हो , तो वि ृ ावस्था के ग्रह शिन को काभ
कयने का अवसय फाल्मावस्था भें ही प्राप्त हो गमा , कपय ववॊशोत्तयी क्रभ से अववशष्ट ग्रह अऩना काभ कयते यहें गे।
सबी ्मोितषी इस फात से मबऻ हैं कक फह ृ स्ऩित सबी ग्रहों भें सफसे फड़ा है , वक यास्ाश भें वक
वषZ यहता है । कल्ऩना कयें , ककसी वषZ भें ष यास्ाश भें फह ृ स्ऩित स्स्थत हो तो उस वषZ भेष र्न के स्जतने बी व्मस्क्त ऩैदा होंगे , सबी की कॊु डरी भें र्न भें फुहस्ऩित होगा। सबी कॊु डमरमों भें नवभेश औय व्ममेश फह ृ स्ऩित र्न भें स्स्थत होने से इस ग्रह की नैसचगZक औय बावाचधऩत्म
ववशेषतावॊ वक जैसी होंगी। प्रत्मेक ददन नौ ददनों तक उसी र्न की उसी डडग्री भें फ् े ऩैदा होते रे जावॊ , जो बफल्कुर असॊबव नहीॊ , सबी जातकों के जीवन भें फह ृ स्ऩित के प्रितपरन कार की
जानकायी दे नी हो तो
कूॊ क फह ृ स्ऩित के साऩेऺ अन्म ग्रहों की स्स्थित भें फड़ा ऩरयवत्र्तन नहीॊ होगा
तो परापर भें बी हय फ् े भें सभानता मभर जावगी। ककन्तु फह ृ स्ऩित के परप्रास्प्त का भुख्म कार ववॊशोत्तयी दशा का के अनुसाय उछर-कूद कयता हुआ मभर जावगा , स्जसे िनम्न प्रकाय ददखामा जा सकता है -जातक का जन्भ मािन जन्भ के सभम
द्र ॊ भा फह ृ स्ऩित के भुख्म कार का आयॊ ब
स्अश्वनी नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 0 डडग्री भें हो 68 वषZ की उम्र के फाद बयणी नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 13 डडग्री भें हो 61 वषZ की उम्र के फाद
कृितका नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 27 डडग्री भें हो 41 व‘ााZ की उम्र के फाद योदहणी नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 40 डडग्री भें हो 35 वषZ की उम्र के फाद
भचृ गशया नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 53 डडग्री भें हो 25 वषZ की उम्र के फाद आद्रा नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 67 डडग्री भें हो 18 वषZ की उम्र के फाद ऩन ु वथसु नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 80 डडग्री भें हो जन्भ के तयु ॊ त फाद
ऩष्ु म नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 93 डडग्री भें हो 104 वषZ की उम्र के फाद
अश्रेषा नऺर के आयॊ ब भें आसभान के 107 डडग्री भें हो 85 वषZ की उम्र के फाद महॉ गौय कयने की फात मह है कक आज स्जस सभम ऩन ु वथसु के
द्र ॊ भें स्जस सभम फ् े का
जन्भ हुआ , ठीक 24 घॊटे फाद कर इसी सभम दस ू ये फ् े का जन्भ हो , तो इन दोनो कुडमरमों भें र्न के साथ साथ सबी बावों भें ग्रहों की वही स्स्थित होगी। केवर द्र ॊ भा दस ू यी कॊु डरी भें
13 डडग्री 20 मभनट की अचधक दयू ी ऩय होगा । इतने ही अॊतय के कायण फह ृ स्ऩित वक जातक के मरव अऩना भुख्म पर फाल्मावस्था भें ही प्रदान कये गा , तो दस ू ये जातक को वह पर
अितवि ृ ावस्था भें प्रदान कयने के मरव फाध्म होगा । इससे बी अचधक गॊबीय ऩरयस्स्थित तफ
उत्ऩन्न हााोगी , जफ दो फ् े वक ही र्न भें ऩुनवथसु औय ऩुष्म नऺर के सॊचधकार भें जन्भ
रेंगे । स्जस जातक का जन्भ ऩुनवथसु नऺर भें होगा , वक ही र्न औय वक ही ग्रह स्स्थित के
फावजूद ऩहरे फ े को फह ृ स्ऩित से सॊफॊचधत पर की प्रास्प्त जन्भकार भें होगी तथा कुछ ही ऺणों फाद जन्भ रेनेवारे जातक को फह ृ स्ऩित का भुख्म पर 104 वषZ के फाद प्राप्त होगा। मह िनमभ केवर फह ृ स्ऩित के मरव ही रागू नहीॊ होगा , शेष ग्रहों के कार भें बी फदराव आवगा , क्मोंकक शेष ग्रह बी अऩना पर प्रदान कयने के मरव क्मू भें खड़े हैं। स्थान ऩरयवत्र्तन मसपथ
द्र ॊ भा का
हुआ , ऩय पर प्रदान कयनेवारे सबी ग्रहों के दशाकार भें बायी उरटपेय हो गमा। इस प्रकाय के भत्काय को कोई बी ववऻानसम्भत नहीॊ भान सकता । जफ सॊऩूणथ ववॊशोत्तयी ऩिित ही
वैऻािनकता के दामये से फाहय िनकर जाती है , तो इसी ऩिित ऩय आधारयत कृष्णभूितथ ऩिित की वैऻािनकता बी स्वत: सॊदद्ध हो जाती है ।
ग्रहों की वक्रता के सॊफॊध भें फहुत साये रेख ववमबन्न ऩर-ऩित ्यकाओॊ भें दे खने को मभरे , ककन्तु वक बी रेखक आत्भववश्वास के साथ िनणथमात्भक स्वय भें , फेदह क मह कहने भें सऺभ नहीॊ हैं कक वक्री ग्रह अ्छा पर दे तें हैं मा फुया। मदद मे अ्छा पर दे ते हैं तो कफ औय मदद फुया पर दे ते हैं तो कफ ? सॊऩूणथ जीवन भें ककन ऩरयस्स्थितमों भें इनका केवर फुया पर ही प्राप्त होता है ।
ककन ऩरयस्स्थितमों भें वक्री ग्रह का जीवन के अचधकाॊश सभम भें अ्छा पर प्राप्त होता है ? इस प्रश्न के उत्तय दे ने भें हभें कोई कदठनाई नहीॊ है , क्मोंकक हभें सही दशा ऩिित की जानकायी है , ऩयॊ तु स्जसे नहीॊ है , वे इस प्रश्न का उत्तय दे ने भें अवश्म ही कदठनाई भहसस ू कयें गे। इस प्रकाय के आरो ात्भक फातों से पमरत ्मोितष के ऐसे बक्तों को फहुत फाय कष्ट ऩहुॊ ा क ु ा हॊ ाॊाू , जो पमरत ्मोितष के स्वरुऩ भें कोई ऩरयवत्र्तन नहीॊ ाहते। वे इन आरो नाओॊ को ऋा़वष ऩयाशय औय जैमभनी की अवभानना से जोड़ दे ते हैं। ककन्तु भेयी दृस्ाष्ट भें पमरत ्मोितष के िनमभों की प्राभाखणकता मा वैऻािनकता को मसि कयने के मरव ककसी साक्ष्म की कोई आवश्मकता नहीॊ है । पमरत ्मोितष भें वही िनमभ सही भाने जा सकते हैं , स्जनसे बववष्मवाखणमॉ खयी उतयती यहे । जफतक पमरत ्मोितष के अनुऩमोगी िनमभों को हटा नहीॊ ददमा जाव , इसे ववऻान का दजाथ नहीॊ ददरामा जा सकता। साथ ही सही िनमभों की खोज भें
सॊर्न यहना होगा। पमरत ्मोितष के ववकास भें गखणत औय बौितक ववऻान के साथ धनात्भक सहसॊफध स्थावऩत कयना होगा। सन ् 1975 जुराई के `्मोितष-भातथण्ड ´ ऩित ्यका भे भेया वक रेख ` दशाकार िनयऩेऺ अनुबूत तथ्म ´ प्रकास्ाशत हुआ था , स्जसभें कायणों सदहत मह उल्रेख ककमा गमा था कक जन्भ से 12 वषZ की उम्र तक द्र ॊ भा , 12 से 24 वषZ की उम्र तक फुध , 24 से 36
वषZ की उम्र तक भॊगर , 36 से 48 वषZ की उम्र तक शुक्र , 48 से 60 वषZ की उम्र तक सूमथ , 60 से 72 वषZ की उम्र तक फह ृ स्ऩित , 72 से 84 वषZ की उम्र तक शिन , 84 से 96 वषZ की उम्र तक मूयेनस , 96 से 108 वषZ की उम्र तक नेऩ्मून औय 108 से 120 वषZ की उम्र तक प्रूटो अऩनी
शस्क्त के अनस ु ाय भानवजीवन ऩय अऩना अ्छा मा फयु ा प्रबाााव डारते हैं। दे श-ववदे श के प्रफि ु ऩाठकों का सभद ु ाम इस उद्घोवषत नमी दशा-ऩिित की सॊऩस्ु ाष्ट भें िनम्न सत्म का अवरोकण कयें ----
1 स्जन कॊु डमरमों भें
द्र ॊ भा अभावस्मा के िनकट का होता है , वे सबी जातक 5-6 वषZ की उम्र भें
भनोवैऻािनक रुऩ से कभजोय होते हैं। उनके फ ऩन भें भन को कभजोय फनानेवारी घटनावॊ घदटत होती हैं
2 स्जन कॊु डमरमों भें फध ु फहुत वक्र है , उन जातकों का 17-18वॉ वषZ कष्टकय होता है ।
3 स्जन कॊु डमरमों भें भॊगर फहुत वक्र है , उन जातकों का 29-30वॉ वषZ कष्टकय होता है । 4 स्जन कॊु डमरमों भें शुक्र फहुत वक्र है , उन जातकों का 41-42 वॉ वषZ कष्टकय होता है ।
5 स्जन कॊु डमरमों भें सूमथ अितशीघ्री ग्रह की यास्ाश भें स्स्थत होता है , उनका 53-54 वॉ वषZ कष्टप्रद होता है ।
6 स्जन कॊु डमरमों भें फह ृ स्ऩित फहुत वक्र हो , उन जातकों का 65-66 वॉ वषZ कष्टकय होता है । 7 स्जन कॊु डमरमों भें शिन फहुत वक्र हो , उन जातकों का 77-78 वॉ वषZ कष्टकय होता है । भै सभझता हॊ ाू कक उऩयोक्त वैऻािनक तथ्म इतने सटीक हैं कक वक बी अऩवाद आऩ प्रस्तुत नहीॊ कय ऩावॊगे।
ऩयॊ ऩयागत पमरत ्मोितष की आरो ना मा सभीऺा से ककसी को बी ऩये शान होने की जरुयत नहीॊ है , क्मोंकक अनावश्मक िनमभों की खर ु कय आरो ना कयते हुव वैकस्ल्ऩक व्मवस्था के रुऩ भें वैऻािनक िनमभों ऩय आधारयत पमरत ्मोितष के नव िनमभों को बी भैने प्रस्तत ु ककमा है ।
भै गत्मात्भक दृस्ाष्टकोण से बववष्मवाणी कयते हुव ऩण ू थ आश्वस्त यहता हॊ ाू ककन्तु अबी बी ऐसे फहुत साये ऩहरू हैं ,स्जन्हें ववकमसत कयने के मरव वैऻािनक दृस्ाष्टकोण की आवश्मकता है । इसके मरव रम्फी अवचध तक राखों रोगों को अनस ु ॊधान भें सॊर्न यहना होगा । ग्रह की सॊऩण ू थ शस्क्त उसके प्रकाशभान बाग , उसकी गित औय सूमथ से इसकी कोखणक दयू ी भें अॊितनथदहत है , अन्मर कहीॊ नहीॊ , इस फात को सभझना होगा। हय व्मस्क्त के जन्भकार से ही
ॊद्रभा के कार का
आयॊ ब हो जाता है , इसके फाद फुध , कपय भॊगर , शुक्र , सूमथ , फह ृ स्ऩित औय शिन का कार आता है । प्रत्मेक का कार 12 वषोZाॊ का होता है । प्रत्मेक ग्रह अऩनी शस्क्त के अनुसाय ही अऩने कार
भें पर प्रदान कयता है । भानव-जीवन भें ग्रहों के प्रितपरन कार को सभझने के मरव गत्मात्भक दशा ऩिित पमरत ्मोितष को वैऻािनक आधाय प्रदान कय यहा है , इसभें ककसी प्रकाय का सॊशम नहीॊ। प्रस्तत ु कताथ ववशेष कुभाय ऩय 4:28 am 8 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
फह ृ स्ऩतिवाय, 4 िसिम्फय2008 ्मोतिष़ीक ािववादास्ऩदसाभाक्जक भहत्व ्मोितषी भहाभानव मा बगवान का अवताय नहीॊ
हय स्जरे भें अिनवामथत: वक स्जराधीश होता है , ककन्तु कई स्जरों भें बटकने के फाद बी वक
सही ्मोितषी से बें ट नहीॊ हो ऩाती , ऐसा रोगों का भानना है । इस ववयरता का मह अथथ कदावऩ नहीॊ कक ्मोितषी कोई भहाभानव मा बगवान का अवताय होता है , जैसा कक रोग सों ते हैं औय ्मोितषी से फहुत अचधक अऩेऺा कयते हैं। वे सभझते हैं कक ्मोितषी को न मसपथ सबी फातों की जानकायी होती है , वयन ् वे सबी जदटरताओॊ का इराज बी कय सकते हैं। रेककन वास्तव भें ऐसी कोई फात नहीॊ होती। भै मह स्वीकाय कयता हूॊ कक बववष्म की जानकायी के मरव पमरत ्मोितष के मसवा कोई दस ू यी ववद्मा सहामक नहीॊ हो सकती औय ककसी व्मस्क्त का मह फड़ा सौबा्म है कक इसकी जानकायी उसे होती है , ककन्तु ककसी बी हारत भें वह सवथऻ नहीॊ हो सकता।
अबी तक पमरत ्मोितष ववकासशीर ववद्मा ही है , ऩण ू थ ववकमसत मा ववऻान का स्वरुऩ प्राप्त कयने भें अबी कापी ववरम्फ है । ऐसी स्स्थित भें इसका सहाया रेकय वाॊिछत िनष्कषथ प्राप्त कय रेना कापी कदठन कामथ है । फस्ु ािभान ्मोितषी को बी ककसी िनष्कषथ तक ऩहुॊ ने भें अऩने अॊत:कयण की आवाज मा अनभ ु ान का आॊस्ाशक तौय ऩय सहाया रेना ही ऩड़ता है । असाधायणत्व की यऺा के मरव सॊदद्ध आ यण अक्सय मह दे खा गमा है कक इस अनुभान की जगह ्मोितषी धत्र्ू तता का सहाया रेते हैं। मह
सत्म है कक स्जस तयह के साधन का उऩमोग ककमा जाता है , साध्म बी उसी अनुरुऩ हो जाता है । पमरत ्मोितष की फहुत सायी रदु टमो के कायण इस सभम ककसी रगनशीर सभवऩथत ्मोितषी द्वाया बी की जानेवारी बववष्मवाणी बी अववकमसत आधाय के कायण रदु टऩूणथ ही प्राप्त होगी।
इस ऩरयस्स्थित भें पमरत ्मोितष के जानकाय मसि ऩुरुष , भहाभानव मा बगवान के अवताय हो ही नहीॊ सकते। इस प्रकाय का ढोंग बी अ्छा नहीॊ रगता। पमरत ्मोितष के अध्मेता इन कभजोरयमों से बरी-बॉित ऩरयच त हैं। वे अन्म ववद्माओॊ के जानकाय की तयह ही पमरत ्मोितष के जानकाय हैं। ग्रहों के परापर की जानकायी कुछ सर ू ों , मसिाॊतों औय गणना के
आधाय ऩय प्राप्त कय रेते हैं। उन मसिाॊतों , सर ू ों मा गणना की ऩिित की स्जसे जानकायी हो जावगी , वह वह बी सतत ् अभ्मास से वाॊिछत पर को प्राप्त कय सकता है । इस ऩरयप्रेक्ष्म भें
कोई ्मोितषी अऩने को मबन्न सभझे मा रोग उसे असाधायण सभझने रगें तो आभरोगों की अऩेऺावॊ िनस्ाश् त तौय ऩय फरवती हो जावॊगी। आभरोग ्मोितवषमों से अचधक अऩेऺा यखते हैं , इसीमरव इन्हें मसिऩरु ु ष बी सभझने रगते हैं। इधय ्मोितषी बी इनके भनोबावों को सभझकय अऩनी वेश-बष ू ा , खान-ऩान , यहन-सहन ,
ददन माथ , को असाधायण औय मबन्न फनाकय रोगों की अऩेऺाओॊ भें वस्ृ ाि ही कयते हैं। ककन्तु
ककसी की अचधक अऩेऺा कयने से तथा उनकी भनोकाभना की ऩूितथ की ददशा भें कोई मभथ्मा आश्वासन दे ने के फी
वक फड़ी खाई फन जाती है । भजफूयन तथाकचथत असाधायण व्मस्क्त अऩने
असाधायणत्व की यऺा के मरव तयह-तयह के झूठ-स
सफका सहाया रेते हैं औय अॊतत: उनका
व्मस्क्तत्व सॊदद्ध हो जाता है । ककसी ववऻान का ववकास ऐसे भहाभानवों से कदावऩ नहीॊ हो सकता , जो फाफा मा बगवान कहराने भें गवथ भहसूस कयते हों औय कपय सॊदद्ध आ यण को प्रस्तुत कयते हों।
वक ्मोितषी बी ग्रहों से सॊ ामरत है भै कहना
ाहता हूॊ कक ्मोितषी बी वक भनुष्म है , वह बी ग्रहों से सॊ ामरत है । ककसी वक ग्रह की वजह से ्मोितष प्रकयण की उसे ववशेष सकायात्भक जानकायी हो गमी है । हो सकता है , अन्म ग्रहों का बी सहमोग इस ववशेष ददशा भें प्राप्त हो गमा हो। िनस्सॊदेह ऐसी ऩरयस्स्थितमों भें उसे ्मोितष शास्र का ववशेष ऻान प्राप्त हो गमा हो औय इसके ववकमसत होने की सॊबावना फढ़े गी , स्जससे रोगो का दृस्ाष्टकोण भें ऩरयवत्र्तन हााेा़ गा , रोग सत्म के अचधक िनकट होंगे।
ग्रह परापर की सही जानकायी से रोग अचधक सुखी हो सकते हैं , ककन्तु व्मस्क्त मा भहाभानव कोई बी हो , सबी के मरव अ्छे मा फुये ग्रहों का कार उऩस्स्थत होता यहता है ।
सॊसाय का िनभाथण ही धनात्भकता औय ऋणात्भकता के सॊमोग से हुआ है । अत: ककसी ्मोितषी को बववष्मद्रष्टा मा दयू ददशZता से सॊमुक्त वक भनुष्म से अचधक सभझने की फात नहीॊ होनी
ादहव। सॊसाय भें इनकी बी फहुत सायी सभस्मावॊ हो सकती हैं। इनके शयीय भें ककसी प्रकाय की जदटरतावॊ आ जावॊ तो इन्हें डॉक्टय के ऩास जाना ऩड़ सकता है । इनका बी अऩना ऩरयवाय होता है , स्जसके सदस्मो की दे खबार के मरव इनको धन की बी आवश्मकता होती है । इनके बी फॊध-ु फाॊधव होते हैं , स्जनका ख्मार यखना ऩड़ता है । मे बी सॊऩस्त्त औय स्थािमत्व की अमबराषा यखते
हैं । इनकी बी सॊतानें होती हैं औय वे इन्हें सुस्ाशक्षऺत फनाकय अचधकायी फनाने का सऩना दे खते हैं। मे अऩने अहॊ की यऺा के मरव अऩने प्रबाव को प्रददशZत कयने भें तिनक बी सॊको
नहीॊ
कयते हैं। ्मोितषी बी शयीयधायी हैं औय इनके शयीय भें सबी ग्रॊचथमॉ भौजद ू हैं। स्वाबाववक है , इनकी सबी इॊदद्रमॉ स त े न होंगी। अत: इनके मरव बी अ्छी गह ृ स्थी औय ववश्राभागाय आवश्मक है ।
जनसाभान्म की तयह ही काभ , िनद्रा , ऺुधा , िनत्मकभथ भें िनममभतता इनके मरव आवश्मक हैं। सभाज या्म भें अऩने व स् थ व , प्रबाव औय प्रितष्ठा को फनाव यखने की मे अमबराषा यखते होंगे।
भानवीम स्वबाव के अनुरुऩ ही मदद वे सभाज को कुछ दे यहें होंगे , तो कुछ प्रास्प्त की आशा बी भन भें सॊजोव होंगे। इनके जीवन का बी कुछ अबीष्ट होगा , स्जससे वे सॊमुक्त होना
ाहते
होंगे।
वक ्मोितषी को बी उच त पी की आवश्मकता होती है मे ब्रहभवेत्ता हैं , मे बववष्मद्रष्टा हैं , मे भहाभानव हैं , महॉ तक कक मे बगवान हैं , अत: साॊसारयकता से इन्हें कोई भतरफ नहीॊ है , जफ रोग ककसी के प्रित ऐसी फातें सों ने रगतें हैं तो वह व्मस्क्त बी जाने अनजाने वैसा ही आ यण रोगों के सम्भुख प्रस्तुत कयता है । सन्मासी की वेश-बूषा धायण कय वह मह मसि कयने की
ष्े टा कयता है कक उसके शयीय की यऺा औय साज-
सजावट के मरव कभ से कभ वस्रों की आवश्मकता है । दाढ़ी-भूॊछ औय जटा-जूट यखकय वह
प्रकृित के अचधक िनकट होने की ढोंग कयता हैं। वह सादे यहन-सहन औय उ् वव ायधाया के प्रदशZन का स्वाॊग य ता है , बगवान का वजेंट होने का दावा कयता है , ककन्तु फहुत सायी कहािनमों भें आऩने ऩढ़ा होगा कक ऐसे मरफास के अॊदय फहुत ही क्रूय अभानवीम व्मस्क्त छुऩा
होता है । ऊऩय से सन्मासी की वेश-बूषा धायण कयनेवारा व्मस्क्त रुटेया मा डकैत होता है । रोग उसे ठगना ाहते हैं , वह रोगों को ठगकय
रा जाता है । महॉ न्मूटन का तीसया िनमभ रागू
होता है । ककसी ्मोितषी को भाभूरी दक्षऺणा दे कय वे अऩनी ड्मूटी ऩूयी कय रेते हैं , मह सों ते
हुव कक ्मोितषी को बरा धन की क्मा आवश्मकता , ऩय ्मोितषी को रगता है , इस ब्रहभऻान के फदरे इतनी भाभूरी सी दक्षऺणा , स्जससे ऩरयवाय का बयण-ऩोषण बी ढॊ ग से नहीॊ ककमा जा
सकता। फाफा द्वाया िनकारे गव दस ू ये यास्ते भें आऩ कभथकाॊड भें इस प्रकाय उरझा ददव जाते हैं , कक उनकी जेफ फदढ़मा से कट जाती है । फाफा अ्छी तयह जानते हैं कक इस दिु नमा भें कभ से
कभ ऩढ़ा-मरखा व्मस्क्त बी अ्छी कभाई कय रेता है , जफ उन्हें ऩैसे-ऩैसे के मरव ही भुहॊताज यहना ऩड़े , तो कपय इस ब्रहभववद्मा की जानकायी से क्मा राब ?
