िनिखलप चर न भी इस प्रकार अपने आप म कई रह य को समेटे हुवे है. इसके प च पद समहू म हर एक पद म एक म त्र का िववरण िदया हुआ है जो की सदगु देव से सबिं धत है. िन य ही अगर इसका गढू ाथर् समज कर इन मंत्रो का प्रयोग िकया जाए तो यिक्त कई प्रकार की िसिद्धय की प्राि कर सकता है. 1. साकारगुणा मक ब्र मयं िश य वं पूणर् प्रदाय नयं वं ब्र मयं स यास मयं िनिखले र गु वर पािह प्रभो
इस मंत्र का जाप करने यिक्त को ब्र ह से यक्त ु सदगु देव के स य त व प िनिखले रानंदजी से िश य व के पणू र् गणु की प्राि एवं बोध तथा साकार गणु से पिरपणू र् ब्र ह का दशर्न सल ु भ होता है अथार्त आज्ञा चक्र का जागरण होता है. 2. क णा वर अ ज दया देहं लय बीज प्रमाणं सिृ करं वं म त्र मयं वं त त्र मयं िनिखले र गु वर पािह प्रभो
वं वां वीं िनिखले राय नमः (vam vaam veem
nikhileshwaraay namah)
साधक को मंत्र साधना तथा तंत्र साधना म सफलता की प्राि होती है. साधना सफलता के साथ साथ उ चकोिट की साधना के िलए जो मुख्य भाव चािहए वह दया तथा क णा जेसे भावो का उदय भी इस प्रिक्रया के मा यम से होता है. साधक के वािध ान चक्र का जागरण होता है तथा उससे सबंिधत लाभ की प्राि होती है.
3. कमेर्श िवधेश सुरेश मयं िसद्धा म योिगन् सांख्य वयं वं ज्ञान मयं वं त व मयं िनिखले र गु वर पािह प्रभो
ॐ िनं गुं हं िनिखले राय नमः (OM NIM GUM HAM NIKHILESHWARAAY NAMAH)
इस मंत्र के जाप से यिक्त आकाशत व पे िनयंत्रण थापन करने का ज्ञान प्रा करता है तथा सजर्न पालन और संहार के रह य से पिरिचत होता है. 4. अित िद य सु देह सकोिट छिव मम नेत्र चकोर गा म मयं सुखदं वरदं वर सा य मयं िनिखले र गु वर पािह प्रभो क्लीं ीं िनिखले राय नमः ( KLEEM HREEM NIKHILESHWARAAY NAMAH)
इस मत्रं जाप से यिक्त आकषर्ण क्षमता, िद य भाव का वरदान प्रा करता है. 5. वं योितमयं वं ज्ञानमयं वं िश यमयं वं प्राणमयं मम आतर्व िश यत् त्राण प्रभो िनिखले र गु वर पािह प्रभो ॐ हं यं रं िनं िनिखले राय नमः (Om Ham Yam Ram Nim Nikhileshwaraay Namah)
इस मंत्र का जाप करने पर िश य को आतंिरक प से संरक्षण िमलता है तथा कु डिलनी क्रम म वह गितशील हो जाता है. इन पांचो मंत्रो को साधक अपने द्वारा िनि त संख्या म दैिनक साधना करने के बाद जाप कर सकता है. साधक सभी मंत्रो की एक एक माला िन य साधना म मंत्र जाप के बाद करे . ऐसा नहीं हे की साधक को पांचो मत्रं करना आव यक ही है. साधक चाहे तो कोई
भी मत्रं का जाप कर सकता है. इसके अलावा साधक ११ माला ११ िदन, २१ माला २१ िदन तक का मंत्र प्रयोग भी कर सकता है. साधक चाहे तो सभी मंत्रो का अलग अलग प म सवालाख मंत्र का अनु ान क्रम भी कर सकता है. प्रयोग तथा अनु ान म साधक के व सफ़े द रहे, साधक को सफ़े द आसान पर उ र िदशा की तरफ मख ु कर बैठना चािहए. पजू न िवधान आिद स पन कर साधक को प्रयोग या अनु ािनक म त्र जाप करना चािहए. साधक िदन या रात के समय का चयन कर सकता है लेिकन रोज समय एक ही रहे यह आव यक है. िनि त प से यह सब मंत्र अ यिधक िसिद्धप्रद है तथा वह साधक सौभाग्यशाली होता है जो इन मंत्रो का जाप करता है. This is taken from http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/ for convenience of all gurubhais. http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/08/nikhil-panch-ratna-rahasya1.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/08/nikhil-panch-ratna-rahasya2.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-rahasya3.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-rahasya4.html http://www.nikhil-alchemy2.blogspot.in/2012/09/nikhil-panch-ratna-5.html