डॉक्टय , इॊस्जिनमय , वकीर अऩेऺाकृत कभ जानकायी के फाद बी अचधक से अचधक धन अस्जथत कयने भें सऺभ हैं। मही नहीॊ , उनके सहमोगी क्वैक डॉक्टय , न ै भैन मा भॊश ु ी बी नाजामज
कभाई कयके प्र यु धन अस्जथत कय रेते हैं। ऐसी ऩरयस्स्थित भें भाभर ू ी दक्षऺणा भें कोई ्मोितषी इस ववद्मा भें ककस प्रकाय ऩण ू थ सभवऩथत हो सकता है ? सयकायी व्मवस्था बी ऐसी कक डडग्री ,
डडप्रोभा प्राप्त कयनेवारे व्मस्क्त को सयकायी नौकयी मभर बी सकती है , ऩय पमरत ्मोितष के जानकाय को नहीॊ। अत: ब्रहभववद्मा के जानकाय दै वऻ फाफा अऩनी आचथथक स्स्थित भजफत ू कयने भें ठगी औय धत्र्ू तता का सहाया रेते हैं।
जो ्मोितषी साभान्म व्मस्क्त की तयह अऩने घय भें यहकय पमरत ्मोितष के अध्ममन भें जीजान से जुटा हो , उसे भाभूरी व्मस्क्त सभझकय ऩेश आमा जाता है । मदद उसकी आचथथक
स्स्थित कभजोय है औय उसके सभऺ स्थािमत्व का सॊाॊकट है तो उसे सही ऩारयश्रमभक दे कय बी उसे उफाया नहीॊ जाता है , सफको रगता है कक उनके ऩैसे का दरु ु ऩमोग न हो जाव । वक
्मोितषी तो फाफाजी होता है , उसे स्थािमत्व की क्मा आवश्मकता ? उसे तो आश्रभ भें होना ादहव , जहॉ घय-गह ृ स्थी का कोई झभेरा न हो । वे आश्रभ भें यहकय इस ववद्मा को अचधक
ववकमसत कय ऩावॊगे , ऐसा सफका भनोबाव होता है । इस भनोबाव को फाफा अ्छी तयह सभझने रगे हैं , इसमरव वे आश्रभ भें ही यहने रगे हैं। बीड़ बाड़ से दयू स्स्थत होता है फाफा का आश्रभ हय आश्रभ बीड़-बाड़ से दयू प्राकृितक सष ु भाओॊ से सॊमक् ु त कापी ववस्तत ृ जभीन ऩय होता है । वक सभाजसेवी सॊस्था के रुऩ भें इसके ववकास का सॊकल्ऩ होता है । इसके फहुत साये ववबाग होते हैं। इसके मरव फड़ी फड़ी इभायतों की जरुयत होती है । रोगों के सवाांगीन ववकास के साथ साथ
फहुआमाभी सख ु -सवु वधाओॊ का सॊकल्ऩ होता है । महॉ दै दहक , दै ववक , बौितक ताऩ ककसी को नहीॊ होना ादहव। नय-नायी का कोई बेद नहीॊ होता , सफके भनोवैऻािनक सख ु औय सॊतस्ु ाष्ट के मरव आश्रभ उन्भक् ु त , स्व्छॊ द बोग ववरास की ऩष्ु ऩवादटका होती है । सबी उ् सॊगित का
यसास्वादन कयते हैं। ऐसे स्वगीम सुख को प्राप्त कयने के मरव यभणीक स्थर का ववकास ककमा
जाता है , स्जसके मरव ऩमाथप्त धन की आवश्मकता होती है । खास अवसयों ऩय महॉ फड़े-फड़े उत्सव का आमोजन होता है । हजायो औय राखों की सॊख्मा भें बीड़ वकित ्यत होती है । बक्त फहुत ही गदगद होकय फड़ी श्रिा के साथ ऺणबय भें दान-दक्षऺणा भें राखों कयोड़ों वकित ्यत कय दे ाे हैं।
आश्रभवारे फाफा ववशेष उत्सव के अवसय ऩय साज-सजावट भें स्जतना ही अचधक ताभझाभ प्रस्तुत कयते हैं , स्जतने ही आधिु नक सॊसाधनों का उऩमोग कयते हैं , द ॊ े की यकभ उसी के अनुऩात भें कई गुणा अचधक फढ़ते हुव क्रभ भें होती है । इस तयह बीड़-बाड़ , ताभ-झाभ औय सभस्ृ ाि ही उनके आध्मास्ात्भक ववकास औय गुण-ऻान की गहयाई का ऩरय ामक फन जाती है , जफकक स तो मह है कक प्रमोगशारा भें तल्रीन खेजकत्र्ता के मरव बीड़-बाड़ , ताभझाभ मा फड़े धन की आवश्मकता नहीॊ होती। उऩयोक्त व्माख्मा का मह कदावऩ अथथ नहीॊ कक भै फड़ी सॊस्था मा आश्रभ का ऩऺधय नहीॊ हूॊ। ववश्वकवव यववन्द्र नाथ टै गोय ने वोरऩुय के आश्रभ शाॊित-िनकेतन को ववश्वववद्मारम का स्वरुऩ
प्रदान ककमा। श्रीयाभ शभाथ आ ामथ ने भथयु ा के अऩने आश्रभ को गामरी भॊर के भाध्मभ से जन-
जागयण औय आध्मास्ात्भक ववकास का उत्कृष्ट भॊ
फना ददमा है । सॊसाय के सबी ववद्मारमों को
राने के मरव फड़े ऩैभाने ऩय धन औय सॊसाधन की आवश्मकता होती ही है , ककन्तु
सॊ ारनकत्र्ता के गुण-अवगुण की ऩयीऺा कयने भें
क ू हुई तो आश्रभ वारे फाफा ववयाट स्तय ऩय व्मामब ाय के साथ ही साथ याष्ट्रीम-अॊतयाथष्ट्रीम चगयोह के सयगना के रुऩ भें काााभ कयना आयॊ ब कय दे ते हैं। ककसी ववश्वववद्मारम की ऩढ़ाई-मरखाई मा प्रमोगशारा के प्रमोग भें धनागभ औय ख थ का िनममभत रेखा-जोखा होता है । आश्रभ का रेखा-जोखा , दहसाफ-ककताफ फाफा की इ्छा होती है । ववश्वववद्मारम के उऩकुरऩित , प्रा ामथ औय हय ववबाग के अध्मऺों की शैऺखणक औय फौस्ािक मो्मता खर ु ी ककताफ की तयह होती है , हो सकता है , महॉ बी कुछ घऩरा हो , ककन्तु आश्रभ के भौनी फाफा औय उनकी सॊऩण ू थ कामथवाही यहस्मात्भक होने के कायण सॊदेह के घेये भें
होती है । वहॉ अ्छाइमों के साथ ही साथ फयु ाइमों के ऩनऩने की ऩयू ी सॊबावना होती है । अत: फहुत सायी ववशेषताओॊ के फावजद ू भानव को भहाभानव सभझने की बर ू न कयें , ककसी ्मोितषी को
फाफा , सस्ृ ाष्टकत्र्ता , जन्भदाता मा बगवान नहीॊ सभझें। मदद आत्भा कहे तो गरु ु जी मा आ ामथ कहना ही कापी होगा।
भाभूरी बूर बी ववयस्क्त का कायण फन जाती है कहने का अमबप्राम मह है कक स्जस फाफा भें भानवीम गुणों का अत्मचधक ववकास हो
क ु ा है , जो
अऩने नैसचगZक गुणों के ववकास के कायण रोक-भॊगर की काभना औय तद्नुरुऩ आ यण के मरव ववख्मात है , स्जन्हें ईश्वय के सही स्वरुऩ का फोध हो
क ु ा है मा जो ब्रहभववद्मा के
जानकाय हैं , वे बी शयीय धायण कयने की वजह से सॊाासायी है तथा सॊाासारयक आवश्मताओॊ कोाे भहसूस कयते हैं। अत: फाफा फनाकय उन्हें उनके अचधकायों से वॊच त न कयें , अन्मथा अऩनी जरुयतों के मरव वे जो यास्ता अऩनावॊगे , वह आऩको नागवाय रग सकता है ।
ककसी से अचधक अऩेऺावॊ यखने से उसकी भाभूरी बूर बी ववयस्क्त का कायण फन सकती है । मही कायण है कक ्मोितषी की वक बी बववष्मवाणी गरत होने ऩय रोग ववऺुधध हो जाते हैं , उनकी आस्था वहॉ ऩय घटने रगती है , उनका ववद्रोहात्भक स्वरुऩ उबयने रगता है , जफकक स
तो मह
है कक हय भनष्ु म से बर ू होती है , ्मोितषी से बी बर ू हो सकती है । अयफों रुऩव ख थ कयके
वैऻािनक वक उऩग्रह छोड़ता है ,कुछ ही दे य फाद वह ऩथ् ृ वी ऩय चगय जाता है , उऩग्रह के ध्वस्त
होने से दे श की फड़ी ऩॊज ू ी नष्ट होती है , फहुत साये वैऻािनकों का वषोZाॊ का ऩरयश्रभ फवाथद होता है , इस प्रकाय के प्रमोग भें कल्ऩना ावरा जैसी भूल्मवान वैऻािनक भायी जाती हैं , ककन्तु इसके मरव वैऻािनकों की मो्मता को
न ु ौती नहीॊ दी जा सकती। उनके दोषों को ऺभा कय ददमा जाता
हैं , मह सों ते हुव कक वैऻािनक बगवान नहीॊ होते । क्मा मही कभ है कक अनॊत आकाश भें उड़ने की भहत्वाकाॊऺी मोजना मा प्रगितशीर औय ववकासोन्भुख वव ायधाया उनके ऩास है ?
प्राकृितक िनमभों के यहस्मों से ऩदाथ उठाकय उन शस्क्तमों का सभुच त उऩमोग भनुष्म की सुखसुववधाओॊ के मरव कय यहें हैं। वक डॉक्टय च ककत्सा ववऻान का ववशेषऻ होता है । अऩनी
जानकारयमों से भनुष्म मा ऩशु के शयीय भें उत्ऩन्न जदटरताओॊ को दयू कयता है , ककन्तु इराज के क्रभ भें फहुत रोग भाये बी जाते हैं। इस तयह भनुष्म के ऩथ् ृ वी ऩय फने यहने के ऩीछे डॉक्टय का इराज है , तो इराज के दौयान भनष्ु मों के भयने का अऩमश बी उसके साथ है । रोगों की नजय भें डाक्टय कसयू वाय नहीॊ है , क्मोंकक रोग उसे फाफा मा बगवान के सभकऺ नहीॊ भानते। हय
वकीर भक ु दभें की ऩैयवी कयता है , सबी भक ु दभा जीतने की इ्छा यखते हैं , रेककन हय भक ु दभें का िनष्कषZ वक ही होता है ाै , वक वकीर जीतता है औय दस ू या हायता है , ककन्तु हायनेवारा
भवु वक्कर कबी बी ककसी वकीर ऩय दोषायोऩण नहीॊ कयता। वकीर के हाय-जीत की सॊबावनावॊ 50 प्रितशत होती है , ककन्तु ककसी ्मोितषी की वक बी बववष्मवाणी गरत हो जाव तो उसऩय
तुस्ादथ क आक्रभण होने रगता है ,क्मोंकक फाफा की छोटी सी बूर को बी बक्तगण ऺभा नहीॊ
कय ऩाते।
आखखय ्मोितषी का साभास्जक स्वरूऩ क्मा हो वक फहुत ही गॊबीय प्रश्न खड़ा होता है । क्मा स भु ही फाफा के इसी रुऩ भें रोग श्रिावनत होते हैं ? ्मोितषी फाफा सयर वेश-बष ू ा भें हो , उसे कभ से कभ सॊाासारयक आश्मकतावॊ हों , उसे कभ से कभ ऩारयश्रमभक ददमा जाव , उसे स्थािमत्व प्राप्त न यहे , हय प्रकाय की सुख-सुववधाओॊ से
सॊमुक्त आवासीम सुववधा न हो , स्वमॊ सहनशीर हो , उनकी सॊतान प्रगितशीर न हो। प्रा ीनकार
भें ऋवषमों के साथ उनकी वऩत्नमॉ बी हुआ कयती थी, ऩयॊ तु आज के फाफा का जो स्वरुऩ रोगों के भस्स्तष्क भें उबयता है , वह मह कक उनके आध्मास्ात्भक ववकास के मरव उनका गह ृ स्थ आश्रभ आवश्मक नहीॊ है । गहृ स्थ होने भार से उनकी मो्मता को सॊदेह के घेये भें डार ददमा जाता है ।
आखखय जो ववशि ु ्मोितषी हैं , उनकी आवश्मकताओॊ की ऩिू तथ कैसे होती होगी , मह ्मोितषी के सभऺ उऩस्स्थत होनेवारे रोग बी नहीॊ फता ऩावॊगे। साभान्म रोग उन्हें बगवान का दजाथ दे कय
भक् थ म रोग ्मोितषी से मभरने की फात को िछऩाने की ऩयू ी कोस्ाशश ु त हो जाते हैं , जफकक भध ू न् कयते हैं। फड़े याजनेताओॊ की ककसी ्मोितषी से मभरने की
ाथ-ऩरय
ाथ अखफायों ऩित ्यकाओॊ भें
इतनी हो जाती है कक मही उनके ऩयाबव का कायण फन जाती है । वत्र्तभान सभाज भें वक
्मोितषी फाफा है मा अछूत , मह फात तो हभायी सभझ से ऩये है , ककन्तु इतनी फात तो स्ऩष्ट है कक प्रगितशीर वव ायधाया का कोई व्मस्क्त ्मोितषी से मभरा , तो वह दककमानूसी हो गमा। बरा फताइव तो सही , उस ्मोितषी फाफा के प्रित जनता का कौन सा बाव अ्छा है , स्जसकी प्रशॊसा
की जा सके। िनस्ाश् त रुऩ से फाफा कहकय जनता उसे ठगने की
ष्े टा कयती है , इसमरव वह
खद ु ही ठगी जाती है । अ्छा होगा , ककसी ्मोितषी की फौस्ािक ऺभता ,अस्जथत गुण-ऻान के
सभानाॊतय उन्हें अऩना दहतैषी सभझते हुव उसी के अनुरुऩ उनके साथ भानवीम व्मवहाय प्रददशZत ककमा जाव। वास्तव भें ्मोितषी वक सभम ववशेषऻ है वक ्मोितषी सभम ववशेषऻ होता है । उसका काभ अ्छे मा फुये सभम की सू ना दे ना है । ककन्तु अ्छा मा फुया सभम फहु-आमाभी हो सकता है । मदद सभम अ्छा हुआ , तो कोई जरुयी नहीॊ कक आऩ सबी प्रकाय के काभ कय रेंगे , ककन्तु इतना अवश्म होगा कक आऩका कुछ काभ इस ढॊ ग से फनेगा कक कक आऩका भनोफर ऊॊ ाई की ओय जावगा। इस तयह फुया सभम हो तो कोई
आवश्मक नहीॊ कक हय काभ फुया ही हो , ऩयॊ तु कुछ घटनावॊ इस ढॊ ग से घदटत होंगी , स्जससे
भनोफर चगया हुआ भहसस ू होगा। अ्छा सभम है तो कोई बी व्मस्क्त अचधक से अचधक भनोवाॊिछत पर की प्रास्प्त के सॊदबथ भें बफल्कुर भस्त होता है । उसे ककसी की ऩयवाह नहीॊ होती , वह वक ऺण के मरव बी कदावऩ नहीॊ सों
ऩाता कक इसकी िनयॊ तयता भें कबी कभी बी हो
सकती है । उस सभम ककसी ्मोितषी से याम-ऩयाभशZ कयना बी उसकी शान के खखराप होता है । हय प्रकाय के अ्छे पर को अऩना कभथपर भानता है , ककन्तु फुये सभम के उऩस्स्थत होने से
उसकी घफयाहट कापी फढ़ जाती है । फुये सभम की तीव्रता को कैसे कभ ककमा जाव इसकी च न्ता प्राम: सबी व्मस्क्त को होती है । इसी अितरयक्त प्रत्माशा के साथ प्राम: ऩूया सभाज ककसी
्मोितषी की ओय आकवषथत होता है , ककन्तु फुये सभम को अ्छे सभम भें ऩरयवितथत कयने के
असपर प्रमास के कायण ही कोई ्मोितषी फदनाभ हो जाता है औय ऩूया सभाज उससे ववकवषथत होने रगता है । बरा-फुया कहने भें बी रोगों को कोई दह कक ाहट नहीॊ होती औय ्मोितषी के ददव्म मा ब्रहभऻान का कोई भहत्व नहीॊ यह जाता।
कैसी ववडम्फना है , वक ्मोितषी आधिु नक वेश-बष ू ा , खान-ऩान का दहभामती हो तो उसके
्मोितषीम ऻान ऩय सॊशम ककमा जाता है , वही ्मोितषी ककसी साध-ु सन्मासी की वेश-बष ू ा भें हो उसका खान-ऩान सन्मामसमों की तयह हो , तो उसे रकीय का पकीय दककमानस ू कहा जाता है , उसकें
रयर को सॊदेह की दृस्ाष्ट से दे खा जाता है । इस ऩरयस्स्थित भें वक प्रश्न फहुत ही भहत्वऩण ू थ है , ्मोितषी का साभास्जक स्वरुऩ ताॊित ्यक , माॊित ्यक , ऩज ु ायी , फाफा , सन्मासी मा
वैऻािनक - ककसके जैसा हो ? ्मोितषी वक साभान्म भनष्ु म है , स्जसे बववष्म की जानकारयमॉ
होती है । बववष्म की जानकायी दे नेवारा व्मस्क्त बववष्म को फदर नहीॊ सकता। बक ू म्ऩ मा सभद्र ु ी
तूपान की सू ना दे नेवारा बूकम्ऩ मा सभुद्री तूपान को योक नहीॊ सकता , मसपथ ऩूवथ सू ना से
इससे प्रबाववत होनेवारे रोग सावधािनमॉ फयत सकते हैं। दो व्मस्क्त याष्ट्रऩित ऩद के उम्भीदवाय हैं , दोनो की जन्भकॊु डरी दे खकय ककसी के याष्ट्रऩित
न ु े जाने की बववष्मवाणी की जा सकती है ,
ऩयॊ तु दोनो के बा्म मा भॊस्जर को कैसे फदरा जा सकता है ?
सूमग्र थ हण की बववष्मवाणी कय उससे ऩड़नेवारे प्रबाव को सभझामा जा सकता है , ऩयॊ तु इसे योका नहीॊ जा सकता । जानकायी होने के फाद रोग क्मा कय सकते हैं , वे अऩनी फनावट के अनुसाय , अऩनी भानमसकता के अनुसाय िनणथम रें गे। आऩके ऺेर भें तूपान मा बूकम्ऩ हो , तो क्मा कयना होगा , सूमग्र थ हण के सभम सूमथ को दे खें मा नही ? मा कपय दे खे तो ककस प्रकाय ? रोग अऩनी
कभजोरयमों , असपरताओॊ औय अदयू ददशZता को ककसी ्मोतषी ऩय नहीॊ थोऩें , मही ्मोितष के
प्रित स् ी श्रिा होगी । अऩनी असपरताओॊ को िछऩाने के मरव ग्रहों के जानकाय के वववादास्ऩद स्वरुऩ को प्रस्तुत न कयें । प्रस्तत ु कताथ ववशेष कुभाय ऩय 10:05 pm 2 दटप्ऩखणमाॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मात्भक ्मोितष
फह ृ स्ऩतिवाय, 21 अगस्ि2008 पिरि्मोतिषक ीस़ीभा ं वक ्मोितषी से रोगों की अऩेऺावॊ फहुत होती हैं आज कोई बी व्मस्क्त जफ वक ्मोितषी के ऩास ऩहुॊ ता है तो उस व्मस्क्त की ्मोितषी से फहुत सायी अऩेऺावॊ होती हैं। आभ रोग मही सभझते हैं कक ्मोितषी को ककसी के बववष्म की ऩूयी जानकायी होती है , अत: वह उस व्मस्क्त के बववष्म की सायी फाते फता दे गा। दस ू यी ओय
तयह-तयह के ्मोितषी होते हैं , सबी के दावे वक से फढ़कय वक होते हैं । शयीय के यॊ ग , कद ,स्वरुऩ , धन की भारा ,बाई-फहनों की सॊख्मा , शैऺखणक मो्मता , फार-फ् ों की सॊख्मा , शादी की ितचथ , शादी की ददशा, भत्ृ मु का सभम , रॉटयी से धन प्राप्त कयने का सभम ,व्मस्क्त का नाभ , वऩताजी का नाभ , हस्तये खा से कॊु ाॊडरी िनभाथण आदद के दावे ककसी ्मोितषी की
्मोितषीम मो्मता को प्र ारयत कयने के मरव ववऻाऩन का काभ बरे ही कय जाव , उऩयोक्त सबी सॊदबोZ की जानकारयमॉ अबी तक का ववकासशीर पमरत ्मोितष ककसी बी हारत भें प्रदान नहीॊ कय सकता। इस प्रकाय की स्जऻासा को रेकय कोई बी व्मस्क्त ककसी ्मोितषी के
महॉ ऩहुॊ े तो उसे िनयाशा ही मभरेगी। ्मोितषी से रोगों की अऩेऺावॊ फहुत अचधक होती हैं। वक
स्जन ऩूछ यहें हैं- भेयी ऩुरी की शादी ककस ददशा भें कफ औय ककतनी दयू ी ऩय होगी ? क्मा इस प्रश्न का उत्तय स भु
पमरत ्मोितष से ददमा जा सकता है ?
वैददक कार , ऩौयाखणक कार , प्राक् ऐितहामसक कार भें स्वमॊवय हुआ कयते थे । उस सभम वयवधू अऩने जोडे का खुद मन ककमा कयते थे । ककन्तु उसके ऩश् ात ् बायत भें ववदे शी आक्रभण होते
रे गव औय प्रितष्ठा फ ा ऩाने का बम इतना प्रफर हो गमा कक रोगों ने अऩनी ऩुित ्यमों
का वववाह जन्भ रेने के साथ ही तम कयना शुरु कय ददमा। कहीॊ कहीॊ ऐसा बी उदाहयण दे खने
को मभरा कक दो गबथवती सहे मरमॉ ऩयस्ऩय मह तम कयती थी कक वक दस ू ये को ऩुर-ऩुित ्यमॉ हुईं तो उनकी शादी कय दी जावगी। सौ वषZ ऩूवथ तक फारक फामरकाओॊ की शादी शैशवकार भें की जाती थी। आज से 50 वषZ ऩूवथ शाददमॉ उस सभम होती थी जफ रड़के रड़ककमॉ क्रभश: ऩॊद्रह
औय दस वषZ के हुआ कयते थे। ऩ् ीस वषZ ऩूवथ फामरग होने ऩय ही वववाह का प्र रन था , ऩय इस सभम जफ इक्कीसवीॊ सदी का आयॊ ब हो यहा है ,कोई बी जागरुक रड़का मा रड़की तफतक शादी के ऩऺ भें नहीॊ होते , जफतक वे स्वावरम्फी नहीॊ फन जाते। इस सभम वैवादहक फॊधन भें फॊधनेवारों की उम्र कबी-कबी 25-30 वषोZाॊ से बी अचधक होती है । ककसी सॊदबथ की इतनी अऩेऺा क्मों ? ध्मान दे ने की फात मह है कक वक ही ग्रह मबन्न मबन्न कार भें कबी फाल्मावस्था भें , कबी ककशोयावस्था भें ,औय कबी मुवावस्था भें वववाह का मोग उत्ऩन्न कयता है । 15वी शताधदी से 19वी शताधदी तक सबी के मरव वैवादहक मोग शैशवावस्था भें , 20वीॊ शताधदी के प्रायॊ ब भें
ककशोयावस्था के आयॊ ब भें ,20वीॊ शताधदी के अॊत भें ककशोयावस्था के अॊत भें तथा इक्कीसवी सदी के प्रायॊ ब भें मुवावस्था के भध्म भें वैवादहक मोग उत्ऩन्न होता है । क्मा इन फातों से ग्रह की
प्रकृित औय कामथशैरी भें वकरुऩता ददखाई ऩड़ती है ? मदद नही तो ्मोितषी वववाह के सभम के उल्रेख का दावा ककस प्रकाय कयतें हैं ? ्मोितष ऩय ववश्वास कयने वारे रोग इस सॊदबथ भें इतनी अऩेऺावॊ क्मों यखते हैं ? मह फात दस ू यी है कक दे श कार के अनुसाय साभास्जक
ऩरयस्स्थितमों को दे खते हुव ग्रह की स्स्थित औय उसकी गत्मात्भकता से वैवादहक कार की सॊबावनाओॊ ऩय ऩरय ाथ बरे ही कय री जाव। 20वीॊ शताधदी के प्रायॊ ब मा भध्म तक मातामात की फड़ी सुववधा नहीॊ थी , सॊऩकथ-सूर बी
भहत्वऩूणथ नहीॊ थे , अत: शादी-वववाह आसऩास िनकटस्थ ग्राभ भें होते थे। जैसे-जैसे मातामात की सुववधावॊ फढ़ती गमी , सॊऩकथ-सूर फढते
रे गव , सभ्मता का ववकास होता गमा , रोग स्ाशक्षऺत
होते गव , अन्तजाथतीम , अन्तप्राZाॊतीम , दयू स्थ , महॉ तक कक अफ दे श-दे शाॊतय तक की शाददमॉ
प्र मरत हो गमी हैं। वही ग्रह ऩहरे सीमभत जगहों भें शाददमॉ कयवाते थे , अफ दम्ऩस्त्त ऩथ् ृ वी के दो छोय के बी हो सकते हैं। वववाह-सूर भें फॊधनेवारे अफ ककसी दयू ी की ऩयवाह नहीॊ कयते हैं ।
अत: सॊऺेऩ भें मही कहा जा सकता है कक कॊु डरी के ग्रहों को दे खकय मह कदावऩ नहीॊ फतरामा जा सकता है कक जातक की शादी कहीॊ िनकट स्थर भें होनेवारी है मा कपय कापी दयू । इसका
कायण है , रोगों की भनोवस्ृ त्त भें आमा फदराव। ऩहरे रोग अऩने गॉव मा आसऩास के गॉवों भें फसनेवारे अऩनी जाित के रोगों को ही असरी बफयादयी सभझते थे , दयू की अऩनी ही जाित के रोगों की कुरीनता ऩय सॊशम ककमा जाता था। अत: उनसे सॊफॊध कयके अऩनी प्रितष्ठा को दॉव ऩय से रोग फ ते थे।
आज ऩरयस्स्थितमॉ बफल्कुर मबन्न हैं। जाित औय खन ू की ऩववरता गौण हो गमी है । धन अस्जथत कयने की ऺभता , कभथ औय
रयर ही प्रितष्ठा के भाऩदॊ ड फनते जा यहें हैं। वैवादहक सॊफॊध भें दयू ी
अफ फाधा नहीॊ यह गमी है । ककसी बायतीम नायी मा ऩरु ु ष की शादी अभेरयका मा बब्रटे न िनवासी के साथ हो तो इसे शान औय प्रितष्ठा की फात सभझी जाती है । दाम्ऩत्म जीवन भें दो- ाय
वषोZाॊ का ववमोग हो , ऩत्नी 2-4 वषZ फड़ी बी हो तो इसे सहज स्वीकाय कय मरमा जावगा। इस प्रकाय के फदरते साभास्जक ऩरयवेश भें ग्रह के आधाय ऩय मह िनणथम कयना कापी कदठन होगा कक ककसी की शादी िनकट मा दयू मा कपय ककस उम्र भें होनेवारी है । बूतप्रेत मसि कय बववष्मवाणी कयना ्मोितष नहीॊ वक फाय अित साभान्म औय अितववस्ाशष्ट वक ही व्मस्क्त से मभरने का भुझे सौबा्म प्राप्त
हुआ। अित साभान्म इसमरव क्मोंकक वे वेश-बूषा औय रुऩ-यॊ ग से अितसाभान्म , वस्र के नाभ ऩय रार यॊ ग का वकभार भाभूरी अॊगोछा ऩहने हुव थे, भारूभ हुआ , वे फाहय से आव हुव थे , अऩने ही वेश-बूषा के अनुरुऩ कई ददनों से हरयजनों की फस्ती भें भेर-मभराऩ से यह यहें थे। भुझे शैशवकार से ही ्मोितष ववद्मा भें रुच
है । भै मभरने के मरव उनके ऩास गमा। उन्होने भुझे
दे खते ही कहा-आइव ववद्मासागयजी , फैदठव। भै उनकी ्मोितष ववद्मा से अवाक् था। भै अ्छी तयह जान यहा था कक इस ्मोितषी को भेया नाभ ककसी ने नहीॊ फतामा है । कपय बी ऐसा सभझते हुव कक भै इस ऺेर का भहत्वऩण ू थ ववद्माथी हॊ ाू , भझ ु े आते हुव दे खकय ककसी ने भेया नाभ पुसपुसाकय फता ददमा हो , भैने कहा- भेये साथ जो हैं , उन्हे आऩने फैठने को नहीॊ कहा ।
भैने जानफझ ू कय ्मोितषी की ऩयीऺा रेने के मरव मे फातें कही , क्मोंकक भेये साथ जो व्मस्क्त था , वह भेये इराके के मरव अजनफी था , उसका नाभ रोग नहीॊ जानते थे , अत: ्मोितषी को इसकी खफय नहीॊ हो सकती थी। ्मोितषीजी भेया इशाया सभझ
क ु े थे। उहोाेनें इस अजनफी का
नाभ हकराते हुव ` अभ्मान , अभ्मान ,अभ्माननजी , फैदठव ´- कहा । वे अभ्मानन के नाभ को ऐसे दहू या यहे थे , भानो फहुत धीभी आवाज भें कोई उन्हें अभ्मानन कह यहा हो औय वे अॊितभ `न´ को सुनने भें कदठनाई भहसूस कय यहें हों। इसके फाद उन्होने धाया प्रवाह फोरना शुरु कय ददमा , हभ ककतने बाई-फहन हैं , फड़े बाई की शादी हो
क ु ी है , वक ऩुरी है , फहन की दो
ऩुित ्यमॉ औय वक ऩुर हैं। भेये सॊफॊध भें उन्होने फतामा- भै ऩयीऺा दे इॊतजाय है । अऩेक्षऺत रयजल्ट भें भाभूरी फाधा है । ्मोितष की
ुका हूॊ औय ऩयीऺापर का ाहे स्जस ववधा ऩय उनका ऩूणथ
िनमॊरण था मा वे मसस्ािप्राप्त ऩरु ु ष थे , उस ददन की उनकी सायी फाते जो घट
क ु ी थी ,
अऺयश: सही थी , महॉ तक कक कुछ ददनों फाद भेया रयजल्ट बी िनकरा , भैंने भार वक अॊक से
प्रथभ श्रेणी खो दी थी , ऩयॊ तु भेये मसवा फहुत रोगों के मरव फहुत सायी बववष्मवाखणमॉ थी ,जो सबी गरत िनकरी। जो दम्ऩस्त्त िनकट बववष्म भें सॊतान प्राप्त कयनेवारे थे, उनके ऩर ु -ऩिु त ्यमों
से सॊफॊचधत बववष्मवाखणमॉ, नौकयी प्राप्त कयने की बववष्मवाखणमॉ औय िनकट बववष्म भें ही राब प्राप्त कयने की बववष्मवाखणमॉ गरत साबफत हुईं। वक व्मस्क्त भायकेश के प्रफर मोग भें ऩड़ा हुआ है , कहकय उसे कापी ठगा बी गमा , ऩयॊ तु उसे भाभूरी फुखाय बी न हुआ। इस ऩयू े प्रसॊग ऩय गौय ककमा तो भेये साभने जो िनष्कषथ आव , वह मह कक वह आदभी बत ू ात्भा मसि ककव हुव था। वह मसि आत्भा ही उस व्मस्क्त को वत्र्तभान तक की सायी फातें अऺयश: फतामा कयता था औय उसे ही वह तोते की तयह फोरता था। इस कायण बूत औय वत्र्तभान की सायी फातें बफल्कुर सही थी , ऩयॊ तु अचधकाॊश बववष्मवाखणमॉ गरत थी , क्मोंकक बववष्मकथन अनुभान ऩय आधारयत था। वह व्मस्क्त बूत औय वत्र्तभान की सटीक
ाथ कयके दस ू यों का
ववश्वास प्राप्त कयता था , ऩयॊ तु बववष्म की जानकायी के मरव सभुच त ववद्मा उसने अस्जथत नहीॊ की थी।
दस ू यी वक फात औय थी कक वह साभनेवारे को दहप्नोटाइज कयता था औय उसके भन की सायी फातों को फता दे ता था। तायीखों सदहत बूत औय वतथभान की
ाथ ककसी व्मस्क्त को दहप्नोटाइज
कयके फतामी जा सकती है , ककन्तु दहप्नोदट्भ ववद्मा के जानकाय को ्मोितषी कदावऩ नहीॊ कहा जा सकता , क्मोकक बववष्म की जानकायी बूत ववद्मा मा दहप्नोदट्भ से कदावऩ सॊबव नहीॊ है । गण ु ात्भक ऩहरू फतराना सॊबव,सॊख्मात्भक नहीॊ इस प्रसॊग का उल्रेख कयना इसमरव आवश्मक सभझा, क्मोंकक भझ ु े बी ऩहरे मही भ्रभ हुआ था कक ्मोितषी बाई-फहनों की सॊख्मा फता सकता है , सॊतान की सॊख्मा फता सकता है , महॉ तक कक ककतने ऩर ु औय ककतनी ऩिु त ्यमॉ होंगी , इसे बी फतरामा जा सकता है , ऩयॊ तु आज पमरत
्मोितष के
ारीस वषीZम अध्ममन-भनन के फाद इस िनष्कषZ ऩय ऩहुॊ ा हूॊ कक पमरत ्मोितष भानव-भन की भन:स्स्थित , सुख-दख ु आदद प्रवस्ृ त्तमों मा उसकी तीव्रता का फोध कयाता है न कक ककसी सॊख्मा का।
बाई-फहन , सहमोगी , शस्क्त , ऩुरुषाथथ , ऩयाक्रभ की
ाथ पमरत ्मोितष भें तीसये बाव से की
जाती है । इॊददया गॉधी का कोई सहोदय बाई मा फहन नहीॊ था , ऩयॊ तु उनके सहमोचगमों की कोई
कभी नहीॊ थी ,उनके ऩुरुषाथथ औय ऩयाक्रभ ऩय बी ककसी को सॊदेह नहीॊ था। बाई-फहन की सॊख्मा का महॉ कोई प्रमोजन नहीॊ है , स्जनके सहमोग के मरव सहमोगी हाथों की सॊख्मा राखों औय कयोड़ों भें थी। आऩ ककतने शस्क्तशारी हैं , आऩके ककतने सहमोगी हैं ,इसकी
ाथ से कहीॊ उत्कृष्ट
ाथ मह
होगी कक सहमोगी तत्वों के सज ृ न औय उसे फनाव यखने की ऺभता आऩभें ककतनी है ? आऩके ऩरु ु षाथथ औय ऩयाक्रभ से प्रबाववत होकय आऩके अनम ु ािममों की सॊख्मा ककतनी हो सकती है ? आऩके सहमोगी मा अनम ु ामी बी सभम औय स्थान के साऩेऺ कबी सैकड़ों , कबी हजायों औय
कबी राखों भें हो सकते हैं , ऩयॊ तु मे सबी सहमोगी ववऩरयत ऩरयस्स्थितमों के उत्ऩन्न होने ऩय सहमोगी मसि नहीॊ हो सकते हैं। हो सकता है , बाइमों की सॊख्मा ऩॉ
होने के फावजद ू कोई काभ
न आव। अत: पमरत ्मोितष के मरव ककसी बी ऩरयस्स्थित भें सॊख्मा फताना फहुत ही कदठन ,
कुछ हद तक असॊबव है । जो सॊख्मा फताने का दावा कयते हैं , वे ककसी न ककसी प्रकाय से रोगों
को फेवकूप फनाकय उसे ववश्वास भें रेने की ष्े टा कयते हैं। इस तयह धनवान होने की फात कही जा सकती है , ककसी बी हारत भें नोटों की सॊख्मा नहीॊ फतरामी जा सकती। स्ऩेकुरेशन से धन
कभाने की फात कही जा सकती है , रेककन रॉटयी के दटकट नॊफय को नहीॊ फतरामा जा सकता । जो रॉटयी का नॊफय फतराकय रोगों को गुभयाह कयते हैं, वे अऩने बा्मोदम के मरव रॉटयी का
नॊफय क्मो नहीॊ खोज ऩाते ? इसी तयह सॊऩस्त्त से सॊफॊचधत सुख औय नाभ मश की बववष्मवाणी
की जा सकती है ,भकानों, दक ु ानों , सवारयमों , खेतों , फागों की सॊख्मा फता ऩाना पमरत ्मोितष की सीभा के अॊदय नहीॊ आता ।
20वीॊ शताधदी के भध्म भें जफ हभरोग हे ाश ही यहें थे ,कई फाय ऐसे सुमोग आव , 45-50 की उम्र के दॊ ऩस्त्त को फाजे-गाजे के साथ वैवादहक फॊधन भें फॊधते दे खा। फात सभझ भें हीॊ आ यही थी क्मोंकक उस सभम रोग ककशोयावस्था के प्रायॊ ब भें ही वैवादहक फॊधन भें फॊध जाते थे। भैने कौतुहरवश जफ ककसी से ऩूछा तो भुझे फतामा गमा कक वे शादी नहीॊ कय यहें हैं वयन ् वैवादहक जीवन की सपरता ऩय उत्सव भना यहे हैं। भैाेने जफ उनसे वैवादहक जीवन के सपर होने के
आधाय के फाये भें ऩूछा तो भारूभ हुआ कक उक्त दम्ऩस्त्त के ऩुर-ऩुित ्यमों की सॊख्मा 21 हो गमी है । उन ददनों उस इराके भें वैवादहक जीवन की सपरता का भाऩदण्ड मही था। फाद भें जफ कुछ
फड़ा हुआ तो ऩामा कक भेये कई हभउम्रो के कुर बाई-फहन 11-12 की सॊख्मा भें थे। ककसी को हभरोग पुटफॉर टीभ मा कपय ऩूया दजथन कहते थे ,क्मोंकक आधे दजथन की तो बयभाय थी औय इस मसरमसरे को फहुत हद तक हभरोगों ने बी ढोमा।
ककन्तु इस जनसॊख्मा-वस्ृ ाि के दष्ु प्रबाव को सफने भहसूस ककमा औय 20वीॊ शताधदी के
तुथथ
यण के प्रायॊ ब भें श्रीभती इॊददया गॉधी द्वाया ऩरयवाय िनमोजन की आवाज को फुरॊद ककमा गमा।
जोय-जफदथ स्ती से इस कामथक्रभ को
राने के आयोऩ भें उनकी सयकाय बरे ही ध्वस्त हो गमी हो
, ऩयॊ तु सीमभत ऩरयवाय की आवश्मकता को धीये -धीये सबी ने स्वीकाय ककमा। आज बायत की
आफादी वक अयफ से अचधक है तथा ववश्व की 7 अयफ के रगबग , अचधकाॊश दे श अऩनी भौमरक आवश्मकताओॊ की ऩूितथ कयने भें अऺभ ददखाई दे यहें हैं। ववकासशीर दे शों की सफसे फडी सभस्मा
उसकी फढ़ती हुई आफादी है । ववकमसत औय अववकमसत सबी दे शों भें `हभ दो : हभाये दो´ का नाया फुरॊद है । जो इससे बी अचधक प्रगितशीर वव ायधाया के हैं , वे `हभ दो : हभाये वक´ की फात को रयताथथ कय यहें हैं।
उऩयोक्त ऩरयप्रेक्ष्म को दे खते हुव मह कहा जा सकता है कक ग्रहों के साथ सॊतान की सॊख्मा को जोड़ने की कोस्ाशश िनयथथक मसि होगी। आज बी कई ग्रह सॊतान स्थान भें स्स्थत हो सकते हैं औय अऩनी ऺभता के अनस ु ाय मसिाॊतत: सॊतान प्रदान कयने की फात को सही मसि कयना
ाहे
तो अतीत के मरव कुछ जोड़-तोड़ के साथ मे िनमभ सही बी हो सकते थे ऩयॊ तु आज ग्रह-फर के अनुरुऩ सॊतान-प्रास्प्त की सॊख्मा की फात िनष्पर हो जावगी। अत: इस सॊदबथ भें मही कहना
उच त होगा कक अचधक से अचधक ग्रह सतॊाान बाव भें भौजूद हो तो उस व्मस्क्त को सॊतान सुख की प्रास्प्त होती यहे गी । उसकी सॊतान का फहु-आमाभी ववकास होगा औय हय कार भें सॊतान-सुख की प्रास्प्त होती यहे गी। वास्तव भें सुख के साथ सॊतानसॊख्मा का कोई सॊफॊध नहीॊ है । ` वकश् न्द्रस्तभो हस्न्त न तायागणोवऩ । ´
इसी प्रकाय सप्तभ बाव भें स्स्थत ग्रहों को दे खकय फहुत से ऩॊडडत वकबामाथ , द्ववबामाथ मा फहुबामाथ मोग की ाथ कयते हैं। इस ऩिित को बी गरत सभझा जाना ादहव। फहुत अचधक
फरवान धनात्भक ग्रह की सप्तभ बाव भें उऩस्स्थित बोग-ववरास ,सहवास की तीव्रता, तदनुरुऩ कामथकराऩ , काभकरा भें िनऩुणता , इससे सॊफॊचधत बावामबव्मस्क्त , नत्ृ मकरा , अमबनम करा
आदद का सॊकेतक होती है । कोई जरुयी नहीॊ है कक ववरामसता की सॊतुस्ाष्ट के मरव वऩत्नमों मा बामाथओॊ की सॊख्मा अचधक हो।
बगवान श्रीकृष्ण की जन्भकॊु डरी भें सप्तभ बाव भें वक बी ग्रह नहीॊ हैं मा कुछ ग्रॊथों भें इनकी जन्भकॊु डरी भें वकभार ग्रह स्वऺेरीम भॊगर सप्तभ बाव भें ववयाजभान है । कपय बी हजायों
गोवऩमॉ उनकी प्रेमभका थी। याजेश खन्ना औय अमभताब फ् न की जन्भकॊु डमरमों भें सप्तभ बाव
भें फहुत साये ग्रह स्स्थत हैं । याजेश खन्ना को वक ही ऩत्नी मभरी औय ाॊउसके साथ बी सावथकारीक िनवाथह नहीॊ हो सका। अमभताब फ् न वक ऩत्नी से ही सुखी दाम्ऩत्म जीवन जी यहें हैं , हारॉकक मह भाना जा सकता है कक अमबनेता होने के नाते उन दोनों ने फहुत सुॊदरयमों के साथ बोग-ववरास ककमा हो । उऩयोक्त ाथ से बी मह स्ऩष्ट होता है कक पमरत ्मोितष प्रवस्ृ त्तमों का ववऻान है । ककसी खास प्रवस्ृ त्त की तीव्रता की
ाथ की जा सकती है , उसकी सॊख्मा
मा भारा को िनधाथरयत नहीॊ ककमा जा सकता ।
पमरत ्मोितष से भनुष्म की इ्छा-शस्क्त , फौस्ािक शस्क्त , भॊरणा-शस्क्त , साहस , सूझ-फूझ , तेज , फड़प्ऩन , ववश्वास , साख , दृढ़ता , ऩयाक्र् यभ , सॊघषZ-ऺभता , प्रबाव , भानवीम ऩऺ ,
बा्मवादी दृस्ाष्टकोण , साभास्जक-याजनीितक वातावयण , ऩद-प्रितष्ठा प्रास्प्त की सॊबावनाओॊ , धन-राब औय आम-व्मम की प्रवस्ृ त्तमों की तीव्रता की
ाथ की जा सकती है , उसकी भारा का
शास्ाधदक वववयण प्रस्तुत ककमा जा सकता है , ककन्तु सॊख्मा का उल्रेख कदावऩ नहीॊ ककमा जा
सकता। ग्रहों के ववद्मुत- म् ु फकीम ककयणों मा कॉस्ास्भक तयॊ गों से हभ प्रबाववत हैं , उसकी तीव्रता की भाऩ ग्रेड मा श्रेणी भें की जा सकती है । तत्सॊफॊचधत प्रवस्ृ त्तमों की तीव्रता की जानकायी
अचधक से अचधक प्रितशत भें िनकारी जा सकती है , ककन्तु इनकी प्रितशत तीव्रता को दे खकय ककसी बी सॊख्मा का आकरण कयना भूखत थ ा ही होगी । वक व्मस्क्त भें धन-सॊ म की प्रवस्ृ त्त अऩनी ऩयाकाष्ठा ऩय हो तो इसका भतरफ मह कदावऩ नहीॊ कक वह व्मस्क्त ववश्व का सफसे
धनाढ्म आदभी है औय हय कार भें वह धनाढ्म ही फना यहे गा। ऩयाकाष्ठा की तीव्रता से सॊफॊचधत मोग मबन्न-मबन्न ग्रहों के साथ सैकड़ों फाय फनेगा औय मबन्न-मबन्न ग्रहों से उसके सॊऩकथ को दे खते हुव मबन्न-मबन्न कार भें उसके स्वरुऩ भें धनात्भक मा ऋणात्भक ऩरयवत्र्तन हो सकता है । सॊख्मा की ाथ पमरत ्मोितष भें वैऻािनक प्रतीत नहीॊ होता।
शक्र ु वाय, 15 अगस्ि2008 ्मोतििषमोंसेिवनम्रतनवेदन केवर शधदजार मा अॊधववश्वास नहीॊ सबी व्मस्क्तमों को बववष्म की जानकायी की इ्छा होती है , अत् पमरत ्मोितष के प्रित स्जऻासा औय अमबरुच
अचधसॊख्म के मरव बफल्कुर स्वाबाववक है । पमरत ्मोितष वकभार ववद्मा है
, स्जससे
सभममक् ु त बावी घटनाओॊ की जानकायी प्राप्त की जा सकती है , इसी ववश्वास के साथ जहा वक ओय
आधी आफादी यामशपर ऩढ़कय सॊतष्ु ट होती है , वहीॊ दस ू यी ओय फवु िजीवी वगथ पमरत ्मोितष भें इसके
वैऻािनक स्वरुऩ को नहीॊ ऩाकय इसकी उऩमोचगता ऩय सॊशम प्रकट कयते हैं। पमरत ्मोितष ऩयॊ ऩयागत ढॊ ग से स्जन यहस्मों का उद्घाटन कयता है
, उनका कुछ अॊश सत्म को कुछ भ्रमभत कयनेवारा ऩहेरी
जैसा होता है । इस कायण रोग वक रम्फे असे से पमरत ्मोितष भें अॊतिनथदहत सत्म औय झूठ दोनो को ढोते
रे आ यहे हैं।
मह बी ध्मातधम है कक जो ववद्मा वैददककार से आज तक रोगों को आकवषथत कयती
री आ यही है
,
वह केवर शधदजार मा अॊध-ववश्वास नहीॊ हो सकती। िनष्कषथत् अबी बी पमरत-्मोितष ववकासशीर ववद्मा है
, इसका ऩण ू थ ववकमसत स्वरुऩ उबयकय साभने तो आ यहा है ऩयॊ तु अबी बी ववकास की कापी
सॊबावनावॊ ववद्मभान हैं। ववकास के भागथ भें कदभ-कदभ ऩय भ्राॊितमाॊ हैं। फवु िजीवी वगथ ग्रहों के प्रबाव का स्ऩष्ट प्रभाण
ाहता है
, ्मोितषी इसकी वैऻािनकता को मसि नहीॊ कय ऩाते हैं। ग्रह-स्स्थित से सॊफचॊ धत
कुछ िनमभों का हवारा दे ते हुव अऩने अनब ु वों की अमबव्मस्क्त कयते हैं। वक ही प्रकाय के ग्रह-स्स्थित का परापर ववमबन्न ्मोितषी ववमबन्न प्रकाय से कयते हैं , जो सॊदेह के घेये भें होता है । आभ रोग पमरत ्मोितष से कफ, कैसे, कौन, ककतना का उत्तय स्ऩष्ट रुऩ से
ाहते हैं
, ककन्तु ्मोितष से प्राप्त उत्तय
अस्ऩष्ट, छामावादी औय प्रतीकात्भक होता है । ऩायबाषक जानकायी आज के प्रितमोचगतावादी मग ु भें नीित.िनदे शक नहीॊ हो सकती ।
सॊबवत् मही कायण है कक आजतक ववश्व के ववश्व-ववद्मारमों भें पमरत-्मोितष को सभचु त स्थान नहीॊ मभर सका है । पमरत ्मोितष का सम्मक् ववकास कई कायणों से नहीॊ हो सका। ्मोितषमों को भ्राॊित है कक मह वैददककारीन सवाथचधक ऩयु ानी ववद्मा मा ब्रहभ ववद्मा है ऋवष-भिु नमों की दे न है
, इसभें वखणथत सभग्र िनमभ ऩयु ाने
, इसमरव पमरत ्मोितष ऩण ू थ ववऻान है तथा इन िनमभों भें ककसी प्रकाय के
सॊशोधन की कोई आवश्मकता नहीॊ है । अत् मे पमरत ्मोितष की कभजोरयमों को ढूढ़ नहीॊ ऩाते हैं। मदद कोई व्मस्क्त इसकी कभजोरयमों की ओय इशाया कयता है तो ्मोितषी इसे स्वीकाय नहीॊ कय ऩाते हैं।
्मोितष की कभजोरयमों की अनब ु िू त होने ऩय उसकी ऺित-ऩिू तथ ्मोितषी मसि ऩरू ु ष फनकय कयते हैं,
भौमरक च त ॊ न औय वैऻािनक दृस्ष्टकोण का वे सहाया नहीॊ रे ऩाते। परत् ववकमसत गखणत मा ववऻान की दस ू यी शाखाओॊ के सहमोग से वे वॊच त यह जाते हैं।
दस ू यी ओय बववष्म के प्रित स्जऻासु वक ्मोितष-प्रेभी इस ववद्मा को ऩण ू थ ववकमसत सभझते हुव ऐसी अऩेऺा यखता है कक ्मोितषी के ऩास जाकय बववष्म की बावी घटनाओॊ की न वह केवर जानकायी प्राप्त
कय सकता है ,वयन ् अनऩेक्षऺत अिनष्टकय घटनाओॊ ऩय िनमॊरण प्राप्त कयके अऩने फयु े सभम से छुटकाया बी प्राप्त कय सकता है । ककन्तु ऐसा न हो ऩाने से रोगों को िनयाशा होती है
, ्मोितष के प्रित आस्था भें कभी होती है, पमरत ्मोितष वैददककारीन स्वदे शी ववद्मा है , बायतीम सॊस्कृित , दशथन औय आध्मात्भ की जननी है, इसके ववकास के मरव सयकायी कोई व्मवस्था नहीॊ है । प्रशासक औय फवु िजीवी वगथ ्मोितष की अस्ऩष्टता को अॊधववश्वास सभझते हैं । स्जन भेधावी , कुशाग्र फवु ि व्मस्क्तमों को ्मोितष के ववकास भें अितशम रुच होती है , अथाथबाव होने से “शोध-कामथ भें ऩण ू थ सभवऩथत नहीॊ हो ऩाते। इस कायण भौमरक रेखन का अबाव है , इसमरव ्मोितष फहुत ददनों से मथास्स्थितवाद भें ऩड़ा हुआ है ।
भै इसके वतथभान स्वरूऩ का अॊधबक्त नहीॊ
भझ ु े पमरत ्मोितष भें गहयी अमबरुच
है ,ऩयॊ तु भै इसके वतथभान स्वरुऩ का अॊधबक्त नहीॊ हूॊ । इसकी मथास्स्थितवाददता वैऻािनक स्वरुऩ प्राप्त कयने भें सफसे फड़ी फाधा फन गमी है । भै ऻानऩव थ इसभें ू क
अॊतिनथदहत सत्म औय असत्म को स्वीकाय कयने का ऩऺधय हूॊ । भै इस ववषम भें सत्म के साऺात्काय से इॊकाय नहीॊ कयता, इसे उबायने की आवश्मकता है , ककन्तु इससे सॊस्श्रष्ट भ्राॊितमों का उल्रेख कय भैं इनका उन्भर ू न बी
ाहता हूॊ, ताकक मह िन्सॊको फवु िजीवी वगथ को ग्राहम हो, इसे जनसभद ु ाम का ववश्वास प्राप्त हो सके। कुछ भ्राॊितमों की वजह से पमरत ्मोितष की रोकवप्रमता घट यही है , मह उऩहास का ववषम फना हुआ है । ्मोितवषमों से ववनम्र िनवेदन
धराग को ऩढ़ाने से ऩव ू थ ही प्रफि ु ्मोितवषमों से ववनम्र िनवेदन कयना
ाहूॊगा कक वक ्मोितषी होकय बी भैने पमरत ्मोितष की कभजोरयमों को केवर स्वीकाय ही नहीॊ ककमा , वयन ् आभ जनता के सभऺ पमरत ्मोितष की वास्तववकता को मथावत यखने की स्वीकाय कयने ऩय जदटरतावॊ फढ़ती नहीॊ
ेष्टा की है । भेया ववश्वास है कक कभजोरयमों को
, वयन ् उनका अॊत होता है। पमरत ्मोितष की कभजोरयमों को उजागय कय ्मोितष के इस अॊग को भै कभजोय नहीॊ कय यहा हॊ , वयन ् इसके द्रत ु ववकास औय
वैऻािनक ववकास के भागथ को प्रशस्त कयने की कोस्ाशश कय यहा हूॊ। फहुत साये ्मोितषी फॊधओ ु ॊ को कष्ट इस फात से ऩहुॊ सकता है कक ऩयॊ ऩयागत फहुत साये ्मोितषीम िनमभों को अवैऻािनक मसि कय दे ने से ्मोितष-शास्र भें अकस्भात ् शन् ू म की स्स्थित ऩैदा हो जावगी।
केवर ्मोितष कभथकाण्ड भें मरप्त यहनेवारे ववद्वानों को घोय असवु वधाओॊ का साभना कयना ऩड़ेगा कुछ आचथथक ऺित बी हो सकती है
,
, ककन्तु मदद हभ स भु ही पमरत ्मोितष का ववकास ाहते हैं ,
तो इस प्रकाय के नक ु सान का कोई अथथ नहीॊ है । आभ ्मोितवषमों के मरव मह कापी अऩभान का ववषम है कक स्जस ववषम ऩय हभायी आस्था औय श्रिा है
, स्जस ववषम ऩय हभायी रुच है , उसे सभाज का
फस्ु ािजीवी वगथ अॊधववश्वास कहता है । दो- ाय की सॊख्मा भें ऩदाचधकायीगण ्मोितष ऩय ववश्वास बी कय
रें, इसऩय अऩनी रुच
प्रददशZत कय रे
, इससे बी फात फननेवारी नहीॊ है , क्मोकक वे सावथजिनक रुऩ
से इस ववद्मा की वकारत कयने भें कहीॊ-न-कहीॊ से बमबीत होते हैं। अत: आज ववश्व के ववश्वववद्मारमो भें इसे उच त स्थान नहीॊ प्राप्त है । इसकी वैऻािनकता ऩय रोगों को ववश्वास नहीॊ है । प्रफि ु ्मोितषी बी इसकी वैऻािनकता को मसि नहीॊ कय ऩाते हैं। ऐसी स्स्थित भें इस ववद्मा के प्रित सॊदेह अनावश्मक नहीॊ है ।
आज आवश्मक है
, हभ ्मोितष की कभजोरयमों को सहज स्वीकाय कयते हुव इसके वैऻािनक ऩहरू का
तेज गित से ववकास कयें । फहुत ही िनष्ठुय होकय भैं पमरत ्मोितष की कभजोरयमों को जनता के सभऺ यख यहा हूॊ । ऩयॊ ऩयागत ्मोितषी इसका मबन्न अथथ न रें। ऐसा कयने का उ्ेश्म केवर मही है कक भै पमरत ्मोितष भें ककसी प्रकाय की कभजोयी नहीॊ दे खना को कफर ू कये
ाहता हॊ ाॊ। ववश्वववद्मारम इसकी वैऻािनकता
, इसे अऩनाकय इसके प्रित सम्भान प्रददशZत कयें । जफतक इसे वैऻािनक आधाय नहीॊ प्राप्त हो जाता, तफतक इसके अध्ममेता औय प्रेभी आदय के ऩार हो ही नहीॊ सकते। अत: अवसय आ
गमा है कक सबी ्मोितषी इसके वैऻािनक औय अवैऻािनक अध्माम ऩय ठॊ डे ददभाग से सझ ू -फझ ू के साथ वव ाय कयें तथा इसे ववऻान मसि कयने भें कोई कसय न यहने दें । अऩनी कभजोरयमों को वही स्वीकाय कय सकता है
, जो फरवान फनना ाहता है। अकड़ के साथ कभजोरयमों से च ऩके यहने वारे व्मस्क्त को
अऻात बम सताता है । वे ऊॊ ाई की ओय कदावऩ प्रवत्ृ त नहीॊ हो सकते।
मह धराग ्मोितष-प्रेमभमों को पमरत ्मोितष की कभजोरयमों की ओय झॉकने की प्रवस्ृ त्त का ववकास
कये गी तथा साथ ही साथ उनके उत्साह को फढ़ाने के मरव पमरत ्मोितष के कई नव वैऻािनक तथ्मों
की जानकायी बी प्रदान कये गी । इस ऩस् ु तक के भाध्मभ से भै ववश्व के सभस्त ्मोितष प्रेमभमों को मह सॊदेश दे ना
ाहता हॊ ाू कक वे पमरत ्मोितष की रदु टमों से छुटकाया ऩाने भें अऩने अॊत:कयण की आवाज
को सन थ ों की दे न सभझकय उसे ढोने की ु ें। ्मोितषीम मसिाॊतों औय िनमभों को ऋवष-भिु नमों मा ऩव ू ज प्रवस्ृ त्त का त्माग कयें । जो मसिाॊत ववऻान ऩय आधारयत न हो ऩय आधारयत हों, उनको ववकमसत कयने भें तल्रीन हो जावॉ
, उसका त्माग कयें तथा जो िनमभ ववऻान
ववश्वववद्मारमों द्वाया स्वीकृित ऩाना आवश्मक बौितक ववऻान
, यसामन ववऻान , गखणत मा अन्म ववऻानों के ववबाग भें राखों ववद्माथी िनमभऩवू क थ
ऩढ़ाई कय यहें हैं औय इसे सीखने भें गवथ भहसस ू कय यहें हैं। ऐसा इसमरव हो ऩा यहा है कक इन ववषमों को ववश्वववद्मारम भें भान्मता मभरी हुई है । पमरत ्मोितष ववश्वववद्मारमों द्वाया स्वीकृत नहीॊ है इसमरव इसे कोई ऩढ़ना नहीॊ ाहता । इसे ऩढ़कय इस बौितकवादी मग ु भें ककस उ्ेश्म की ऩिू तथ हो ऩावगी
? केवर अॊत:कयण के सख ु के मरव इसे ऩढ़ने का कामथक्रभ कफतक र सकता है ? कफतक ्मोितवषमों कों पमरत ्मोितष की वैऻािनकता को प्रभाखणत कयने के मरव तकथ-ववतकोZ के दौय से गज ु यना होगा ? आज बी सॊसाय भें ऐसे रोगों की कभी नहीॊ , जो िन:स्वाथथ बाव से पमरत ्मोितष के ववकास औय इसे उच त स्थान ददराने की ददशा भें कामथयत हैं ,ककन्तु जाने-अनजाने उनकी सायी शस्क्त
` ववॊशोत्तयी दशा ऩिित ´ भें उरझकय यह गमी है। ग्रह-शस्क्त के सही सरू को बी प्राप्त कय ऩाने भें वे सपर नहीॊ हो सके हैं। भेया ववश्वास है कक मदद आऩ मह धराग गॊबीयताऩव थ ऩढ़ें गे तो िनस्ाश् त रुऩ से ू क सभझ ऩावॊगे कक पमरत ्मोितष का ववकास अबी तक क्मों नहीॊ हो सका
?
झाड़झॊखाड़ों को काटकय फनामा गमा है वक सद ुॊ य ऩथ इस ददशा भें शौककमा काभ कयनेवारों को मह जानकय अत्मचधक प्रसन्नता होगी जफ उन्हें भारभ ू होगा कक पमरत ्मोितष के मसिाॊत
, िनमभ औय उऩिनमभों के घने फीहड़ जॊगरों भें जहॉ वे बटकाव की स्स्थित भें थे , अफ झाड़-झॊखाड़ों को काटकय वक सद ॊु य ऩथ का सज ु ा है , रेककन भै ृ न ककमा जा क बमबीत हॊ ाू मह सों कय कक कहीॊ अितऩयॊ ऩयावादी ्मोितषी जो बटकावऩसॊद थे , कहीॊ भझ ु ऩय आयोऩ न
रगा फैठे कक भैने उनके सद ुॊ य जॊगरों को नष्ट कय ददमा है क्मोकक भेये वक रेख को ऩढ़कय वक ववद्वान ्मोितषी ने भेये ऊऩय इस प्रकाय का आयोऩ रगामा था।वह नहीॊ नत ू न
, जो ऩयु ातन की जड़ दहरा दे । नत ू न उसे कहूॊगा , जो ऩयु ातन को नमा कय दे । ्मोितषी फॊधओ ु ॊ , ऩयु ातन को दहराना भेया उ्ेश्म नहीॊ है , रेककन कुछ िनमभों औय मसिाॊतों को ढोतेढोते आऩ स्वमॊ दहरने की स्स्थित भें आ गव हैं , आऩ थककय ूय हैं , आऩ हजायो फाय इस िनष्कषZ ऩय ऩहुॊ ते हैं कक इन िनमभों भें कहीॊ न कहीॊ रदु टमॉ हैं , पमरत ्मोितष के ववकास भें ठहयाव आ गमा है । इससे फ ने के मरव ऩयु ाने का ऩन ु भZ ू ल्माॊकण औय नव िनमभों का सज ृ न कयना ही होगा ,अन्मथा हभ सबी उऩेक्षऺत यह जावॊगे। प्रस्तत ु ऩस् ु तक इस ददशा भें कापी सहमोगी मसि होगी। अॊत भें भै ऩन ु :
सबी ्मोितवषमों से ऺभा भॉगता हॊ ाू । सही सभीऺा के द्वाया पमरत ्मोितष का ऑऩये शन ककमा गमा है
, इससे कई रोगों की बावनाओॊ को ोट बी ऩहुॊ सकती है , ककन्तु भेयी करभ से रोग आहत हों
,मह उ्ेश्म कदावऩ भेया नहीॊ है। भझ ु े आऩ सफों के सहमोग की आवश्मकता है । इस ऩढ़ने के फाद ककसी बफन्द ु ऩय सॊशम उत्ऩन्न हो तो िनस्सॊको
ऩरा ाय कयें .
प्रस्तुतकताथ ववशेष कुभाय ऩय 10:55 pm कोई दटप्ऩणी नहीॊ: इस सॊदेश के मरव मरॊक रेफर: bokaro, petarwar, vidya sagar mahtha, गत्मातभक ्मोितष ्
शतनवाय, 9 अगस्ि2008 ्मोतििषमोंक ेिर चन ु ौि़ीबये क ुछप्रश्न ्मोितवषमों के सभऺ िनम्नाॊककत प्रश्न ऩर-ऩबरकाओॊ के भाध्मभ से हैं
ुनौितमों के रुऩ भें अक्सय यखे जाते
, स्जनका सभचु त उत्तय ददव बफना पमरत ्मोितष को कदावऩ ववश्वसनीम नहीॊ फनामा जा सकता है। यामश मा र्नपर का औच त्म
ववश्व की आफादी छ् अयफ है ,वक यामश के अॊतगथत
50 कयोड़ व्मस्क्त आते हैं। क्मा वक यामश मा र्न के मरव मरखे गव पर कयोड़ों व्मस्क्तमों के मरव सही हैं ? अगय मरखा गमा पर सही है तो वक ही यामश के वक व्मस्क्त का स्जस ददन अ्छा होता है , उसी यामश के दस ू ये व्मस्क्त के मरव वह ददन फयु ा क्मों होता है ? अगय पर सही नहीॊ है तो इतनी फड़ी आफादी को यामश-पर भें उरझाव यखने का औच त्म क्मा है ? याहू औय केतु क्मा हैं याहू-केतु आकाश भें कोई आकाशीम वऩॊड मा ग्रह नहीॊ हैं । मे दोनो भहज दो ववन्द ु हैं ,स्जनऩय सम ू थ औय ॊद्रभा का वत्ृ ताकाय मारा-ऩथ वक-दस ू ये को काटता है । मे वऩॊड नहीॊ होने के कायण ग्रहों की तयह शस्क्त उत्सस्जथत कयनेवारे शस्क्त-स्रोत नहीॊ हैं की
, कपय बी आजतक ्मोितषी रोगों के फी इसके बमानक प्रबाव ाथ कयते क्मों रे आ यहें हैं ? रोग याहू-केतु को ऩाऩ-ग्रह सभझकय इनसे क्मों डयते हैं ? क्मा ग्रह स भु
कयोड़ों-अयफों भीर की दयू ी ऩय स्स्थत ग्रह स भु है तो ककस ववचध से प्रबाववत कयता है
प्रबावी है
?
जड़- ेतन ऩय प्रबाव डारता है
? अगय प्रबाववत कयता
? अगय इस ददशा भें ककसी प्रकाय की खोज है तो उसका स्वरुऩ क्मा है ? पमरत ्मोितष का वैऻािनक आधाय क्मा है ? क्मा ग्रहों का भानव-जीवन ऩय प्रबाव है ? क्मा वक र्न औय सभान ग्रह स्स्थित भें जन्भ रेनेवारों का सफकुछ िनस्श् त होता है
?
क्मा र्न-साऩेऺ ग्रह-स्स्थित के अनस ै ी, दृस्ष्टकोण, शीर, स्वबाव, ु ाय जन्भ रेनेवारे व्मस्क्त की कामथशर सॊसाधन औय साध्म िनस्श् त होता है
? वक र्न भें जन्भ रेनेवारे व्मस्क्तमों की सॊख्मा हजायों भें होती
हैं, अगय सबी का स्वबाव ,कामथक्रभ औय साध्म वक होता तो भहात्भा गाधी औय जवाहयरार नेहरु के साथ ऩैदा होनेवारे व्मस्क्त मा व्मस्क्तमों से सॊसाय अऩरयच त क्मों है
?
बववष्म फनामा जाव मा बववष्म दे ख जाव गीता भें बगवान श्रीकृष्ण ने कभथवादी होने का उऩदे श ददमा है
?
, जफकक पमरत ्मोितष बावी घटनाओॊ
की जानकायी दे कय अकभथण्मता को फढ़ावा दे ता है । सवार मह उठता है कक ग्रहों के प्रबाव औय प्रायधध ऩय ववश्वास ककमा जाव मा कभथवादी फना जाव
? उस जानकायी से क्मा राब जो ववश्व को अकभथण्म फना दे ? बववतव्मता होकय यहेगी तो भनष्ु म की इ्छाशस्क्त औय नैितकता की क्मा बमू भका होगी ? जो होना है , वही होगा , उसे हभ फदर नहीॊ ऩावॊगे तो उस जानकायी से क्मा राब हो सकता है ? क्मा बावी अिनष्टकय घटनाओॊ को टारा जा सकता है
?
क्मा बावी अिनष्टकय घटनाओॊ को टारा जा सकता है ऩड़ा
, हरयश् ॊद्र श्भशान-घाट भें
? याभ औय मचु धस्ष्ठय को फनवासी फनकय यहना ै ीदायी कयने को वववश हुव , भहायाणा प्रताऩ फहुत ददनों तक जॊगर भें क
बटकते हुव घास की योटी खाने को भजफयू हुव । अमबप्राम मह है कक फयु े ग्रह का प्रबाव हय व्मस्क्त के जीवन भें दे खा गमा। सबी के गरु ु आध्मास्त्भक स्तय ऩय कापी ऊॊ ाई के थे , िनस्श् त रुऩ से फयु े ग्रहों के अिनष्टकय प्रबाव से छुटकाया ऩाने के मरव तॊर
, भॊर , मॊर , ऩज ू ा-ऩाठ , प्राथथना , यत्न-धायण ,
आदद का सहाया मरमा गमा होगा। आज के ्मोितषी बरे ही फयु े ग्रहों के प्रबावी सभम की बववष्मवाणी कयने भें ववपर हो जावॊ यत्नों के प्रबाव के फी कहीॊ तॊर
, उनका इराज कयने भें सपरता का दावा कयते हैं। क्मा ग्रहों के प्रबाव औय
ऩयस्ऩय सॊफध ॊ को मसि कयने के मरव वक प्रमोगशारा की आवश्मकता नहीॊ है
?
, भॊर ,मॊर , ऩज ू ा-ऩाठ , प्राथथना की तयह यत्न-धायण बी स्वान्त् सख ु ाम भनोवैऻािनक इराज तो नहीॊ है ? सप्ताह के ददनों का ्मोितष भें भहत्व सप्ताह के अन्म ददनों की तयह यवववाय को सम ू थ की गित औय स्स्थित भें कोई अॊतय नहीॊ होता ्मोितषी यवववाय को यवव के प्रबाव से कैसे जोड़ दे ते हैं
, कपय
? क्मा सप्ताह के सात ददनों के नाभकयण की ग्रहों के गण ु -दोष ऩय आधरयत होने की वैऻािनकता मसि की जा सकती है ? मदद नही तो कपय ददन ऩय आधारयत पमरत औय कभथकाण्ड का औच त्म क्मा है ? शब ु भह ु ू त्तथ औय मारा िनकारने का भहत्व शब ु भह ु ू तथ औय मारा िनकारने के फाद बी ककव गव फहुत साये कामथ अधयू े ऩड़े यहते हैं मा कामों की सभास्प्त के फाद ऩरयणाभ नक ु सानप्रद मसि होते हैं । वक अ्छे भह ु ू तथ भें राखों ववद्माथी ऩयीऺा भें सस्म्भमरत होते हैं
, ककन्तु सबी अऩनी मो्मता के अनस ु ाय ही पर प्राप्त कयते हैं , कपय भह ु ू तथ मा मारा का क्मा औच त्म है ? शकुन अशकुन का औच त्म बफल्री के यास्ता काटने ऩय गाड़ी- ारक आकस्स्भक दघ थ ना के बम से गाड़ी को कुछ ऺणों के मरव योक ु ट दे ता है
, ककन्तु ये रवे पाटक ऩय ैकीदाय के भना कयने के फावजदू वह अऩनी गाड़ी को आगे फढ़ा दे ता है । क्मा मह उच त है ? क्मा शकुन ऩिित मा ऩश-ु ऩऺी की गितववचध से बी बववष्म की जानकायी प्राप्त की जा सकती है ? हस्तये खा से बववष्म की जानकायी हस्तये खा ऩढ़कय बववष्म की ककतनी जानकायी प्राप्त की जा सकती है की सभममक् ु त बववष्मवाणी की जा सकती है मा भहज मह वक छरावा है
? क्मा इसके द्वाया सॊऩण ू थ जीवन
? क्मा हस्तये खाओॊ को ऩढ़कय जन्भकॊु डरी-िनभाथण सॊबव है
? क्मा हस्ताऺय से व्मस्क्त की भानमसकता मा ारयबरक ववशेषताओॊ ऩय
प्रकाश डारा जा सकता है मा उससे ितचथमक् ु त बववष्मवाखणमा बी की जा सकती हैं फदरकय बववष्म फदरा जा सकता है
? क्मा हस्ताऺय
?
वास्तश ु ास्र का भहत्व सबी व्मस्क्त अऩने बवन
, सॊस्थान , औद्मोचगक ऺेर के स्वरुऩ भें वास्तश ु ास्र के अनरु ु ऩ ऩरयवतथन
कयने के फावजद ू बा्म के स्वरुऩ भें कोई ऩरयवतथन नहीॊ कय ऩाता। आखखय वास्तश ु ास्र पमरत ्मोितष का ही अॊग है मा फयु े ग्रहों का इराज मा कपय प्रा ीनकारीन बवन-िनभाथण की ववकमसत तकनीक
?
प्रश्नकुडरी से बववष्म अथक ऩरयश्रभ से भर ू कॊु डरी की व्माख्मा कयते हुव ्मोितषी आजतक व्मस्क्त के सही स्वरुऩ , ारयबरक ववशेषताओॊ औय प्रितपरन-कार को िनधाथरयत कयने भें सपर मसि नहीॊ हो सके हैं। कपय प्रश्नकॊु डरी से वे ककस कल्माण की अऩेऺा कयते हैं
?
याजमोग का भहत्व पमरत ्मोितष भें वखणथत याजमोग भें उत्ऩन्न अचधकाॊश रोग न तो याजा होते हैं औय न ही फड़े
ऩदाचधकायी । अित साभान्म औय गयीफी ये खा से नी े यहनेवारे व्मस्क्तमों की कॊु डमरमों भें कबी-कबी कई याजमोग ददखाई ऩड़ जाते हैं । ऐसी ऩरयस्स्थितमों भें इन याजमोगों का क्मा भहत्व यह जाता है यहस्म कहीॊ अन्मर तो नहीॊ िछऩा है
? इसका
?
ग्रहशस्क्त का असरी यहस्म कहाॊ छुऩा है
?
ग्रहों के दशाकार िनधाथयण के मरव अनेक ऩिितमों का उल्रेख है । सबी ऩिितमाॊ ऋवष-भिु नमों की ही दे न है । इनभें से ककसे सही औय ककसे गरत सभझा जाव
? इतनी सायी ऩिितमों के फावजूद क्मा सारबय फाद घटनेवारी घटनाओॊ की ितचथमक् ु त बववष्मवाणी सॊबव है ? स्थान-फर, कार-फर, ददक-फर , नैसचगथक-फर , ेष्टा-फर ,दृस्ष्ट-फर , षडवगथ-फर , अष्टकवगथ-फर आदद ववचधमों से ग्रहशस्क्त की ऩैभाइश ककव जाने की व्मवस्था है । क्मा स भु
इन ववचधमों से ककसी कॊु डरी भें सफसे कभजोय औय
सफसे शस्क्तवारे ग्रह को सभझा जा सकता है मा ग्रहशस्क्त का यहस्म उसकी गितज ऊजाथ ,स्थैितज ऊजाथ तथा गरू ु त्वाकषथण-फर भें अॊतिनथदहत हैं
?
जभाने के साथ ग्रह के प्रबाव भें ऩरयवतथन कॊु डरी के नवग्रह कबी फाल्मकार भें शादी का मोग उऩन्न कयते थे, आज के मव ु ा-मव ु ती ऩण ू थ व्मस्क होने
ऩय ही वववाह-फॊधन भें ऩड़ना उच त सभझते हैं। मे ग्रह कबी फहुसॊतानोत्ऩस्त्त के मरव प्रेरयत कयते थे , आज बी वे ग्रह भौजद ू हैं , ककन्तु दम्ऩस्त्त भार वक-दो सॊतान की इ्छा यखते हैं । ऩहरे गबथऩात अवैध
था ,आज इसे कानन ू का सॊयऺण प्राप्त है । ऩहरे रोग नौकयी कयनेवारों को िनकृष्ट सभझते थे रोग नौकयी के मरव रारािमत यहते हैं । ऩहरे वषाथ भें िनममभतता औय प्र यु ता होती थी
, आज
, आज
अिनस्श् ता औय अिनममभतता फनी हुई है । ऩहरे रोगों का भेर-मभराऩ औय सॊफध ॊ सीमभत जगहों ऩय हुआ कयता था , आज सभ्मता ,सॊस्कृित , याजनीित औय फाजाय का ववश्वीकयण हो गमा है । ऩहरे रोग सयर हुआ कयते थे , आज सॊत बी जदटर हुआ कयते हैं। आखखय ग्रहों के प्रबाव भें फदराव है मा अन्म कोई गोऩनीम कायण है ? इस धराग भें ्मोितष के वास्तववक स्वरूऩ की
ाथ होगी
्मोितष से सॊफचॊ धत उऩयोक्त प्रश्न अक्सयहा ऩर-ऩबरकाओॊ भें ्मोितवषमों के मरव
ुनौतमों के रुऩ भें
उऩस्स्थत होते यहते हैं । भैनें बी ऐसा भहसस ू ककमा है कक इन प्रश्न के उत्तय ददव बफना पमरत ्मोितष को प्रगित-ऩथ ऩय नहीॊ रे जामा जा सकता। भझ ु े ककसी ्मोितषी से कोई मशकामत नहीॊ है । सबी ्मोितषी अऩने ढॊ ग से पमरत ्मोितष को ववकमसत कयने की ददशा भें िनयॊ तय कामथयत हैं की कामथववचध से सॊसाय को कोई भतरफ नहीॊ है
, ऩयॊ तु ककसी
, उसे प्रत्मऺ-पर ादहव। ्मोितष भें ग्रहों के परों को स्जस ढॊ ग से प्रस्तत ु ककमा गमा है , उसभें कामथ , कायण औय पर भें अचधकाॊश जगहों ऩय कोई सभन्वम नहीॊ ददखाई ऩड़ता है । मही कायण है कक उऩयोक्त ढे य साये प्रश्न आभ आदभी के भनभस्स्तष्क भें कौधते
यहते हैं। इन प्रश्नो के उत्तय नहीॊ मभरने से ्मोितषीम भ्राॊितमा स्वाबाववक रुऩ से उत्ऩन्न हुई हैं। इस धराग भें वववे्म प्रसॊगों की साॊगोऩाॊग व्माख्मा कयके ऩाठकों को ्मोितष के वास्तववक स्वरुऩ से ऩरयच त कयाने की
ष्े टा होगी। ्मोितष के वैऻािनक स्वरुऩ को उबायते हुव ग्रहशस्क्त औय दशाकार िनधाथयण से सॊफचॊ धत नमी खोजों का सॊक्षऺप्त ऩरय म ददमा जावगा। मह बी मसि ककमा जावगा कक ग्रहों का जड़- ेतन
, वनस्ऩित, जीव-जन्तु औय भानव-जीवन ऩय प्रबाव है। प्रस्तत ु धराग ्मोितषमों ,फवु िजीवी वगथ तथा
वैऻािनक दृस्ष्टकोण यखनेवारे व्मस्क्तमों के मरव फहुत उऩमोगी ववॊ सम्फर प्रदान कयनेवारी मसि होगी।
हभग्रहक ीकक सशक्क्िसेप्रबािविहैं वक ही ग्रह का कोण फदर जाने से उसका प्रबाव फदर जाता है
ऩथ् े न , जीव-जॊतु औय भनुष्म ग्रहों के ववककयण , कॉस्स्भक ककयण , ववद्मुतृ वी के सबी जड़- त म् ु फकीम तयॊ ग , प्रकाश , गुरुत्वाकषथण मा गित से ही प्रबाववत हैं । इन सबी शस्क्तमों की
बौितक ववऻान भें की गमी है । ऩुन: ववऻान इस फात की बी
ाथ
ाथ कयता है कक सबी प्रकाय की
शस्क्तमॉ वक-दस ू ये के स्वरुऩ भें रुऩाॊतरयत की जा सकती है । ऊऩय मरखखत शस्क्तमों के
ाहे स्जस
रुऩ से ग्रह हभें प्रबाववत कयें , वह शस्क्त िनस्श् त रुऩ से ग्रहों के स्थैितक औय गितज ऊजाथ से प्रबाववत हैं , क्मोंकक व्मावहारयक तौय ऩय भैंने ऩामा है कक ग्रह-शस्क्त का सॊऩूणथ आधाय उसकी गित भें छुऩा हुआ है ।
ऩुन: वक प्रश्न औय उठता है , सबी ग्रह मभरकय ककसी ददन ऩथ् ृ वीवामसमों के मरव ऊजाथ मा
शस्क्त से सॊफॊचधत वक जैसा वातावयण फनाते हैं , तो उसका प्रबाव मबन्न-मबन्न वनस्ऩित , जीवजॊतु , औय भनुष्मों ऩय मबन्न-मबन्न रुऩ से क्मों ऩड़ता है ? वक ही तयह की ककयणों का प्रबाव वक ही सभम ऩथ् ृ वी के ववमबन्न बागों भें मबन्न-मबन्न तयह से क्मों ऩड़ता है ? इस फात को सभझने के मरव कुछ फातों ऩय गौय कयना ऩड़ेगा। भई का भहीना
र यहा हो , भध्म आकाश भें
सूमथ हो ,दोऩहय का सभम हो , प्र ण्ड गभी ऩड़ती है । इसी सभम ऩथ् ृ वी के स्जस बाग भें सुफह हो यही होगी , वहॉ सुफह के वातावयण के अनुरुऩ , जहॉ शाभ हो यही होगी , वहॉ शाभ के अनुरुऩ तथा जहॉ भध्म याबर होगी , वहॉ सभस्त वातावयण आधी यात का होगा।
अमबप्राम मह है कक वक ही ककयण का कोण फदर जाने से उसका प्रबाव बफल्कुर फदर जाता है । दोऩहय की सूमथ की प्र ड ॊ गभी , जो अबी व्माकुर कय दे नेवारी है , आधीयात को स्वमॊभेव याहत दे नेवारी हो जाती है । प्रत्मेक दो घॊटे भें ऩथ् ृ वी अऩने अऺ भें 30 डडग्री आगे फढ़ जाती है औय
इसके िनयॊ तय गितशीर होने से सबी ग्रहों के प्रबाव का कामथऺेर फदर जाता है । ऩथ् ृ वी के हय
ऺण के फदराव के कायण ग्रहों के कोण भें फदराव आता है , स्जसके परस्वरुऩ हय ऺण सज ृ न , जन्भ-भयण , आववबाथव आदद जीवात्भा की ग्रॊचथमों भें दजथ हो जाती है । साथ ही सदै व फदरते
ग्रहीम ऩरयवेश के साथ हय जीवात्भा की धनात्भक-ऋणात्भक प्रितकक्रमा होती है । इस तयह वक ही ग्रहीम वातावयण का ऩथ् े न ऩय अरग-अरग प्रबाव ऩड़ता है । ृ वी के प्ऩे- प्ऩे भें स्स्थत जड़- त ग्रह की गित , प्रकाश , गरू ु त्वाकषथण से रोग प्रबाववत होते हैं प्रश्न मह बी है कक जफ ग्रह की गित , प्रकाश ,गरु ु त्वाकषथण मा ववद्मत ु - म् ु फकीम-शस्क्त से रोग
प्रबाववत हैं , तो अबी तक ग्रह-शस्क्त की तीव्रता की जानकायी के मरव बौितक ववऻान का सहाया
नहीॊ रेकय पमरत ्मोितष भें स्थानफर , ददक्फर , कारफर , नैसचगथक फर , ष्े टाफर , दृस्ष्टफर , आत्भकायक , मोगकायक , उत्तयामण , दक्षऺणामण , अॊशफर , ऩऺफर आदद की
ाथ भें ही
्मोितषी क्मों अऩना अचधकाॊश सभम गॊवाते यहें ? आज इनसे सॊफॊचधत हय िनमभों औय को फायी फायी से हय कॊु डमरमों भें जॉ
की जाव , इन िनमभों को कम्प्मूटयीकृत कय इसकी जॉ
की जाव ,
भेया दावा है , कोई िनष्कषथ नहीॊ िनकरेगा। बौितक ववऻान भें स्जतनें प्रकाय की शस्क्तमों की
ाथ
की गमी है , सबी को भाऩने के मरव इकाई , सूर मा सॊमॊर की व्मवस्था है । ग्रहों की शस्क्त को भाऩने के मरव हभाये ऩास न तो सूर है , न इकाई औय न ही सॊमॊर। ववकासशीर ववऻानो का वकदस ू ये से ऩयस्ऩय सहसॊफॊध आवश्मक आज से हजायो वषथ ऩव ू थ सम ू मथ सिाॊत नाभक ऩस् ु तक भें ग्रहों की ववमबन्न गितमों का उल्रेख है ,
इन गितमों के मबन्न-मबन्न नाभकयण हैं ककन्तु इन गितमों की उऩमोचगता केवर ग्रह की आकाश भें सम्मक् स्स्थित को ददखाने तक ही सीमभत थी। इन्हीॊ गितमों भें ववमबन्न प्रकाय से ग्रह की
शस्क्तमॉ िछऩी हुई हैं , इस फात ऩय अबी तक रोगों का ध्मान गमा ही नहीॊ था। ककसी बी स्थान ऩय मे ग्रह ववमबन्न गितमों से सॊमक् ु त हो सकते हैं। अत: वक ही स्थान ऩय यहकय मे ग्रह मबन्न गित के कायण मबन्न पर को प्रस्तत ु कयते हैं , जातक को मबन्न भनोदशा दे ते हैं। पमरत
्मोितष भें ग्रह-गितमों के ववमबन्न परों का ऩयू ा उऩमोग ककमा जा सकता है , स्जसका उल्रेख ्मोितष के प्रा ीन ग्रॊथों भें नहीॊ ककमा गमा है । इसका भुख्म कायण मह हो सकता है कक उस
सभम बौितक ववऻान भें उस्ल्रखखत स्थैितज मा गितज ऊजाथ , गुरुतवाकषथण , कॉस्स्भक ककयण , ववद्मुत
म् ु फकीम ऺेर आदद की खोज नहीॊ हुई हो।
स्भयण यहे , हय ववऻान का ववकास द्रत ु गित से तबी हो सकता है , जफ ववकासशीर ववऻान वक
दस ू ये से ऩयस्ऩय धनात्भक सहसॊफॊध फनाव यखें। उन ददनों बौितक ववऻान का फहुआमाभी ववकास नहीॊ हो ऩामा था , इसमरव हभाये ऋवष मा ऩूवज थ ग्रहों की शस्क्त की खोज आकाश के ववमबन्न
स्थानों भें उसकी स्स्थित भें ढूॊढ़ यहे थे। उन्होने ग्रहों की शस्क्त को खोज भें वड़ी- ोटी का ऩसीना वक कय ददमा था। कबी वे ऩातें कक ग्रहों की शस्क्त मबन्न-मबन्न यामशमों भें मबन्न-मबन्न है । कबी भहसस ू कयते कक वक ही यामश भें ग्रह मबन्न-मबन्न पर दे यहें हैं। उसी यामश भें यहकय
कबी अऩनी सफसे फड़ी ववशेषता तो कबी अऩनी कभजोयी दजथ कयाते हैं। आज के सबी ववद्वान ्मोितषी बी अवश्म ही ऐसा भहसस ू कयते होंगे। भैं अनेक कॊु डमरमों भें वक ही यामश भें स्स्थत
ग्रहों से उत्ऩन्न दो ववऩयीत प्रबावों को दे ख
क ु ा हूॊ। ककथ र्न हो , ऩॊ भ बाव भें वस्ृ श् क यामश का फह ु से ऩरयऩूणथ , सॊतप्ृ त बी हो सकता है , तो ृ स्ऩित हो , ऐसी स्स्थित भें व्मस्क्त सॊतान सख िनस्सॊतान औय दख ु ी बी।
वस्ृ श् क यामश के ऩॊ भ बाव का फह ृ स्ऩित
ाहे स्जस द्रे ष्काण , नवभाॊश , षड्वगथ मा अष्टकवगथ भें
हो , स्जतने बी अ्छे अॊक प्राप्त कय रें , मदद वह भॊगर के साऩेऺ अचधक गितशीर नहीॊ हुआ ,
तो जातक धनात्भक ऩरयणाभ कदावऩ नहीॊ प्राप्त कय सकता। अत: ग्रह की शस्क्त ककसी ववशेष स्थान भें नहीॊ , वयन ् उसके यामशश की तुरना भें फढ़ी हुई गित के कायण होती है । ग्रह के फराफर िनधाथयण के मरव ऩयॊ ऩया से ददक्फर को बी भहत्वऩूणथ भाना जाता है । याजमोग प्रकयण की सभीऺा भें उिृत कॊु डरी भें भॊगर ददक्फरी था , ककन्तु जातक मुवावस्था भें ही टी फी का
भयीज था। भैंने ऩामा कक उसके जन्भकार भें भॊगर सभरुऩगाभी था , जो अितशीघ्री यामशश के बाव भें स्स्थत था। इस कायण भॊगर ऋणात्भक था औय मुवावस्था भें ही मािन भॊगर के कार भें ही जातक की सायी ऩरयस्स्थितमॉ औय प्रवस्ृ त्तमॉ ऋणात्भक थी। पमरत ्मोितष भें अफ तक ग्रहों की स्स्थित को ही सवाथचधक भहत्व ददमा गमा है , उसकी है मसमत मा शस्क्त को सभझने की
ष्े टा हीॊ की गमी है । धनबाव भें स्स्थत वष ृ का फह ृ स्ऩित कयोड़ऩित औय मबखायी दोनों को जन्भ दे सकता है । इस कायण फह ु दोनों भें अॊितनथदहत शस्क्त को मबन्न तयीके से ृ स्ऩित औय शक्र
सभझने की फात होनी
ादहव। थाने भें फैठे सबी रोगों को थानेदाय सभझ मरमा जाव तो अनथथ
ही हो जावगा , क्मोंकक बरे ही वहॉ अचधक सभम थानेदाय की उऩस्स्थित यहती हो , ऩयॊ तु कबी वहॉ वस ऩी , डी वस ऩी औय कबी सपेदऩोश अऩयाधी बी फैठे हो सकते हैं।
अबी तक ग्रहों के फराफर को सभझने के मरव ववमबन्न ववद्वानों की ओय से स्जतने तयह के सुझाव ्मोितष के ग्रॊथों भें ददव गव हैं , वे ऩमाथप्त नहीॊ हैं। ऩयॊ ऩयागत सबी िनमभों की जानकायी , जो शस्क्त िनधाथयण के मरव फनामी गमी है , भें सवथश्रेष्ठ कौन सा है , िनकारना भुस्श्कर है , स्जसऩय बयोसा कय तथा स्जसका प्रमोग कय बववष्मवाणी को सटीक फनाकय जनसाभान्म के
साभने ऩेश ककमा जा सके। ऐसी अनेक कॊु डमरमॉ भेयी िनगाहों से होकय बी गुजयी हैं , जहॉ ग्रह को शस्क्तशारी मसि कयने के मरव प्राम: सबी िनमभ काभ कय यहे हैं , कपय बी ग्रह का पर
कभजोय है । इसका कायण मह है कक उऩयोक्त सबी िनमभों भें से वक बी ग्रह-शस्क्त के भूरस्रोत से सॊफॊचधत नहीॊ हैं। इसी कायण पमरत ्मोितष अिनस्श् त वातावयण के दौय से गुजय यहा है ।
पिरि्मोतिष:िवज्ञानमाअंधिवश्वास
पमरत ्मोितष ववऻान है मा अॊधववश्वास , इस प्रश्न का उत्तय दे ऩाना सभाज के ककसी बी वगथ के मरव आसान नहीॊ है । ऩयॊ ऩयावादी औय अॊधववश्वासी वव ायधाया के रोग ,जो कई स्थानों ऩय ्मोितष ऩय ववश्वास कयने के कायण धोखा खा
ुकें हैं ,बी इस शास्र ऩय सॊदेह नहीॊ कयते। साया
दोषायोऩण ्मोितषी ऩय ही होता है । वैऻािनकता से सॊमुक्त वव ायधाया से ओत-प्रोत व्मस्क्त बी ककसी भुसीफत भें पॊसते ही सभाज से छुऩकय ्मोितवषमों की शयण भें जाते दे खे जाते हैं।
्मोितष की इस वववादास्ऩद स्स्थित के मरव भै सयकाय ,शैऺखणक सॊस्थानों ववॊ ऩरकारयता ववबाग को दोषी भानती हूॊ। इन्होने आजतक ्मोितष को न तो अॊधववश्वास ही मसि ककमा औय न ही ववऻान ? सयकाय मदद ्मोितष को अॊधववश्वास सभझती तो जन्भकॊु डरी फनवाने मा जन्भऩरी मभरवाने के काभ भें रगे ्मोितवषमों ऩय कानूनी अड़ नें आ सकती थी। मऻ हवन कयवाने मा तॊर-भॊर का
प्रमोग कयनेवारे ्मोितवषमों के कामथ भें फाधावॊ आ सकती थी। सबी ऩबरकाओॊ भें यामश-पर के प्रकाशन ऩय योक रगामा जा सकता था। आखखय हय प्रकाय की कुयीितमों औय अॊधववश्वासों जैसे जुआ , भद्मऩान , फार-वववाह, सती-प्रथा आदद को सभाप्त कयनें भें सयकाय ने कोई कसय नहीॊ
छोड़ी है ,ऩयॊ तु ्मोितष ऩय ववश्वास कयनेवारों के मरव ऐसी कोई कड़ाई नहीॊ हुई। आखखय क्मों ? क्मा सयकाय ्मोितष को ववऻान सभझती है ? नहीॊ, अगय वह इस ववऻान सभझती तो इस ऺेर भें कामथ कयनेवारों के मरव कबी-कबी ककसी प्रितमोचगता, सेमभनाय आदद का आमोजन होता तथा ववद्वानों को ऩुयस्कायों से सम्भािनत कय प्रोत्सादहत ककमा जाता। ऩयॊ तु आजतक ऐसा कुछ बी
नहीॊ ककमा गमा। ऩरकारयता के ऺेर भें दे खा जाव तो रगबग सबी ऩबरकावॊ मदा-कदा ्मोितष से सॊफॊचधत रेख, इॊटयव्मू , बववष्मवाखणमॉ आदद िनकारती यहती है ऩय जफ आजतक इसकी
वैऻािनकता के फाये भें िनष्कषथ ही नहीॊ िनकारा जा सका, जनता को कोई सॊदेश ही नहीॊ मभर ऩामा तो कपय ऐसे रेखों मा सभा ायों का क्मा औच त्म ? ऩबरकाओॊ के ववमबन्न रेखों हे तु ककमा जानेवारा ्मोितवषमों कें
मन का तयीका ही गरत है ।
उनकी व्मावसािमक सपरता को उनके ऻान का भाऩदॊ ड सभझा जाता है , रेककन वास्तव भें ककसी की व्मावसािमक सपरता उसकी व्मावसािमक मो्मता का ऩरयणाभ होती है ,न कक ववषमववशेष की गहयी जानकायी। इन सपर ्मोितवषमों का ध्मान पमरत ्मोितष के ववकास भें न होकय अऩने व्मावसािमक ववकास ऩय होता है । ऐसे व्मस्क्तमों द्वाया ्मोितष ववऻान का प्रितिनचधत्व कयवाना ऩाठकों को कोई सॊदेश नहीॊ दें ऩाता है । जो ्मोितषी ्मोितष को ववऻान मसि कय सकें , उन्हें ही अऩने वव ाय प्रस्तत ु कयने के मरव आभॊबरत ककमा जाना
ादहव मा वक
प्रितमोचगता भें ककसी व्मस्क्त की जन्भितचथ, जन्भसभम औय जन्भस्थान दे कय सबी ्मोितवषमों
से उस जन्भऩरी का ववश्रेषण कयवाना
ादहव । उसकी ऩूयी स्जॊदगी कें फाये भें जो ्मोितषी
सटीक बववष्मवाणी कय सके उसे ही अखफायों ,ऩबरकाओॊ भें स्थान मभरना
ादहव।
ऩयॊ तु ्मोितवषमों की ऩयीऺा रेने के मरव कबी बी ऐसा नहीॊ ककमा गमा ,परस्वरुऩ ्मोितष की गहयी जानकायी यखनेवारे सभाज के सम्भुख कबी नहीॊ आ सके औय सभाज नीभ-हकीभ
्मोितवषमों से ऩये शान होता यहा। इसके अितरयक्त वैऻािनक दृस्ष्टकोण यखनेवारे कुछ रोग औय कुछ सॊस्थावॊ ऐसी है , जो ्मोितष ववऻान के प्रित ककसी ऩूवाथग्रह से ग्रमसत हैं। वे ्मोितष से सॊफॊचधत फातों को सुनने भें रुच
कभ औय उऩहास भें रुच
्मादा यखते हैं। उनके दृस्ष्टकोण भें
सभन्वमवाददता की कभी बी आजतक ्मोितष को ववऻान नहीॊ मसि कय ऩामी है । ्मोितष ववऻान की वैऻािनकता के फाये भें सॊशम प्रकट कयते हुव मह कहा जाता है कक सौयभॊडर भें सम ू थ स्स्थय है तथा अन्म ग्रह इसकी ऩरयक्रभा कयते हैं, ककन्तु ्मोितष शास्र मह भानता है कक ऩथ् ृ वी स्स्थय है औय अन्म ग्रह इसकी ऩरयक्रभा कयते हैं। जफ मह ऩरयकल्ऩना ही गरत है तो
उसऩय आधारयत बववष्मवाणी कैसे सही हो सकती है ? ऩय फात ऐसी नहीॊ है । स्जस ऩथ् ृ वी ऩय हभ यहते हैं , वह ककसी गाड़ी भें
रामभान होते हुव बी हभाये मरव स्स्थय है , ठीक उसी प्रकाय , स्जस प्रकाय हभ र यहे होते हैं , वह हभाये मरव स्स्थय होती है औय ककसी स्टे शन ऩय ऩहुॊ ते ही
हभ कहते हैं , `अभुक शहय आ गमा।´ स्जस ऩथ् ृ वी भें हभ यहतें हैं , उसभें हभ स्स्थय सूमथ के ही उदम औय अस्त का प्रबाव दे खते हैं। इसी प्रकाय अन्म आकाशीम वऩॊडों का बी प्रबाव हभऩय
ऩड़ता है । ऩथ् ू ये ग्रह ऩय बेजना होता है तो ऩथ् ृ वी से कोई कृबरभ उऩग्रह को ककसी दस ृ वी को स्स्थय भानकय ही उसके साऩेऺ अन्म ग्रहों की दयू ी िनकारनी ऩड़ती है । जफ मह सफ गरत नहीॊ होता
तो ्मोितष भें ऩथ् ृ वी को स्स्थय भानते हुव उसके साऩेऺ अन्म ग्रहों की गित ऩय आधारयत पर कैसे गरत हो सकता है ? ्मोितष की वैऻािनकता के फाये भें सॊशम प्रकट कयते हुव दस ू या तकथ मह ददमा जाता है कक सौयभॊडर भें सम ॊ भा उऩग्रह है , ू थ ताया है , ऩथ् ु , फह ृ वी, भॊगर, फध ृ स्ऩित, शिन आदद ग्रह हैं तथा द्र जफकक ्मोितष शास्र भें सबी ग्रह भाने जाते हैं । इसमरव इस ऩरयकल्ऩना ऩय आधारयत
बववष्मवाणी भहत्वहीन है । इसके उत्तय भें भेया मह कहना है कक सबी ववऻान भें वक ही शधदों के तकनीकी अथथ मबन्न-मबन्न हो सकते हैं । अबी ववऻान ऩयू े ब्रहभाॊड का अध्ममन कय यहा है । ब्रहभाॊड भें स्स्थत सबी वऩॊडों को स्वबावानस ु ाय कई बागों भें व्मक्त ककमा गमा है । सबी तायाओॊ की तयह ही सूमथ की प्रकृित होने के कायण इसे ताया कहा गमा है । सूमथ की ऩरयक्रभा कयनेवारे वऩॊडों को ग्रह कहा गमा है । ग्रहों की ऩरयक्रभा कयनेवारे वऩॊडों को उऩग्रह कहा गमा है । ककन्तु
पमरत ्मोितष ऩूये ब्रहभाॊड का अध्ममन नहीॊ कय मसपथ अऩने सौयभॊडर का ही अध्ममन कयता है । सूमथ को छोड़कय अन्म तायाओॊ का प्रबाव ऩथ् ृ वी ऩय नहीॊ भहसूस ककमा गमा है । इसी प्रकाय
अन्म ग्रहों के उऩग्रहों का ऩथ् ॊ , फुध, फह ृ वी ऩय कोई प्रबाव नहीॊ दे खा गमा है । सूम,थ द्र ृ स्ऩित, शुक्र, शिन ववॊ भॊगर की गित औय स्स्थित के प्रबाव को ऩथ् े न औय भानव-जाित ऩय ृ वी , उसके जड़- त भहसूस ककमा गमा है । इसमरव इन सफों को ग्रह कहा जाता है । ग्रहों की इस शास्र भें मही
ऩरयबाषा दी गमी है । इसके आधाय ऩय इसकी वैऻािनकता ऩय प्रश्नच न्ह नहीॊ रगामा जा सकता। तीसया तकथ मह है कक ्मोितष भें याहू औय केतु को बी ग्रह भाना गमा है , जफकक मे ग्रह नहीॊ हैं । मे तकथ फहुत ही भहत्वऩूणथ हैं। सफसे ऩहरे मह जानकायी आवश्मक है कक याहू औय केतु हैं क्मा ? ऩथ् ृ वी को स्स्थय भानने से ऩथ् ृ वी के है । ऩथ् ृ वी के
ायो ओय
ायो ओय सूमथ का वक काल्ऩिनक ऩरयभ्रभण-ऩथ फन जाता
द्र ॊ भा का वक ऩरयभ्रभण ऩथ है ही । मे दोनो ऩरयभ्रभण-ऩथ वक दस ू ये
को दो ववन्दओ ु ॊ ऩय काटते हैं । अितप्रा ीनकार भें ्मोितवषमों को भारूभ नहीॊ था कक वक वऩॊड की छामा दस थ हण औय ू ये वऩॊडों ऩय ऩड़ने से ही सूमग्र सूमग्र थ हण औय
द्र ॊ ग्रहण होते हैं। जफ ्मोितवषमों ने
द्र ॊ ग्रहण होते दे खा, तो वे इसके कायण ढूॊढ़ने रगे। दोनो ही सभम इन्होने ऩामा कक
सूम,थ द्र ॊ , ऩथ् ॊ के ऩरयभ्रभण-ऩथ ऩय कटनेवारे दोनो ववन्द ु रम्फवत ् हैं। फस उन्होने ृ वी ववॊ सूम,थ द्र सभझ मरमा कक इन्हीॊ ववन्दओ ु ॊ के परस्वरुऩ खास अभावस्मा को सूमथ तथा ऩूखणथभा की याबर को द्र ॊ आकाश से रुप्त हो जाता है । उन्होने इन ववन्दओ ु ॊ को भहत्वऩूणथ ऩाकय इन ववन्दओ ु ॊ का
नाभकयण `याहू´ औय `केत´ु कय ददमा। इस स्थान ऩय उन्होने जो गल्ती की, उसका खामभमाजा ्मोितष ववऻान अबी तक बुगत यहा है ,क्मोंकक याहू औय केतु कोई आकाशीम वऩॊड हैं ही नहीॊ औय हभरोग ग्रहों की स्जस उजाथ से बी प्रबाववत हो---गुरुत्वाकषथण, गित, ककयण मा ववद्मुतम् ु फकीम शस्क्त, याहू औय केतु इनभें से ककसी का बी उत्सजथन नहीॊ कय ऩाते। इसमरव इनसे
प्रबाववत होने का कोई प्रश्न ही नहीॊ उठता। मही कायण है कक याहू औय केतु ऩय आधारयत बववष्मवाणी सही नहीॊ हो ऩाती।
ौथा तकथ मह है कक सबी ्मोितवषमों की बववष्मवाखणमों भें ववववधता क्मों होती है ? हभ सबी जानते हैं कक कोई बी शास्र मा ववऻान क्मों न हो कामथ औय कायण भें सही सॊफॊध स्थावऩत ककमा गमा हो तो िनष्कषथ िनकारने भें कोई गल्ती नहीॊ होती। इसके ववऩरयत मदद कामथ औय कायण भें सॊफॊध भ्राभक हो तो िनष्कषथ बी भ्रमभत कयनेवारे होंगे। ्मोितष ववऻान का ववकास फहुत ही प्रा ीन कार भें हुआ। उस कार भें कोई बी शास्र कापी ववकमसत अवस्था भें नहीॊ था।सबी शास्रों औय ववऻानों भें नव-नव प्रमोग कय मुग के साथ-साथ उनका ववकास कयने ऩय फर ददमा गमा , ऩय अपसोस की फात है कक ्मोितष ववऻान अबी बी वहीॊ है जहॉ से इसने मारा शुरु की थी । भहवषथ जैमभनी औय ऩयाशय के द्वाया ग्रह शस्क्त भाऩने औय दशाकार िनधाथयण के जो सूर थे ,उसकी प्रामोचगक जॉ
कय उन्हें सुधायने की ददशा भें कबी कामथ नहीॊ
ककमा गमा। अॊधववश्वास सभझते हुव ्मोितष-शास्र की गरयभा को जैसे-जैसे धक्का ऩहुॊ ता गमा, इस ववद्मा का हय मुग भें ह्रास होता ही गमा। परस्वरुऩ मह 21वीॊ सदी भें बी िघसट-िघसटकय ही
र यहा है । ्मोितवषमों की बववष्मवाखणमों
भें अॊतय का कायण कामथ औय कायण भें ऩायस्ऩरयक सॊफॊध की कभी होना है । ग्रह-शस्क्त िनकारने के मरव भानक-सूर का अबाव है । कुर 10-12 सूर हैं ,सबी ्मोितषी अरग अरग सूर को
भहत्वऩूणथ भानते हैं। दशाकार िनधाथयण का वक प्राभाखणक सूर है , ऩय उसभें वक साथ जातक के ाय- ाय दशा
रते यहतें हैं-वक भहादशा, दस ू यी अॊतदथ शा, तीसयी प्रत्मॊतय दशा औय
ौथी सूक्ष्भ
भहादशा। इतने िनमभों को मदद कम्प्मूटय भें बी डार ददमा जाव , तो वह बी सही ऩरयणाभ नहीॊ दे ऩाता है , तो ऩॊडडतों की बववष्मवाणी भें अॊतय होना तो स्वाबाववक है । सबी ्मोितषी अरग अरग दशा को भहत्वऩूणथ भान रें तो सफके कथन भें अॊतय तो आवगा ही । अगरा तकथ मह है कक आजकर सबी ऩबरकाओॊ भें र्नपर की
ाथ यहती है । वक यामश भें
जन्भ रेनेवारे राखों रोगों का बा्म वक जैसा कैसे हो सकता है ? मह वास्तव भें आश् मथ की फात है , ककन्तु मह स है कक ककसी ग्रह का प्रबाव वक यामश वारो ऩय तो नहीॊ , ऩय वक र्न के राखों कयोड़ों रोगों ऩय वक जैसा ही ऩड़ता है । `वक जैसा पर´ से वक स्वबाव वारे पर का
फोध होगा ,न कक भारा भें सभानता का । भारा का स्तय तो उसकी जन्भकॊु डरी ववॊ अन्म स्तय ऩय िनबथय कयता है ,जैसे ककसी खास सभम ककसी र्न के मरव धन का राब वक भजदयू के मरव 50-100 रु का तथा वक फड़े व्मवसामी के मरव राखों-कयोड़ों का हो सकता है । रेककन
अचधकाॊश रोगों को अऩने र्न की जानकायी नहीॊ होती , वे ऩबरकाओॊ भें िनकरनेवारे यामशपर को दे खकय भ्रमभत होते यहते हैं। अगरा तकथ मह है कक ककसी दघ थ ना भें वक साथ सैकड़ों हजायो रोग भाये जाते हैं ,क्मा सबी की ु ट कॊु डरी भें ्मोितषीम मोग वक-सा होता है ? इस तकथ का मह उत्तय ददमा जा सकता है कक
्मोितष भें अबी कापी कुछ शोध होना फाकी है , स्जसके कायण ककसी की भत्ृ मु की ितचथ फतरा ऩाना अबी सॊबव नहीॊ है ,ऩय दघ थ नाग्रस्त होनेवारों के आचश्रतों की जन्भकॊु डरी भें कुछ ु ट
कभजोरयमॉ --सॊतान ,भाता ,वऩता ,बाई ,ऩित मा ऩत्नी से सॊफॊचधत कष्ट अवश्म दे खा गमा है । ककसी दघ थ ना भें वक साथ इतने रोगों की भत्ृ मु प्रकृित की ही व्मवस्था हो सकती है वयना ु ट
ड्राइवय मा ये रवे कभथ ायी की गल्ती का खामभमाजा उतने रोगों को क्मों बग ु तना ऩड़ता है ,उन्हें
भौत की सजा क्मों मभरती है , जो फड़े-फड़े अऩयाचधमों को फड़े-फड़े दष्ु कभथ कयने के फावजूद नहीॊ दी जाती।
इसी तयह गखणत की सुववधा के मरव ककव गव आकाश के 12 काल्ऩिनक बागों के आधाय ऩय बी ्मोितष को गरत साबफत कयने की दरीर दी जाती है । मदद इसे सही भाना जाव तो आऺाॊस औय दे शाॊतय ये खाओॊ ऩय आधारयत बूगोर को बी गरत भाना जा सकता है । आकाश के इन
काल्ऩिनक 12 बागों की ऩह ान के मरव इनकें ववस्ताय भें स्स्थत तायासभूहों के आधाय ऩय ककमा
जानेवारा नाभकयण ऩय ककमा जानेवारा वववाद का बी कोई औच त्म नहीॊ हैं , क्मोंकक आकाश के 360 डडग्री को 12 बागों भें फॉट दे ने से अनॊत तक की दयू ी वक ही यामश भें आ जाती है । ऩूजा-ऩाठ मा ग्रह की शाॊित से बा्म को फदर ददव जाने की फात बी वैऻािनको के गरे नहीॊ
उतयती है । हभाये वव ाय से बी ऐसा कय ऩाना सॊबव नहीॊ है । ककसी फारक के जन्भ के सभम की सबी ग्रहों सदहत आकाशीम स्स्थित के अनुसाय जो जन्भकॊु डरी फनती है , उसके अनुसाय उसके ऩूये
जीवन की रुऩये खा िनस्श् त हो जाती है , ऐसा हभने अऩने अनुबव भें ऩामा है । ऩूजा ऩाठ मा ग्रहशाॊित से बा्म भें फदराव रामा जा सकता , तो इसका सवाथचधक राब ऩॊडडत वगथ के रोग ही
उठाते औय सभाज के अन्म वगों की तयक्की भें रुकावटें आती। रेककन मह सत्म है कक ऩूजा-ऩाठ, मऻ-जाऩ, भॊगरा-भॊगरी, भुहूत्तथ आदद अवाॊिछत तथ्मों ववॊ हस्तये खा , हस्ताऺय ववऻान , तॊर- ,
जाद-ू टोना, बूत-प्रेत, झाडपूॊक , न्मभ ू योरोजी , पेंगसुई, वास्तु, टै यो काडथ, रार ककताफ आदद ्मोितष से इतय ववधाओॊ के बी ्मोितष भें प्रवेश से ही ्मोितष ववऻान की तयक्की भें फाधा ऩहुॊ ी है ।
्मोितष ववऻान भूरत: सॊकेतों का ववऻान है , मह फात न तो ्मोितवषमों को औय न ही जनता को बूरनी ादहव। ककन्तु जनता ्मोितषी को बगवान फनाकय तथा ्मोितषी अऩने बक्तों को
फयगराकय पमरत ्मोितष के ववकास भें फाधा ऩहुॊ ाते आ यहे हैं। हय ववऻान भें सपरता औय असपरता साथ-साथ रती है । भेडडकर साइॊस को ही रें। हय सभम वक-न-वक योग डॉक्टय को रयस थ कयने को भजफूय कयते हैं। ककसी ऩरयकल्ऩना को रेकय ही कामथ-कायण भें सॊफॊध स्थावऩत
कयने का प्रमास ककमा जाता है , ऩय सपरता ऩहरे प्रमास भें ही मभर जाती है , ऐसी फात नहीॊ है । अनेकानेक प्रमोग होते हैं , कयोड़ों-अयफों ख थ ककव जाते हैं, तफ ही सपरता मभर ऩाती है । बग ू बथ-ववऻान को ही रें , प्रायॊ ब भें कुछ ऩरयकल्ऩनाओॊ को रेकय ही कक महॉ अभक ु द्रधम की खान
हो सकती है , कामथ कयवामा जाता था ,ऩयॊ तु फहुत स्थानों ऩय असपरता हाथ आती थी। धीये -धीये इस ववऻान ने इतनी तयक्की कय री है कक कसी बी जभीन के बग ू बथ का अध्ममन कभ ख थ से ही सटीक ककमा जा सकता है । अॊतरयऺ भें बेजने के मरव अयफों रुऩव ख थ कय तैमाय ककव गव उऩग्रह के नष्ट होने ऩय वैऻिनकों ने हाय नहीॊ भानी। उनकी कभजोरयमों ऩय ध्मान दे कय उन्हें सुधायने का प्रमास ककमा गमा तो अफ सपरता मभर यही है । उऩग्रह से प्राप्त च र के साऩेऺ की जानवारी भौसभ की बववष्मवाणी िनत्म-प्रितददन सुधाय के क्रभ भें दे खी जा यही है ।
भानव जफ-जफ गल्ती कयते हैं , नई-नई फातों को सीखते हैं ,तबी उनका ऩूया ववकास हो ऩाता है , ऩयॊ तु ्मोितष-शास्र के साथ तो फात ही उल्टी है , अचधकाॊश रोग तो इसे ववऻान भानने को
तैमाय ही नहीॊ , मसपथ खामभमॉ ही चगनाते हैं औय जो भानते हैं , वे अॊधबक्त फने हुव हैं । मदद कोई ्मोितषी सही बववष्मवाणी कये तो उसे प्रोत्साहन मभरे न मभरे ,उसके द्वाया की गमी वक बी गरत बववष्मवाणी का उसे व्मॊ्मवाण सुनना ऩड़ता है । इसमरव अबी तक ्मोितषी इस याह ऩय
रते आ यहें हैं , जहॉ च त्त बी उनकी औय ऩट बी उनकी ही हो। मदद उसने ककसी से कह
ददमा, `तम् ु हे तो अभक ु कष्ट होनेवारा है , ऩज ू ा कयवा रो ,मदद उसने ऩज ू ा नहीॊ कयवाई औय कष्ट हो गमा,तो ्मोितषी की फात बफल्कुर सही। मदद ऩज ू ा कयवा री औय कष्ट हो गमा तो `ऩज ू ा
नहीॊ कयवाता तो ऩता नहीॊ क्मा होता´ । मदद ऩज ू ा कयवा री औय कष्ट नहीॊ हुआ तो `्मोितषीजी तो ककल्कुर कष्ट को हयनेवारे हैं´ जैसे वव ाय भन भें आते हैं। हय स्स्थित भें राब बरे ही ऩॊडडत को हो , पमरत ्मोितष को जाने-अनजाने कापी धक्का ऩहुॊ ता आ यहा है । ककन्तु राख व्मवधानों के फावजूद बी प्रकृित के हय
ीज का ववकास रगबग िनिम त होता है
प्रकृित का मह िनमभ है कक स्जस फीज को उसने ऩैदा ककमा , उसे उसकी आवश्मकता की वस्तु मभर ही जावगी । दे ख-ये ख नहीॊ होने के फावजूद प्रकृित की सायी वस्तुवॊ प्रकृित भें ववद्मभान यहती ही है । फारक जन्भ रेने के फाद अऩनी आवश्मकताओॊ की ऩूितथ के मरव अऩनी भॉ ऩय
िनबथय होता है । मदद भॉ न हों , तो वऩता मा ऩरयवाय के अन्म सदस्म उसका बयण-ऩोषण कयते हैं। मदद कोई न हो , तो फारक कभ उम्र भें ही अऩनी जवाफदे ही उठाना सीख जाता है । वक ऩौधा बी अऩने को फ ाने के मरव कबी टे ढ़ा हो जाता है , तो कबी झुक जाता है । रतावॊ भजफूत ऩेड़ों से मरऩट कय अऩनी यऺा कयती हैं ।
कुर मभराकय मही कहा जा सकता है कक सफकी यऺा ककसी न ककसी तयह हो ही जाती है औय
ऐसा ही ्मोितष शास्र के साथ हुआ। आज जफ सबी सयकायी औय गैय-सयकायी सॊस्थावॊ ्मोितष ववऻान के प्रित उऩेऺात्भक यवैमा अऩना यही है , सबी ऩयॊ ऩयागत ्मोितषी याहू , केतु औय ववॊशोत्तयी के भ्राभक जार भें पॊसकय अऩने ददभाग का कोई सदऩ ु मोग न कय ऩाने से तनावग्रस्त हैं , वहीॊ दस ू यी ओय ्मोितष ववऻान का इस नव वैऻािनक मुग के अनुरुऩ गत्मात्भक ववकास हो क ु ा है । `गत्मात्भक ्मोितषीम अनुसॊधान केन्द्र´ द्वाया ग्रहों के गत्मात्भक औय स्थैितक शस्क्त
को िनकारने के सूर की खोज के फाद आज ्मोितष वक वस्तुऩयक ववऻान फन
क ु ा है ।
जीवन भें सबी ग्रहों के ऩड़नेवारे प्रबाव को ऻात कयने के मरव दो वैऻािनक ऩिितमों `गत्मात्भक दशा ऩिित´ औय `गत्मात्भक गो य प्रणारी´ का ववकास ककमा गमा है , स्जसके द्वाया जातक अऩने ऩूये जीवन के उताय- ढ़ाव का रेखाच र प्राप्त कय सकते हैं। इस दशा-ऩिित के अनुसाय शयीय भें स्स्थत सबी ग्रॊचथमों की तयह सबी ग्रह वक ववशेष सभम ही भानव को प्रबाववत कयते हैं। जन्भ
से 12 वषथ तक की अवचध भें भानव को प्रबाववत कयनेवारा भन का प्रतीक ग्रह
द्र ॊ भा है ,
इसमरव ही फ् े मसपथ भन के अनुसाय कामथ कयतें हैं ,इसमरव अमबबावक बी खेर-खेर भें ही
उन्हें सायी फातें मसखराते हैं। 12 वषथ से 24 वषथ तक के ककशोयों को प्रबाववत कयनेवारा ववद्मा , फुवि औय ऻान का प्रतीक ग्रह फुध होता है , इसमरव इस उम्र भें फ् ों भें सीखने की उत्सुकता
औय ऺभता कापी होती है । 24 वषथ से 36 वषथ तक के मुवकों को प्रबाववत कयनेवारा शस्क्त-साहस का प्रतीक ग्रह भॊगर होता है , इसमरव इस उम्र भें मुवक अऩने शस्क्त का सवाथचधक उऩमोग कयते हैं ।
36 वषथ से 48 वषथ की उम्र तक के प्रौढ़ों को प्रबाववत कयनेवारा मुस्क्तमो का ग्रह शुक्र है , इसमरव
इस उम्र भें अऩनी मुस्क्त-करा का सवाथचधक उऩमोग ककमा जाता है । 48 वषथ से 60 वषथ की उम्र के व्मस्क्त को प्रबाववत कयनेवारा ग्रह सभस्त सौयभॊडर की उजाथ का स्रोत सूमथ है , इसमरव इस उम्र
के रोगों ऩय अचधकाचधक स्जम्भेदारयमॉ होती हैं, फड़े-फड़े कामों के मरव उन्हें अऩने तेज औय धैमथ की ऩयीऺा दे नी ऩड़ती है । 60 वषथ से 72 वषथ की उम्र को प्रबाववत कयनेवारा धभथ, न्माम का प्रतीक ग्रह फह ृ स्ऩित है, इसमरव मह सभम सबी प्रकाय के जवाफदे दहमों से भुक्त होकय धामभथक जीवन जीने का भाना गमा है । 72 वषथ से 84 वषथ तक की अितवि ृ ावस्था को प्रबाववत कयनेवारा
सौयभॊडर का दयू स्थ ग्रह शिन है । इसी प्रकाय 84 से 96 तक मूयेनस , 96 से 108 तक नेऩ्मून औय 108 से 120 वषZ की उम्र तक प्रूटो का प्रबाव भाना गमा है ।
इस दशा-ऩिित के अनुसाय मदद ऩूखणथभा के सभम फ् े का जन्भ हो तो फ ऩन भें स्वास्थ्म की भजफूती औय प्माय-दर ु ाय का वातावयण मभरने के कायण उनका भनोवैऻािनक ववकास कापी
अ्छा होता हैं। इसके ववऩरयत, अभावस्मा के सभम जन्भ रेनेवारे फ् े भें स्वास्थ्म मा वातावयण की गड़फड़ी से भनोवैऻािनक ववकास फाचधत होते दे खा गमा है । फ् े के जन्भ के सभम फुध ग्रह की स्स्थित भजफूत हो तो ववद्माथी जीवन भें उन्हें फौविक ववकास के अ्छे अवसय मभरते हैं । ववऩरयत स्स्थित भें फौविक ववकास भें कदठनाई आती हैं। जन्भ के सभम भॊगर भजफूत हो तो 24वषथ से 36 वषथ की उम्र तक भनोनुकूर भाहौर प्राााप्त होता है । ववऩयीत स्स्थित भें जातक
अऩने को शस्क्तहीन सभझता है । जन्भ के सभम भजफूत शुक्र की स्स्थित 36 वषथ से 48 वषथ की उम्र तक सायी जवाफदे दहमों को सु ारुऩूणथ ढॊ ग से अॊजाभ दे ती हैं, ववऩयीत स्स्थित भें , काभ सु ारुऩूणथ ढॊ ग से नहीॊ
र ऩाता है । इसी प्रकाय भजफूत सूमथ 48 वषथ से 60 वषथ तक व्मस्क्त के
स्तय भें कापी ववृ ि राते हैं, ककन्तु कभजोय सूमथ फड़ी असपरता प्रदान कयते हैं। जन्भकार का
भजफूत फह ृ स्ऩित से व्मस्क्त का अवकाश-प्राप्त के फाद का जीवन सुखद होता हैं।ववऩयीत स्स्थित
भें अवकाश प्राप्त कयने के फाद उनकी जवफदहे ही खत्भ नहीॊ हो ऩाती हैं। भजफूत शिन के कायण 72 वषथ से 84 वषथ तक के अितवि ृ की बी दहम्भत फनी हुई होती है , जफकक कभजोय शिन इस
अवचध को फहुत कष्टप्रद फना दे ते हैं।इन ग्रहों का सवाथचधक फुया प्रबाव क्रभश: 6ठे , 18वें , 30वें , 42वें ,54वें, 66वें औय 78वें वषथ भें दे खा जा सकता है । गत्मात्भक ्मोितष की खोज के ऩश् ात ् ककसी व्मस्क्त का बववष्म जानना असॊबव तो नहीॊ ,
भुस्श्कर बी नहीॊ यह गमा है , क्मोंकक व्मस्क्त के बववष्म को प्रबाववत कयने भें फड़ा अॊश ववऻान
के िनमभ का होता है , छोटा अॊश ही साभास्जक , याजनीितक , आचथथक मा ऩारयवारयक होता है मा व्मस्क्त खद ु तम कयता है। वास्तव भें , हय कभथमोगी आज मह भानते हैं कक कुछ कायकों ऩय
आदभी का वश होता है , कुछ ऩय होकय बी नहीॊ होता औय कुछ कुछ ऩय तो होता ही नहीॊ ।
व्मस्क्त का वक छोटा िनणथम बी गहये अॊधे कुवॊ भें चगयने मा उॊ ी छराॊग रगाने के मरव कापी होता है । इतनी अिनस्श् तता के भध्म बी अगय ्मोितष बववष्म भें झाॊकने की दहम्भत कयता
आमा है तो वह उसका दस् ु साहस नहीॊ , वयण ् सभम-सभम ऩय ककव गव रयस थ के भजफूत आधाय ऩय उसका खड़ा होना है ।